पूरी दुनिया में बाल श्रम एक ज्वलंत समस्या है, कैसा विरोधाभास है कि हमारा समाज, सरकार और राजनीतिज्ञ बच्चों को देश का भविष्य बताते हुए नहीं थकते लेकिन क्या इस उम्र के लगभग 25 से 30 करोड़ बच्चों से बाल मजदूरी के जरिए उनका बचपन और उनसे पढने का अधिकार छीनने का यह सुनियोजित षड्यंत्र नहीं लगता? बचपन इतना डरावना एवं भयावह हो जायेगा, किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। क्या आपको पता है की World Day against child labour क्यों मनाया जाता है और कब, कैसे मनाया जाता है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का उदेश्य, महत्व, थीम और इतिहास ? जानने के लिए हमारा आर्टिकल पूरा और ध्यान से पढ़े।
भारतीय संस्कृति में एक कहावत है कि बच्चे भगवान् का रूप होते हैं, लेकिन वहीँ दुनिया में ऐसे लाखों बच्चे हैं, जो मजदूरी कर रहे हैं या अपनी पढ़ाई करने की उम्र में मजदूरी कर रहे हैं, बोझ उठा रहे हैं, जोखिम भरे काम करते हैं ताकि उन्हें और उनके परिवार को दो वक़्त की रोटी मिल सके. अधिकतर बच्चों से जबरन मजदूरी कराई जाती है. उन्हें स्कूल नहीं जाने दिया जाता. उनका बचपन छीन लिया जाता है। दुनिया भर में हर दस में से एक बच्चा बाल मजदूरी करता है| यूँ तो आकड़ों के अनुसार सन 2000 से बाल श्रम में बच्चों की संख्या में 9 करोड़ तक की कमी आई है परन्तु हाल के वर्षों में यह कमी आने की दर में भी दो-तिहाई की कमी हुई है| सयुंक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में एक लक्ष्य 2025 तक विश्व से बाल श्रम को पूरी तरह ख़त्म करना है| इसी लक्ष्य को पूरा करने की प्रेरणा देने के लिए वर्ष में एक दिन वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर (एंटी चाइल्ड लेबर डे) या बालश्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है| आइये जानते हैं। कब यह मनाया जाता है, इसकी थीम और महत्व क्या है।
वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर कब मनाया जाता है
बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस हर वर्ष 12 जून को मनाया जाता है| सयुंक्त राष्ट्र का दुनिया भर में श्रम को नियंत्रण करने वाला संगठन -“अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन” (इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाईजेशन, ILO) है। इस संगठन ने वर्ष 2002 में बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस की शुरुआत की थी। इसका मकसद दुनिया भर में बालश्रम के खिलाफ लड़ने के प्रयासों में शामिल होने और अलग-अलग व्यक्ति, समाज, संस्था, संगठन, सरकार का ध्यान आकर्षित करना था, जिससे यह सब बाल श्रमिकों की सहायता और श्रम नियमों से सम्बंधित दिशा-निर्देशों को परिभाषित करने के लिए एक मंच में आ सकें। अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन के आकड़ों के अनुसार, आज भी दुनिया भर में कई बच्चे बाल श्रम में शामिल होने के कारण पर्याप्त शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी स्वतंत्रता से वंचित हैं| और इन सभी में से आधे से अधिक बच्चे तो बाल श्रम के बहुत खराब रूपों के संपर्क में हैं, जैसे खरतनाक वातावरण में काम, गुलामी, जबरन श्रम, मादक पदार्थ की तस्करी, वैश्यावृत्ति आदि। गरीबी बाल श्रम का एक मुख्य कारण है, जिसके कारण बच्चे अपने स्कूल को छोड़ने के लिए मजबूर होते हैं और अपनी आजीविका के लिए अपने माता-पिता का समर्थन करने के लिए न्यूनतम नौकरियों का विकल्प चुनते हैं. इसके अलावा, कुछ संगठित अपराध रैकेट द्वारा बाल श्रम करने पर मजबूर किया जाता है।
वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन(ILO), संयुक्त राष्ट्र संघ की एक शाखा है। यह संघ मजदूरों तथा श्रमिकों के हक के लिए नियम बनाती है, जिसे सख्ती से पालन किया जाता है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ कई बार पुरस्कृत भी हो चुकी है। आपको बता दें कि ILO के 187 सदस्य देश हैं। ILO ने ही अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार बाल श्रम को रोकने अथवा निषेध लगाने पर जोर दिया था, जिसके बाद 2002 में सर्वसम्मति से एक कानून पास कर किया गया जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराने को अपराध माना जायेगा। इसी साल पहली बार बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून को मनाया गया।
वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर का उद्देश्य
एंटी चाइल्ड लेबर डे का उद्देश्य दुनिया भर में बाल श्रम के खिलाफ आंदोलन को बढ़ावा देना है| इसके साथ बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस मनाने का महत्व बाल श्रम की समस्या पर ध्यान देना और विश्व भर से इसे ख़त्म करने के लिए नए तरीके खोजना है| इस दिन का उपयोग बाल श्रम के कारण दुनिया के लाखों बच्चों द्वारा सामना की जाने वाली हानिकारक मानसिक और शारीरिक समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया जाता है।
बाल श्रम दिवस 2024 का थीम
बाल श्रम दिवस 2024 का थीम है “आइए अपनी प्रतिबद्धताओं पर काम करें: बाल श्रम को समाप्त करें!” यह थीम बाल श्रम को खत्म करने के लिए व्यापक सामाजिक न्याय उपायों की आवश्यकता पर जोर देती है और यह सुनिश्चित करती है कि सभी बच्चे सुरक्षा, शिक्षा और शोषण से मुक्त बचपन के अपने अधिकारों का आनंद ले सकें। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा आधिकारिक तौर पर बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस 2024 की थीम की घोषणा की गई है। मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए, यह 2025 तक सभी रूपों में बाल श्रम को खत्म करने की दिशा में कार्रवाई में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित करने की संभावना है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) द्वारा निर्धारित प्रतिबद्धता है ।
ग्लोबल कांफ्रेंस ऑन चाइल्ड चाइल्ड लेबर
1997 में पहली बार ओस्लो में बाल श्रम को ख़त्म करने के लिए एक ग्लोबल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया| इसमें दुनिया भर के देशों ने अपनी नीतियों और अच्छी प्रथाओं पर ज्ञान साझा किया| इस प्रकार का वैश्विक सम्मलेन दूसरी बार 2010 में हेग में और 2013 में ब्रासीलिया में आयोजित किया गया| चाइल्ड लेबर पर पिछ्ला ग्लोबल कांफ्रेंस अर्जेंटीना सरकार द्वारा 14 से 16 नवंबर 2017 के बीच कराया गया था| आज के समय हम पिछले वैश्विक सम्मलेन और सयुंक्त राष्ट्र के 2025 तक बाल श्रम को मिटाने के लक्ष्य के अंतिम बिंदु पर खड़े हैं| बाल श्रम को पूरी तरह से ख़त्म करने की तरफ दुनिया की प्रतिबद्धता को अवश्य ही थोड़ा असर डाला है|
भारत में चाइल्ड लेबर के लिए कानून
भारत में बाल मजदुर अधिनियम 2016 के तहत 14 वर्ष से छोटे किसी भी बच्चे से बाल मजदूरी करवाने पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध है| इसके साथ यह एक्ट 14 से 18 वर्ष के बच्चों को खतरनाक व्यवसाय पर रोजगार से रोक लगाता है| सरकार ने बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट) NCLP स्कीम की शुरुआत की है| इसके तहत 09-14 वर्ष की आयु के बच्चों को काम से छुड़ाया जाता है और उनका NCLP स्पेशल ट्रेनिंग सेण्टर पर नामांकन किया जाता है, जहाँ पर मुख्य धारा की पढ़ाई में जुड़ने से पहले उन्हें ब्रिज शिक्षा, व्यावसायिक परिक्षण, मिड-डे मील, स्वास्थ्य सुविधा आदि प्रदान की जाती है। वहीँ 5-8 साल के बच्चों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत सीधा फॉर्मल शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जाता है| सर्व शिक्षा अभियान को 2001 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा 06 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था| वर्ष 2017 में भारत के श्रम मंत्रालय ने Pencil (Platform for Effective Enforcement for No Child Labour) पोर्टल की शुरुआत करी| जिसकी सहायता से आम आदमी किसी भी बाल मजदूरी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है| भारत सरकार ने बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक आयोग भी बनाया है जिसका नाम National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR), जो महिला और बाल विकास अंतर्गत काम करता है|भारत ने जून 2017 में अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के कन्वेंशन नंबर 138 और कन्वेंशन नंबर 182 के रूप में दो कानूनों पर सहमति की पुष्टि करी है। ILO के कन्वेंशन नंबर 138 के तहत देश को एक न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित करनी होती है जिसके नीचे किसी भी बच्चे को हल्के काम और कलात्मक प्रदर्शन को छोड़कर, रोजगार या किसी भी व्यवसाय में काम करने की अनुमति नहीं दी जाती। ILO के कन्वेंशन नंबर 182 में सहमति जता कर भारत ने दासता, जबरन मजदूरी और तस्करी सहित बाल श्रम के सबसे ख़राब रूपों को मिटाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
ऐसे कार्य जो बाल श्रम नहीं हैं
* ऐसे कार्य जो बच्चों या किशोरों के स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत विकास को प्रभावित नहीं करते हैं या जिन कार्यों का उनकी स्कूली शिक्षा पर कोई बुरा प्रभाव नही पड़ता हो, वे कार्य बाल श्रम में नहीं आते।
* स्कूल के समय के अलावा या स्कूल की छुट्टियों के दौरान पारिवारिक व्यवसाय में सहायता करना भी बाल श्रम नहीं गिना जाता।
* ऐसी गतिविधियाँ जो बच्चों के विकास में सहायक होती है तथा उनके बड़े होने पर उन्हें समाज का उत्पादक सदस्य बनने के लिये तैयार होने में मदद करती हैं वे भी बाल श्रम में नहीं आती।
भारत में बाल श्रमिक
राष्ट्रीय जनगणना 2011 के अनुसार, 5-14 वर्ष के बच्चो की भारत में जनसंख्या लगभग 260 मिलियन है। इनमें से कुल बाल आबादी 260 मिलियन का लगभग 10 मिलियन (लगभग 4%) बाल श्रमिक हैं जो मुख्य या सीमांत श्रमिकों के रूप में कार्य करते हैं। 15-18 वर्ष की आयु के लगभग 23 मिलियन बच्चे विभिन्न कार्यों में लगे हुए हैं।
भारत तथा UNCRC
भारत द्वारा UNCRC को वर्ष 1992 में अनुमोदित किया गया था। हालाँकि भारत में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सभी प्रकार के कार्य करने से प्रतिबंधित नहीं किया गया है। भारत में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर सभी प्रकार के व्यावसायिक कार्यों में लगाने से प्रतिबंधित किया गया है। जबकि 14 से 18 वर्ष से किशोरों पर केवल ‘खतरनाक व्यवसायों ’ (Hazardous Occupations) में कार्यों में लगाने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
बाल श्रम की वैश्विक स्थिति
* बाल श्रम में अनुमानित 152 मिलियन बच्चे कार्यरत हैं, जिनमें से 73 मिलियन बच्चे आजीविका के लिये खतरनाक उद्योगों में काम करते हैं।
* बाल श्रम मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र (71%) में केंद्रित है – इसमें मछली पकड़ना, वानिकी, पशुधन पालन और जलीय कृषि शामिल है। सेवाओं में 17% और खनन सहित औद्योगिक क्षेत्र में 12% बाल श्रमिक संलग्न हैं।
भारत सरकार की पहल
* गुरुपद्स्वामी समिति (Gurupadswamy committee) के निष्कर्षों तथा सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार द्वारा ‘बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम’ (Child Labour (Prohibition and Regulation) Act)- 1986 बनाया गया।
* हाल ही में, भारत ने ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (International Labour Organization- ILO) के कन्वेंशन संख्या- 138 (रोज़गार के लिये न्यूनतम आयु) और कन्वेंशन संख्या- 182 (बाल श्रम के सबसे बुरे रूप) का अनुसमर्थन किया है।
* इन दो प्रमुख ILO कन्वेंशनों के अनुसमर्थन के साथ ही भारत ILO के आठ प्रमुख कन्वेंशनों में से 6 का अनुसमर्थन कर चुका है। चार अन्य कन्वेंशन बलात श्रम उन्मूलन, 1930 (कन्वेंशन संख्या- 29), बलात श्रम उन्मूलन, 1957 (कन्वेंशन संख्या- 105), समान कार्य के लिये समान पारिश्रमिक, 1951 (कन्वेंशन संख्या- 100), रोजगार तथा भेदभाव (रोजगार और व्यवसाय) कन्वेंशन, 1958 (कन्वेंशन संख्या- 111) हैं।
* बाल श्रम (निषेध और रोकथाम) संशोधन अधिनियम, (Child labour (Prohibition and Prevention) Amendment Act)- 2016 को लागू किया गया।
* यह अधिनियम 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के सभी प्रकार के व्यावसायिक कार्यों मे लगाने पर प्रतिबंध तथा 14 से 18 वर्ष के किशोरों पर ‘खतरनाक व्यवसायों’ (Hazardous Occupations) में कार्यों में लगाने पर प्रतिबंध लगाता है।
* नए कानून में बच्चों के लिये रोज़गार की आयु को ‘अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ (Right to Education Act- RTE), 2009 के तहत अनिवार्य शिक्षा की उम्र से जोड़ा गया है।
संवैधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान का अनुच्छेद-23 मानव दुर्व्यापार, बेगार तथा बंधुआ मज़दूरी की प्रथा का उन्मूलन करता है। जबकि अनुच्छेद-24 किसी फैक्ट्री, खान, अन्य संकटमय गतिविधियों यथा-निर्माण कार्य या रेलवे में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध करता है।
आगे की राह
* सरकार आम तौर पर बाल श्रमिकों के तत्काल बचाव पर ध्यान केंद्रित करती है न कि दीर्घकालिक स्थिति या रोकथाम के आयाम पर। अत: रोकथाम के आयाम पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
* बाल श्रम को सामाजिक रूप से बड़े पैमाने पर स्वीकार किया जाता है अत: बच्चों का लगातार शोषण जारी रहता है। अत:बाल श्रम के प्रति समाज में ‘शून्य सहिष्णुता’ (Zero Tolerance) को अपनाने की आवश्यकता है।
बाल श्रम अपराध की श्रेणी में आता है और इसको बढ़ावा देने वालों पर कठोर से कठोर सजा का प्रावधान है। देश-दुनिया में बाल श्रम के मामलों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।विश्व बाल श्रम निषेध दिवस दुनिया भर में उन लाखों बच्चों की याद दिलाता है जिन्हें उनके सही बचपन से वंचित किया जाता है। हालाँकि बाल श्रम को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन लड़ाई अभी भी खत्म नहीं हुई है। लोगों को बाल श्रम के प्रति सचेत करके अपनी जिम्मेदारी को अवश्य निभाए।