आज के इस तनाव एवं भागदौड़ भरे युग में सकारात्मक होना, ऊर्जावान होना इंसान के लिये बहुत बड़ी बात है और इसी के माध्यम से मानव जीवन ने ऊंचाइयों को छुआ है। यह सकारात्मकता एवं ऊर्जस्विलता ही है, जिसने आम इंसानों को ऐतिहासिक पुरुषों के रूप में महानता प्रदान की है। कई बार ऐसा लगता होगा आपको कि आप ऊर्जा से भरे हुए और परिपूर्ण है। आपका संपूर्ण शरीर ऊर्जा से छलछला रहा है और उस समय आपके चेहरे पर एक विशिष्ट आभा होती है, आँखों में चमक होती है, मन में प्रसन्नता ओर हृदय में होती है कुछ कर गुजरने की तमन्ना। यही वह क्षण है जो आपको जीवन में कुछ अनूठा एवं सार्थक करने का समय होता है। ‘आप जिस बारे में सपना देखते हैं, वही बनते हैं। अगर आप बड़े काम का सपना नहीं देखते, तो आप कभी जीवन में कुछ बड़ा नहीं कर पायेंगे।’’अपने आपको परिपक्व बनाएं और परिवर्तन के बुरे नतीजों के बारे में आशंकित न हों। उजाला बनें।’’ इसलिए बदलें, खुद रोशनी बनें और दूसरों को भी प्रकाशित करें। एक बार आप अपने अंदर सफलता प्राप्त कर लें, अपने आप पर नियंत्रण पा लें, बाहर खुद-ब-खुद वह प्रतिबिम्बित होगा। बिल्कुल इसी तरह कम्प्यूटर काम करता है-अगर साॅफ्टवेयर करप्ट हो गया है तो बस आपको उसे रीलोड करना होगा। इसी तरह, यदि एक विचारधारा काम नहीं कर रही है तो आपको बस अपने दिमाग को रिप्रोग्राम करना होगा। जिस पल कोई व्यक्ति खुद को पूर्णतः समर्पित कर देता है, ईश्वर भी उसके साथ चलता है। जैसे ही आप अपने मस्तिष्क में नए विचार डालते हैं, सारी ब्रह्माण्डीय शक्तियां अनुकूल रूप में काम करती हैं। यह बात जरूर है कि यदि आप किसी कार्य में अयोग्य हैं तो अपने को कमजोर मान निराशा या अवसाद में डूबने की जरूरत नहीं है। दुनिया में कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है। दुनिया का कोई भी कार्य महान नहीं होता, बल्कि महान लोगों द्वारा किए गए कार्य महान बन जाते हैं। मदर टेरसा के कार्यों ने उन्हें दुनिया के महानतम लोगों की श्रेणी में खड़ा कर दिया। अंग्रेजों को अहिंसा के माध्यम से घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले गांधी जी अपनी युवावस्था में जब पहली बार कोर्ट में सूट-बूट पहनकर खड़े हुए तो उनके पैर कांपने लगे, जज के सामने उनकी आवाज तक नहीं निकली और वे इतना डर गए कि कोर्ट से भाग निकले। बाद में उन्होंने खुद को इस तरह निखारा कि करोड़ों लोगों के दिलों पर राज किया। अपनी ऊर्जा को सकारात्मक रूप देने और उसे बढाने के लिए आप इस तथ्य को अपने मन मस्तिष्क में बिठा लें कि सामान्यतः मनुष्य जो कुछ कर रहा है वह उसकी क्षमता से बहुत कम है। मनुष्य अपने इसी शरीर में सर्वज्ञ बन सकता है और महानता का वरण कर सकता है। ह्यूमन बाॅडी में जो विराट शक्तियाँ छिपी हुई हैं, उनका सही उपयोग किया जाए तो निःसंदेह मनुष्य सर्वज्ञता और महानता जैसी स्थिति को प्राप्त कर सकता है। सकारात्मक ऊर्जा को बढाकर उसे ऊँचाई के स्तर तक ले जा सकते हैं। सफलता के शिखर पर पहुँचे व्यक्तियों के उदाहरण से भी यह बात स्पष्ट होती है कि जिन कार्यों में उन्होंने हाथ डाला, उन्हें विश्वास था कि उन्हें पूरा करने में वे सक्षम हैं और इसके लिए अपनी ऊर्जा का सही उपयोग उन्होंने किया। जीवन की समझ होना बेहद जरूरी है। उसके साथ कैरेक्टर और माध्यम की समझ भी उतनी ही जरूरी है। चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में आंकना और सामथ्र्य व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जीवन जीना ही सकारात्मकता है। यदि परिस्थितियां हमारे हित में नहीं है तो उन्हें अपने हित में करने के लिए जूझना। दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है, जिसे इंसान न कर सके। दिल में कामों के प्रति जुनून और लगन होनी चाहिए। सकारात्मकता आत्मविश्वास से ही उपजती है और उसमें इस बात का भी बोध होता है कि दुनिया बहुत महान है और यहां विविधताओं और योग्यताओं का भंडार है। जितनी ज्यादा चाह है, उससे ज्यादा मेहनत करने की क्षमता ही हमें सकारात्मक बना सकती हैं। जब हम स्वार्थ से उठकर अपने समय को देखते हुए दूसरों के लिए कुछ करने को तैयार होते हैं तो हम सकारात्मक हो जाते हैं। जब आप दुखी हों तो अपने से नीचे देखो और फिर सोचो कि आप सुखी हो या दुखी। यहां देखने का नजरिया महत्वपूर्ण होगा। नीचे देखते समय अपनी सुविधाओं को देखो और ऊपर देखते हुए उनके लिए किए गए श्रम को समझने का प्रयास करो। ऊर्जा एवं सकारात्मकता से समृद्ध होकर आप जीवन को आनंदित बना सकते हैं।