भिलाई 13 दिसंबर 2025। रिसाली के वीआईपी नगर शिव मंदिर के पास आयोजित त्रिवेणी ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दौरान शनिवार को कथा वाचक पंडित भूपत नारायण शुक्ल अमोरा बेमेतरा वाले ने राधा रासमिलन व रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया। श्रीमद्भागवत में राधा व रुकमणि प्रसंग प्रेम व आध्यात्मिक मिलन का प्रतीक है। राधा-कृष्ण रास का श्रद्धालुओं ने जमकर आनंद लिया। इस दौरान रुक्मिणी विवाह की सजीव झांकी सजाई गई। राधा-कृष्ण ने रास लीला व रुकमणि विवाह के दौरान भक्त थिरक उठे। इस अवसर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पांडे अपनी पत्नी के साथ उपस्थित थे lकथा वाचक पंडित भूपत नारायण शुक्ल ने बताया कि श्रीमद्भागवत में राधा का नाम सीधे तौर पर नहीं आता, लेकिन प्रत्येक शब्द राधा से ही ओत-प्रोत माना जाता है। भागवत भक्ति का ग्रंथ है और राधा उस भक्ति का मूल हैं। भागवत कथा में राधा-कृष्ण का रास-मिलन, दिव्य प्रेम और आध्यात्मिक मिलन का प्रतीक है, जहाँ कृष्ण अपनी प्रिय राधा और गोपियों के साथ रासलीला करते हैं, जो भक्तों को आनंद और प्रेम का अनुभव कराता है; यह मिलन ‘संकेत’ नामक स्थान पर शुरू हुआ माना जाता है और भागवत में अप्रत्यक्ष रूप से वर्णित है, लेकिन सभी लीलाएं राधा से ही ओत-प्रोत हैं, जो भक्ति का चरम रूप दर्शाती हैं। रुकमणि विवाह के प्रसंग पर झूमे भक्त कथा वाचक पंडित शुक्ला ने जैसे ही रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया वहां उपस्थित भक्त झूमने लगे। यह श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित एक प्रमुख कथा है। यह प्रसंग प्रेम, निष्ठा और भगवान की लीला का प्रतीक है, जहाँ रुक्मिणी ने अपनी सखी के माध्यम से कृष्ण को पत्र भेजकर अपनी मनोदशा बताई और कृष्ण ने उनकी पुकार सुनकर उन्हें विवाह के लिए स्वीकार किया। भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण और विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी के विवाह का वर्णन है, जिसमें रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को अपना पति मान लिया था, लेकिन उनके भाई रुक्मी ने शिशुपाल से विवाह तय कर दिया था। भाई रुक्मी द्वारा तय शिशुपाल से विवाह के विरोध में श्रीकृष्ण से उन्हें हरण करने का संदेश भेजा, जिसके बाद कृष्ण ने शिशुपाल व रुक्मी को हराकर रुक्मिणी का हरण कर उनसे विवाह किया। इसलिए राधा की बजाए रुक्मिणी से हुआ विवाह
पंडित शुक्ल ने बताया कि भगवान कृष्ण के साथ राधा का नाम लिया जाता है लेकिन भगवान ने राधा के बजाय रुक्मिणी से विवाह क्यों किया। भागवत का यह प्रसंग भी भक्ति व प्रेम को दर्शाता है। राधा के बजाय रुक्मिणी से विवाह करने का कृष्ण का निर्णय ईश्वरीय इच्छा से प्रेरित था। जहां राधा का प्रेम भक्ति के सर्वोच्च रूप का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं रुक्मिणी का प्रेम मानवीय भावनाओं और आध्यात्मिक भक्ति के बीच संतुलन का प्रतीक है। देशभर के साधु संतों को हो रहा आगमन त्रिवेणी ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दौरान देश के अलग अलग राज्यों से साधु संतों व महंतों का आगमन हो रहा है। आयोजक विष्णु पाठक के निमंत्रण पर रोजाना कथा स्थल पर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश आदि जगहों से संत महंत पहुंच रहे हैं। कथा स्थल पर आने वाले भक्तों को इन साधू संतों के आर्शीवचन मिल रहा है। रोजाना भागवत कथा सुनने सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस आयोजन से आसपास का माहौल भक्तिमय हो गया है।
राधा रास मिलन व रुक्मिणी विवाह पर झूमे भक्त, त्रिवेणी ज्ञान यज्ञ सप्ताह में उमड़ा आस्था का सैलाब
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