बुद्ध जयंती आज यानी 12 मई दिन सोमवार को मनाई जाएगी, जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और कठिन साधना के बाद उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी। यह त्योहार हिंदू और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बहुत खास है। ऐसी मान्यता है कि गौतम बुद्ध भगवान हरि विष्णु के 9वें अवतार थे।
बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध जयंती भी कहा जाता है, भगवान गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को आता है, जब चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है। यह दिन गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण – इन तीनों महत्वपूर्ण घटनाओं की स्मृति में मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह दिन और भी विशेष है क्योंकि इस बार एक दुर्लभ और अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है।
बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास
इतिहास के जानकारों के अनुसार, भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल के कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी में हुआ था। कपिलवस्तु उस समय से शाक्य महाजनपद की राजधानी थी। लुम्बिनी वर्तमान में दक्षिण मध्य नेपाल का क्षेत्र है। इसी जगह पर तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने भगवान बुद्ध के प्रतीक के तौर पर एक स्तम्भ बनवाया था। इतिहासकारों के अनुसार बुद्ध शाक्य गोत्र के थे और उनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था। इनके पिता का नाम शुद्धोधन था, जो शाक्य गण के प्रमुख थे और माता का नाम माया देवी था। सिद्धार्थ के जन्म से 7 दिन बाद ही उनकी माता का निधन हो गया था। इसके बाद सिद्धार्थ की परवरिश उनकी सौतेली मां प्रजापति गौतमी ने किया था।
बौद्ध धर्म के संस्थापक स्वंय महात्मा बुद्ध हैं। उन्होंने वर्षों तक कठोर तपस्या और साधना की, जिसके बाद उन्हें बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई, उनको बुद्धत्व की प्राप्ति हुई। फिर उन्होंने अपने ज्ञान से इसे पूरे संसार को आलोकित किया। अंत में कुशीनगर में वैशाख पूर्णिमा को उनका निधन हो गया।
कैसे बने सिद्धार्थ से भगवान बुद्ध
बताया जाता है कि भगवान बुद्ध ने महज 29 साल की आयु में संन्यास धारण कर लिया था। उन्होंने बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे 6 साल तक कठिन तप किया था। वह बोधिवृक्ष आज भी बिहार के गया जिले में स्थित है। बुद्ध भगवान ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था। भगवान बुद्ध 483 ईसा पूर्व में वैशाख पूर्णिमा के दिन ही पंचतत्व में विलीन हुए थे। इस दिन को परिनिर्वाण दिवस भी कहा जाता है।
क्यों मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा?
अपने जीवन में भगवान बुद्ध ने जब हिंसा, पाप और मृत्यु के बारे में जाना, तब ही उन्होंने मोह-माया का त्याग कर दिया और अपना परिवार छोड़कर सभी जिम्मेदारियों से मुक्ति ले ली और सत्य की खोज में निकल पड़े। जिसके बाद उन्हें सत्य का ज्ञान हुआ। वैशाख पूर्णिमा की तिथि का भगवान बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं से विशेष संबंध है, इसलिए बौद्ध धर्म में प्रत्येक वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।
बुद्ध पूर्णिमा महत्व
गौतम बुद्ध के जन्म और मृत्यु के समय को लेकर मतभेद हैं। लेकिन कई इतिहासकारों ने इनका जीवनकाल 563-483 ई.पू. के मध्य माना है। पूरी दुनिया में महात्मा बुद्ध को सत्य की खोज के लिये जाना जाता है। कहा जाता है कि गौतम बुद्ध राजसी ठाठ छोड़कर वर्षों वन में भटकते रहे और उन्होंने कठोर तपस्या कर बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे सत्य का ज्ञान प्राप्त कर लिया। इसके बाद महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान से पूरी दुनिया में एक नई रोशनी फैलाई।
भगवान विष्णु के नौवें अवतार माने जाते हैं गौतम बुद्ध
धार्मिक मान्यताओं अनुसार बुद्ध देवता को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। इसलिए बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध धर्म के अनुयायियों के साथ हिंदू धर्म के लोग भी मनाते हैं। उत्तर भारत में भगवान विष्णु का 9वां अवतार बुद्ध को माना जाता है। हालाँकि दक्षिण भारतीय मान्यताओं अनुसार बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं माना गया है। दक्षिण भारत में भगवान कृष्ण को विष्णु जी का नवां अवतार माना जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा 2025 की तिथि व शुभ संयोग
वर्ष 2025 में बुद्ध पूर्णिमा 12 मई (सोमवार) को पड़ रही है। इस दिन न केवल पूर्णिमा तिथि है, बल्कि विशिष्ट योग और नक्षत्र का संयोग इसे अत्यधिक पुण्यदायक बना रहा है।
इस बार बन रहे शुभ योग:
सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए पूजा-पाठ और दान-पुण्य का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।
अमृत सिद्धि योग: यह योग भी विशेष रूप से आध्यात्मिक साधना और मनोकामना पूर्ति के लिए उत्तम माना गया है।
विशाखा नक्षत्र: यह नक्षत्र भी भगवान बुद्ध से जुड़ा हुआ है, क्योंकि उनका जन्म विशाखा नक्षत्र में ही हुआ था।
बुद्ध पूर्णिमा 2025 का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 मई 2025, शाम 04:08 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 मई 2025, शाम 05:35 बजे
पूजा का उत्तम समय: 12 मई को प्रातःकाल से लेकर दोपहर तक (विशेषतः 06:00 से 11:00 बजे के बीच)
दान और स्नान का श्रेष्ठ मुहूर्त: सूर्योदय से पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में किया गया स्नान और दान अत्यंत फलदायक होगा।
वैशाख और बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिव गंगा घाट पर स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलने के साथ-साथ जीवन में सुख-शांति आती है। इसके साथ ही भगवान विष्णु की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध की पूजा
माना जाता है कि इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ करने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाते है। क्योंकि इस त्यौहार को बहुत ही पवित्र और फलदायी माना गया है। इस दिन कुछ मीठा दान करने से गौदान को दान करने के बराबर फल मिलता है। इसके अलावा अगर आपसे अनजाने में कोई पाप हो गया है तो इस दिन चीनी और तिल का दान देने से इस पाप से छुटकारा मिल जाता है। जानिए इस दिन पूजा कैसे करते है। इस दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले भगवान विष्णु के प्रतिमा के सामने घी से भरा पात्र रखें। इसके साथ ही तिल और चीनी भी रखें। फिर तिल के तेल से दीपक जलाएं और भगवान की पूजा करें। इस दिन बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं को कलरफूल पताकाएं और हार से सजाया जाता है। साथ ही जड़ो में दूध और सुगंधित जल डाला जाता है। साथ ही दीपक जलाएं जाते है।
बुद्ध पूर्णिमा व्रत विधि
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बहुत से लोग व्रत रखते हैं। व्रत रखने वालों को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद किसी पवित्र नदी, कुण्ड या फिर अपने घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और वरुण देवता का ध्यान करें। स्नान करने के बाद सूर्य देवता को मंत्रों के उच्चारण के साथ अर्घ्य दें। फिर मधुसूदन भगवान की पूजा करें। पूजा के बाद दान पुण्य अवश्य करें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बेहद ही फलदायी माना जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा कहां और कैसे मनाई जाती है?
बुद्ध पूर्णिमा भारत के साथ साथ चीन, नेपाल, थाइलैंड, जापान, सिंगापुर, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका, म्यांमार जैसे दुनिया के कई देशों में मनाई जाती है। भारत के बिहार राज्य में बोद्ध गया बुद्ध के अनुयायियों के लिये पवित्र धार्मिक स्थल है। बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दिये जलाते हैं और घर को फूलों से सजाते हैं। प्रार्थनाएं करते हैं और बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है।
वैशाख पूर्णिमा पर करें ये उपाय
– वैशाख पूर्णिमा के दिन आप विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें और मूंग की दाल का दान कर सकते हैं। ऐसा करने से आपकी सभी बाधाएं और संकट दूर होंगे और आपका ध्यान सही कार्यों की तरफ केंद्रित होगा। साथ ही कई जन्मों के पाप भी कट जाते हैं और मृत्यु के बाद उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।
– वैशाख पूर्णिमा के दिन छात्रों को कलम या कॉपी उपहार स्वरूप दे सकते हैं। ऐसा करने से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है और देवताओं के गुरु बृहस्पति देवा का आशीर्वाद मिलता है।
– अगर आप गुरु मंत्र लेना चाहते हैं तो आज का दिन उत्तम रहेगा। साथ ही अगर आप मंत्र ले चुके हैं तो गुरु मंत्र और गायत्री मंत्र का जप करना बेहद शुभ रहेगा। ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है और तन व मन पवित्र हो जाता है।
– पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर देश के अन्य भागों में धन, सुख की कामना से सत्यनारायण भगवान की कथा व पूजन करना बहुत ही शुभ रहेगा। क्योंकि पूर्वोत्तर भारत में खग्रास चंद्र ग्रहण पड़ेगा, जिसकी वजह से वहां सूतक काल मान्य होगा। वहीं जहां ग्रहण नहीं होगा, उस दौरान सत्यनारायण की कथा व पूजन करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन करें ये काम
– सूरज उगने से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करें.
– गंगा में स्नान करें या फिर सादे पानी से नहाकर गंगाजल का छिड़काव करें.
– घर के मंदिर में विष्णु जी की दीपक जलाकर पूजा करें और घर को फूलों से सजाएं.
– घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और गंगाजल छिड़कें.
– बोधिवृक्ष के आस-पास दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध विसर्जित कर फूल चढ़ाएं.
– गरीबों को भोजन और कपड़े दान करें.
– अगर आपके घर में कोई पक्षी हो तो आज के दिन उन्हें आज़ाद करें.
– रोशनी ढलने के बाद उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें.
भगवान बुद्ध के 5 प्रमुख उपदेश, जो बदल देंगे आपका जीवन
भगवान बुद्ध के प्रमुख उपदेश
1. वर्तमान का रखो ध्यान : अपने उपदेशों में भगवान बुद्ध ने जो प्रमुख बातों बताई हैं, उनमें एक यह है कि मनुष्य को कभी भी अपने बीते हुए कल में नहीं उलझना चाहिए और ना ही भविष्य के सपने बुनने चाहिए। मनुष्य को अपने वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए।
2. क्रोध से है सिर्फ नुकसान : भगवान बुद्ध ने अपने उपदेशों में बताया है कि क्रोध से किसी और का नहीं, बल्कि स्वयं मनुष्य का ही नुकसान होता है। क्रोधित होने का अर्थ है कि जलता हुआ कोयला हाथ में लेकर किसी और पर फेंकना, जो सबसे पहले खुद आपको ही जलाएगा।
3. हजार जीत से स्वयं पर विजय है जरूरी : बुद्ध भगवान ने सबसे बड़ी बात ही थी कि मनुष्य को किसी भी युद्ध में जीत हासिल करने से पहले खुद पर विजय हासिल करनी चाहिए। जब तक मनुष्य ऐसा नहीं करता है, तब तक सारी जीत व्यर्थ ही मानी जाएंगी।
4. सुखद संघर्ष है मूलमंत्र : महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश में ये भी बताया है कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने वाली यात्रा बहुत जरूरी होती है। मनुष्य को अपना लक्ष्य मिले या न मिले, लेकिन लक्ष्य प्राप्ति के लिए की जाने वाली यात्रा अच्छी होना चाहिए। इसका अनुभव जीवन भर हमारे साथ रहता है।
5. बांटने से कम नहीं होती खुशियां : भगवान बुद्ध कहते हैं कि खुशी उस रोशनी के समान है, जिसे आप जितना दूसरों को देंगे, वो उतना ही और बढ़ेगी। जैसे कि एक जलता हुआ दीप, हजार दीप जलाकर रोशनी फैला सकता है, लेकिन इससे उसकी रोशनी पर कोई प्रभाव नहीं होगा, वैसे ही खुशियां बांटने से बढ़ती हैं।
बुद्ध पूर्णिमा 2025 एक अद्वितीय संयोग लेकर आ रही है। सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और विशाखा नक्षत्र के संयोग में यह दिन आत्मिक उत्थान, धर्म पालन और मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जा रहा है। यह पर्व न केवल भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को आत्मसात करने का अवसर है, बल्कि अपने जीवन में संयम, करुणा और अहिंसा जैसे मूल्यों को स्थान देने का भी श्रेष्ठ अवसर प्रदान करता है। अतः इस पुण्यदायी दिन पर श्रद्धा और भक्ति से भगवान बुद्ध की आराधना कर हम अपने जीवन को सन्मार्ग पर ले जा सकते हैं।