रायपुर 30 जनवरी 2023।रायपुर में चल रहे छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य समारोह में कई जिलों से कलाकार साहित्यकार पहुंचे हुए हैं वह अपनी-अपनी कलाकार प्रस्तुति दे रहे हैं। परदेशी राम वर्मा ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि इस सत्र में मार्मिक और जागरूक करने वाली कहानी का वाचन किया गया। उन्होंने कहा की छत्तीसगढ़ी में जो रचना की गई है, वह काव्यात्मक है। परंतु वर्तमान में पिछले कई वर्षो से गद्य में रचना हो रही है,जो प्रशंसनीय है। गांव में जो नाटक होता था वह छत्तीसगढ़ी में नही होता था,हिंदी में होता था। देश में सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में महाभारत और रामायण का प्रभाव रहा है।जिंदगी है तो बहरहाल गुजर जाएगी, तू अगर साथ नही तो कोई बात नही। उन्होंने कहा कि आयोजन की अंतराष्ट्रीय स्तर से तुलना की जा सकती है।साहित्य के लिए छोटी नौकरी कीजिए,बड़ी नौकरी आपकी की कला को उदय नही होने देगी।छत्तीसगढ़ी भाषा को मजबूत करने के लिए सबको समन्वय से काम करना होगा। छत्तीसगढ़ की धरती में प्रथम कथाकार हुए।प्रथम सत्र के समापन अवसर पर परदेशी राम वर्मा ने गोंदा उपन्यास का विमोचन किया गया। इसके लेखक परमानंद वर्मा है। सरगुजिया में दिपलता देशमुख की बाल कहानी का भी विमोचन किया गया।छत्तीसगढ़ लोक साहित्य के दूसरे सत्र के अध्यक्ष रामेश्वर वैष्णव ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। रूपेश तिवारी ने “ए ग जवईया सुन तोर ठहराव कहा हे,शहरिया चकाचौंध म तोर गांव कहा हे” जैसे कविता से शमा बांधा।बंटी छत्तीसगढ़िया ने” बेटी सुख के आंखी, ऊही दिया उही बाती, तीपत तेल न झन डार ग,बेटी ल पेट म झन मार ग” से अपनी कविता प्रारंभ किया।सुश्री जयमती कश्यप ने हल्बी और नरेंद्र पाढ़ी ने शादरी एवं भतरी में अपनी कविता का वाचन किया।
छत्तीसगढ़ लोक साहित्य सम्मेलन में गोंदा उपन्यास का विमोचन ,,,, रामायण और महाभारत का छत्तीसगढ़ में ज्यादा प्रभाव

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