प्रत्येक वर्ष 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को “विश्व जैव-विविधता संरक्षण दिवस” भी कहा जाता हैं। हम लोगो को एक ऐसे पर्यावरण का निर्माण करना है, जो जैव – विविधता में समृद्ध तथा आर्थिक गतिविधियों के लिए हमें अवसर प्रदान कर सकें। जैव-विविधता के कमी होने से प्राकृतिक आपदा जैसे सूखा, बाढ़ और तूफान आदि आने का खतरा और अधिक बढ़ जाता हैै। इसलिए हमारे लिए जैव-विविधता का संरक्षण बहुत ही जरूरी है।
प्रकृति और मानव जीवन के बीच एक स्थायी संबंध है। हम अपने भोजन और स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ विविध प्राकृतिक प्रणालियों पर निर्भर हैं इस वजह से कई जैव विविधता मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिन मनाया जाता है। विश्व भर में हर साल 22 मई का दिन ‘विश्व जैव विविधता संरक्षण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। जिसका मानव जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। तो आइए जानते हैं कैसे हुई थी इस दिन की शुरुआत, महत्व व अन्य जरूरी बातें।
क्या होती है जैव विविधता?
जैव विविधता से आशय जीवों के मध्य पाई जाने वाली विविधता है जो विभिन्न प्रजातियों के मध्य, प्रजातियों के भीतर एवं पारितंत्र की विविधता को शामिल करते हैं। सर्वप्रथम वाल्टर जी. रासन के द्वारा जैव विविधता शब्द का सबसे पहले प्रयोग किया गया था। एक ऐसा क्षेत्र जहां की जलवायु निर्धारित हो और उस प्राकृतिक क्षेत्र में जीव-जन्तु, वृक्ष और वनस्पतियां भिन्न भिन्न प्रकार की होती है। इसी विविधता को जैव विविधता कहते हैं। 1992 में ब्राजील के रियो डे जेनेरियो में आयोजित जैव विविधता सम्मेलन के अनुसार जैव विविधता की परिभाषा इस प्रकार है,”धरातलीय, महासागरीय एवं अन्य जलीय पारिस्थितिकीय तंत्रों में उपस्थित अथवा उससे संबंधित तंत्रों में पाए जाने वाले जीवों के बीच विभिन्नता जैव विविधता है।” जैव विविधता शब्द का प्रयोग पृथ्वी पर जीवन की विशाल विविधता का वर्णन करने के संदर्भ में किया जाता है। इसका उपयोग विशेष रूप से एक क्षेत्र या पारिस्थितिकी तंत्र में सभी प्रजातियों को संदर्भित करने हेतु किया जा सकता है। जैव विविधता पौधों, बैक्टीरिया, जानवरों और मनुष्यों सहित हर जीवित चीज को संदर्भित करती है। इसे अक्सर पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों की विस्तृत विविधता के संदर्भ में समझा जाता है, लेकिन इसमें प्रत्येक प्रजाति में विद्यमान आनुवंशिक अंतर भी शामिल होता है।
प्रायः जैव विविधता को तीन भागों में बांटा जाता है
अनुवांशिक जैव-विविधता: यह एक ही प्रजाति में पायी जाने वाली एक ही जाति के मध्य विभिन्नता को दर्शाती है ,उदाहरण के लिए एशियाई हाथी और अफ्रीकन हाथी।
प्रजातीय जैव-विविधता: प्रजातियों के मध्य पायी जाने वाली विविधता को प्रजातीय जैव-विविधता कहा जाता है। जैसे चारों ओर वृक्षों, पौधों, झाड़ियों और विविध प्रकार के जीव जंतुओं का पाया जाना।
पारिस्थितिकी जैव-विविधता: विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न प्रकार के जीवों की उपलब्धता ही पारिस्थितिकी जैव-विविधता कहलाती है, उदाहरण राजस्थान में ऊँट की अधिकता आदि।
विश्व जैव विविधता दिवस का इतिहास
पर्यावरण और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में जैव विविधता के महत्व को देखते हुए इस दिन को मनाने का निर्णय लिया गया। केन्या के नैरोबी में 29 दिसंबर, 1992 को जैव विविधता सम्मेलन हुआ था जिसमें इस दिन को मनाने पर विचार हुआ था। लेकिन कई देशों द्वारा व्यावहारिक कठिनाइयां जाहिर करने के कारण 29 मई की जगह इसे 22 मई को मनाने का फैसला लिया गया।
विश्व जैव विविधता दिवस का महत्व
जैव विविधता से हमें अनेक प्रकार के उत्पाद, जैसे- भोजन, चारा, ईंधन, औषधि, लकड़ी आदि प्राप्त होते हैं।जैव विविधता में शामिल कई तरह के घटक पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बनाए रखने का काम करते हैं।प्रदूषण नियंत्रित करने के साथ ही साथ ही यह जल, मृदा और वायु संरक्षण में भी सहायक होती है। कार्बन डाइऑक्साइड सहित हरित गैसों से होने वाले नुकसान को जैव विविधता के माध्यम से कम किया जा सकता है। आपदा के समय जैव विविधता एक अवरोधक का काम करती है, जैसे- मैंग्रोव वन जैव विविधता सांस्कृतिक और नैसर्गिक लाभ प्रदान करती है।
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस कैसे मनाया जाता है
जैव विविधता के महत्व को और भविष्य के लिए यह क्या भूमिका रखता है इसको समझाने के लिए दुनिया भर के लोगों के बीच विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं। जैव विविधता पर कन्वेंशन का सचिवालय हर साल उन समारोह का आयोजन करता है जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का हिस्सा बनते हैं। कई राष्ट्र की सरकारी और गैर सरकारी संगठन भी समारोह में भाग लेते हैं स्कूल कॉलेज, विश्वविद्यालय ,समाचार पत्र, वीडियो, टेलीविजन के माध्यम से जैव विविधता पर बहुत सारी जानकारियां का व्याख्यान की जाती हैं। पर्यावरण के मुद्दे पर भी फिल्में दिखाई जाती हैं।
क्यों है जैव संरक्षण की आवश्यकता क्यों ?
* हमने अपने विकास के लिए पशु-पक्षी, वनस्पतियों, जलीय जीवों की प्रजातियों का नाश किया हैं। इससे जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव हुआ है। यह माना जा रहा है कि विश्व भर में करीब एक लाख प्रजातियों पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। करीब दस लाख प्रजातियां अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संकट का सामना कर रही है।
* जैव विविधता के संरक्षण से पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होती है जहांँ प्रत्येक प्रजाति, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, सभी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
* पौधों की प्रजातियों की एक बड़ी संख्या के होने का अर्थ है, फसलों की अधिक विविधता। अधिक प्रजाति विविधता सभी जीवन रूपों की प्राकृतिक स्थिरता सुनिश्चित करती है।
* जैव विविधता के संरक्षण हेतु वैश्विक स्तर पर संरक्षण किया जाना चाहिये ताकि खाद्य शृंखलाएँ बनी रहें। खाद्य शृंखला में गड़बड़ी पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकती है।
* जैव विविधता के संरक्षण से पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता में वृद्धि होती है जहांं हर एक प्रजाति, फिर चाहे वह कितनी भी छोटी ही क्यों न हो, सभी का योगदान जरूरी होता है।
* पौधों की प्रजातियों की एक बड़ी संख्या के होने का अर्थ है, फसलों की अधिक विविधता। जिससे कई प्राणियों को भरण-पोषण होता है।
* जैव विविधता के संरक्षण हेतु वैश्विक स्तर पर संरक्षण किया जाना चाहिए जिससे खाद्य शृंखलाएं बनी रहें। खाद्य शृंखला में गड़बड़ी पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकती है।
* अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के अनुसार पृथ्वी करीब आठ मिलियन प्रजातियों का घर है। इनमें से 80% जैव विविधता जंगल में रहती है। 30.7 प्रतिशत पृथ्वी की सतह वनों से ढंकी है। वर्तमान में 13 मिलियन हेक्टेयर वन हर साल नष्ट हो रहे है। इससे स्पष्ट है वनों की अमूल्य संपदा के साथ ही अनमोल जैव विविधता भी नष्ट हो रही है।
* वैज्ञानिकों के द्वारा किये गये विभिन्न अध्ययनों के आधार पर अनुमान लगाया गया कि सम्पूर्ण पृथ्वी पर जीव-जन्तुओं एवं पौधों को लगभग 5 से 10 मिलियन प्रजातियाँ उपस्थित हैं परन्तु इनमें से लगभग 2 मिलियन प्रजातियों की ही पहचान की जा सकी है तथा उनका अध्ययन किया गया है।
* दुनिया भर में लगभग 48 प्रतिशत प्रजातियों की संख्या में बड़ी गिरावट आयी है, जबकि 40 प्रतिशत ऐसी प्रजातियां है, जो स्थिर है। वहीं 7 प्रतिशत प्रजातियों की स्थिति में सुधार हुआ है। यह सब कुछ 11 हजार पशु-पक्षियों की गिनती के आधार पर पाया गया। इस अध्ययन के आधार पर पता चला है कि प्रजातियों की संख्या में बड़ी गिरावट का मुख्य कारण यह है कि हमने इनके पर्यावास को क्षति पहुंचाई है और अब वातावरण इनके अनुकूल नहीं है।
* दुनिया की करीब 73 प्रतिशत भूमि जानवरों के लिए एवं करीब 50 फीसदी भूमि पक्षियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि यहां उनके शिकार और पकड़े जाने का खतरा बढ़ता जा रहा है। वैज्ञानिकों ने वैश्विक स्तर पर उन स्थानों की पहचान की है, जहां जैव विविधता को सबसे ज्यादा खतरा है।
क्या है जैव विविधता दिवस की 2025 की थीम?
2025 में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस की थीम है — “प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास”। यह विषय न केवल जैव विविधता के संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करता है, बल्कि सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी दर्शाता है। यह थीम विशेष रूप से कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (KMGBF) के लक्ष्यों और उद्देश्यों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है, जो पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों के संतुलित सह-अस्तित्व को सुनिश्चित करने की दिशा में एक वैश्विक प्रयास है। जैव विविधता द्वारा कई सतत् विकास चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करने के लिये यह एक रिमाइंडर के रूप में कार्य करता है।
जैव विविधता के संरक्षण हेतु कुछ वैश्विक पहलें
जैव विविधता अभिसमय: यह जैव विविधता के संरक्षण हेतु कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है जिसे वर्ष 1993 से लागू किया गया।
* भारत सीबीडी का एक पक्षकार (Party) है।
* वर्ष 2011-2020 की अवधि को UNGA द्वारा संयुक्त राष्ट्र के जैव विविधता दशक के रूप में घोषित किया गया ताकि जैव विविधता पर एक रणनीतिक योजना के कार्यान्वयन को बढ़ावा दिया जा सके, साथ ही प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने के समग्र दृष्टि को बढ़ावा दिया जा सके।
* वर्ष 2021-2030 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत् विकास हेतु महासागर विज्ञान दशक’ और पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक के रूप में घोषित किया गया।
वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन
यह सार्वजनिक, निजी एवं गैर-सरकारी संगठनों को ज्ञान तथा युक्तियाँ प्रदान करता है ताकि मानव प्रगति, आर्थिक विकास और प्रकृति का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। भारत इस कन्वेंशन का सदस्य है।
जैव विविधता चिंताएँ
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर द्वारा अपनी प्रमुख लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2020 में इस बात के प्रति चेताया गया है कि वैश्विक स्तर पर जैव विविधता में भारी गिरावट आ रही है। इस रिपोर्ट में 50 वर्षों से भी कम समय में 68 प्रतिशत वैश्विक प्रजातियों के नष्ट होने की बात कही गई है जबकि पहले प्रजातियों में इतनी गिरावट नहीं देखी गई।
जैव विविधता के संरक्षण हेतु कुछ भारतीय पहलें
* जलीय पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय योजना
* आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम 2017
* जैविक विविधता अधिनियम, 2002
* वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972
अन्य महत्त्वपूर्ण पहलें
* 5 जून: विश्व पर्यावरण दिवस
* 22 मार्च: विश्व जल दिवस
* 22 अप्रैल: पृथ्वी दिवस
* मार्च का अंतिम शनिवार: अर्थ ऑवर
प्राकृतिक और मानव जीवन के बीच एक स्थाई संबंध है। अगर प्राकृतिक संतुलन नहीं होगा तो हम अपने भोजन और स्वास्थ्य के लिए विविध प्राकृतिक प्रणालियों पर प्राणियों को निर्भर नही कर पाएँगे। जैव विविधता के लिए प्रमुख खतरों में कृषि, शिकार, जंगलों की कटाई, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन शामिल है। अंधाधुंध तरीके से जंगलों का विनाश व कृषि विस्तार के लिए कीटनाशकों जैसे प्रदूषकों के प्रयोग से यह संकट बढ़ रहा है। इसलिए अब जरूरी है कि हम गंभीरता से जैव विविधता के संरक्षण में जुट जाएं, अन्यथा हम जैव विविधता के अमूल्य रत्न (वन्य जीवों व वनस्पतियों) खो देंगे। जैव विविधता के संरक्षण के लिए हमें शिकार, जंगलों की कटाई और उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को रोकना होगा।