भिलाई। बजट 2020 में प्रस्तावित पुराने लंबित कर विवादों को निपटाने के लिए एक अच्छी नयी योजना का प्रावधान किया गया है। जिसका लाभ उन सभी करदाता जिनकी कर मांग कईं मंचों जैसे आयकर आयुक्त अपील, आयकर अपीलीय न्यास न्यायाधिकरण (आईटीएटी), उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में 31 जनवरी 2020 तक मामले लंबित हैं। वैसे करदाता इस योजना का लाभ 31 मार्च 2020 या 30 जून 2020 तक उठा सकते हैं। भिलाई सीए ब्रांच के पूर्व चेयरमैन सीए पीयूष जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत 31 मार्च तक लाभ लेने के इच्छुक करदाता को केवल विवादित कर का भुगतान कर ब्याज एवं जुर्माना में छूट का प्रावधान है एवं 30 जून तक इस योजना का लाभ लेने से करदाता को विवादित कर के साथ 10 प्रतिशत अधिक कर चुकाने का प्रावधान है। यदि किसी करदाता की केवल ब्याज एवं जुर्माना से सम्बन्धित विवादित अपील लंबित है तो करदाता 31 मार्च तक केवल 25 प्रतिशत या 30 जून तक 30 प्रतिशत विवादित राशि का भुगतान कर विवाद से मुक्त होने का प्रावधान है। सीए श्री जैन ने कहा कि मेरे विचार से बजट की प्रस्तावित विवाद से छुटकारा पाने की सर्वोत्तम योजना है जिसका लाभ वैसे सभी करदाता को लेकर विवाद से मुक्त होना चाहिए, हालांकि समय काफी कम है फिर भी करदाता को योजना का लाभ लेना उसके लिए हितकर होगा। उन्होंने बताया कि योजना के तहत घोषणा करने और नामित प्राधिकारी द्वारा राशि निर्धारित करने के बाद प्रमाण पत्र के साथ साथ नियमों के भी जल्द ही निर्धारित होने की संभावना है। करदाता द्वारा घोषणा की प्राप्ति के तारीख से 15 दिनों के भीतर नामित प्राधिकारी द्वारा इस तरह का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। घोषणा कर्ता को प्रमाण पत्र की प्राप्ति की तारीख से 15 दिनों के भीतर निर्धारित राशि का भुगतान करना होगा और वह निर्धारित पदाधिकारी इस तरह के भुगतान का विवरण निर्धारित फार्म में देना होगा तब नामित प्राधिकारी इस आदेश को पारित करेगा की घोषणा करता योजना के तहत कर का भुगतान कर दिया है। सीए श्री जैन ने बताया कि घोषणा के दाखिल हो जाने पर आयकर आयुक्त अपील या आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष लंबित किसी भी अपील को नामित प्राधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र जारी करने की तारीख से वापस ले लिया जाएगा। उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपील के मामले में घोषणा करता इस तरह की अपील याचिका को वापस लेगा और घोषणा के साथ इसकी वापसी के सबूत प्रस्तुत किए जाएंगे विवादित कर की परिभाषा योजना की धारा दो (एक) (जे) में परिभाषित की गई है। सर्च से समबन्धित विवादित कर इस योजना के तहत नहीं लेने का प्रावधान है।
व्यक्तिगत आयकर कानून में केंद्र सरकार ने की वैकल्पिक कर व्यवस्था की घोषणा
क्षेत्र के वरिष्ठ सीए श्रीचंद लेखवानी ने बताया कि केंद्र सरकार ने बजट 2020 में वैकल्पिक कर व्यवस्था की घोषणा की है। जिसमें 2.50 लाख तक की आय पर शून्य, 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय पर 5 फीसदी, 5 लाख से 7.5 लाख रुपये के आय पर 10 फीसदी, 7.5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के आय पर 15 फीसदी, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी, 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये के आय पर 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा किंतु एनपीएस छोड़कर धारा 80 की सारी छूटें एलआईसी, पीपीएफ, वेतन में से स्टैंटर्ड डिडक्शन, हाउसिंग लोन पर ब्याज आदि की छूट का फायदा नहीं मिलेगा। यह व्यवस्था गैर व्यवसायी हर वर्ष बदल सकता। श्री लेखवानी ने बताया कि वर्तमान में डेविडेंट करमुक्त है। डेविडेंट देने वाली कंपनी 18.5 प्रतिशत का डीडीटी पटा कर डेविडेंट देती है। अब कंपनी डीडीटी नहीं पटाएगी। वरन शेयरहोल्डर की आय में डेविडेंट जुड़ जाएगा और स्लैब के अनुसार कर लगेगा। साथ ही डेविडेंट 5000/- से अधिक है तो 10 प्रतिशत दर से टीडीएस काटा जाएगा। प्रॉपर्टी को यदि स्टैम्प वैल्यू से कम लिया जाता है तो खरीददार -बेचवाल दोनों को अंतर राशि पर कर देना पड़ता है, यदि जीएजी 5 प्रतिशत से अधिक हो तो। इस 5 प्रतिशत अंतर को 10 प्रतिशत कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि स्टार्टअप को मिलने वाली टैक्स हॉलीडे को रिलैक्स किया गया है। प्रथम 10 वर्षों में से किसी भी 3 लगातार वर्षों की आय पर कर नहीं देना पड़ेगा। वर्तमान में जेसीआईटी द्वारा आईटीओ को सर्वे के लिए अधिकृत किया जाता है। अब जब तक आईटीओ के पास निश्चित विभाग की सूचना नहीं आएगी तब तक जेसीआईटी द्वारा आईटीओ को सर्वे हेतु अधिकृत कर सकते है। ऑडिट की तिथि 30 सितंबर ही लेकिन रिटर्न जमा करने की तिथि बढ़ी है।
सीए लेखवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑडिट की अंतिम तिथि 30 सितम्बर ही रखी गई है किंतु ऑडिट वाले करदाताओं के रिटर्न जमा करने की अंतिम तिथि 1 माह बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी गई है। ऑडिट कराने की बाध्यता 2 करोड़ रू. से ऊपर की बिक्री होने पर ही है। किंतु यदि कोई व्यापारी अपनी बिक्री व अन्य प्राप्तियों का 95 प्रतिशत से ऊपर चेक आदि व्दारा प्राप्त करता है और अपने क्रय खर्चे एवं अन्य भुगतानों का 95 प्रतिशत से अधिक चेक आदि व्दारा देता है तो ऑडिट की सीमा 2 करोड़ से बढ़कर 5 करोड़ कर दी गई है। उन्होंने बताया कि टीडीएस ई कॉमर्स कंपनी को अपने पोर्टल पर बिक्री या सेवा देने वाले व्यापारियों (उदाहरण राम रेस्टोरेंट) को 5 लाख से अधिक भुगतान करने पर 1 प्रतिशत टीडीएस काट कर पटाना होगा। यदि राम रेस्टोरेंट अपना पैन नं. नहीं देते हैं तो टीडीएस 5 प्रतिशत की दर से काटा जाएगा।
टीसीएस के लिए हुए ये प्रावधान
सीए प्रियेश लेखवानी ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति लिबरलाईज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत विदेश 7 लाख रू. से अधिक पैसा भेजता है तो उससे 5 प्रतिशत टीसीएस वसूला जाएगा। पैन नहीं देने पर 10 प्रतिशत टीसीएस वसूला जाएगा। यदि टूर आपरेटर विदेश यात्रा का पैकेज देता है तो अपने ग्राहक से 5 प्रतिशत टीसीएस वसूलेगा। उन्होंने बताया कि पैन नहीं देने पर 10 प्रतिशत टीसीएस वसूला जाएगा। वहीं 10 करोड़ वार्षिक से अधिक बिक्री वाले व्यापारी उन ग्राहकों से, जिन्हें वार्षिक 50 लाख रू. से अधिक माल बेचते हैं तो 50 लाख से ऊपर के विक्रय पर 0.10 प्रतिशत टीसीएस वसूलेगें। पैन न देने पर 5 प्रतिशत टीसीएस वसूला जाएगा।
इन स्थितियों में लगेगी पेनाल्टी
यदि किसी व्यापारी के बहीखातों में कोई झूठी प्रविष्टि या प्रविष्टि की भूल, जो कि कर अपवंचन के लिए की गई हो तो उस पर प्रविष्ट की रकम के बराबर की पेनाल्टी लगाई जाएगी।
झूठी प्रविष्टि की परिभाषा
1. जो फर्जी या झूठे दस्तावेज पर आधारित हो।
2. यदि माल न बेचा हो सिर्फ बिक्री बिल दिया गया हो। माल न आया हो सिर्फ खरीदी बिल लिया गया हो।
3. यदि हमारे ग्राहक या सप्लायर का अस्तित्व ही नहीं है।
यह जानकारी संयुक्त रूप से सीए पीयूष जैन, सीए श्रीचंद लिखवानी और सीए प्रियेश लिखवानी ने दी।
करदाता को योजना का लाभ लेना हितकर होगा : पीयूष…… विवादों को निपटाने के लिए एक अच्छी नयी योजना का प्रावधान
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