लोक आस्था का महापर्व का आज तीसरा दिन है। आज ही अस्त होते सूर्य को संध्या का अर्घ्य दिया जाएगा, जिसकी तैयाारी बहुत जोरों से है। छठ का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है। पंचमी को खरना,षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है। चार दिन चलने वाला इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इस दिन रखा जाने वाला व्रत बेहद कठिन माना जाता है,क्योंकि इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है। 5 नवंबर से छठ पर्व की पूजा शुरू हो चुकी है, जिसका समापन 8 नवंबर को होगा। बिहार में यह पर्व विशेषतौर पर बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है। छठ पर्व षष्ठी तिथि से दो दिन पहले यानि चतुर्थी से नहाय-खाय से आरंभ हो जाता है और इसका समापन सप्तमी तिथि को पारण करके किया जाता है। छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। इस पर्व में मुख्यतः सूर्य देव को अर्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है। तो चलिए जानते हैं छठ पूजा की तिथियां अर्घ्य का समय और पारण समय क्या है।
छठ पूजा 2024 सूर्य अर्घ्य समय
सूर्य अर्घ्य देने का समय
छठ पूजा के तीसरे दिन यानी आज शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, 7 नवंबर को सूर्योदय प्रातः 06:42 बजे होगा. जबकि सूर्यास्त शाम 05:48 बजे होगा. इस दिन नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
छठ पूजा सूर्य को अर्घ्य देने की सही विधि
1. आज शाम के समय में व्रती पूजा सामग्री के साथ नदी, तालाब या अन्य पूजा स्थान पर एकत्र होंगे।
2. फिर वहां सूप में नारियल, मौसमी फल, ठेकुवा और अन्य पूजा सामग्री रख लेते हैं।
3. उसके बाद एक लोटे या ग्लास में पानी भरते हैं. उसमें दूध, लाल चंदन, लाल फूल, कुश आदि डालते हैं।
4. सूर्य देव जब अस्त हो रहे हों और उनका रंग लाल हो तो उस समय उनको अर्घ्य देते हैं. अर्घ्य देने के लिए घुटने भर पानी में खड़े होकर हाथ में पूजन सामग्री से भरा सूप और लोटा लेते हैं।
5. दोनों हाथ ऊपर करके पूजन सामग्री सूर्य देव को अर्पित करते हैं और सूर्य मंत्र का जाप करते हुए जल से अर्घ्य देते हैं।
6. अर्घ्य देते समय जल की धार को धीमी गति से नीचे गिराते हैं. तीव्र धार से अर्घ्य नहीं देते हैं. अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखते हैं कि उस जल के छींटे शरीर पर न पड़ें।
7. अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव को नमस्कार करें और अपने स्थान पर 3 बार परिक्रमा करें. पूजा के बाद सूर्य देव और छठ मैया से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
सूर्य मंत्र
ओम सूर्याय नम:याओम ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
सूर्य अर्घ्य का महत्व
सूर्य देव को अर्घ्य देने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. सूर्य देव प्रसन्न होकर धन, धान्य, आरोग्य, सुख, समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. वहीं छठ मैया नि:संतान को संतान सुख, धन, समृद्धि आदि का आशीष देती हैं. सूर्य पूजा करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत होती है, जिससे आपके यश और कीर्ति में वृद्धि होती है।
छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा
छठ पर्व पर छठी माता की पूजा की जाती है, जिसका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलता है। एक कथा के अनुसार प्रथम मनु स्वायम्भुव के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी। इस वजह से वे दुखी रहते थे। महर्षि कश्यप ने राजा से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा। महर्षि की आज्ञा अनुसार राजा ने यज्ञ कराया। इसके बाद महारानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया लेकिन दुर्भाग्य से वह शिशु मृत पैदा हुआ। इस बात से राजा और अन्य परिजन बेहद दुखी थे। तभी आकाश से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं। जब राजा ने उनसे प्रार्थना की, तब उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि- मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी देवी हूं। मैं विश्व के सभी बालकों की रक्षा करती हूं और निसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं।” इसके बाद देवी ने मृत शिशु को आशीष देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह जीवित हो गया। देवी की इस कृपा से राजा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने षष्ठी देवी की आराधना की। ऐसी मान्यता है कि इसके बाद ही धीरे-धीरे हर ओर इस पूजा का प्रसार हो गया।
छठ पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
छठ पूजा धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का लोकपर्व है। यही एक मात्र ऐसा त्यौहार है जिसमें सूर्य देव का पूजन कर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। हिन्दू धर्म में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है। वे ही एक ऐसे देवता हैं जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से देखा जाता है। वेदों में सूर्य देव को जगत की आत्मा कहा जाता है। सूर्य के प्रकाश में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है। सूर्य के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को आरोग्य, तेज और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, पिता, पूर्वज, मान-सम्मान और उच्च सरकारी सेवा का कारक कहा गया है। छठ पूजा पर सूर्य देव और छठी माता के पूजन से व्यक्ति को संतान, सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सांस्कृतिक रूप से छठ पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है इस पर्व की सादगी, पवित्रता और प्रकृति के प्रति प्रेम।
खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टि से छठ पर्व का महत्व
वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी छठ पर्व का बड़ा महत्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि एक विशेष खगोलीय अवसर, जिस समय सूर्य धरती के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित रहता है। इस दौरान सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाती है। इन हानिकारक किरणों का सीधा असर लोगों की आंख, पेट व त्वचा पर पड़ता है। छठ पर्व पर सूर्य देव की उपासना व अर्घ्य देने से पराबैंगनी किरणें मनुष्य को हानि न पहुंचाएं, इस वजह से सूर्य पूजा का महत्व बढ़ जाता है।
छठ में सूर्य की पूजा का चमत्कारी मंत्र
छठ का पर्व सूर्य देव और छठी मैय्या को समर्पित है. मान्यता है कि इस पूजा में सूर्य को अर्घ्य देते वक्त आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते।। इस मंत्र का जाप करने से तेज, बल, यश, कीर्ति और मान सम्मान में वृद्धि होती है।
छठ पर नाक तक क्यों लगाया जाता है सिंदूर ?
हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं के लिए सिंदूर का विशेष महत्व होता है और पूजा में भी मांग भरना अनिवार्य होता है. महिलाएं छठ पूजा के दौरान नाक से शुरू करते हुए पीले सिंदूर से मांग भरती हैं. सिंदूर सुहाग की निशानी और पति की सेहतमंद लंबी उम्र का सूचक होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जितना लंबा सिंदूर लगाया जाता है उतनी ही पति की लंबी उम्र होती है।
छठ पूजा पर लगाए जाते हैं ये भोग
छठ पूजा में छठी मईया और सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए नाभ नींबू, नारियल, केला, ठेकुआ, गन्ना, सुथनी, सुपारी, सिंघाड़ा चढ़ाया जाता है. पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम में सूर्य अर्घ्य से चौथे दिन सुबह अर्घ्य पर समापन होता है।
छठ पूजा के अचूक उपाय
छठ में जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर अवस्था में है तो वे पूजा कर इस ग्रह की शुभता में वृद्धि कर सकते हैं. जैसे गुड़, गेंहू, तांबा, लाल वस्त्र का दान करें. साथ ही छठ पर्व में रक्त चंदन और कमल पुष्प का पूजा में प्रयोग से सूर्य मजबूत होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माणिक्य धारण करने से सूर्य की मजबूत होते हैं।
छठ पूजा के मंत्र
छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य देते हुए इन मंत्रों का जाप करने से हर मनोकामना पूरी होती है।
ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:, ॐ भानवे नम:, ॐ खगाय नम:, ॐ घृणि सूर्याय नम:, ॐ पूष्णे नम:, ॐ हिरण्यगर्भाय नम:, ॐ मरीचये नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ सवित्रे नम:, ॐ अर्काय नम:, ॐ भास्कराय नम:, ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:
छठ पूजा व्रत में करें सूर्य देव के ये उपाय, पूरी होगी कामना
छठ पूजा व्रत और सूर्य देव की पूजा में साफ़-सफाई का विशेष महत्व होता है. इस लिए छठ पूजा व्रत शुरू करने के पहले पूजा स्थल की साफ-सफाई जरूर करलें. उसके बाद सुबह स्नानादि के बाद सूर्य देव को अर्घ्य जरूर दें. अर्घ्य देते समय ‘ ओम सूर्याय नमः ओम वासुदेवाय नमः ओम आदित्य नमः’ मंत्र का जाप अवश्य करें. मान्यता है कि सूर्य देव शीघ्र प्रसन्न होंगे और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
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