दोस्तों इस श्रृंखला में हम प्रतिदिन
आपको ऐसे कुछ औषधि गुणों से युक्त पतियों के बारे में नई जानकारी देते हैं जिन्हें आप जानते और पहचानते हैं। जो आपके आसपास मौजूद रहते हैं पर आप यह नहीं जानते यह आपके स्वास्थ्य के लिए कितने लाभदायक है। इन्हें आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर आपने स्वास्थ्य और सौंदर्य में निखार ला सकते हैं। आइए आज ऐसे ही एक औषधीय गुणों से युक्त बबूल के पत्ते बारे में जानते हैंl
आयुर्वेद के अनुसार, बबूल एक बहुत ही उत्तम औषधि है। इसलिए अगर आप बीमारियों में बबूल का इस्तेमाल करते हैं निःसंदेह आपको बहुत फायदा मिल सकता है।औषधि के रूप में बबूल का इस्तेमाल बहुत सालों से किया जा रहा है। इसकी पत्तियां बहुत छोटी होती हैं। इस पेड़ में कांटे होते हैं। गर्मी के मौसम में बबूल के पेड़ पर पीले रंग के गोलाकार गुच्छों में फूल खिलते हैं और ठंड के मौसम में फलियां आती हैं। आइए जानते हैं बबूल से लाभ क्या-क्या मिल सकता है?
अधिक पसीना आने पर
बबूल के पत्ते के पेस्ट का उबटन लगाने से पसीना आना बंद हो जाता है। अधिक पसीना आने की परेशानी में बबूल के पत्ते और बाल हरड़ को बराबर-बराबर मिलाकर महीन पीस लें। इस चूर्ण की पूरे बदन पर मालिश करें और कुछ समय नहा लें। नियमित रूप से यह प्रयोग कुछ दिन तक करने से पसीना आना बन्द हो जाता है।
घाव को ठीक करे
बबूल के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है।
खांसी को ठीक करे
बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का चूर्ण बनाएं। इसके 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
दांत के दर्द दूर करें
दांत के दर्द की परेशानी में बबूल की छाल, पत्ते, फूल और फलियां लें। सभी को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण का मंजन करने से दांतों के रोग दूर होते हैं।
कंठ रोगों में
बबूल के पत्ते और छाल एवं बड़ की छाल लें। सबको बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छान कर रख लें। इससे कुल्ला (गरारा) करने से गले के रोग मिट जाते हैं।
आंख के रोग में
बबूल के कोमल पत्तों को गाय के दूध में पीस लें। इसका रस निकाल कर 1-2 बूंद आंख में डालें। इससे आंखों के दर्द ठीक होते हैं। आंखों की सूजन में भी यह लाभकारी होता है। आंखों से पानी बहने पर बबूल के पत्तों का काढ़ा बनाएं। इसमें शहद मिलाकर काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों से पानी बहने की परेशानी ठीक होती है। बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का काढ़ा बनाकर आंखों को धोएं। इससे अन्य आंंखों की बीमारी भी ठीक हो जाती है।
श्वसन तंत्र विकार में
बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का चूर्ण बनाएं। इसके 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करने से श्वसन तंत्र की बीमारी में लाभ होता है।
मूत्र रोग का इलाज
बबूल की 10-20 कोपलों को एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे रात भर पानी में ही रखें। सुबह उस पानी को निथार कर पीएं। इससे पेशाब की जलन में लाभ मिलता है।
सूजाक का इलाज
बबूल के 5-10 पत्तों को 1 चम्मच शक्कर और 2 नग काली मिर्च के साथ अथवा 5-6 अनार के पत्तों के साथ पीस छानकर पिलाने से सूजाक में लाभ होता है। बबूल की 10-20 कोपलों को एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे रात भर ऐसे ही रहने दें। सुबह उस पानी को निथार कर पीने से सूजाक में लाभ मिलता है।10 ग्राम बबूल की कोंपलों को रात भर एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे सुबह मसलकर छान लें। इसमें 20 ग्राम गर्म घी मिलाकर पिलाएं। दूसरे दिन भी ऐसा ही करें। तीसरे दिन घी मिलाना छोड़ दें। और 4-5 दिन खाली इसका हिम पीने से सूजाक में बहुत लाभ होता है।
सिफलिस रोग के इलाज में
बबूल के पत्ते से बने चूर्ण को सिफलिश वाले घाव पर छिड़कने से घाव तुरंत ठीक हो जाता है।
दस्त को बंद करें
बबूल के पत्ते के रस को छाछ में मिलाकर पिलाने से हर प्रकार का दस्त ठीक होती है। दस्त को बंद करने के लिए बबूल के पत्तों से निर्मित पेस्ट को जल में घोलकर पीएं। इससे फायदा होता है। बबूल के पत्ते, जीरे और शयामले जीरे को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे पीसकर 10 ग्राम की मात्रा में रात के समय देने से कफज विकार के कारण होने वाले दस्त में लाभ होता है। बबूल की कोमल पत्तियों के एक चम्मच रस में थोड़ी सी हरड़ का चूर्ण या शहद मिलाएं। इसका सेवन करने से पेचिश में फायदा होता हैं।
रक्त-स्राव में
शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव होता हो तो उस पर बबूल के पत्तों का रस लगाना चाहिए। इसके अलावा सूखे पत्तों या सूखी छाल का चूर्ण रक्तस्राव वाले स्थान पर छिड़क देना चाहिए। इससे रक्तस्राव रुक जाता है। इसी तरह 10-15 बबूल के कोमल पत्ते लें। इसमें 2-4 नग काली मिर्च और 2 चम्मच चीनी मिलाएं। इसे पीस कर छान लें। इसे पिलाने से आमाशय से होने वाला रक्तस्राव ठीक हो जाता है।
औधषि के रूप में अधिक फायदा लेने के लिए बबूल का उपयोग चिकित्सक के परामर्शानुसार ही करें। बबूल के अधिक सेवन से स्तन से संबंधित रोग होता है। अधिक मात्रा में इसका सेवन हानिकारक हो सकता है
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