भिलाई 02अगस्त 2025। सिविक सेंटर स्थित जयंती स्टेडियम के मैदान में आयोजित शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण करने पहुंचे। कथा स्थल के पांचों प्रमुख पंडालों के बावजूद बाहर भी बैठे श्रद्धालुओं की आस्था देखते ही बन रही थी। बोल बम सेवा समिति के संस्थापक व उपनेता प्रतिपक्ष श्री दया सिंह जी के नेतृत्व में उनकी पूरी टीम इन लाखों भक्तों के लिए बेहतर व्यवस्था बनाने में जुटी। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने उनकी भक्ति की सराहना की।
शनिवार की कथा में अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सावन का जो पवित्र महीना होता है, वह विश्वास का, भरोसे का और भगवान महादेव की अनुपम श्रद्धा का महीना होता है। इसमें भगवान शिव को कैसे रिझाना है, मनाना है, यह मनुष्य की भक्ति पर निर्भर करता है। पूरे वर्ष में केवल सावन का महीना ही ऐसा होता है, जिसमें मनुष्य, नाग, देव, गंधर्व, छोटा से छोटा जीव, यदि भगवान के शिवालय तक भी पहुंच जाता है तो महादेव उस पर कृपा कर ही देते हैं।
पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आप जिस भाव से शिव की आराधना कर रहे हैं, शिवजी आपकी मनोकामना एक न एक दिन पूरी जरूर करेंगे। शिवभक्त की आंखों में कोई आंसू लाता है तो उसका जवाब शिवजी ही देते हैं। इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि किसी पर कीचड़ उछालना तो सोझ समझकर, क्योंकि वो एक दिन स्वयं पर वापस जरूर आता है। जितना भगवान का भजन कर आगे बढ़ोगे, उतना आनंद में रहोगे।
शनिवार की कथा में उत्तर प्रदेश के अयोध्या क्षेत्र से सांसद बृजभूषण शरण सिंह, भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह, विधायक धरमलाल कौशिक, दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास, महापौर नीरज पाल, दुर्ग संभागायुक्त सत्यनारायण राठौर, भिलाई नगर निगम के आयुक्त राजीव पांडेय सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। पं. मिश्रा ने बताया कि वाणी हमेशा तीन बिंदुओं पर केंिद्रत होती है। पहला कर्णप्रिय, दूसरा वर्णप्रिय वर्णप्रिय और तीसरा धर्म प्रिय। यदि आप अपने बारे में हमेशा अच्छा-अच्छा ही सुनते हो और वह आपके कानों को प्रिय लगती है तो इससे आपमे अहंकार आने लगता है। इसी तरह वर्णप्रिय सुनने आप अपने समाज व एक दायरे तक ही बंध जाते हो। लेकिन होना सनातन का प्रतीक है। भारतभूमि पुण्य भूमि है। विदेशों में मरने उनके नाम के आगे एक्सपायर लगाया जाता है। वो लोग एक्सपायर कहलाते हैं। लेकिन भारत भूमि में प्राण छूटे तो लोग स्वर्गवासी कहलाते हैं। भारत भूमि स्वर्ग जाने का पासपोर्ट, वीजा है।पंडित मिश्रा ने कहा कि एक पुरुष 50 का, 60 का या 70 वर्ष का होगा, तो उसका रूप बदलता जाएगा। लेकिन स्त्री में ऐसा नहीं होता। स्त्री में शिव का प्रतिबिंब है, उसकी आयु बढ़ने के बाद भी चेहरे पर चमक रहती ही है। शिवजी ने स्त्री को वाणी की मधुरता, श्रेष्ठता दी है। पंडित मिश्रा ने बताया कि शिवजी नारी के भीतर सात रूप में विद्यमान रहते हैं। पहला कीर्ति, दूसरा सुंदरता, तीसरी मीठी वाणी, चौथी समय पर स्मृति, पांचवां धारण शक्ति छठवा धैर्यता, सातवां क्षमा की मूर्ति होती है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा िक नारी कभी किसी बात को नहीं भूलती। उसमें शिवकृपा से धारण शक्ति सबसे अधिक होती है। एक नारी ही है जो गर्भ में 9 महीने तक शिशु को रखकर उसे जन्म देती है। इस दौरान वह कितना कष्ट सहती है, उसका अंदाजा हम नहींे लगा सकते। शिवजी ही हैं, जो उन्हें यह शक्ति प्रदान करते हैं। नारी के भीतर धैर्य भी बहुत होता है। कितनी भी बड़ी विपत्ति आने पर वह आगे सब कुछ ठीक हो जाएगा कहकर धैर्य रखती है। इसी तरह नारी को कोई कितना भी कुछ कह ले वह उसे क्षमा कर देती है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा में कहा कि भगवान शंकर का विवाह मां पार्वती के साथ इतनी सरलता से नहीं हुआ। उन्होंने 7 बार माता की परीक्षा ली। और हर बार उन्हें एक-एक वर देते रहे। मां पार्वती ने कितनी तपस्या की, परीक्षा दी तब शिव उन्हें मिले। इसलिए मनुष्य सदैव याद रखे कि ठोकर खाकर गिरे हो तो धीरे धीरे संभालना शुरू कर दो। संसार में सुख, परिवार समेत कोई भी चीज पूर्ण नहीं मिलती। केवल महादेव पूर्ण मिलते हैं। उन्हें केवल एक चावल का दाना चढ़ाओ। अष्टमी, प्रदोष, शिवरात्रि, सोमवार के दिन चावल का एक दाना शिवजी को समर्पित कर दो, आपके जीवन में बदलाव स्वयं दिख जाएगा। विवाह के बाद सबसे पहली शिवजी मां पार्वती को काशी ले गए, वे उन्हें समझाना चाहते थे विवाह आत्मा और परमात्मा के मिलन का केंद्र बिंदु है।
विश्वास, भरोसे और भगवान महादेव की अनुपम श्रद्धा का महीना होता सावन- पंडित प्रदीप मिश्रा

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