दोस्तों इस श्रृंखला में हम प्रतिदिन
आपको ऐसे कुछ औषधि गुणों से युक्त पतियों के बारे में नई जानकारी देते हैं जिन्हें आप जानते और पहचानते हैं। जो आपके आसपास मौजूद रहते हैं पर आप यह नहीं जानते यह आपके स्वास्थ्य के लिए कितने लाभदायक है। इन्हें आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर आपने स्वास्थ्य और सौंदर्य में निखार ला सकते हैं। आइए आज ऐसे ही एक औषधीय गुणों से युक्त बरगद के पत्ते बारे में जानते हैंl
बरगद के पेड़ को बट वृक्ष या बड़ के पेड़ भी कहा जाता है। बरगद का पेड़ बहुत विशाल और बड़े-बड़े पत्तों वाला होता है। क्या आप जानते हैं कि रोगों के इलाज में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, बरगद का पेड़ (Banyan tree) एक उत्तम औषधि भी है। केवल बरगद का पेड़ ही नहीं बल्कि बरगद की छाल, बरगद के फल, बरगद के बीज, बरगद का दूध, बरगद की पत्तियों का भी रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। बरगद के पेड़ से कफ, वात, पित्त दोष को ठीक किया जा सकता है। नाक, कान या बालों की समस्या में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं कि बरगद के पेड़ के और क्या-क्या लाभ हैं।
बालों की समस्या में
वट वृक्ष के पत्तों की 20-25 ग्राम भस्म को 100 मिलीग्राम अलसी के तेल में मिलाकर सिर में लगाने से बालों की समस्या दूर होती है। या फिर वट वृक्ष के स्वच्छ कोमल पत्तों के रस में, बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर आग पर पका लें। इस तेल को बालों में लगाने से बालों की सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं।
खूनी पित्त में
10 से 20 ग्राम तक वट वृक्ष कोपलों या पत्तों को पीस लें। इसमें शहद और चीनी मिलाकर सेवन करने से खूनी पित्त में लाभ होता है।
चेहरे की चमक में बढ़ौतरी करे
वट वृक्ष के 5-6 कोमल पत्तों को या जटा को 10-20 ग्राम मसूर के साथ पीसकर लेप तैयार कर लें। इससे चेहरे पर उभरने वाले मुंहासे और झांई दूर हो जाते हैं।
वट वृक्ष के पीले पके पत्तों के साथ, चमेली के पत्ते, लाल चन्दन, कूट, काला अगर और पठानी लोध्र 1-1 भाग में लें। इनको पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से मुहांसे तथा झांई आदि दूर हो जाते हैं।
खांसी और जुकाम में
वट वृक्ष के कोमल लाल रंग के पत्तों को छाया में सुखाकर कूट लें। एक या डेढ़ चम्मच चूर्ण को आधा लीटर पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसमें 3 चम्मच चीनी मिलाकर काढ़ा तैयार कर लें। इसे सुबह-शाम चाय की तरह पीने से जुकाम व नजला दूर होकर मस्तिष्क की दुर्बलता भी नष्ट होती है।
बरगद की छोटी-छोटी कोमल शाखाओं से शीत निर्यास तैयार करें। 10-20 मिलीग्राम की मात्रा में इसका सेवन करने से कफ से होने वाली बीमारी में फायदा होता है।
हृदय रोगों में
बरगद के 10 ग्राम कोमल हरे रंग के पत्तों को 150 मिलीग्राम पानी में खूब पीस लें। इसे छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिला लें। इसे सुबह-शाम 15 दिन तक पिलाने से हृदय रोगों में लाभ होता है।
खूनी पेचिश में
दस्त के साथ या दस्त के पहले या बाद में खून गिरता हो तो वट वृक्ष वृक्ष की 20 ग्राम कोपलों को पीस लें। इसे रात में पानी में भिगोकर सुबह छान लें। छने हुए पानी में 100 ग्राम घी मिलाकर पकाएं। इसमें केवल घी बच जाने पर उतार लें। इस घी के 5-10 ग्राम लें और उसमें 2 चम्मच शहद और चीनी मिलाकर सेवन करने से खूनी दस्त या पेचिश में लाभ होता है।
दस्त पर लगाए रोक
6 ग्राम वट वृक्ष कोपलों को 100 मिलीग्राम पानी में घोंट लें। इसे छान कर इसमें थोड़ी मिश्री मिला लें। इसे पिलाने से तथा ऊपर से छाछ पिलाने से दस्त में लाभ होता है। वट वृक्ष की 8-10 कोपलों का सेवन दही के साथ करने से दस्त में लाभ होता है।
बार-बार प्यास लगने की समस्या में
वट वृक्ष की कोपल दूब, लोध्र, अनार और मुलेठी बराबर भाग में लें। इसे पीस लें। इसमें शहद मिलाकर चावलों के धोवन के साथ इसका सेवन करने से उल्टी और बार-बार प्यास लगने की समस्या दूर हो जाती है।
खूनी बसासीर में लाभ
बरगद के 25 ग्राम कोमल पत्तों को 200 मिलीग्राम पानी में घोंटकर पिलाने से 2-3 दिन में ही खून बहना बन्द हो जाता है। इसके पीले पत्तों की भस्म को बराबर मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लेप करते रहने से तुरंत लाभ होता है।
पेशाब में खून आना
बरगद के 20 ग्राम कोमल पत्तों को 100 से 200 ग्राम पानी में घोटकर सुबह शाम पिलाने से तुरंत लाभ होता है। महिला या पुरुष के पेशाब में खून आता हो तो उसमें भी इसके सेवन से लाभ होता है।
3 से 5 ग्राम बरगद के कोपलों का काढ़ा बनाकर सुबह और शाम सेवन से मधुमेह और माहवारी रोग में लाभ होता है।
नींद आने की समस्या में
छाए में सूखाए गए वट वृक्ष के कड़े हरे पत्तों के 10 ग्राम दरदरे चूर्ण को 1 लीटर जल में पकाएं। जब यह पानी एक चौथाई शेष रह जाए तो उसमें 1 ग्राम नमक मिलाकर 10-30 मिलीग्राम मात्रा में सुबह-शाम पिलाने से अधिक नीदं आने की समस्या दूर होती है।
यह सब घरेलू नुस्खे केवल तात्कालिक राहत के लिए है यदि आप इनके सेवन के बाद भी स्वस्थ महसूस नहीं करते हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेवे।
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