भिलाई 6 में 2024। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी एवं सीटू द्वारा संयुक्त रूप से सीटू कार्यालय में कार्ल मार्क्स की 206 वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर मार्क्स के जीवन एवं दर्शन पर कामरेड एसपी डे संक्षिप्त में परिचय दिया। तत्पश्चात कामरेड सुलेमान द्वारा निर्देशित अब लौट चले का मंचन कामरेड जयप्रकाश नायर ने किया। कार्यक्रम का संचालन कामरेड अर्चना ध्रुव ने किया।विश्व की जानी-मानी संस्थाओं ने कई बार दुनिया के अंदर प्रतिपादित विभिन्न दर्शनों की स्थिति जानने के लिए सर्वे करवाया और हमेशा यही पाया कि दुनिया का सबसे बेहतरीन दर्शन मार्क्सवादी दर्शन है, क्योंकि यह दर्शन वैज्ञानिक दर्शन है। इस दर्शन के द्वारा इस बात को स्पष्ट रूप से बताया जा सकता है कि दुनिया के अंदर आदिम समय से लेकर अब तक कैसे व्यवस्थाएं परिवर्तित होती आई है और उन परिवर्तनों का मूल वजह क्या है। यह दर्शन सभी परिस्थितियों का ठोस विश्लेषण करता है यह दर्शन अंधविश्वास को नहीं बल्कि विज्ञान पर आधारित है जो लगातार प्रगतिशील है।कार्ल मार्क्स एवं उनके साथी फ्रेडरिक एंगेल्स ने मिलकर मार्क्सवादी दर्शन के आधार पर कम्युनिस्ट घोषणा पत्र लिखा था। इस घोषणा पत्र में जिन बिंदुओं का जिक्र है वह न केवल हमारे देश के लोकतांत्रिक अवधारणा को परिभाषित करता है। बल्कि दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देश उस मूल अवधारणा को अपने देश के कल्याणकारी योजनाओं में आत्मसात करते हैं। इस घोषणा पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि जनकल्याणकारी नीतियां एवं व्यवस्थाएं कैसी होनी चाहिए इसीलिए लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चलने वाले देश के कार्यक्रम में कम्युनिस्ट घोषणा पत्र की झलक स्पष्ट दिखती है।5 मई 1818 को जर्मनी में जन्मे कार्ल मार्क्स का देहांत 14 मार्च 1883 को लंदन में हुआ था वह अपने 64 साल की जीवन में विश्व की सबसे महान रचना पूंजी लिखा जिसमें अर्थशास्त्र के बारे में विस्तार से उल्लेख है उन्होंने जिस वैज्ञानिक दर्शन को लिखा है उसका समाज में अमल करते हुए चलने पर एक ऐसी व्यवस्था प्राप्त होती है जिसमें इंसान के द्वारा इंसान का शोषण करने की व्यवस्था का समूल नाश हो जाता है उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में अलग-अलग देश में अलग-अलग परिस्थितियां हैं एवं उन देशों में उनकी परिस्थितियों के आधार पर ही परिवर्तन होगा।