भिलाई। अंतर्राष्ट्रिय संस्था प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा की 51 वीं पुण्यतिथि विश्व शान्ति दिवस के रूप में विश्व के पाँचों महाद्वीपों में 140 देशों में विस्तारित साढे आठ हजार से भी अधिक सेवाकेन्द्रों में मनायी गई। भिलाई के पीस ऑडिटोरियम में वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने ब्रह्मा बाबा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया की पिताश्री ब्रह्मा बाबा द्वारा सन 1936 में नारी शशक्तिकरण का कार्य प्रारम्भ किया गया जिससे नारी शक्ति नहीं बल्कि वर्तमान में शिव शक्ति बनकर सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त बुराइयों का संहार कर शांति स्थापना के निम्मित बनी है। ब्रह्मा बाबा सभी को निस्वार्थ भाव से स्नेह की अंचली देते हुए कहते की आप सभी का लक्ष्य और लक्षण, कथनी और करनी एक सामान होने चाहिए क्न्योकि जो कर्म मै करूँगा मुझे देख दूसरे स्वत: ही करेंगे। आपकी मुख्य शिक्षा देह अभिमान अंहकार को समाप्त कर आत्म अभिमान आत्म चिंतन द्वारा अपनी जांच कर बेदाग हीरा बनना है। पवित्रता और एकता संगठन में सफलता के लिए आपका मूल मन्त्र था। यदि पवित्रता में कमी है तो एकता में भी कमी अवश्य होगी। पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य को ही नहीं कहा जाता यह हमारे संकल्प, स्वभाव और संस्कारो में शुद्धता ही सम्पूर्ण ब्रह्मचर्य है। आपके तपोबल द्वारा आप हरेक मनुष्यात्मा के चलन रूपी दर्पण में कर्म कहानी को स्पष्ट देख लेते थे। ब्रह्मा बाबा को स्पष्ट था की हमारे विचार प्रकृति के पांचो तत्वों तक पहुँचते है इसलिए सदा श्रेष्ठ संकल्पो की रचना करनी है जिससे प्रकृति को भी शांन्ति के प्रकम्पनों की प्राप्ति हो। आप हर उम्र के व्यक्ति को उमंग उत्साह दिलाकर कहते की बीती बातो का चिंतन न करो, जीवन में कंही भी रुकना नहीं है आगे बढ़ते ही जाना है। विशेष राजयोग अनुभूति के लिए कमल आसंनधारी फरिश्तो को आकर्षक रंग बिरंगे पुष्पों से सजाया गया। जिसके कलश से सुख, शान्ति, आनंद, प्रेम, पवित्रता, ज्ञान, शक्ति रूपी गुण प्रवाहित हो रहे है। इसके अलावा शांति स्तम्भ में भी ब्रह्मा वत्सो ने संगठित रूप से योग अभ्यास किया।
नारी शिव शक्ति बनकर सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त बुराइयों का संहार कर शांति की निम्मित बनी है : गीता दीदी
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