भिलाई। डेंगू संक्रमण मच्छर से फैलता है, जिसे एडीज एजिप्टी मादा मच्छर कहते हैं। सामान्यत: यह मच्छर दिन में और कभी-कभी रात में काटता है। डेंगू का वायरस आरएनए फ्लैविवीरिद परिवार से है। इस रोग के वायरस चार प्रकार के होते हैं, जिन्हें सिरोटाइप कहा जाता है। डेंगू चार वायरसों के कारण होता है, जो डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4। जब यह पहले से संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। और बीमारी तब फैलती है जब वह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, और वायरस व्यक्ति के रक्तप्रवाह के जरिये फैलता है। इसके लक्षणों में तेज़ बुखार, सिरदर्द, चकत्ते और मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द शामिल है। गंभीर मामलों में, गंभीर रक्तस्राव और सदमे की स्थिति हो सकती है, जो जानलेवा भी सिद्ध हो सकती है
बारिश के मौसम में मच्छरों की तदाद बढ़ जाने से डेंगू की संभावना काफी बढ़ जाती है। डेंगू की शुरुआत में 2 से लेकर 7 दिन तक बुखार बना रहता है। मच्छर के काटने के अमूमन 4 से लेकर 10 दिन बाद तक डेंगू का बुखार शरीर में फैलता है। इसमें 104°F तक तेज बुखार आता है। डेंगू में प्लेटलेट काउंट काफी तेजी से घटता है।एनएस 1 टेस्ट डेंगू के लक्षण सामने आने पर शुरूआती पांच दिनों के अंदर किया जाना चाहिए, ताकि इसके सार्थक और सटीक परिणाम प्राप्त हो सके। शुरूआती 5 दिनों के अंदर डेंगू के लक्षण होने पर यह जांच करवाना चाहिए, ताकि डेंगू की उपस्थिति को बेहतर तरीके से जाना जा सके। इसके बाद इस टेस्ट को करवाने पर परिणाम गलत भी सामने आ सकते हैं। एनएस1 टेस्ट प्रारंभिक 5 दिनों के भीतर बीमारी का पता लगाने में सक्षम होता है, लेकिन इसके अलावा इसके परिणामों की प्रमाणिकता संदेहास्पद होती है। अगर आप यह जांच देरी से करवाते हैं, तो यह जरूरी नहीं है, कि इसके परिणामों में डेंगू बुखार की पुष्टि हो। कई बार ऐसी स्थितियां भी बनती है, जब मरीज को डेंगू होते हुए भी समय पर जांच नहीं करवाने के कारण गलत परिणाम सामने आते हैं और डेंगू की पुष्टि नहीं हो पाती। ऐसे में मरीज डेंगू का सामना जरूर करता है, लेकिन उसे सही इलाज नहीं मिल पाता और उसकी स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जाती है।
एलाइजा – डेंगू के लिए की जाने वाली यह एक ऐसी जांच है, जिसमें डेंगू की पुष्टि प्रमाणिक रूप से हो जाती है, जिससे डॉक्टर्स को मरीज का बेहतर तरीके से इलाज करने में आसानी होती है। एलाइजा टेस्ट में आईजीएम डेंगू के लक्षण सामने आने के लगभग 3 से 5 दिन के अंदर व आईजीजी 5 से 10 दिन के अंदर होता है। इसके परिणामों में सटीकता, जांच के समय पर आधारित होती है। मतलब समय रहते जांच करवाने पर डेंगू की पुष्टि प्रमाणिक हो जाती है और इलाज भी बेहतर होता है। अपने रहने की जगह और उसके आस पास के इलाकों में सम्पूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। अपने आसपास की जगहों को साफ करके रखने से आप मच्छरों को सरलता से दूर रख सकते हैं।
किसी जगह पर रुके हुए पानी में मच्छर पनप सकते हैं और इसी से डेंगू भी फैल सकता है। जिन बर्तनों का लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं होना हो उनमें रखे हुए पानी को नियमित रूप से बदलते रहें । कूलर , गमलों के पानी को हर हफ्ते बदलते रहें।नहाने के लिए स्टोर की गई पानी को ढक कर रखे या प्रति सप्ताह पानी बदलते रहे । मेनहोल, सेप्टिक टैंक, रुकी हुई नालियाँ और कुएं आदि जगहों को नियमित रूप से चेक करते रहें। मच्छरों से बचाव के लिए सबसे पहले तो जब भी आप घर से बाहर जाएँ मच्छर से बचाव वाली क्रीम का उपयोग करें , फुल कपड़े पहने और सोने से पहले मच्छरदानी को अच्छी तरह से सेट कर लें। यदि आप यहाँ बताए गए किसी भी लक्षण को देखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और बताए गए उपचार का निर्देशानुसार पालन करें।
के के यादव,
उप महाप्रबंधक, पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट, भिलाई इस्पात संयंत्र
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