दोस्तों इस श्रृंखला में हम प्रतिदिन आपको ऐसे कुछ औषधि गुणों से युक्त पतियों के बारे में नई जानकारी देते हैं जिन्हें आप जानते और पहचानते हैं। जो आपके आसपास मौजूद रहते हैं पर आप यह नहीं जानते यह आपके स्वास्थ्य के लिए कितने लाभदायक है। इन्हें आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर आपने स्वास्थ्य और सौंदर्य में निखार ला सकते हैं। आइए आज ऐसे ही एक औषधीय गुणों से युक्त बेल के पत्ते बारे में जानते हैंl बेल का पेड़ बहुत प्राचीन है। इस पेड़ में पुराने पीले लगे हुए फल दुबारा हरे हो जाते हैं तथा इसको तोड़कर सुरक्षित रखे हुए पत्तों को 6 महीने तक ज्यों के त्यों बने रहते हैं और गुणहीन नहीं होते। इस पेड़ की छाया शीतल और आरोग्य कारक होती हैं। इसलिए इसे पवित्र माना जाता है। आयुर्वेद में बेल के फल की तरह बेल के पत्ते का उपयोग कई दवाइयों को बनाने में किया जाता है। बेल का पत्ता अपच, गैस की समस्या, नपुंसकता, दमा रोग, एसिडिटी, कृमि नाशक, ज्वर, त्रिदोष (वात, पित और कफ) विकार आदि को दूर करने वाला तथा आपको एक हेल्दी लाइफ प्रदान करने वाला है। इसीलिए आज हम भी आपको बेल के पत्ते के फायदे बताने जा रहे हैं…
ज्वर
1. जब कभी आपको बुखार हो जाए तो बेल की पत्तियों (Bel patra)का काढ़ा बना लें और फिर उसे पी जाए। ऐसा करने से आपका बुखार तुरंत ठीक हो जाएगा। यही नहीं, मधुमक्खी, बर्र अथवा ततैया के काटने पर बहुत जलन होती है, यह हम सभी जानते हैं, ऐसी स्थिति में काटे गए स्थान पर बेलपत्र का रस लगाना बहुत उपयोगी साबित होगा।
हार्ट प्रॉब्लम
जान लें कि हृदय (heart) रोगियों के लिए भी बेलपत्र (Bel patra) का प्रयोग बेहद असरदार है। बेलपत्र का काढ़ा रोजाना बनाकर पीने से आपका हृदय हमेशा मजबूत रहेगा और हार्ट अटैक का खतरा भी कम होगा। वहीं, श्वास रोगियों के लिए भी यह बेलपत्र किसी अमृत से कम नहीं है। इन पत्तियों (Bel patra) का रस पीने से श्वास रोग में काफी लाभ होता है
मुंह में छाले
शरीर में जब कभी गर्मी बहुत बढ़ जाए या मुंह में गर्मी के कारण छाले हो जाएं, तो बेल की पत्तियों(Bel patra) को मुंह में रखकर चबाते रहे। इससे लाभ जरूर मिलेगा और छाले समाप्त हो जाएंगे।
सर्दी, जुकाम
बरसात (monsoon) आता नहीं कि सर्दी, जुकाम और बुखार की समस्याएं तैयार रहती हैं लोगों पर अटैक करने के लिए। अगर आप बेलपत्र के रस में शहद मिलाकर पीएंगे तो बहुत फायदा पहुंचेगा। वहीं विषम ज्वर हो जाने पर इसके पेस्ट की गोलियां बनाकर गुड़ के साथ खाई जाती हैं। दमा या अस्थमा के लिए बेल पत्तों का काढा लाभकारी है|
बच्चों के पेट के कीड़े
अकसर छोटे-छोटे बच्चों के पेट या आंतों में कीड़े हो जाते हैं या फिर बच्चें में दस्त लगने की समस्या हो जाती है तो आप बेलपत्र का रस पिलाए, इससे काफी फायदा होगा और यह समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। एक चम्मच रस पिलाने से बच्चों के दस्त तुरंत रुक जाते हैं।
संधिवात में
संधिवात में पत्ते गर्म करके बाँधने से सूजन व दर्द में राहत मिलती है।
वायु शमन
बेलपत्र पानी में डालकर स्नान करने से वायु शमन होता है, सात्त्विकता बढ़ती है।
दुर्गन्ध दूर करे
बेलपत्र का रस लगाकर आधे घंटे बाद नहाने से शरीर की दुर्गन्ध दूर होती है।
अम्लपित्त (Acidity) में
पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पीने से अम्लपित्त (Acidity) में आराम मिलता है। इसके पत्तों के १० ग्राम रस में १ ग्रा. काली मिर्च और १ ग्रा. सेंधा नमक मिला कर सुबह दोपहर और शाम में लेने से अजीर्ण में लाभ होता है |
मासिक धर्म में
स्त्रियों के अधिक मासिक स्राव व श्वेतस्राव (Leucorrhoea) में बेलपत्र एवं जीरा पीसकर दूध में मिलाकर पीना खूब लाभदायी है। यह प्रयोग पुरुषों में होने वाले धातुस्राव को भी रोकता है।
कद बढ़ाने में
तीन बिल्वपत्र व एक काली मिर्च सुबह चबाकर खाने से और साथ में ताड़ासन व पुल-अप्स करने से कद बढ़ता है। नाटे ठिंगने बच्चों के लिए यह प्रयोग आशीर्वादरूप है।
मधुमेह में
मधुमेह (डायबिटीज) में ताजे बिल्वपत्र अथवा सूखे पत्तों का चूर्ण खाने से मूत्रशर्करा व मूत्रवेग नियंत्रित होता है।
आहार अवशोषित होने में
बेल पत्र के सेवन से शरीर में आहार के पोषक तत्व अधिकाधिक रूप से अवशोषित होने लगते है | इसके सेवन से शारीरिक वृद्धि होती है |
मन एकाग्र रहता है
इसके सेवन से मन एकाग्र रहता है और ध्यान केन्द्रित करने में सहायता मिलती है |
कंजक्टिवाईटीस में
बारिश के दिनों में अक्सर आँख आ जाती है यानी कंजक्टिवाईटीस हो जाता है। बेल पत्रों का रस आँखों में डालने से या लेप करने से लाभ होता है |
प्रमेह और प्रदर में
बेल पत्र , धनिया और सौंफ सामान मात्रा में ले कर कूटकर चूर्ण बना ले, शाम को १० -२० ग्रा. चूर्ण को १०० ग्रा. पानी में भिगो कर रखे, सुबह छानकर पिए। सुबह भिगोकर शाम को ले, इससे प्रमेह और प्रदर में लाभ होता है | शरीर की अत्याधिक गर्मी दूर होती है |
वातावरण शुद्ध होता है|
सूखे हुए बेल पत्र धुप के साथ जलाने से वातावरण शुद्ध होता है|
यह सब घरेलू नुस्खे केवल तात्कालिक राहत के लिए है यदि आप इनके सेवन के बाद भी स्वस्थ महसूस नहीं करते हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेवे।
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