भिलाई। 06 नवम्बर, 2024, (सीजी संदेश) : कनाडा के ब्रैंपटन मे हिंदू सभा के मंदिर पर खालिस्तानियो द्वारा किये गये हमले तथा विगत दिनो बांग्लादेश मे हिंदू धर्मावलंबियो के साथ भेदभावपूर्ण हमलावर नीतियो की निंदा व आलोचना करते हुए दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय संगठन सचिव व प्रदेश अध्यक्ष अनिल मेश्राम ने कहा कि ऐसी घटनायें किसी भी देश की सामाजिक सौहार्द्रता और विकास मे बाधक साबित हो सकती है। किंतु अन्य देशो मे घटित इन घटनाओ को आधार बनाकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित अनेक सनातनी व हिंदू धर्म प्रमुखो द्वारा बंटेंगे तो कटेंगे जैसा असहज नारा देकर भारतीय नागरिको को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है जो कि निंदनीय है। तत्कालीन समय मे हिंदू समाज को चार वर्णो व अनेक वर्गो मे विभाजित करने वाले हिंदू धर्म समाज व सनातनी प्रमुखो द्वारा वर्तमान परिदृश्य मे बंटेंगे तो कटेंगे जैसा नारा दिया जाना उनकी विवशता व लाचारी को दर्शाता है। “बोये बीज बबूल का तो आम कहां से होय” वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। हिंदू धर्म मे बनी वर्ण व्यवस्था के तहत भेदभावपूर्ण नीतियो के कारण ही लाखो करोड़ो की संख्या मे हिंदू धर्म को मानने वाले लोग मुसलमान ईसाई और बौद्ध बन गये। भारत की लगभग 150 करोड़ की आबादी मे 110 करोड़ से भी ज्यादा की आबादी एससी एसटी ओबीसी बौद्ध मुस्लिम व ईसाई वर्ग की हो गई है। भारत का संवैधानिक ढांचा इतना ज्यादा मजबूत है कि दुनिया मे जनसंख्या के मामले पर पहले स्थान पर काबिज हुए भारत मे परस्पर आपसी प्रेम सौहार्द्र व सद्भावना आज भी मजबूती से कायम है। धर्म और संप्रदाय के नाम पर भारतीय नागरिको मे फूट डालने का काम राजनीतिक दलो के लोगो द्वारा अपनी राजनीतिक स्वार्थपूर्ति हेतु किया जाता है इसलिए सभी भारतीय नागरिको से आग्रह है कि वे हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई आपस मे भाई-भाई के नारे को जीवंत व चरितार्थ कर अनेकता मे एकता और अखंडता को सद्भावना से संवैधानिक व्यवस्था को मजबूत बनाये। हिंदू धर्म समाज व सनातनी प्रमुखो से आग्रह है कि बटेंगे तो कटेंगे जैसे नारो के बजाय भारत मे सामाजिक समानता समरसता व आपसी सद्भाव स्थापित करने के प्रयास तेज करे ताकि भारत की अखंडता व मजबूती की दुनिया मिसाल दे सके। नागरिक हित के संवैधानिक अनुच्छेदो का समुचित पालन और सभी धर्मो का सम्मान और स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने का प्रयास भारत सरकार को किया जाना चाहिए।