कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस साल 3 नवंबर 2024 को भाई दूज का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन को भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सभी बहनें भाई को रोली और अक्षत का टीका करते हुए, उसकी लंबी उम्र और तरक्की की कामना करती हैं।
हिंदू धर्म में इस पर्व को मनाने की प्रथा सदियों पुरानी है। मान्यता है कि इस दिन यमुना ने भाई यम को घर पर आमंत्रित किया था और स्वागत सत्कार के साथ टीका लगाया था। तभी से इस पर्व को मनाया जाता है। भारत में इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल भाई दूज पर अनुराधा नक्षत्र और सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है। इस योग में तिलक करने से भाई बहन के रिश्ते में मजबूती आती है। ऐसे में आइए जानते हैं भैय्या दूज का शुभ मुहूर्त, व पूजा विधि-
भारत देश के त्यौहार प्रेम के रिश्ते से ही बनते हैं, कई पौराणिक कथाओं से सिद्ध हुआ हैं, कि भाई बहन का रिश्ता सदैव एक दुसरे में प्राण न्यौछावर के लिए तैयार रहता हैं. भाई दूज की कथा में भी कुछ ऐसी ही रोचक कहानी हैं, जिसमे बहन अपने भाई की सारी विपत्तियों को पहले स्वयं पर लेती हैं. बहना हमेशा ही अपने भाई की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करती हैं और बदले में उससे कुछ नहीं मांगती. ऐसा ही हैं यह भाई दूज का पर्व. इसलिए इस दिन को यम द्वितीया भी कहते है. भाई बहन के प्यार के रिश्ते इन त्यौहारों से और भी अधिक गहरे हो जाते हैं. ऐसा ही त्यौहार हैं भाई दूज का त्यौहार. यह त्यौहार दीपावली पर्व के दो दिन बाद मनाया जाता हैं. कई लोग होली त्यौहार के दुसरे दिन भी भाई दूज का त्यौहार मनाते है।
भाई बहन का त्यौहार भाई दूज
भाई दूज का त्योहार भाई बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है। यह त्योहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है । हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह प्रतीक के रूप में दो त्योहार मनाये जाते हैं एक रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें भाई–बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। दूसरा त्योहार, ‘भाई दूज’ का होता है। इसमें बहनें अपने भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं। भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है। भैया दूज को भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। इस पर्व का प्रमुख लक्ष्य भाई तथा बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव की स्थापना करना है। इस दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं। इस दिन बहनें भाइयों को तेल मलकर गंगा यमुना में स्नान भी कराती हैं। यदि गंगा यमुना में नहीं नहाया जा सके तो भाई को बहन के घर नहाना चाहिए। यदि बहन अपने हाथ से भाई को जीमाए तो भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन चाहिए कि बहनें भाइयों को चावल खिलाएं। इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है। बहन चचेरी अथवा ममेरी कोई भी हो सकती है। यदि कोई बहन न हो तो गाय, नदी आदि स्त्रीत्व पदार्थ का ध्यान करके अथवा उसके समीप बैठ कर भोजन कर लेना भी शुभ माना जाता है। इस दिन गोधन कूटने की प्रथा भी है। गोबर की मानव मूर्ति बना कर छाती पर ईंट रखकर स्त्रियां उसे मूसलों से तोड़ती हैं। स्त्रियां घर-घर जाकर चना, गूम तथा भटकैया चराव कर जिव्हा को भटकैया के कांटे से दागती भी हैं। दोपहर पर्यन्त यह सब करके बहन भाई पूजा विधान से इस पर्व को प्रसन्नता से मनाते हैं। इस दिन यमराज तथा यमुना जी के पूजन का विशेष महत्व है। यह त्यौहार हमारे जीवन में भाई बहन के रिश्ते की उपयोगिता को दर्शाता है, जो अटूट है जो एक ज़िमेदारी का प्रतीक है ।
भाई दूज 2024 तिथि
कार्तिक मास द्वितीया तिथि का आरंभ 2 नवंबर 2024 को रात 8 बजकर 22 मिनट से होगा। इस तिथि का समापन 3 नवंबर को रात में 10 बजकर 6 मिनट पर है
भाई दूज शुभ योग 2024
पंचांग के अनुसार भाई दूज के दिन सुबह 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा। इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा। इस दौरान अनुराधा नक्षत्र और बालव व कौलव करण का संयोग रहेगा।
भाई दूज तिलक मुहूर्त
इस साल भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त 3 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 12 मिनट की है।
भाई दूज पूजा विधि
* स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान का ध्यान करें।
* श्री गणेश और श्री हरी विष्णु की पूजा करें
* भाई के लिए पिसे हुए चावल से चौक बनाएं।
* इसके बाद भाई के हाथों पर चावल का घोल लगाएं।
* फिर भाई को तिलक लगाएं।
* तिलक लगाने के बाद भाई की आरती उतारें।
* अब भाई के हाथ में कलावा बांधें और उसे मिठाई खिलाएं।
* अब उसको हाथ में नारियल दें।
* अब भाई को भोजन कराएं।
* भाई को बहन को कुछ न कुछ उपहार में जरूर देना चाहिए।
बहनें इस मंत्र का जप जरूर करें-
गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े।
भाई दूज महत्व एवम विधि
यह भाई बहन के प्रेम का त्यौहार हैं. इसमें बहन अपने भाई को घर बुलाती हैं, उसे तिलक करती हैं, भोजन करवाती हैं और उसकी मंगल कामना करती हैं. इस दिन भाई बहन यमुना नदी में स्नान कर यमराज की पूजा करते हैं, तो उनका भय समाप्त होता हैं. कहा जाता हैं इस दिन अगर यमुना नदी में स्नान किया हो और अगर सांप भी काट ले, तो कोई असर नहीं होता।
कैसे की जाती हैं भाईदूज की पूजा
इस दिन बहने जल्दी से स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं. फिर ऐपन बनाकर उससे अपने हाथो के छापे बनाकर उनकी पूजा करती हैं. कुछ बहने प्रथानुसार ऐपन से सात बहनों एवम एक भाई की आकृति बनाती हैं, इसके साथ ही एक तरफ सांप, बिच्छु आदि विपत्ति के रूप में बनाती हैं. फिर कथा पढ़ कर मुसल से भाई पर आने वाली विपत्ति को मार कर उसकी रक्षा करते हैं. इस प्रकार अपने भाई की खुशहाली के लिए बहने भगवान से प्रार्थना करती हैं. पूजा के बाद बहने अपने भाई को तिलक कर आरती उतारती हैं, इसके बाद ही स्वयं कुछ खाती हैं।
भाई दूज क्यों मनाया जाता है
भाई दूज का यह दिन किस तरह शुरू हुआ इसके पीछे की कहानी :
भाई दूज के विषय में एक पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव और उनकी पत्नी संज्ञा को दो संतानें हुई जिनमें पुत्र यम और पुत्री यमुना थी सूर्य की पत्नी संज्ञा उनका तेज़ सहन नहीं कर पाई, इस लिए संज्ञा ने अपनी छाया उत्पन की और अपने पुत्र एवम पुत्री उसे सोप कर वहा से चली गई। छाया को अपनी संतानों से कोई मोह नहीं था परंतु भाई बहन में आपस में बहुत प्रेम था। उसी छाया से ताप्ती नदी तथा शनिश्चरा का जन्म हुआ । इसी छाया से अश्विनी कुमारो का भी जन्म बतलाया जाता है, जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं। इधर छाया का यम तथा यमुना से विमाता का व्यवहार होने लगा । इससे खिन्न होकर यम ने अपनी एक नई नगरी यमपूरी बसाई, यमपुरी में पापियों को दंड देने का कार्य संपादित करते हुए भाई को देखकर यमुना जी गो लोक चली आई जो कृष्णावतार के समय भी था।काफी समय बीतने के पश्चात यमपुरी के राजा यम जी को एक दिन सहसा अपनी बहन की याद आई। उन्होंने दूतों को भेजकर यमुना जी को बहुत खोजवाया, मगर बहन यमुना मिल न सकी। फिर स्वयं यमराज ही गौ लोक गये जहां विश्राम घाट पर यमुना जी से भेंट हुई । अपने प्रिय भाई को देखते ही यमुना जी ने हर्ष विभोर हो उनका स्वागत सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न हो यम ने वर मांगने को कहा – यमुना ने कहा- हे भईया ! मैं आपसे यह वरदान मांगना चाहती हूं कि मेरे जल में स्नान करने वाले नर-नारी यमपुरी न जाएं। प्रश्न बड़ा कठिन था, यम के ऐसा वर देने से यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता। भाई को असमंजस में देखकर यमुना बोली- आप चिन्ता न करें मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन के यहां भोजन करके, इस मथुरा नगरी स्थित विश्राम घाट पर स्नान करें वह तुम्हारे लोक को न जाएं? इसे यमराज ने स्वीकार कर लिया। तब यमराज जी ने कहा कि इस तिथि को जो सज्जन बहन के घर भोजन नहीं करेंगे उन्हें मै बांधकर यमपुरी ले जाऊँगा और तुम्हारे जल में स्नान करने वालों को स्वर्ग प्राप्त होगा। तभी से यह त्यौहार मनाया जाता है।
भाई दूज की रोचक कथा / कहानी
एक बूढी औरत के सात बेटे और एक बेटी थी. बेटो पर सर्प की कुदृष्टि थी. जैसे ही उसके बेटे की शादी का सातवा फैरा होता सर्प उसे डस लेता. इस प्रकार बुढ़िया के छ: बेटे मर गए. अब उसने एक बेटे की शादी नहीं की. लेकिन बेटे को इस तरह से अकेला देख, उसकी बहन को बहुत दुःख हुआ. उसने उपाय करने की सोची, जिसके लिए वो एक ज्योतिष के पास गई. ज्योतिष ने उससे कहा तेरे भाईयों पर सर्प की कुदृष्टि हैं. अगर तू उसकी सारी बलाये अपने पर लेले तो उसकी जान बच सकती हैं. बहन ने यह बात सुनते ही रोद्र रूप सा ले लिया. अपने मायके आकर बैठ गई और भाई कुछ भी करे उसके पहले उसे करना होता था. अगर कोई ना माने तो जोर-जोर से लड़ती और भाई को गलियाँ देती. ऐसे में सब डरकर उसकी बात मान लेते. सभी उसकी निंदा करने लगे. पर उसने भी भाई की रक्षा की ठान रखी थी। अब उसके भाई की शादी का वक्त निकट आया, जैसे ही भाई को सेहरा बांधने को जीजा उठा. बहन चिल्लाने लगी कि पहले मेरा मान करो. मैं सहरा पहनूंगी. सबने उसे सेहरा दे दिया. उसके अंदर एक सांप था, जिसे बहन ने फेंक दिया. अब भाई घोड़े पर बैठा तो बोली की पहले मैं बैठूंगी वहाँ भी उसकी सुनी, जैसे ही वो बैठी घोड़े पर एक सांप था उसे भगाया. फिर बारात आगे निकली. जब दुल्हे का स्वागत हुआ. तब भी इसने कहा पहले मेरा स्वागत करो जैसे ही उसके गले में माला डाली उसमे भी सांप था. उसने उसे भी फेका. अब शादी शुरू हुई उस वक्त सांपो का राजा खुद डसने आया. तब बहन ने उसे पकड़ कर टोकनी में ढक दिया. फेरे होने लगे. तब नागिन बहन के पास आई बोली मेरे पति को छोड़. तब बहन बोली पहले मेरे भाई से अपनी कुदृष्टि हटाओ तब तेरे पति को छोडूंगी. नागिन ने ऐसा ही किया. इस प्रकार बहन ने दुनियाँ के सामने अपने आप को कर्कश साबित किया, लेकिन अपने भाई के प्राणों की रक्षा की।
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