19वीं शताब्दी की शुरुआत से ही फोटोग्राफी दुनियाभर में अनगिनत लोगों के लिए अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बन गया है| एक तस्वीर में एक जगह, एक अनुभव, एक विचार और एक समय को कैद करने की अद्धभुत क्षमता होती है| इसलिए कहा भी जाता है कि ‘एक पिक्चर हज़ार शब्दों से बढ़कर है’| आज के समय में फोटोग्राफी एक पेशे के रूप में भी जाना जाता है| फोटो कैप्चर करने की इस अद्धभुत कला को मनाने के लिए हर वर्ष वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाया जाता है|
हर साल 19 अगस्त को पूरी दुनिया में ‘वर्ल्ड फोटोग्राफी डे’ या ‘विश्व फोटोग्राफी दिवस’ मनाया जाता है। यह दिन उनलोगों को समर्पित होता है, जिन्होंने खास पलों को तस्वीरों में कैद कर उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए यादगार बना दिया। एक समय था जब लोगों के पास कैमरा नहीं होता था। खासकर ग्रामीण इलाकों में लोग फोटो खिंचाने के लिए कई किलोमीटर दूर फोटो स्टूडियो में जाते थे। लेकिन आज हर लगभग हर इंसान के पास या तो कैमरा है या कैमरे वाला मोबाइल, जिससे लोग आराम से कहीं भी कभी भी तस्वीरें खींच सकते हैं और उन्हें सहेज कर रख सकते हैं। दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं, जो फोटोग्राफी के शौकीन हैं और उन्होंने फोटोग्राफी को ही अपना करियर चुन लिया है। खासतौर पर ऐसे ही लोगों के लिए और दुनियाभर के फोटोग्राफरों को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल ये दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं ‘वर्ल्ड फोटोग्राफी डे’ का इतिहास क्या है और इसे मनाने के पीछे की कहानी क्या है।
तस्वीर की कहानी सचमुच बड़ी दिलचस्प है।
माना जाता है कि 5वीं शताब्दी में चीनी और ग्रीक के दार्शनिकों ने प्रकाश और कैमरे के सिद्धांतों के बारे में लोगों को बताया। सन् 1021 में वैज्ञानिक अल-हायतम ने फोटोग्राफिक कैमरे के सबसे पुराने रूप ऑब्सक्यूरा का आविष्कार किया। लेकिन इतिहास यही कहता है, 193 साल पहले, 1826 में फ्रेंच वैज्ञानिक जोसेफ नाइसफोर ने दुनिया की पहली तस्वीर अपने घर की खिड़की से ली थीं, जो काफ़ी अस्पष्ट थी। ऑब्सक्यूरा कैमरे की मदद से 8 घंटे में पहली तस्वीर को कैप्चर किया गया था। तस्वीर लेने के बाद उसे चांदी या चांदी से ढकी तांबे की प्लेट पर तैयार किया जाता, फ़िर इस प्लेट पर बिटुमिन ऑफ जुडिया नाम का एक रसायन लगाया जाता था और इसे लगाने के बाद तस्वीर के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता था। इस पूरी प्रक्रिया को हीलियोग्राफी नाम दिया गया था। फ़िर दो वैज्ञानिक ‘जोसेफ नाइसफोर’ और ‘लुइस डॉगेरने’ ने तस्वीर लेने की प्रक्रिया को और विकसित करने की दिशा में काम किया। फ़िर उन्होंने साल 1837 में, फोटोग्राफिक प्रक्रिया “डॉगोरोटाइप” का आविष्कार किया, जिसमे चांदी या चांदी से ढकी तांबे की प्लेट पर लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल करते हए तस्वीर को एक दिन में तैयार करना संभव बनाया गया। लुईस डॉगेर ने डॉगोरोटाइप प्रक्रिया से 1838 में, एक स्पष्ट तस्वीर खींचकर फोटोग्राफी में सबसे बड़ी उपलब्धि दर्ज की। माना जाता है कि 9 जनवरी, 1839 को फ्रांसीसी सरकार ने आधिकारिक तौर पर डगुएरियोटाइप का समर्थन किया। फ़िर सात महीने बाद, इसे “मुफ्त उपहार” के रूप में दुनिया तक पहुँचाया। बाद में, इस दिन को विश्व फोटोग्राफी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। सन् 1839, अक्टूबर में दुनिया की पहली ब्लैक एंड व्हाइट सेल्फी ली गई थी। जो आज भी, युनाइटेड स्टेट लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस प्रिंट में सहजकर रखी गई है। सन् 1861, में फोटोग्राफी के क्षेत्र में एक और क्रांतिकारी परिवर्तन आया, जब स्कॉटलैंड के भौतिक शास्त्री क्लर्क मैक्सवेल ने दुनिया की पहली रंगीन तस्वीर ली। यह तस्वीर एक फीते की थी, जिसमें लाल, नीला और पीला रंग था। हालाँकि, पहली टिकाऊ रंगीन तस्वीर लेने का श्रेय थॉमस सटन को जाता है। उनके द्वारा लाल, हरे और नीले फिल्टर के माध्यम से ली गई तीन श्वेत-श्याम तस्वीरों का एक सेट फोटोग्राफिक इमल्शन (तेल या पानी से बने रासायनिक पायस) स्पेक्ट्रम (विस्तृत श्रेणी) के प्रति असंवेदनशील साबित हुआ, इसलिए इसके परिणाम को अपूर्ण मानते हुए इस तस्वीर को जल्द ही भुला दिया गया। समय के साथ-साथ तस्वीर की तस्वीर और भी साफ़ होती गई। साल 1872 में, फोटोग्राफर एडवर्ड मुएब्रिज ने घोड़ों के हर मूवमेंट को कैमरे में कैद करने के लिए रेसट्रैक पर 12 वायर कैमरे लगाए। फ़िर जमीन को छुए बगैर घोड़ों की तस्वीरों को कैद किया गया। जिसे दुनिया की पहली मूवमेंट वाली तस्वीर या फर्स्ट मोशन पिक्चर भी कह सकते हैं। फ्लैशलाइट और वायर फोटोग्राफी के आविष्कारक फोटोग्राफर जॉर्ज शिरास ने 1906 में मिशिगन की वाइटफिश नदी में पहली बार रात में रिमोट से संचालित होने वाले फ्लैशलाइट कैमरे का इस्तेमाल करते हए हिरणों की तस्वीर ली थीं। फोटोग्राफी का सफर अब धरती से पानी की ओर बढ़ा, जब 1926, मैक्सिको में नेशनल जियोग्राफिक के फोटोग्राफर चार्ल्स मार्टिन ने पानी के अंदर रोशनी रखने के लिए मैग्नीशियम फ्लैश पाउडर का इस्तेमाल किया और कैमरे को एक वाटरप्रूफ केस में रखते हुए हॉगफिश की तस्वीर को कैप्चर किया। उनके इस क्लिक ने वाटर फोटोग्राफी की शुरुआत की। विज्ञान ने फोटोग्राफी की मदद से 1968 में पहली बार चांद से धरती की तस्वीर को कैमरे में कैप्चर किया। तो वहीं नेशनल जियोग्रफिक के फोटोग्राफर स्टीव मैककरी ने 1984, दिसंबर में पाकिस्तान के अफगान रिफ्यूजी कैंप की अफगानी युवती की हरी आंखों में बसे खौफ और ख़ूबसूरती को इस तरह कैमरे में कैद किया कि वह तस्वीर पूरी दुनिया के लिए चर्चा का विषय बन गई। फोटोग्राफी में 90 का दशक एक ऐसा दौर था, जब रील वाले कैमरे अपने चरम पर थे। वैसे कई बार इन कैमरों से ली गई, फोटो के स्पष्ट आने की गारंटी नहीं होती थी। लेकिन इसी दशक के अंत तक डिजिटल कैमरे के बढ़ते चलन ने पूरी तस्वीर ही बदल दी। पहली डिजिटल तस्वीर 1957 में ली गई थी। इनमें रील की जगह मेमोरी कार्ड का इस्तेमाल किया गया। अब कैमरे में कैद हुई तस्वीरों को देखा जा सकता था और रचनात्मक बदलाव करने की भी गुंजाइश थी। फिर 2000 के दशक में प्रवेश करते ही मोबाइल के कैमरे भी कई बदलाव से गुज़रे और मोबाइल फोटोग्राफी का चलन शुरू हुआ। एक जानकारी के अनुसार साल 2010 में ऑस्ट्रेलिया के एक फोटोग्राफर ने वर्ल्ड फोटोग्राफी डे को खास बनाने और दुनियाभर में फोटोग्राफी का प्रचार करते हुए अपने 270 साथी फोटोग्राफरों के साथ मिलकर उनकी तस्वीरें ऑनलाइन गैलरी के जरिए पेश की। साल 2019 में आई फ़िल्म “फोटोग्राफ” भले ही बॉक्स ऑफिस की दृष्टि से कमजोर साबित हुई हो। मगर कलाप्रेमी, लेखक के इस सन्देश को समझ पाए कि हम अपनी तस्वीरों से भी खुद को आँकते हए ख़ुशी महसूस करते हैं और तस्वीर खींचने वाले का हुनर किसी बड़े भवन या स्टूडियो का मोहताज नहीं है। एक स्ट्रीट फोटोग्राफर भी आपके चेहरे की हकीकत को सुन्दर तस्वीर में बदल सकता है। किसी ने ठीक ही कहा है कि “एक तस्वीर एक हजार शब्दों के बराबर है” विश्व फोटोग्राफी दिवस सिर्फ उन्हीं लोगों को याद करने के लिए नहीं मनाया जाता है, जिन्होंने फोटोग्राफी के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बल्कि यह फोटोग्राफी के क्षेत्र में लोगों को आने के लिए प्रोत्साहित करता है। और अपना कौशल दिखाने के लिए प्रेरित भी करता है। शौकिया उत्साही से लेकर एक पेशेवर फोटोग्राफर और फोटो जर्नलिस्ट, हर कोई फोटोग्राफी के बारे में जागरूकता और विचारों को फैलाकर इस दिन को बड़े जोश के साथ मनाता है। इस दिन का उपयोग यह पहचानने के लिए भी किया जाता है कि तस्वीरें सिर्फ ऐतिहासिक घटनाओं के दस्तावेजीकरण के लिए नहीं है, अपितु व्यक्तिगत पूर्ति के लिए माध्यम भी विकसित करती है। इसलिए विश्व फोटोग्राफी दिवस फोटोग्राफी के लिए कला, शिल्प और जुनून का उत्सव मनाने का अवसर है।
विश्व फोटोग्राफी दिवस का इतिहास
विश्व फोटोग्राफी दिवस की उत्पत्ति का पता 1837 में लगाया जा सकता है। फ्रांस में, जोसेफ नाइसफोर नीप्स और लुई डागुएरे (Joseph Nicephore Niepce and Louis Daguerre) ने पहली बार फोटोग्राफिक प्रक्रिया, डगुएरियोटाइप (Daguerreotype) का आविष्कार किया था। 1861 में, पहली टिकाऊ रंगीन तस्वीर खींची गई थी। तभी से फोटोग्राफी का माध्यम विकसित होता चला गया। डिजिटल कैमरा (Digital Camera) के आविष्कार से दो दशक पहले 1957 में पहली डिजिटल तस्वीर बनाई गई थी। फ्रेंच एकेडमी ऑफ साइंसेज (The French Academy of Sciences) ने आधिकारिक तौर पर 1839 में जनता के लिए डैगुएरियोटाइप (Daguerreotype) के आविष्कार की घोषणा की। माना जाता है कि 19 अगस्त 1839 को, फ्रांसीसी सरकार ने इस उपकरण के लिए पेटेंट खरीद लिया और इसे दुनिया के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराया। बाद में इस दिन को विश्व फोटोग्राफी दिवस (World Photography Day) के रूप में मनाया जाने लगा। फांसीसी वैज्ञानिक लुईस जेक्स और मेंडे डाग्युरे ने फोटोग्राफी के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. इन दोनों ने मिलकर वर्ष 1839 में फोटो तत्व की खोज की थी. जो इस कला का हार्ट हैं. विलियम हेनरी फॉक्सटेल बोट ने नेगेटिव-पॉजीटिव प्रोसेस का आविष्कार किया तथा टेल बोट ने फोटो को लम्बे समय तक रखने के लिए हल्के संवेदनशील पेपर का आविष्कार किया था।
विश्व फोटोग्राफी दिवस 2025 थीम
विश्व फोटोग्राफी दिवस 2025 की थीम: “MY FAVORITE PHOTO” यह विषय उत्सव का एक निजी पहलू है—आपसे आमंत्रित किया गया है कि आप अपनी अब तक की सबसे पसंदीदा तस्वीर शेयर करें और उसकी कहानी बताएँ। सोशल मीडिया पर इसे #WorldPhotographyDay और #WorldPhotographyDay2025 से टैग करें।
2024 की थीम: “AN ENTIRE DAY” यह विषय सभी से प्रेरित करता है कि वे एक पुरे दिन (दिन की शुरुआत से अंत तक) के महत्वपूर्ण क्षणों को साझा करें—एक व्यापक, कहानी-केंद्रित दृष्टिकोण।
2023 की थीम: “LANDSCAPES” इस वर्ष विषय भूमि और प्राकृतिक दृश्यों पर केंद्रित था। सभी से अनुरोध किया गया कि वे अपनी बेहतरीन लैंडस्केप तस्वीरें साझा करें।
विश्व फोटोग्राफी दिवस का महत्व
विश्व फोटोग्राफी दिवस (World Photography Day) फोटोग्राफी के लिए कला, शिल्प और जुनून का जश्न मनाने का अवसर है। इस दिन का उपयोग यह पहचानने के लिए भी किया जाता है कि ऐतिहासिक घटनाओं के दस्तावेजीकरण से लेकर व्यक्तिगत पूर्ति के लिए माध्यम कैसे विकसित हुआ है। शौकिया, उत्साही से लेकर पेशेवर फोटोग्राफर और फोटो जर्नलिस्ट तक, हर कोई फोटोग्राफी के बारे में जागरूकता और विचारों को फैलाकर इस दिन को मनाता है। लोग अपने काम को प्रदर्शित करने और बढ़ावा देने के अवसर का भी उपयोग करते हैं। आज हमें जो सुविधाएं उपलब्ध है उनका महत्व उनकी कमी में ही समझ सकते हैं. छवियां, वीडियोज और फोटोग्राफी ने इंसानों के बीच की दूरियों को पाटने में बड़ी भूमिका अदा की है. अगर पुराने जमाने में भी तस्वीरे लिए जाने की सहूलियत होती तो हम भगवान राम, कृष्ण और उनके बाद के जमाने को भी आसानी से समझ सकते थे. हम डायनासोर की फोटोज देख पाते मगर यह सम्भव नहीं था. आज के फोटोग्राफी के जमाने ने विश्व के कोने कोने में बैठे व्यक्ति का परिचय हमसे करवाया है. मानव इतिहास और संस्कृति को समझने में फोटोग्राफ्स की अहम भूमिका रही हैं. आज फोटोग्राफी एक शौक से बढ़कर उद्योग के रूप में विकसित हो रहा हैं, हजारों लाखों लोग इस क्षेत्र में रोजगार पा रहे हैं।
फोटोग्राफी के बारे में कुछ रोचक तथ्य
1 मिनट में 2 लाख फोटो : 2 लाख तस्वीरें हर मिनट फेसबुक पर होती हैं
अपलोड : 30 करोड़ तस्वीरें हर दिन अपलोड होती हैं।
फेसबुक पर : 1.36 लाख तस्वीरें शेयर की जाती हैं।
हर मिनट ट्विटर, इंस्टाग्राम पर : 95 करोड़ फोटो और वीडियो रोज साझा हो रहे।
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड फोटोग्राफी डे
फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए 19 अगस्त एक महत्वपूर्ण दिवस हैं, क्योंकि आज विश्व फोटोग्राफी दिवस हैं. यह दिन दुनियाभर के फोटो ग्राफर को समाज की सच्चाई दिखाने वाली फोटो उतारने के लिए उत्साहित करने हेतु मनाया जाता हैं. दुनियाभर के बेहतरीन और पेशेवर फोटोग्राफर इस दिन अपनी कला का पदर्शन करते हैं यह एक वार्षिक उत्सव है जिसमें इस कला के इतिहास शिल्प और इसकी विज्ञान का प्रदर्शन किया जाता हैं. यह दिन न केवल उन लोगों की स्मृति से जुड़ा है जिन्होंने इस क्षेत्र में अपना अहम योगदान दिया बल्कि फोटोग्राफी के प्रति उत्सुक लोगों को अपने कौशल को दिखाने के लिए प्रेरित करने वाला दिवस भी हैं. फोटोग्राफी के इतिहास में 19 अगस्त 2010 का दिन बहुत बड़ा माना जाता हैं, इस दिन पहली डिजिटल फोटो गैलरी प्रकाशित की गई थी. विश्व भर में प्रसिद्ध हुई इस गैलरी में 250 से अधिक फोटो ग्राफर ने अपने कला हुनर को दिखाया था।
कैमरा का इतिहास
डैगुएरियोटाइप से पहले, 11वीं शताब्दी का इराकी आविष्कार था जिसे कैमरा ऑब्स्कुरा (Camera obscura) कहा जाता था, जो एक पिन-होल कैमरा था। लेकिन इसने केवल एक छवि पेश की। डैगुएरियोटाइप के साथ परिदृश्य बदल गया। 1880 के दशक में, कोडक (Kodak) ने बाजार में अपना पहला उपभोक्ता-आधारित कैमरा लॉन्च किया। 1940 के दशक के अंत तक कैमरा फिल्में सस्ती हो गईं। तब तक विश्व युद्ध शुरू हो चुके थे और हमने मानवता को देखने के तरीके को आकार दिया था। कैमरा युद्ध की गंभीर वास्तविकताओं को दिखाने का एक साधन बन गया। फोटोजर्नलिज्म (Photojournalism) बढ़ रहा था और जल्द ही कैमरा संचार का एक साधन बन गया। 1960 के दशक के मध्य में पोलेरॉइड इंस्टेंट इमेज सिस्टम (Polaroid Instant Film Camera) का उदय हुआ। फिर एसएलआर (Single-lens reflex camera – SLR) का अनुसरण किया और फिर, डिजिटल क्रांति ने डीएसएलआर (Digital Single-Lens Reflex) के साथ पंप किया। स्मार्ट कैमरों (Smart Photography), कैमकोर्डर (Camcorder) ने आज के फोन कैमरों (Phone Camera) और लैपटॉप कैमरों (Laptop Camera) को रास्ता दिया।
दुनिया की पहली सेल्फी
सन 1839 में अमेरिकन फोटो प्रेमी रोबर्ट कॉर्नेलियस ने दुनिया की पहली सेल्फी क्लिक करी| उन्होंने अपना कैमरा सेट करा और दौड़ कर उसके आगे चले गए| उनको उस समय यह आभास नहीं होगा कि भविष्य में इसे सेल्फी कहकर पुकारेंगे| उन्होंने उस फोटो के पीछे यह लिखा-“द फर्स्ट लाइट पिक्चर एवर टेकेन 1839“|तस्वीरें शब्दों की तुलना में तेज़ी से और कभी उससे अधिक प्रभावी ढंग से महसूस की जा सकती हैं| एक तस्वीर दर्शक को दुनिया को देखने का वह तरीका बता सकती हैं जैसे फोटोग्राफर इसे देखता है| तसवीरें समय को भी पार करने की क्षमता रखती हैं| सौ साल पहले की तस्वीर को उतना ही सराहा जा सकता है जितना की तब था| ठीक उसी तरह आज क्लिक करी एक सर्वश्रेष्ठ फोटो सौ साल बाद भी सराही जायेगी|
फोटोग्राफी का विकास और करियर
फोटोग्राफी पूरी तरह से स्किल पर आधारित पेशा है| पिछले कुछ सालों में फोटोग्राफी के क्षेत्र में बहुत से बदलाव देखे गए हैं| पहले के समय फोटोग्राफर को बड़े-बड़े कार्यक्रमों जैसे शादी, मूवी आदि में फोटो खींचने तक ही सीमित रखा जाता था, लेकिन अब फोटोग्राफर को मॉस-मीडिया, विज्ञापन और इ-कॉमर्स जैसे बड़े क्षेत्रों में अपनी कला दिखाने का मौका दिया जा रहा है| फोटोग्राफी एक ऐसी कला है जिसमें विज़ुअल कमांड के साथ तकनिकी ज्ञान भी जरुरी होता है| यह खुद को व्यक्त करने का एक अनोखा माध्यम है| फोटोग्राफी को आजकल बढ़ चढ़कर करियर के रूप में अपनाया जा रहा है| आजकल हर छोटे-बड़े आयोजनों में, शादियों में, फैशन शो में, मीडिया क्षेत्र आदि में फोटोग्राफी का काफी चलन होने लगा है| आज फोटोग्राफी न केवल एक अच्छा करियर विकल्प है बल्कि इसमें नाम और पैसा भी बनाया जा सकता है| फोटोग्राफी क्षेत्र में नौकरी के लिए काफी सारे विकल्प मौजूद हैं| प्रोफेशनल फोटोग्राफर बनने के लिए धैर्य, मेहनत के साथ आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है| फोटोग्राफर बनने के लिए बहुत से कॉलेज द्वारा डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के कोर्स उपलब्ध हैं|
फोटोग्राफी के प्रकार : Wildlife photography (वन्यजीव फ़ोटोग्राफी)• Travel photography (ट्रैवल फोटोग्राफी)• Street photography (स्ट्रीट फोटोग्राफी)• Newborn photography (नवजात फ़ोटोग्राफी)• Landscape photography (लैंडस्केप फोटोग्राफी)• Portrait photography (पोर्ट्रेट फोटोग्राफी)• Wedding photography (शादी की फोटोग्राफी)• Event photography (इवेंट फ़ोटोग्राफी)• Fine Art photography (फाइन आर्ट फोटोग्राफी)• Fashion photography (फैशन फोटोग्राफी)• Food Photography (फूड फ़ोटोग्राफी)• Product Photography (प्रोडक्ट फ़ोटोग्राफी)• Still Life Photography (स्टिल लाइफ फोटोग्राफी)• Documentary Photography (डॉक्यूमेंट्री फोटोग्राफी)• Sports Photography (खेल फोटोग्राफी)• Scientific Photography (वैज्ञानिक फोटोग्राफी)• Aerial Photography (हवाई आलोक चित्र विद्या – एरियल फोटोग्राफी)• Commercial Photography (व्यावसायिक फोटोग्राफी)• Macro Photography (मैक्रो फोटोग्राफी)• Underwater Photography (अंडर वाटर फोटोग्राफी)• Pet Photography (पालतू जानवर फोटोग्राफी)• Architectural photography (आर्किटेक्ट फोटोग्राफी) etc..
भारत में फोटोग्राफी का कोर्स : मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन – Manipal, Karnataka• मास मीडिया के अंतर्राष्ट्रीय संस्थान – IIMM Delhi• एफटीआईआई, पुणे (FTII, Pune)• YMCA सेंटर ऑफ मास मीडिया• दिल्ली कॉलेज ऑफ फोटोग्राफी – Delhi College of Photography• क्रिएटिव हट इंस्टिट्यूट ऑफ़ फोटोग्राफी – केरल• जामिया मिल्लिया इस्लामिया ए जे किदवई (AJ Kidwai) मास कम्युनिकेशन• नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद• नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फोटोग्राफी – NIP
फोटोग्राफी पाठ्यक्रमों के लिए पात्रता मानदंड
तस्वीरों को क्लिक करने का जुनून होना ही काफी नहीं है, इस पल को जीवंत करने के लिए आपको कलात्मक और रचनात्मक होना होगा। फोटोग्राफी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 है। प्रवाह मायने नहीं रखता, जुनून मायने रखता है। आपका मूल्यांकन एक प्रवेश परीक्षा या दिए गए असाइनमेंट के आधार पर किया जाएगा। कई पाठ्यक्रम हैं, जिनमें कई महीनों के प्रमाणपत्र से लेकर वार्षिक डिप्लोमा तक शामिल हैं। कुछ विश्वविद्यालय स्नातक पाठ्यक्रम भी प्रदान करते हैं।
भारत में फोटोग्राफी का कोर्स करने के बाद आप कितना कमा सकते हैं?
आप किसी मीडिया हाउस, फोटो एजेंसी या विज्ञापन समूह से जुड़ सकते हैं। या फिर आप वाइल्डलाइफ, वेडिंग, फैशन या स्पोर्ट्स फोटोग्राफर के तौर पर फ्रीलांस फोटोग्राफी भी कर सकते हैं। संभावनाएं अनंत हैं! अपने कौशल स्तर और अनुभव के आधार पर, आप प्रति वर्ष 5 से 10 लाख या इससे भी अधिक कमा सकते हैं।
अगर आप इस अवसर पर भाग लेना चाहते हैं, तो:
वर्ष 2025 में अपनी सबसे पसंदीदा तस्वीर (MY FAVORITE PHOTO) साझा करें और इसके साथ एक कहानी भी जोड़ें।
सोशल मीडिया पर टैग्स का इस्तेमाल करें: #WorldPhotographyDay, #WorldPhotographyDay2025।
World Photography Week के दौरान (12–26 अगस्त) सक्रिय रहें—फोटो शेयर करें, दूसरों की फोटोज़ देखें, और संवाद करें।
और अंत में…..चाहे हम कभी कभार ही फोटो खींचते हो, शौकिया हो चाहे प्रोफेशनल हो, इस दिन को पूरी तरह से जिए और एक ऐसी कला को सम्मान दें जो आज हमारे जीवन में न केवल अति महत्वपूर्ण है बल्कि अभिन्न अंग बन चुकी है। विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाने के लिए किसी आविष्कार की आवश्यकता नहीं है बल्कि इसके लिए तो एक जुनून की जरूरत है. आप अपने घर पर ही विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाए और अपनी कलात्मकता अपने मित्रों और रिश्तेदारों के साथ साझा करें। विश्व फोटोग्राफी दिवस की सभी को बधाई….