हर साल 20 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय चंद्रमा दिवस या (International Moon Day) मनाया जाता है। क्योंकि चंद्रमा पर 20 जुलाई साल 1969 को मनुष्य ने पहली बार पर कदम रखा था। नासा द्वारा चंद्रमा पर मनुष्य के पहली बार कदम रखने को आज तक की सबसे बड़ी तकनीकी उपलब्धि माना जाता है। इसलिए इस दिन को चंद्रमा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 20 जुलाई 1969 को 20:17 बजे अपोलो 11 पृथ्वी के एकमात्र सेटेलाइट पर उतरा था। और तभी से इस दिन को बहुत उत्साह के साथ सेलिब्रेट किया जाता है, क्योंकि इस दिन के बाद से सभी लोगों को यह विश्वास हो गया था, कि मनुष्य पूरे ब्रह्मांड की यात्रा करने में सक्षम है।
आज यानि 20 जुलाई को पूरी दुनिया में अन्तर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस मनाया जा रहा है जो दिन 54 साल पहले अपोलो मून मिशन को समर्पित होता है। इस दिन ही 20 जुलाई 1969 को पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) ने चंद्रमा पर कदम रखा था। इस दिन के बाद से इस खास दिन को पूरी दुनियाभर में मनाया जाता है। 20 जुलाई 1969 का दिन अंतरिक्ष की दुनिया, खास तौर से चंद्रमा के लिए एतिहासिक दिन था. अमरिका के नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चंद्रमा की सतह पर कदम रख कर इतिहास रच दिया था. इसी दिन की याद में संयुक्त राष्ट्र ने हर साल को अंतरराष्ट्रीय मून डे के तौर पर मनाने का फैसला किया था. इस दिन अमेरिका के नासा का अपोलो 11 यान चंद्रमा पर पहुंचा था और नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन चंद्रमा की सतह पर उतरे और उस स्थान को ट्रन्क्वेलिटी बेस नाम दिया गया है. चंद्रमा के प्रति इंसानी संवेदना इसी से समझा जा सकता है कि इस पर मानव स्पर्श के बावजूद चंद्र-दर्शन एवं व्रत-पर्व आदि मनाने की परंपरा सदियों से निभाई जा रही है. हिंदू धर्म कथाओं में तो चंद्रमा को चंद्र देव के रूप में भी परिभाषित किया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों की आविष्कारी प्रवृत्ति चंद्रमा पर जीवन तलाशने की हर संभावनाओं को खंगाल रही है. इसी से प्रेरित होकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2021 से प्रत्येक वर्ष 20 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस मनाने का फैसला किया. गौरतलब है कि इसी दिन ‘अपोलो 11 चंद्र-मिशन’ के तहत इंसान ने पहली बार चंद्रमा पर कदम रखा था. ऐसे में अमेरिका और भारत की चंद्रमा के लिए कितने आगे बढ़ रहे है यह जानना भी जरूरी है. अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस पर आइये जानते हैं, चंद्रमा एवं अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस के बारे में विस्तार से
दो साल पहले ही मून डे की शुरुआत
हैरानी की बात लग सकती है लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने साल 2021 में ही “इंटेरनेशनल कोऑपरेशन इन पीसपुल यूजेस ऑफ आउटर स्पेस” अपने 76/76 संकल्प अपनाने के साथ ही इंटरननेशनलन मून डे को मनाने का ऐलान किया था. संयुक्त राष्ट्र ने कहा था चंद्रमा के अन्वेषण के प्रयास जारी रहते हुए यह दिवस दुनिया के इतिहास की याद दिलाने का साथ भविष्य के प्रयासों पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करेगा।
अंतर्राष्ट्रीय चंद्र दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय चंद्र दिवस का पहला वैश्विक उत्सव 20 जुलाई 2022 को हुआ। 16 जुलाई, 1969 को, नासा का अपोलो 11 मिशन फ्लोरिडा, यू.एस.ए. के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ. रॉकेट शिप पर तीन अंतरिक्ष यात्री सवार थे. नील आर्मस्ट्रांग, एडविन ‘बज’ एल्ड्रिन और माइकल कोलिन्स. 20 जुलाई को दोपहर 1:46 बजे, ‘ईगल’ नामक चंद्र मॉड्यूल, जिसमें केवल एल्ड्रिन और आर्मस्ट्रांग थे, कमांड मॉड्यूल से अलग हो गया, जहां कोलिन्स थे. उस दिन रात ठीक 10:56 बजे, आर्मस्ट्रांग सीढ़ी से उतरते ही चंद्रमा पर पैर रखने वाले पहले इंसान बन गए, अंतरिक्ष यान अपोलो 11 ने कमांडर नील आर्मस्ट्रांग और चंद्र मॉड्यूल पायलट, बज़ एल्ड्रिन और माइकल कोलिन्स को पहली बार चंद्रमा पर पहुंचाया। अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और एडविन ‘बज़’ एल्ड्रिन 20 जुलाई 1969 को चंद्रमा पर उतरने वाले इतिहास के पहले इंसान बने। “ भव्य अपोलो 11 मिशन 1960 के दशक के अंत तक चंद्रमा पर एक आदमी को भेजने के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा राष्ट्रीय लक्ष्य की घोषणा के आठ साल बाद हुआ था। 16 जुलाई 1969 को सुबह 9:32 बजे, पूरी दुनिया ने अपोलो 11 को तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरते देखा। उन्होंने एक प्रसिद्ध उद्धरण दिया जो अब पूरी दुनिया में जाना जाता है: ‘यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है, मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग है’ वास्तव में, आर्मस्ट्रांग ने दावा किया कि उन्होंने वास्तव में कहा था, ‘यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है, मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग है.’ उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे माइक्रोफोन के कारण उनके शब्द अस्पष्ट थे. उन्नीस मिनट बाद, एल्ड्रिन ने भी चांद की सतह पर अपने पैर रखे. अगले कई घंटों तक, दोनों ने अमेरिकी ध्वज लगाया, आस-पास की तस्वीरें लीं और यहां तक कि राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से भी बात की. उस रात, एल्ड्रिन और आर्मस्ट्रांग चांद की सतह पर चंद्र मॉड्यूल में सोए. 21 जुलाई को दोपहर 1:45 बजे तक, ईगल ने दूसरे मॉड्यूल पर वापस चढ़ना शुरू कर दिया और लगभग चार घंटे बाद सफलतापूर्वक उसमें वापस आ गया. अंत में 22 जुलाई को सुबह 12:56 बजे पृथ्वी पर वापसी की यात्रा शुरू हुई और अपोलो 11 ने 24 जुलाई को दोपहर 12:50 बजे प्रशांत महासागर में सुरक्षित रूप से छलांग लगाई.नील आर्मस्ट्रांग मिशन के कमांडर थे। जब ईगल ने चंद्रमा की सतह को छुआ, तो आर्मस्ट्रांग ने टेक्सास के ह्यूस्टन स्थित मिशन कंट्रोल को अपना ऐतिहासिक संदेश भेजा: “ईगल उतर चुका है।”
अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस 2024 थीम
अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस 2024 का विषय “छाया को रोशन करना” है । इसका लक्ष्य आम जनता को यह बताना है कि स्थायी चंद्र अन्वेषण करना कितना महत्वपूर्ण है। अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस का पहला वैश्विक उत्सव 20 जुलाई, 2022 को मनाया गया। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर पहली बार मानव के उतरने की याद दिलाना और स्थायी चंद्रमा अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है।
उन दिनों अंतरिक्ष क्षेत्र का माहौल
यह अभियान कई लिहाज से खास माना जाता है. शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ और अमेरिका के बीच स्पेस रेस में पहली बार अमेरिका सोवियत संघ से आगे निकल सका. नहीं तो चाहे पहला अंतरिक्ष यान हो या पहली अंतरिक्ष यात्रा दोनों में सोवियत संघ ही आगे रहा था. यहां गौर करने वाली बात यह है कि उस दौर में इन दोनों देशों के अलावा दुनिया का कोई भी देश चंद्रमा तो दूर अंतरिक्ष में भी उपग्रह भेजने सोच नहीं पाता था।
अपोलो अभियान की लगातार सफलता
चंद्रमा पर आर्मस्ट्रॉन्ग और बज ने चंद्रमा पर 21 घंटे का समय गुजारा और चंद्रमा से 21.5 किलो के नमूने जमा किए. इस दौरान चंद्रमा की कक्षा में माइकल कोलिन्स कोलंबिया कमांड मॉड्यूल में मौजूद थे. जिससे जुड़ने के बाद तीनों ने पृथ्वी पर वापसी की. इसके बाद 1972 छह और अपोलो अभियान में कुल 12 अमेरिकी नागरिकों ने चंद्रमा की यात्रा की।
अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस का महत्व
मून विलेज एसोसिएशन और उसके संगठन के एक समूह ने अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। इस दिन को मनाने का उद्देश्य आम जनता, विशेष रूप से हमारी युवा पीढ़ी तक पहुंचना और उन्हें ज्योतिष और खगोल विज्ञान के बारे में सिखाना है। अंतरिक्ष अन्वेषण दुनिया को अगली पीढ़ी को प्रेरित करने, अभूतपूर्व खोज करने और नए अवसर पैदा करने के लिए एकजुट करता है. मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए हम जो तकनीक और मिशन विकसित करते हैं. उनका पृथ्वी पर हजारों अनुप्रयोग हैं, जो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं. नए करियर पथ बनाते हैं और हमारे चारों ओर रोजमर्रा की तकनीकों को आगे बढ़ाते हैं. खोज की खोज नासा को ऐसे मिशन विकसित करने के लिए प्रेरित करती है जो हमें पृथ्वी, सौर मंडल और हमारे आस-पास के ब्रह्मांड के बारे में सिखाते हैं. नासा में विज्ञान तूफान के गठन जैसे व्यावहारिक, चंद्र संसाधनों की संभावना जैसे आकर्षक, भारहीनता में व्यवहार जैसे आश्चर्यजनक और ब्रह्मांड की उत्पत्ति जैसे गहन प्रश्नों का उत्तर देता है. अंतरिक्ष अन्वेषण के परिणामस्वरूप नई खोजें की जाती हैं. अंतरिक्ष में सितारों, ग्रहों और अन्य खगोलीय पिंडों की जांच के माध्यम से, वैज्ञानिक हमारे ब्रह्मांड के बारे में अमूल्य ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं. अंतरिक्ष यात्रा ने हमारी आंखों को बहुत सी जानकारी के लिए खोल दिया है, जिसमें हमारे सौर मंडल के विशाल ग्रहों से लेकर अरबों प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाशगंगाएं शामिल हैं।
आज चंद्रमा पर ही है दुनिया का ध्यान
आज भारत सहित दुनिया के कई देश चंद्रमा अपने अभियान भेजने में लगे हैं. आज इस दिन की वर्षगांठ पर इस साल चंद्रमा को लेकर दुनिया में खासी हलचल है. अभी भारत का चंद्रयान-3 अभियान चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है. रूस अपने अगले लूना यान की तैयारी में हैं और अगले साल तक नासा का आर्टिमिस 2अभियान भी पूरा हो चुका होगा. जिसके बाद आर्टिमिस -3 अभियान के जरिए पहली महिला और गैर श्वेत पुरुष को चंद्रमा की सतह पर लंबे समय के लिए भेजा जाएगा।
आर्टिमिस अभियान और उसका मकसद
1972 के बाद नासा ने 2017 में आर्टिमिस अभियान की परिकल्पना की और 2024 तक चंद्रमा पर पहली महिला के साथ पहले गैरश्वेत पुरुष को चंद्रमा की सतह पर उतारने का लक्ष्य बनाया. तीन चरणों के इस अभियान का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है. लेकिन अभियान की अंतिम तारीख 2025 से भी आगे चली गई है. वहीं भारत की बात करें तो भारत ने सबसे पहले चंद्रयान 1 अभियान 2008 में लॉन्च किया था जिसने चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति के प्रमाण हासिल किए. इस अभियान के साथ इसरो ने मून इम्पैक्ट प्रोब को भी चंद्रमा की सतह पर उतरा था. चंद्रयान 1 की सफलता से उत्साहित होकर इसरो ने चंद्रयान 2 को 2019 में प्रक्षेपित किया जिसके साथ एक लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर भेजा गया. लेकिन इसके लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग में असफल रहा. अब चंद्रयान 3 14 जुलाई को सफल प्रक्षेपण के बाद चंद्रमा की ओर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अग्रसर है।
अंतरिक्ष अन्वेषण हमें हमारे ग्रह के बारे में शिक्षित करता है
बाहरी अंतरिक्ष का अध्ययन करने से हमें अपने ग्रह के बारे में और अधिक जानने में भी मदद मिल सकती है. अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखकर, शोधकर्ता जलवायु परिवर्तन और हमारे पर्यावरण पर इसके प्रभावों जैसी चीजों का निरीक्षण कर सकते हैं. यह जानकारी यह समझने के लिए आवश्यक है कि हमारे ग्रह की बेहतर देखभाल कैसे की जाए और इसे किसी भी अन्य नुकसान से कैसे बचाया जाए।
अंतरिक्ष अन्वेषण पर भारतीय अंतरिक्ष संगठन
भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र एक तेजी से बढ़ता हुआ उद्योग है, जिसमें निवेश और व्यवसायों के लिए काफी बेहतर अवसर हैं. वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की दृष्टि से भारत अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना 1969 में हुई थी और इसने 1975 में भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट प्रक्षेपित किया था. तब से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कई सफल मिशन लॉन्च किए हैं, जिनमें मंगल ऑर्बिटर मिशन और चंद्रमा पर चंद्रयान मिशन शामिल हैं, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की क्षमताओं का प्रदर्शन करते हैं।
इसरो द्वारा आगामी अंतरिक्ष मिशन 2024
* गगनयान 1,2024 एनआईएसएआर
* मध्य 2025-गगनयान 2
* 2025-वीनस ऑर्बिटर मिशन (शुक्रयान)
* 2026-मार्स ऑर्बिटर मिशन 2 (मंगलयान 2)
* 2026-चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन
* 2026– गगनयान 3
* 2028-चंद्रयान-4
* 2028-2035-भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन
* टीबीडी- एस्ट्रोसैट-2
अंतरिक्ष उड़ान और अंतरिक्ष अन्वेषण इतिहास में यादगार घटनाएं
अंतरिक्ष का पहला उपग्रह: अंतरिक्ष युग की शुरुआत 4 अक्टूबर, 1957 को हुई, जब स्पुतनिक 1 को मनुष्यों द्वारा पहले उपग्रह के रूप में लॉन्च किया गया था. ब्रिटानिका पर एयरोस्पेस उद्योग के लेख में कहा गया है कि 1957 में स्पुतनिक के प्रक्षेपण ने सोवियत संघ की क्षमता और बड़े-मिसाइल विकास और उत्पादन के लिए पहुंच को प्रदर्शित किया, साथ ही एक नए क्षेत्र में उनके तकनीकी नेतृत्व को भी प्रदर्शित किया. यह नेतृत्व मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान युग में भी जारी रहा और प्रौद्योगिकी के लिए एक सरल लेकिन परिष्कृत दृष्टिकोण का उपयोग करके अंतरिक्ष वाहनों और अंतरिक्ष स्टेशनों के अभिनव युग में भी जारी रहा।
अंतरिक्ष में पहली बार मनुष्य: अंतरिक्ष में जाने वाले पहले मनुष्य यूरी ए. गगारिन थे, जो 12 अप्रैल, 1961 को वोस्तोक 1 अंतरिक्ष यान पर यात्रा कर रहे थे. यह यात्रा मॉस्को समयानुसार सुबह 9:07 बजे शुरू हुई. पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करने में उन्हें एक घंटा और 29 मिनट लगे और सोवियत संघ में सुबह 10:55 बजे पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी के साथ समाप्त हुई. परिणामस्वरूप गगारिन को तुरंत अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी मिली।
चंद्र लैंडिंग:20वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अन्वेषण घटनाओं में से एक अपोलो 11 अंतरिक्ष उड़ान थी, जो 20 जुलाई, 1969 को चंद्रमा पर पहले मनुष्यों को उतारने के अपने मिशन में सफल रही. दुनिया भर में करोड़ों लोगों ने टेलीविजन पर अंतरिक्ष यान की उड़ान, लैंडिंग और वापसी देखी. ब्रिटानिका पर नील आर्मस्ट्रांग की जीवनी के अनुसार अपोलो 11 के कमांडर आर्मस्ट्रांग, माइकल कोलिन्स और एडविन ई. एल्ड्रिन जूनियर ने 16 जुलाई, 1969 को अपोलो 11 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की ओर प्रक्षेपित किया। आर्मस्ट्रांग ने ईगल चंद्र लैंडिंग मॉड्यूल का मार्गदर्शन किया, जो चार दिन बाद शाम 4:17 बजे यू.एस. ईस्टर्न डेलाइट टाइम (ईडीटी) पर सी ऑफ ट्रैंक्विलिटी (मारे ट्रैंक्विलिटिस) के दक्षिण-पश्चिमी किनारे के पास एक मैदान पर उतरा. आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन ने वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करते हुए मॉड्यूल के बाहर दो घंटे से अधिक समय बिताया, सतह के नमूने एकत्र किए और ढेर सारी तस्वीरें लीं. हबल स्पेस टेलीस्कोप का प्रक्षेपण: अंतरिक्ष शटल डिस्कवरी के चालक दल ने 25 अप्रैल, 1990 को एडविन पॉवेल हबल-नाम वाले हबल स्पेस टेलीस्कोप को कक्षा में प्रक्षेपित किया. विशाल परावर्तक दूरबीन पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली अब तक की सबसे उन्नत ऑप्टिकल वेधशाला थी और इसके द्वारा ली गई छवियों ने अंततः खगोल विज्ञान को बदल दिया।
पहले निजी अंतरिक्ष यान की उड़ान: अंतरिक्ष की सीमा को पार करने वाला पहला निजी मानवयुक्त अंतरिक्ष यान स्पेस शिप वन था, जिसे 21 जून, 2004 को बनाया गया था. इसे कैलिफोर्निया के मोजावे में स्थित एयरोस्पेस विकास कंपनी स्केल्ड कंपोजिट्स द्वारा बनाया गया था. अमेरिकी विमान डिजाइनर बर्ट रुटन ने 1982 में कंपनी की स्थापना की थी और रुटन ब्रिटानिका पर स्पेस शिप वन लेख के लेखक हैं। दक्षिण अफ्रीकी मूल के अमेरिकी टेस्ट पायलट माइक मेलविल ने इस वाहन को उड़ाया और अंतरिक्ष के किनारे से सफलतापूर्वक गुज़रने वाले पहले वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्री-पायलट बन गए।
सैकड़ों सालों से मनुष्य एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा की उत्पत्ति और उससे जुड़े रहस्यों पर विचार करते हुए आकाश की ओर देखती रहा है. अंतरिक्ष की ओर बढ़ती गतिविधियों के साथ, चंद्रमा तमाम मिशनों का लक्ष्य बन गया, जो ब्रह्मांड में किसी अन्य स्थान पर पहले मानव चरणों के निशान लाती थीं. जैसे-जैसे चंद्रमा की खोज की महत्वाकांक्षी योजनाएं आकार लेती रहेंगी, यह वैश्विक उत्सव न केवल अतीत और वर्तमान की सफलता की स्मृतियों को ताजा करेगा, बल्कि भविष्य के प्रयासों के लिए साक्ष्य के रूप में भी काम करेगा।