भिलाई : 26 अक्टूबर, 2024, (सीजी संदेश) : स्व. बिंदेश्वरी बधेल शासकीय महाविद्यालय कुन्हारी में जनजातिय समाज का गौरवशाली अतीत (ऐतिहासिक, सामाजिक एवं अध्यात्मिक योगदान) विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही संस्था प्रमुख प्रायार्य डॉ. अमृता कस्तुरे ने स्वागत भाषण में जनजाति समुदाय के सांस्कृतिक जीवनशैली के बारे में जानकारी दी। बरतर के आराध्य देवी मां दंतेश्वरी से जुड़ी वहां के जनजातियों के सांस्कृतिक विरासत के बारे में छात्रों को अवगत कराया। उन्होनें ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्षय में आज की यूवा पीढ़ी उन सब पारम्परिक रीति रिवाजों से दूर होते जा रहेहैं। हमें बहुत कुछ इन जनजाति समाज से सीखने की जरूरत है। कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. अमृता पाठक ने मुख्यवक्ता का परिचय दिया। मुख्यवक्ता श्रीमती संगीता चौबे, सामाजिक कार्यकरता, वनवासी आश्रम समिति, रायपुर (छ ग) ने जनजातिय जननायकों के स्वतन्त्रता संग्राम उनके योगदान जिनके बारे में इतिहास के पन्नों में पढ़ने को प्रायः नहीं मिलता है। ऐसे जननायकों की गौरव गाथा के बारे में संक्षिप्त व्याख्यान प्रस्तुत किया। जिसमें वीरांगना रानी दुर्गावती के मुगल शासकों के सामने न झुकते हुए वीरता पूर्वक उनसे सर्घर्ष किया। ठीक ऐसे ही बिरसा मुंडा से भगवान बिरसा मुंडा की उपाधि कैसे मिली इस पर उन्होंने कहा की बिरसा मुंडा ने दिन दुखियों की सेवा की तथा जब इन मुंडाजनजातियों को असभ्य – अशिक्षित कह कर उन पर अंग्रेज़ों ने अनेक अत्याचार, शोषण दमनकारी नीति अपनायी तब बिरसा मुंडा ने सभी को एकजुट कर अंग्रेजों के विरूध्द जंग छेड़ दी और अंग्रेजों को दॉतों तले चने चबाने पर मजबूर कर दिया। एक समय ऐसा भी था जब अंग्रेज बिरसा मुंडा से खौफ खाते थे। अततः अंग्रेजों के बन्दूकों का सामना कब तक धनुष, बांन जैसे परंपरागत हथियार से लोहा ले पाते। बिरसा मुंडा को अंग्रेजों ने पकड लिया और जेल में डाल दिया जहाँ कुछ समय बाद उनकी मृत्यु हो गयी। आज के परिपेक्ष में जनजाति समाज के जीवन शैली पर भी संक्षेप में समझाने का प्रयास किथा।कार्यक्रम के संयोजक मुकेश कुमार ने जनजाति समाज के गौरवशाली अतीत विषय पर कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने कहा कि 5 अक्टूबर को रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती मनायी गयी। तथा आने वाले 15 नवम्बर को भगवान बिरसा नुंडा की 150वीं जयंती मनाया जायेगा। इस बीच के समय को जनजाति गौरव सप्ताह घोषित किया गया है। जिसमें उन जनजाति जननायकों की वीरगाथा को बताना जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम, समाज सुधार में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। छात्र – छात्राओं को उनसे परिचित कराना। इसी तारतम्य में विविध कार्यकम जैसे- पोस्टर, निबंध, सुआ नृत्य, जनजाति संस्कृति पर आधारित आभूषणों, जनजाति नायकों की प्रदर्शनी, प्रतियोगिता में भाग लिये छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र का वितरण किया गया। आजादी के 75 वॉ वर्ष पूरा होने पर इस समय पूरा देशअमृत महोत्सव मना रहा है। जिसका ध्येय वाक्य सबका साथ सबका विकास है। जिसमें सबकी भूमिका महत्वपूर्ण है। अगले 25 वर्षों में भारत को विकसित भारत 2047 बनाने का प्रधानमंत्री की सोच है । उसी के दिशा-निर्देशनुसार यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।कार्यक्रम का सांचालन डॉ. मौसामी रॉय चौधरी ने किया। इस कार्यक्रम में डॉ. कावेरी जायरावाल, डॉ. पदमा सोमनाथे, श्रीमति मालती पैकरा, श्रीमति एन. जयश्री, श्रीमति श्वेता दवे, कु. नेहावर्मा, कु. अर्चना उरॉव, डॉ. आरती वर्मा, जगमोहन नागवंशी, त्रिलोक यादव, टिकेश्वरी एवंसमस्त छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।