भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल ने कारपोरेट एचआर मैनेजर्स के लिए औद्योगिक हादसों के प्रबंधन पर सेमिनार किया। अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ दीपक वर्मा ने घायलों की सहायता करने तथा उन्हें अस्पताल पहुंचाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी दी। वहीं निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ.संजय गोयल ने अचेत कार्मिकों की सहायता करने के बेसिल लाइफ स्किल्स का लाइव प्रदर्शन किया। पूर्व श्रमायुक्त सत्यप्रकाश श्रीवास्तव ने औद्योगिक दुर्घटनाओं से जुड़े कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी। मुख्य अतिथि की आसंदी से एचआर मीट को संबोधित करते हुए पूर्व श्रमायुक्त ने कहा कि हादसों की सूचना पुलिस को देनी चाहिए। यह सभी पक्षों के लिए फायदेमंद है। हादसों की रिपोर्टिंग को लेकर एचआर मैनेजर्स एवं अस्पताल प्रबंधन की दुविधा पर डॉ दीपक वर्मा के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि लेबर इंस्पेक्टर को दी गई सूचना की प्रतिलिपि पुलिस को जाती है। इसे पर्याप्त माना जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि यदि घायल 48 घंटे के भीतर काम पर नहीं लौट पाता तो इसकी सूचना श्रम निरीक्षक को देनी चाहिए। इसके अलावा व्यावसायिक स्वास्थ्य समस्याओं की सूचना भी श्रम विभाग को देना चाहिए। इससे पूर्व अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ एपी सावंत ने अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का जिक्र करते हुए कहा कि स्पर्श हॉस्पिटल अपने लक्ष्य को साधने में सफल रहा है। हम वहां पहुंच रहे हैं, जहां पहुंचना चाहते हैं। अस्पताल एनएबीएच मान्यता की ओर अग्रसर है। 150 बेड के इस अस्पताल ने अपनी लगभग छह वर्षों की यात्रा के दौरान 2 लाख से अधिक लोगों को संतोषजनक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई हैं। इस अवधि में 261 न्यूरोसर्जरी सहित 9000 से अधिक सर्जरी सफलतापूर्वक की जा चुकी है। अस्पताल में ट्रॉमा प्रबंधन के लिए न्यूरो सर्जन, ऑर्थोपेडिक सर्जन, जनरल एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जन, शिशु रोग विशेषज्ञ, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट की टीम के साथ साथ इंटेसिविस्ट उपलब्ध हैं। लोग जीवन रक्षा के लिए स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी अस्पताल पर भरोसा करते हैं। अपने सारगर्भित वक्तव्य में अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉ दीपक वर्मा ने कार्यस्थल पर लगने वाली चोटों का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि घायलों की जीवन रक्षा के लिए तत्परता से कदम उठाए जाने चाहिए। एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक युवक की जांघ में चोट लगी थी जहां से खून बह रहा था। उसे पहले किसी अस्पताल में ले जाया गया था जहां उसका प्राथमिक उपचार तक नहीं किया गया। हादसे के दो-तीन घंटे बाद उसे स्पर्श पहुंचाया गया। तब तक रक्तस्राव के कारण उसकी हालत खराब हो चुकी थी और अंतत: उसकी मृत्यु हो गई। यदि रक्तस्राव रोकने में तत्परता दिखाई गई होती तो उसका जीवन बच सकता था। उन्होंने बताया कि घायल को तुरंत प्राथमिक उपचार मिलना चाहिए। जल्द से जल्द उसे सक्षम अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए ताकि वक्त बर्बाद न हो। उन्होंने अलग-अलग तरह की चोटों में मरीज को हैंडल करने के तरीके भी बताए। निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ संजय गोयल ने बेसिक लाइफ सेविंग स्किल का लाइव डेमो देते हुए सीपीआर देने की तकनीक सिखाई। उन्होंने बताया कि दिल की धड़कन रुकने या सांस लेने में तकलीफ होने पर किस तरह रोगी की मदद की जा सकती है। उन्होंने बताया कि बीएलएस का प्रशिक्षण कोई भी ले सकता है। यदि उसने अपने जीवनकाल में एक भी मरीज की जान बचा ली तो यह सार्थक हो जाता है। उन्होंने कहा कि स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी की टीम कंपनियों में जाकर भी कार्मिकों को बीएलएस का प्रशिक्षण देने के लिए तैयार है।
उन्होंने कार्यस्थल पर रोगी की तत्काल मदद के लिए अपेक्षित सामग्रियों एवं औषधियों के बारे में भी जानकारी दी। इस अवसर पर स्पर्श के चिकित्सा विशेषज्ञों की पूरी टीम मौजूद थी। कार्यक्रम का संचालन जीएम मार्केटिंग आलोकेश चटर्जी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सीए प्रदीप पाल ने किया।
स्पर्श हॉस्पिटल के एचआर मीट में सिखाए जीवन रक्षा के गुर….. औद्योगिक हादसों के प्रबंधन पर सेमिनार
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