शिक्षक दिवस मतलब शिक्षकों का दिन, यही वह दिन है जब हर जगह विध्यार्थी अपने गुरु के प्रति आदर प्रकट करता है उसे वह सम्मान देता है जिसका वह हकदार है. वैसे देखा जाए तो शिक्षक आदर सम्मान प्राप्त करने के लिए किसी दिन का मोहताज नहीं है, परंतु एक विशेष दिन होने से वह उस दिन कुछ विशेष सम्मान पाता है और विद्यार्थीयों को भी अपने गुरु की महिमा का पता चलता है।
एक शिक्षक वो होता है जो अपने शिष्य के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणा का काम करता है, फिर चाहे वो किसी भी आयु का हो| उन पर मूल्यों और नैतिकता का पाठ पढ़ाने की भी जिम्मेदारी होती है| भारत में प्राचीन काल से ही गुरुओं के प्रति सम्मान का भाव रखा जाता रहा है| हर साल 5 सितंबर को पूरे भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। भारत भर के स्कूल और उच्च शिक्षण संस्थान डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और देश के उन सभी शिक्षकों को श्रद्धांजलि देकर इस दिन को मनाते हैं ,जो छात्रों को सीखने में मदद करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। भारत में शिक्षक दिवस डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। वे एक महान दार्शनिक और विद्वान थे। उन्हें 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और 1963 में उन्हें ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट की मानद सदस्यता प्रदान की गई थी। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ था। एक प्रसिद्ध शिक्षक, डॉ. राधाकृष्णन ने कलकत्ता विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। वह एक विपुल लेखक भी थे और उन्होंने अमेरिका और यूरोप में अपने व्याख्यानों के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा दिया। आज के समय, टीचर्स डे के दिन शिक्षकों के प्रयासों को याद किया जाता है| इस साल 2024 में हम 63वां राष्ट्रीय शिक्षक दिवस और सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 136वीं जयंती मना रहे है। हमारे जीवन में गुरु का दर्जा भगवान के समान हैं गुरु ही हैं जो बच्चों को ज्ञान की राह दिखाते हैं और उन्हें उनके उज्जवल भविष्य के लिए तैयार करते हैं। जैसा की हम सब जानते है की एक पक्की नीव पर ही एक सुदृढ़ भवन खड़ा किया जा सकता है. ठीक उसी प्रकार से शिक्षक ही वह व्यक्ति है जो विद्यार्थी रूपी नीव को सुदृढ़ करके उसपर भविष्य में सफलता रूपी सुदृढ़ भवन खड़ा करने में सहायता करता है और उसे एक सफल इंसान बनाता है. अतः प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है, इसलिए उसका सम्मान बहुत ही आवश्यक है. जो विद्यार्थी अपने शिक्षक का आदर नहीं करता वह अपने शिक्षक के महत्व से अंजान होता है और भविष्य में पछताता है। आइये जानते हैं राष्ट्रीय शिक्षक दिवस कब और क्यों मनाया जाता है।
राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के बारे में जानकारी
नाम: राष्ट्रीय शिक्षक दिवस (National Teacher’s Day)
स्मृति दिवस: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
तिथि: 05 सितंबर (वार्षिक)
पहली बार: वर्ष 1962
उद्देश्य: शिक्षकों और उनके महत्वपूर्ण कार्यों को सम्मानित करना।
थीम : “एक सतत भविष्य के लिए शिक्षकों को सशक्त बनाना”एक सतत भविष्य के लिए शिक्षकों को सशक्त बनाना”
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन थे?
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारत के प्रसिद्ध शिक्षक, बड़े विद्वान, गहरी सोच व विश्वास वाले व्यक्ति होने के साथ ही भारतीय संस्कृति के संवाहक, एक महान दार्शनिक और प्रख्यात शिक्षाविद भी थे। उनका जन्म तमिलनाडु के चित्तूर जिले के तिरुतनी गाँव में 5 सितंबर 1888 को हुआ था। वे देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति भी रह चुके है, इसके अलावा उन्हें वर्ष 1954 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चूका है। राजनीति में कदम रखने से पहले वे एक सम्मानित अकादमिक थे और कई कॉलेजों में प्रोफेसर भी रह चुके थे। अंततः दीर्घकालीन बिमारियों के कारण 17 अप्रैल 1975 को चेन्नई में डॉ. राधाकृष्णन का निधन हो गया।
भारत और अन्य देशों में शिक्षक दिवस कब मनाते हैं |
विश्व भर में शिक्षकों को सम्मान देने के लिए टीचर डे मनाया जाता है| भारत में यह दिन हर साल 5 सितम्बर को, डॉ सर्वेपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाते हैं| वह प्रसिद्ध विद्वान्, भारत रत्न, भारत के पहले उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे| उनका जन्म 5 सितम्बर 1888 को हुआ| शिक्षा के छेत्र की बात करें तो वह एक शिक्षाविद के रूप में एक प्रतिष्ठित दूत और एक महान शिक्षक थे| डॉ राधाकृष्णन जब 1962 में भारत के राष्ट्रपति बने तो उनके कुछ दोस्तों और छात्रों ने उनसे संपर्क करके उनका जन्मदिन मनाने की अनुमति मांगनी चाही| इस पर डॉ राधाकृष्णन ने उन्हें इस दिन को विवेकपूर्ण ढंग से देखने के बजाय एक शिक्षक दिवस के रूप में देखने की इच्छा जताई| इस तरह का अनुरोध उनका शिक्षकों के प्रति प्यार और निष्ठा दर्शाता है| तब से 5 सितम्बर को टीचर्स डे के रूप में मनाया जाता है| एक खास बात यह भी है कि अध्यापकों को समर्पित यह दिन विश्व के अधिकांश देशों में मनाया जाता है लेकिन इसके मनाए जाने के दिन अलग-अलग निर्धारित किए गए हैं।
* जहाँ भारत में नेशनल टीचर्स डे 05 सितम्बर को मनाया जाता है तो वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक दिवस (International Teacher’s Day) 5 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसकी घोषणा यूनेस्को ने वर्ष 1994 में की थी।
* भारत का पडोसी देश पाकिस्तान 5 अक्टूबर को टीचर्स डे मनाता जाता है, और चीन यह दिन 10 सितंबर को मनाता है।
* यूएस में मई के पहले सप्ताह के पहले मंगलवार को शिक्षक दिवस मनाया जाता है
* वही थायलैंड में 16 जनवरी को शिक्षक दिवस मनाते है।
* ईरान में 2 मई को शिक्षक दिवस मनाते है
* तो टर्की में 24 नवम्बर को,
* मलेशिया में 16 मई को शिक्षक दिवस मनाते है।
* युनेस्को में 1994 के बाद शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा और यह दिन वहाँ 5 अक्टूबर को मनाया जाता है।
* अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक दिवस 5 अक्टूम्बर को मनाया जाता है, साल 1966 में इस दिन एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में टीचिंग इन फ़्रीडम संधि पर हस्ताक्षर किये गए, इस संधि के द्वारा शिक्षकों के अधिकार उनकी ज़िम्मेदारी उनके सीखने सीखाने के नियम संबन्धित नियमों पर विचार किया गया. 1977 में पुनः एक सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें उच्च शिक्षा से जुड़े शिक्षकों कि स्थिति पर युनेस्को ने विचार किया. शिक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल युनेस्को द्वारा इस दिन को मनाया जाता है।
राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पहली बार कब मनाया गया था?
भारत में पहली बार वर्ष 1962 में 5 सितंबर को देश के पूर्व राष्ट्रपति और एक प्रसिद्ध शिक्षक तथा शिक्षा के प्रवर्तक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया गया था।
टीचर्स डे क्यों मनाया जाता है?
शिक्षक दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के जीवन को सही दिशा देने वाले देश के सभी गुरूओं और उनके महत्वपूर्ण कार्यों को सम्मान देना तथा भावी पीढ़ियों के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षकों के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। इसके अलावा एक अनुशासित समाज और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए उनका आभार व्यक्त करना भी इसका मुख्य मकसद हो सकता है। यह दिन उन फेक गुरुओं, ढोंगी टीचरों और फर्जी अध्यापकों के लिए भी एक जागृति और चेतावनी का दिन है, जो बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
शिक्षक का हमारे जीवन में महत्व
किसी भी व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, शिक्षक समाज के उन आदर्श व्यक्तियों में से एक है जिनके कंधों पर देश के भविष्य को उज्जवल बनाने का दारोमदार होता है। एक अच्छा टीचर ही एक सभ्य समाज का निर्माता हो सकता है। अध्यापकों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होना चाहिए क्योकि, हमारी जिंदगी को सही आकार देने में इनका बहुत बड़ा हाथ है। वे गुरु ही है जो हमारे प्रथम मार्गदर्शक होते और हमें अनुशासित जीवन जीना सिखाते है, जिससे हम सही-गलत में भेद कर पाते हैं। अपने गुरु या अध्यापकों से मिली शिक्षा के बदौलत ही हमारा मार्गदर्शन होता है और हम एक सभ्य और संपूर्ण मनुष्य बनते हैं। उनके द्वारा दिए गए ज्ञान रूपी प्रकाश से ही हम समाज के अंधकार को दूर कर सकते हैं।
शिक्षक दिवस का महत्व
भारत में गुरु शिष्य आदर कि परंपरा बहुत पुरानी है. एक छात्र के जीवन में उसका उसका शिक्षक ही उसका भविष्य निर्माता होता है यह बात प्रचिन काल से लोग जानते थे. हमारे देश में पहले छात्र आश्रम में रहते थे और शिक्षा ग्रहण करते थे, उन्हे शिक्षा प्राप्ति के लिए कठिन परिश्रम करना पढ़ता था. बड़े बड़े राजा महाराजा की संताने भी कठिन परिस्थितियों में आश्रम में रहती थी और शिक्षा ग्रहण करती थी. वें आश्रम में रहकर अपने गुरु कि सेवा भी करते थे और शिक्षा भी ग्रहण करते थे. छात्र अपने जीवन का एक बहोत बढ़ा हिस्सा शिक्षा ग्रहण करते हुये आश्रम में गुरु कि सेवा में बिताते थे. और गुरु शिक्षा प्राप्ति के बाद अपने शिष्यों से गुरु दीक्षा में मनचाही गुरु दक्षिणा लेते थे, और शिष्य भी बिना हिसके गुरु दीक्षा देने के लिए सबकुछ करते थे. हमारे देश में एकलव्य और आरुणी जैसे शिष्य भी हुये है जिन्होने अपनें गुरु के आदेश मात्र पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था और जन्मजन्मांतर तक के लिए अपना नाम अमर कर दिया. परंतु आज के समय में शिक्षा प्रणाली और गुरुओं कि स्थिति में काफी परिवर्तन आया है. आज शिक्षक को उसकी शिक्षा का मूल्य विद्यार्थी पैसों के रूप में देता है. आज विद्यार्थियों के मन में शिक्षक का सम्मान भी वैसा नहीं रहा. आज के युग में शिक्षक के महत्व को बनाए रखने के लिए शिक्षक दिवस जैसे दिन का निर्धारण बहोत जरूरी था, ताकि इस दिन सभी विद्यार्थी व्भिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अपने गुरु कि महिमा को जन पाये और उनका सम्मान करे।
* शिक्षक दिवस एक ऐसा आयोजन है जिसके लिए छात्र और शिक्षक दोनों समान रूप से तत्पर रहते हैं| जहाँ छात्रों को यह अपने शिक्षकों द्वारा उन्हें उचित शिक्षा देने के प्रयासों को समझने का मौका मिलता है वहीँ इस दिन शिक्षकों को उनके प्रयासों के लिए छात्रों के साथ अन्य एजेंसियों द्वारा मान्यता और सम्मानित होने का गर्व होता है| इस दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है|
* 5 सितम्बर को टीचर्स और छात्र हमेशा की तरह स्कूल आते हैं लेकिन सामान्य गतिविधियों और कक्षाओं को उत्सव और धन्यवाद के रूप में बदल दिया जाता है| कई स्कूलों में बड़े छात्र अपने शिक्षकों के प्रति प्रशंसा दिखाने के लिए छोटी कक्षाओं में पढ़ाते हैं|
* शिक्षक दिवस के दिन अपने खुद के शिक्षक और गुरुओं के अलावा हम डॉ. राधाकृष्णन के जीवन से भी प्रेरणा ले सकते हैं जिन्होंने शिक्षा के बलबूते एक छोटे से गांव से उठकर भारत का प्रतिष्ठित राजनेता बनने तक का सफर किया|
शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है?
* नेशनल टीचर्स डे को भारत में काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है, इस दिन सभी स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षिक संस्थानों में शिक्षकों के लिए मनोरंजक कार्यक्रमों तथा मजेदार गेम्स और नाटकों आदि का आयोजन किया जाता है।
* इसके अलावा विद्यार्थी अपने पसंदीदा शिक्षकों को ख़ास उपहार (गिफ्ट) भेंट करते हैं तथा उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं।
* इस दिन शिक्षकों को आराम दिया जाता है तथा स्कूल-कॉलेजों के सीनियर छात्र अपने पसंदीदा टीचरों की भूमिका निभाते हुए उनकी खूबियां बताते हैं, स्कूलों में छात्र अध्यापक बनकर उनकी वेशभूषा धारण करके विद्यालयों में पहुंचते हैं।
* पूरे दिन कोशिश की जाती है कि शिक्षको का ध्यान रखा जाए और उन्हें खुशियां और दिल से आदर-सम्मान दिया जाए।
शिक्षक दिवस 2024 की थीम
शिक्षक दिवस 2024 “एक सतत भविष्य के लिए शिक्षकों को सशक्त बनाना” थीम पर केंद्रित है। यह थीम पर्यावरण के प्रति जागरूक, सामाजिक रूप से जिम्मेदार और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार पीढ़ी को आकार देने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है। यह शिक्षकों को स्थिरता को बढ़ावा देने और जिम्मेदार वैश्विक नागरिकों को पोषित करने के लिए आवश्यक उपकरणों और ज्ञान से लैस करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। हर साल, शिक्षक दिवस एक अनूठी थीम के साथ मनाया जाता है जो हमारे समाज में शिक्षकों के विकसित होते प्रभाव को दर्शाता है।
शिक्षक दिवस 2024 पुरस्कार
देशभर के शिक्षकों की लगन और मेहनत को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने देश के प्रतिष्ठित सम्मान राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की घोषणा की है, जो हर साल भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है. इस बार वर्ष 2024 के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की घोषणा की गई है और 5 सितंबर 2024 को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 50 प्रतिष्ठित शिक्षकों को इस पुरस्कार से सम्मानित करेंगी. राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पुरस्कार 2024 के लिए चयनित शिक्षकों के लिए पुरस्कार समारोह विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा. शिक्षकों को 5 सितंबर को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
शिक्षक दिवस 2024 के सम्मान में राष्ट्रपति द्वारा क्या दिया जाएगा
शिक्षक दिवस 2024 के सम्मान में, राष्ट्रपति द्वारा चुने गए शिक्षकों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों को सम्मानित करने और मनाने के लिए उनकी उत्कृष्टता के लिए 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार, एक रजत पदक और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा, जिन्होंने अपने छात्रों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है और भारत की शैक्षिक प्रणाली की उन्नति में योगदान दिया है।
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 प्राप्त करने वाले सभी 50 शिक्षकों के नाम
* अविनाशा शर्मा (हरियाणा)
* सुनील कुमार (हिमाचल प्रदेश)
* पंकज कुमार गोयल (पंजाब)
* राजिंदर सिंह (पंजाब)
* बलजिंदर सिंह बराड़ (राजस्थान)
* हुकम चंद चौधरी (राजस्थान)
* कुसुम लता गरिया (उत्तराखंड)
* चंद्रलेखा दामोदर मेस्त्री (गोवा)
* चंद्रेश कुमार बोलाशंकर बोरिसागर (गुजरात)
* विनय शशिकांत पटेल (गुजरात)
* माधव प्रसाद पटेल (मध्य प्रदेश)
* सुनीता गोधा (मध्य प्रदेश)
* के. शारदा (छत्तीसगढ़)
* नरसिम्हा मूर्ति एच. के. (कर्नाटक)
* द्विति चंद्र साहू (ओडिशा)
* संतोष कुमार कर (ओडिशा)
* आशीष कुमार रॉय (पश्चिम बंगाल)
* प्रशांत कुमार मारिक (पश्चिम बंगाल)
* उरफाना अमीन (जम्मू और कश्मीर)
* रविकांत द्विवेदी (उत्तर प्रदेश)
* श्याम प्रकाश मौर्य (उत्तर प्रदेश)
* डॉ. मिनाक्षी कुमारी (बिहार)
* सिकेन्द्र कुमार सुमन (बिहार)
* के. सुमा (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह)
* सुनीता गुप्ता (मध्य प्रदेश)
* चारू शर्मा (दिल्ली)
* अशोक सेनगुप्ता (कर्नाटक)
* एच. एन. गिरीश (कर्नाटक)
* नारायणस्वामी आर (कर्नाटक)
* ज्योति पंका (अरुणाचल प्रदेश)
* लेफिज़ो अपोन (नागालैंड)
* नंदिता चोंगथम (मणिपुर)
** यांकिला लामा (सिक्किम)
* जोसेफ वनलालहरूइया सेल (मिजोरम)
* एवरलास्टिंग पिंगरोप (मेघालय)
* डॉ. नानी गोपाल देबनाथ (त्रिपुरा)
* दीपेन खानिकर (असम)
* डॉ. आशा रानी (झारखंड)
* जिनु जॉर्ज (केरल)
* के. शिवप्रसाद (केरल)
* मिडी श्रीनिवास राव (आंध्र प्रदेश)
* सुरेश कुनाती (आंध्र प्रदेश)
* प्रभाकर रेड्डी पेसरा (तेलंगाना)
* थदुरी संपत कुमार (तेलंगाना)
* पल्लवी शर्मा (दिल्ली)
* चारु मैनी (हरियाणा)
* गोपीनाथ आर (तमिल)
* मुरलीधरन रमिया सेथुरमन (तमिल)
* मंतैया चिन्नी बेडके (महाराष्ट्र)
* सागर चित्तरंजन बागडे आर (महाराष्ट्र)
भारत की पहली महिला शिक्षिका कौन थी?
सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका के तौर पर जानी जाती हैं। उन्होंने बालिका शिक्षा पर जोर देने के साथ ही उनके लिए विद्यालय खोलने की भी शुरूआत की और समाज में फैली कई कुरीतियों का डटकर सामना किया।
शिक्षक दिवस के लिए टॉप 5 गिफ्ट्स
ग्रीटिंग कार्ड : दिल को छू लेने वाले नोट के साथ एक सजाया हुआ कार्ड हमेशा खास होता है। इस टीचर्स डे 2021 में अपने शिक्षकों के लिए एक कार्ड खरीदें या एक कार्ड बनाएं। उसमें लिखें कि आप उनका कितना सम्मान करते हैं। वे आपके लिए क्या मायने रखते हैं।
पौधा : एक अच्छा हरा पौधा आपके टीचर्स को खुश कर देगा। मनी प्लांट, बैम्बू प्लांट या जेड प्लांट आपके शिक्षक की टेबल को अच्छा बना देगा।
रबर स्टाम्प सेट : टीचर हमेशा पेपर चेक करते हैं। इस टीचर्स डे पर रबर स्टैंप सेट एक बढ़िया गिफ्ट ऑप्शन है।
बुक : एक अच्छी बुक हमेशा एक अच्छा उपहार होती है। जो टीचर किताब या नोवल पढ़ना पसंद करते हैं। उनके लिए यह बहुत ही विचारशील उपहार होगा।
डायरी : इस शिक्षक दिवस अपने टीचर्स को सुंदर डिजाइन की हुई डायरी भी गिफ्ट में दे सकते हैं।
शिक्षक को आमतौर पर भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है. टीचर ही व्यक्ति को पढ़ा-लिखाकर कुछ अच्छा करने के काबिल बनाता है. किताबी ज्ञान से लेकर लाइफ स्किल्स के पाठ, सब एक टीचर ही बच्चे को सिखाता है. व्यक्ति के मां-पिता भी उसके टीचर समान ही हैं, जो उसे जिंदगी जीना सिखाते हैं. टीचर्स कच्ची मिट्टी जैसे छोटे बच्चों को मजबूत घड़े जैसा युवा बनाते हैं. ऐसे में बच्चों को भी शिक्षकों के योगदान के बारे में बताया जाना चाहिए, जिससे उनमें अच्छी वैल्यू विकसित हो और वे जागरूक बनें।