दोस्तों इस श्रृंखला में हम प्रतिदिन
आपको ऐसे कुछ औषधि गुणों से युक्त पतियों के बारे में नई जानकारी देते हैं जिन्हें आप जानते और पहचानते हैं। जो आपके आसपास मौजूद रहते हैं पर आप यह नहीं जानते यह आपके स्वास्थ्य के लिए कितने लाभदायक है। इन्हें आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर आपने स्वास्थ्य और सौंदर्य में निखार ला सकते हैं। आइए आज ऐसे ही एक औषधीय गुणों से युक्त बेर के पत्ते बारे में जानते हैंl बेर का पेड़ हर जगह आसानी से पाया जाता है। बेर के पेड़ में कांटें होते हैं। बेर सुपारी के बराबर होती है।बेर (जूजूबे – Jujube) पोषक तत्वों का संग्रह है। इसका वैज्ञानिक नाम ज़िज़िफस जुजुबा (Ziziphus jujuba) है। पके बेर मधुर खट्टे, गर्म, कफकर, पाचक, लघु और रुचिकारक होते हैं। यह अतिसार, रक्तदोष, दस्त और सूखे के रोग को खत्म करता है। बेर के पत्तों का लेप करने से बुखार और जलन शांत हो जाती है। इसकी छाल का लेप करने से विस्फोटक (चेचक के दाने) खत्म हो जाते हैं। बेर के गुदे को आंखों में लगाने से आंखों के रोग खत्म हो जाते हैं। इन सब गुणों को जानने के बाद आप जरूर इसके पत्तों का सेवन औषधि के रूप में करना चाहिए आइए जानते हैं इनके फायदे के बारे में।
श्वास या दमे का रोग में
10-15 बेर के पत्ते और 8-10 जायफल के पत्ते लेकर आधा कप पानी में उबालकर तथा छानकर पीने से दमे का रोग ठीक हो जाता है। 5-5 ग्राम बेर के पत्ते और जायफल के पत्तों को लेकर कप भर पानी में उबालकर छानकर दिन में दो बार पीने से दमे के रोगी को बहुत लाभ मिलता है।
अंजनहारी, गुहेरी
अंजनहारी या ‘बिलनी’ या ‘गुहेरी’ (Sty या Stye स्टाई) रोग आंखों की ऊपरी या निचली परत पर दाने के रूप में हल्के लाल रंग में उभरता है। वैसे तो यह कोई रोग नहीं है किन्तु इस रोग के होने पर रोगी को बहुत परेशानी होती है। इस रोग से निपटने में बेर की पत्तियां बहुत ही फायदेमंद होती है। इसके लिए आप बेर के ताजे पत्तों को तोड़कर उसके डंठल का रस गुहेरी पर लगाने से लाभ होता है।
बिलनी में
आंख के जिस भाग पर अज्जननमिका का प्रभाव हो वहां पर बेर की पत्तियां को घिसकर लगाने से लाभ होता है।
पेशाब का रुकना
बेर के पेड़ के मुलायम पत्ते व जीरा मिलाकर पानी में पीसकर उनका शर्बत बनाकर कपड़े से छानकर पीने से गर्मी के कारण रुका हुआ पेशाब साफ आता है।
चेचक
चेचक में बेर के पत्तों का रस भैंस के दूध के साथ रोगी को देने से रोग का वेग कम होता है। बेर के 6 ग्राम पत्तों के चूर्ण को 2 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर रोगी को खिलाने से भी 2-3 दिन में चेचक खत्म होने लगता है।
मुंह के रोग में
बेर के पत्तों का काढ़ा बनाकर दिन में 2-3 बार कुल्ले करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं। कपूरयुक्त किसी औषधि का सेवन करने से मुंह के छाले, दांत के मसूढ़े ढीले पड़ गये हों और मुंह से लार टपकती हो तो बेर के पेड़ की छाल या पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ले करना लाभकारी होता है।
फोड़े फुंसियों में
बेर के पत्तों को पीसकर गर्म करके उसकी पट्टी बांधने से और बार-बार उसको बदलते रहने से फोड़े जल्दी पक कर फूट जाते हैं।
जलने पर
बेर की कोमल कोंपलों (मुलायम पत्तियां) को दही के साथ पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जले हुए का दाग (निशान) मिट जाता है।
बच्चों के रोग में
बेर के पत्ते, चौंगरे के पत्ते, मकोय के पत्ते और कैथ के पत्तों को एक साथ पीसकर इनके चूर्ण का का लेप बच्चों के सिर पर करें। इससे बच्चे की वमन (उल्टी) और अतिसार (दस्त लगना) के रोग में आराम आ जाता है।
गले के रोग में
बेर के पत्तों को पानी में उबाल लें। फिर उस पानी को छानकर थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर पीने से गले के रोग में आराम आ जाता है। बेर की पत्ती को भूनकर उसमें सेंधानमक मिलाकर खाने से स्वर-भंग (आवाज बैठना) का रोग दूर हो जाता है।
मुंह के छाले
50 ग्राम बेर के पत्तों को 300 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े से कुल्ले करने से मुंह के छाले और दाने ठीक हो जाते हैं।
मोटापा दूर करे
बेर के पत्तों को पानी में अच्छे से उबालकर काढ़ा बनाकर छानकर पीने से शरीर की चर्बी समाप्त हो जाती है।
नाक से खून आना
बेर के पत्तों को पीसकर (बिना पानी के) सिर पर लेप करने से नकसीर (नाक से खून बहना) आना रूक जाती है।
हाथ-पैरों की ऐंठन
हाथ-पैरों की जलन व पसीना अधिक आने पर बेर के पत्तों को पीसकर हाथ-पैरों पर लगाने से लाभ मिलता है। हाथ-पैरों में पसीना आने पर रोगी को बेर के पत्ते पीसकर लगाने से पसीना आना बंद हो जाता है।
दाद में
बेर की कोंपलें (मुलायम पत्तियां) और लहसुन की कली को जलाकर घी में मिलाकर लगाने से दाद मिट जाता है।
बालतोड़ में
बेर के पत्तों को पीसकर लगाने से बालतोड़ का दर्द कम होता है।
जलन होने पर
शरीर के किसी भी भाग में जलन होने पर बेर के पत्तों को पीसकर लगाने से शरीर की जलन शांत हो जाती है।
बिच्छू के जहर पर
बेर के पत्ते और उदुम्बर के पत्तों को बारीक पीसकर दंश पर बांधने से बहुत शीघ्र लाभ होता है।
रक्तप्रदर में
10 ग्राम बेर के पत्ते, 5 दाने कालीमिर्च और 20 ग्राम मिश्री को पीसकर 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पीने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
यह सब घरेलू नुस्खे केवल तात्कालिक राहत के लिए है यदि आप इनके सेवन के बाद भी स्वस्थ महसूस नहीं करते हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेवे।
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