भिलाई। 03 जुलाई, 2025, (सीजी संदेश) : ऑल-इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स(ऐक्टू) छत्तीसगढ़ ने रोजगार सृजन और मांग केंद्रित विकास को बढ़ावा देने के लिए रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ELI) योजना की उपयोगिता पर सवाल उठाए हैं। इस योजना को 2025 के केंद्रीय बजट के दौरान पेश किया गया था और ट्रेड यूनियनों के कड़े विरोध के बावजूद हाल ही में इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जुलाई को 1.97 लाख करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) की तर्ज पर रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (ELI) की भ्रामक योजना के लिए 99446 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।
ELI योजना करदाताओं के पैसे को कॉरपोरेट्स को केवल 4 साल तक के लिए पहली बार काम करने वालों को रोजगार देने के लिए हस्तांतरित करती है। यह कॉरपोरेट्स को अनिश्चित, कम वेतन वाली नौकरियाँ बनाने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी है।
यदि निजी क्षेत्र गुणवत्तापूर्ण रोज़गार सृजित करने में विफल रहा है, तो उन्हें इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, न कि उन्हें और अधिक सब्सिडी दी जानी चाहिए। आखिरकार, निजी क्षेत्र को बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के पीछे रोज़गार सृजन एक प्रमुख कारण था।
वर्तमान सरकार सब्सिडी को करदाताओं के पैसे की बर्बादी (जिसे “रेवड़ी” के रूप में खारिज कर दिया जाता है) मानती है, जब उनका उपयोग स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा को सभी के लिए वहनीय बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन वही सरकार सब्सिडी को स्वीकार्य मानती है, यदि वे करदाताओं के पैसे को कॉरपोरेट्स को हस्तांतरित करने में मदद करती हैं।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा श्रम मंत्री को सौंपी गई एक विस्तृत आलोचना में ये सवाल उठाए गए थे। फिर भी सरकार ने ट्रेड यूनियनों द्वारा सुझाए गए विकल्पों पर उचित विचार किए बिना ही योजना को मंजूरी दे दी।
सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्त पदों को भरना, उच्च वेतन देना, बड़े पैमाने पर काम के ठेके पर देने को विनियमित करना, कुछ ऐसे उपाय हैं जो रोज़गार पैदा करने में मदद कर सकते हैं।
आगामी 9 जुलाई 2025 की आम हड़ताल में मजदूर वर्ग इन भ्रामक योजनाओं ईएलआई, पीएलआई आदि को खारिज करने की मांग को जोरदार तरीके से उठाएगा।
1 जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 99446 करोड़ रुपये की रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (ELI) को मंजूरी दिए जाने की ऐक्टू ने की आलोचना
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