भिलाई। डॉक्टर भगवान का रूप होता है। इस कहावत पर पूर्ण विश्वास कर व्यक्ति अपने आप को उसे सौंप देता है ताकि वह उसकी जान बचा सके। लेकिन कई बार वही डॉक्टर हैवान का रूप भी ले लेता है, जिससे मानवता भी शर्मसार हो जाए। ऐसा ही एक मामला नेहरू नगर स्थित हाईटेक अस्पताल का है जहां शवों से व्यापार करने का मामला सामने आया है घटना गुरुवार रात की है जब अस्पताल में भर्ती एक 62 वर्षीय महिला को मौत के बाद भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा जीवित बताकर वेंटिलेटर पर रखकर मरीज के परिजनों से पैसे उगाही करते रहे। परिजनों का आरोप है कि पैर दर्द से परेशान होने पर इलाज करवानी पहुंची बुजुर्ग महिला का केस बिगाड़ कर डॉक्टरों ने पेट का ऑपरेशन कर दिया। मामले में दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहे। मिली जानकारी के अनुसार राजनांदगांव निवासी सिराजुन निशा उम्र 62 वर्ष, अपने पैर में दर्द के इलाज के लिए 4 मई को नेहरू नगर के हाईटेक अस्पताल पहुंची थी। जहाँ न्यूरोलॉजी से संबंधित डॉक्टर से सामान्य उपचार के बाद अपने घर चली गई। घर वापस जाने पर महिला की तबियत लगातार बिगड़ने लग गयी, जिसे दोबारा 13 मई को इलाज के लिए हाईटेक अस्पताल लाया गया। जहाँ पर जांच के बाद महिला की आंतो में इंफेक्शन की बात कही गई और परिजनों को ऑपरेशन की सलाह देते हुए उसका ऑपरेशन कर दिया जिसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा दीया। मरीज के अचेत शरीर को देखते हुए व बदबू आने की बात परिजनों ने डॉक्टरों से कही लेकिन डॉक्टरों ने मरीज को जिंदा बताकर वेंटिलेटर पर रखा और परिजनों से रुपए एंठते रहे। लेकिन परिजनों को शक हुआ और उन्होंने मरीज को डिस्चार्ज करने की बात कही तो अस्पताल प्रबंधन आनाकानी करने लगा। बहुत हंगामें के बाद पुलिस की मौजुदगी में मरीज को परिजनों को सौंपा। अंत तक अस्पताल प्रबंधन यही कहता रहा कि मरीज जीवित है लेकिन जब परिजनों ने जिला अस्पताल ले जाकर जांच करवाई तो वहां के डॉक्टरों ने मृत्यु हो जाने की पुष्टी की। हालांकी अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि महिला की मृत्यु कितने देर पहले हो चुकी थी, जिला अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद इसका खुलासा हो पाएगा। इस पूरे मामले में सीएमएचओ डॉक्टर गंभीर सिंह ने कहां की उनके पास इस बात की शिकायत पहुंची है और उन्होंने जांच के आदेश दे दिए हैं जांच के बाद जो भी रिपोर्ट आएगी उसके अनुसार आगे कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव से बात करने पर उन्होंने कहा यह मामला उनके भी संज्ञान में आया है और उन्होंने पूरे मामले में जांच के बाद कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश देने के बाद कही है
एक समय जिले में ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे बड़े अस्पताल का दर्जा प्राप्त अपोलो अस्पताल कोही अब नए कलेवर व नए नाम के साथ हाईटेक अस्पताल के रूप में शुरू किया गया है इसके पूर्व अपोलो अस्पताल में भी इसी तरह के अनियमितता के कई मामले सामने आ चुके हैं। जिसकी वजह से लोगों का विश्वास उस पर से उठ गया है और अंततः अस्पताल को बंद करना पड़ा। नए स्वरूप में आने के बाद भी हाईटेक अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस तरह का रवैया अमानवीय पहलू को दर्शाता है।
सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं के अभाव को देखते हुए दूराज से मरीज प्राइवेट अस्पतालों में इस उम्मीद से आते हैं कि उनकी तकलीफ दूर हो जाएगा, लेकिन अस्पतालों को व्यापार का अड्डा बना चुके डॉक्टरों द्वारा उन्हें इलाज के नाम ठगा जाता है और मोटी रकम वसूल ली जाती है।
इधर मामले की सूचना मिलने पर एनएसयूआई के प्रदेश सचिव अभिषेक मिश्रा भी अपने समर्थकों के साथ जिला अस्पताल पहुंचे और आरएमओ डॉ अखिलेश यादव से हाईटेक अस्पताल परकार्रवाई की मांग की। डॉक्टर यादव ने उन्हें बताया कि प्राईवेट अस्पताल पर कार्रवाई का अधिकार सीएमएचओ को है। इसके बाद अभिषेक मिश्रा ने सीएमएचओ डॉ गंभीर सिंह को ज्ञापन सौंपकर हाईटेक अस्पताल की मान्यता रद्द करने की मांग की।