भारत की लोह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है. इस दिन की शुरुवात केन्द्रीय सरकार द्वारा सन 2014 में दिल्ली में की गई है. सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा देश को हमेशा एकजुट करने के लिए अनेकों प्रयास किये गए, इन्ही कार्य को याद करते हुए उन्हें श्रधांजलि अर्पित करने के लिए इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया है।
इस दिन का उद्घाटन नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था. मोदी जी ने सरदार पटेल की प्रतिमा पर मालार्पण किया, साथ ही ‘रन फॉर यूनिटी’ मैराथन की शुरुवात की. इस कार्यक्रम को इसलिए आयोजित किया गया, ताकि सरदार पटेल द्वारा देश को एकजुट करने के प्रयास को देश-दुनिया के सामने उजागर किया जा सके।
भारत के पहले गृहमंत्री और देश को वास्तव में एकजुट करने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) मनाया जाता है। वे भारत के महान महापुरूषों में से थे, जिन्होंने देश की उन्नति में बहुमूल्य योगदान दिया। इस साल 31 अक्टूबर 2023 को सरदार पटेल की 148वीं वर्षगाँठ मनाई जा रही है, जिसे एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत ‘रन फॉर यूनिटी’ प्रोग्राम के साथ मनाया जाता हैं। साल 2019 में इस महत्वपूर्ण दिवस पर, गृह मंत्री अमित शाह ने मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से Run For Unity को हरी झंडी दिखा कर प्रतिभागियों को एकता की शपथ भी दिलाई थी।
राष्ट्रीय एकता दिवस
किसी भी देश का आधार उसकी एकता एवम अखंडता में ही निहित होता हैं. भारत देश कई वर्षो तक गुलाम था. इसका सबसे बड़ा कारण था आवाम के बीच एकता की कमी होना. इस एकता की कमी का सबसे बड़ा कारण उस समय में सुचना प्रसारण के साधनों का ना होना था. साथ ही अखंड भारत पर कई संस्कृतियों ने राज किया. इस कारण भारत देश में विभिन्न जातियों का विकास हुआ. शासन बदलते रहने के कारण एवम विचारो में भिन्नता के कारण मतभेद उत्पन्न होता गया और देश में सबसे बाद में ब्रिटिश हुकूमत ने राज किया और इन्होने इसी कमी का फायदा उठाकर फूट डालों एवम राज करो की नीति अपनाई. इसी एक हथियार के कारण अंग्रेजों से भारत पर 200 वर्षो की गुलामी की. इससे जाहिर होता हैं कि देश का विकास, शांति, समृद्धि एवम अखंडता एकता के कारण ही संभव हैं. कौमी लड़ाई देश की नींव को खोखला करती हैं. इससे न निजी लाभ होता हैं ना ही राष्ट्रीय हित. आज भी हम कहीं न कहीं एकता में कमी के कारण ही अन्य देशों से पीछे हैं. जाति वाद के दलदल में फँसकर हम देश की एकता को कमजोर कर रहे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण इतिहास के पन्नो में हैं. सन 1857 की क्रांति के विफल होने का कारण एकता में कमी ही था. मुगुलो ने भी भारत पर शासन एकता की कमी के कारण ही किया था. इस मतभेद को समझ लेने के बाद ही देश के कई महान स्वतंत्रता सेनानियों ने सबसे पहले इस मुश्किल को कम करने की कोशिश की. कई बड़े- बड़े नेताओं ने आजादी के लिए पहले लोगो को एकता का महत्व बताया. इसके लिए आजादी से पहले रेडिओं प्रसारण एवम समाचार पत्रों का उपयोग किया गया. क्रांतिकारी वीर भले ही जेलों में होते थे, लेकिन उस वक्त अपनी कलम के जोर पर उन्होंने देश में एकता का विकास किया. इसी के कारण हमें 1947 में स्वतंत्रता मिली।
राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में जानकारी
नाम : राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day)
स्मृति दिवस : सरदार वल्लभभाई पटेलशुरूआत : : वर्ष 2014 में
तिथि : 31 अक्टूबर (वार्षिक)
उद्देश्य : देश को एकजुट करना और सरदार पटेल को श्रध्दांजलि देना।
सरदार पटेल जन्म : 31 अक्टूबर 1875
मृत्यु : 15 दिसम्बर 1950
राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुवात : 31 अक्टूबर 2014
किसके द्वारा शुरू हुआ : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा
राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरूआत कैसे हुई? इतिहास
भारत में प्रतिवर्ष 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस (World Unity Day) के रूप में मनाए जाने की शुरूआत वर्ष 2014 में भारत की केंद्र सरकार द्वारा की गयी थी। इसका उद्देश्य भारत को एकजुट करने के उनके महान प्रयासों को याद करना और उन्हें श्रद्धांजलि देना था। 2014 में इसकी घोषणा के साथ ही इस दिन का उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सरदार पटेल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर, नई दिल्ली में ‘रन फॉर यूनिटी’ नामक कार्यक्रम को हरी झंडी दिखाकर किया गया था। तभी से इस कार्यक्रम को सरदार पटेल द्वारा देश को एकजुट करने के लिए किए गए प्रयासों को उजागर करने की योजना के तहत हर साल मनाया जाता है।
वर्तमान में एकता का महत्त्व
* किसी भी देश की अर्थव्यवस्था, न्याय प्रणाली यह सभी चीजे तब ही सुचारू हो सकेंगी, जब आवाम में एकता हो और जिस दिन यह व्यवस्था सुचारू होगी, उस दिन देश के विकास में कोई कठिनाई नहीं होगी।
* एकता में सबसे बड़ा बाधक स्वहित है, आज के समय में स्वहित ही सर्वोपरी हो गया हैं. आज जब देश आजाद हैं आत्म निर्भर हैं तो वैचारिक मतभेद उसके विकास में बेड़ियाँ बनी पड़ी हैं।
* आजादी के पहले इस फुट का फायदा अंग्रेज उठाते थे और आज देश के सियासी लोग. हमें यह याद रखना चाहिये कि जिस जगह भी दरार होगी मौका परस्त लोग उसमे अपने लाभ खोजेंगे ही. ऐसी परिस्थती में हमारा ही नुकसान होता हैं।
* देश में एकता के स्वर को सबसे ज्यादा बुलंद स्वतंत्रता सेनानी लोह पुरुष वल्लभभाई पटेल ने किया था. वे उस सदी में आज के युवा जैसी नयी सोच के व्यक्ति थे. वे सदैव देश को एकता का संदेश देते थे. उन्ही को श्रद्धांजलि देने हेतु उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।
सरदार पटेल की जयंती को एकता दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है?
वर्ष 2014 में 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस का आयोजन को शुरू करने का उद्देश्य देश के लिए लौह पुरुष सरदार पटेल द्वारा किए गए असाधारण कार्यों को याद करके उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देना है, क्योंकि उन्होंने भारत को एकजुट रखने में वास्तव में कड़ी मेहनत की है। राष्ट्रीय एकीकरण के लिए उनका समर्पण पूरी तरह से एक नया मुक्त संयुक्त राष्ट्र बनाने पर था। देश में एकता के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें 1947 से 1949 तक स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के माध्यम से ब्रिटिश शासन से 500 से अधिक स्वतंत्र रियासतों को एकीकृत करने में सक्षम बनाया। यह दिन भारतीय नागरिकों को यह एहसास कराता है कि राष्ट्रीय एकता किसी भी राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए वास्तविक और संभावित खतरों को हराने में कैसे मदद करता है।
सरदार पटेल ने देश के लिए क्या किया?
लौह पुरुष सरदार पटेल ने भारत को संयुक्त भारत (एक भारत) बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री होने के नाते उन्होंने भारतीय संघ बनाने के लिए कई भारतीय रियासतों के एकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पूरे राष्ट्र में शांति बहाल करने के लिए भारी प्रयास किए।स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत 500 से अधिक छोटी-छोटी रियासतों में बट गया सभी रियासतें स्वतंत्र रूप से किसी भी देश हिस्सा बनने या अपना एक अलग राष्ट्र बनाने के लिए स्वतंत्र थे। सरदार पटेल जानते थे कि अगर ऐसा हुआ तो भारत के लिए यह अच्छा नहीं होगा और जितनी रियासतें होंगी उतने ही दुश्मन बनेंगे ऐसे में उन्होंने अपनी समझदारी, सूझबूझ और अदम्य साहस से सभी 562 रियासतों का विलय कर भारत को एक राष्ट्र बनाया।उन्होंने भारत के लोगों को श्रेष्ठ भारत (सबसे महत्वपूर्ण भारत) बनाने के लिए एकजुट होकर जीने का अनुरोध किया। और देश की स्वतंत्रता, एकजुटता एवं स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए लोगों के एकीकरण के लिए एक सामाजिक नेता के रूप में कड़ी मेहनत की।
सरदार वल्लभभाई पटेल की बायोग्राफी?
* 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में जन्मे सरदार पटेल पेशे से वकील थे, उनके पिता का नाम झावेरभाई और माता का नाम लाड़बाई देवी था।
* वे एक बैरिस्टर, राजनेता, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक नेता तथा भारतीय गणराज्य के संस्थापक, पिता और भारत के आधुनिक राजनीतिक वास्तुकारों में से एक थे।
* वह EMHS(एडवर्ड मेमोरियल हाई स्कूल) बोरसाद के पहले अध्यक्ष और संस्थापक भी थे। वर्तमान में यह झावेरभाई दाजीभाई पटेल हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।
* लौह पुरुष के रूप में लोकप्रिय, पटेल को ‘सरदार’ के रूप में संबोधित किया गया, जिसका अर्थ है प्रमुख या नेता।
* 1946 में, कांग्रेस चुनावों के दौरान सोलह राज्यों में से तेरह ने सरदार पटेल को अपना अध्यक्ष चुना, जो जवाहरलाल नेहरू की तुलना में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री के लिए अधिक लोकप्रिय उम्मीदवार थे। हालांकि, महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने एक उम्मीदवार के रूप में पद छोड़ दिया और जवाहरलाल नेहरू का समर्थन किया।
* आखिरकार, 1947 में सरदार पटेल भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने।
* उन्हें मुख्य तौर पर स्वतंत्र भारतीय संघ में 500 से अधिक रियासतों के राजनीतिक एकीकरण के लिए जाना जाता है। उन्होंने 565 रियासतों को भारत का हिस्सा बनने के लिए एकजुट किया।
* 1991 में, सरदार वल्लभभाई पटेल को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया।
* वर्ष 2014 से ही ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ 31 अक्टूबर को हर साल सरदार पटेल को याद करते हुए मनाया जाता है।
* उन्हें वल्लभभाई झावेरभाई पटेल भी कहा जाता था। उनकी मृत्यु भारत के बंबई, (अब मुंबई) शहर में 15 दिसंबर 1950 मे हुई।
* उन्हें भारत के “लौह पुरुष” (Iron Man) और “भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संत” के रूप में याद किया जाता है क्योंकि उन्होंने आधुनिक अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की स्थापना की थी।
एकता की मूर्ति के बारें में रोचक तथ्य
वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले के केवडिया में दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’(Statue Of Unity) को राष्ट्र को समर्पित किया था।
* स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस परियोजना की घोषणा 31 अक्टूबर, 2013 को नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
* परियोजना के विकास के लिए, मोदी जी ने “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” बनाने के लिए लोहे को इकट्ठा करने के लिए एक देशव्यापी अभियान चलाया और पूरे देश के लगभग सात लाख गांवों से लोहा एकत्र किया गया।
* यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है जो न्यूयॉर्क की “स्टैचू ऑफ लिबर्टी” (93 मीटर) के आकार से दोगुनी है और चीन में “स्प्रिंग टेम्पल बुद्धा” की ऊंचाई (153 मीटर) से अधिक है।
* परियोजना में सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन पर एक प्रदर्शनी हॉल और ऑडियो-विज़ुअल प्रस्तुति शामिल होगी।
* मुख्य संरचना 1345 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुई है, परियोजना के लिए आवंटित कुल 2979 करोड़ रुपये का एक हिस्सा।
* शेष लागत में से, प्रदर्शनी हॉल और कन्वेंशन सेंटर के निर्माण पर 235 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं; स्मारक को मुख्य भूमि से जोड़ने के लिए पुल पर 83 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं; और अगले 15 वर्षों तक संरचना को बनाए रखने के लिए 657 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
* इस परियोजना के लिए लगभग 75000 घन मीटर कंक्रीट, 5700 मीट्रिक टन स्टील संरचना, 18500 स्टील की छड़ और 22500 मीट्रिक टन कांस्य का उपयोग किया गया है।
कैसे मनाया जाता है?
* 2014 के बाद से 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और महान व्यक्ति को याद करने के लिए राष्ट्रव्यापी मैराथन का आयोजन किया जाता है. इस दिवस के साथ देश की युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय एकता का सन्देश पहुँचता है, जिससे आगे चलकर वे देश में राष्ट्रीय एकता का महत्व समझ सकें. इस मौके पर देश के विभिन्न स्थानों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है. दिल्ली के पटेल चौक, पार्लियामेंट स्ट्रीट पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर माला चढ़ाई जाती है. इसके अलावा सरकार द्वारा शपथ ग्रहण समारोह, मार्च फ़ास्ट भी की जाती है।
* राष्ट्रीय एकता दिवस पर एकता के प्रतीक वल्लभभाई पटेल को याद करने के लिए राष्ट्रव्यापी मैराथन और राष्ट्रीय एकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर का जश्न प्रतिवर्ष देश के युवाओं को जागरूक करने में मदद करता है और सभी को राष्ट्र की अभिन्न शक्ति को बनाए रखने का अवसर प्रदान करता है।
* ‘रन फॉर यूनिटी’ मैराथन देश के विभिन्न शहरों, गाँव, जिलों, ग्रामीण स्थानों में आयोजित की जाती है. स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, अन्य शैक्षणिक संसथान, राष्ट्रीय कैडेट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना के लोग बहुत बढ़ चढ़ कर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते है. दिल्ली में राजपथ में विजय चौक से इंडिया गेट के बीच सुबह 8:30 बजे मैराथन का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर होता है, जिसमें कई नेता, अभिनेता हिस्सा लेते है. इसके अलावा सरकारी ऑफिस, पब्लिक सेक्टर में भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम होता है. स्कूल कॉलेज में तरह तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है, वहां बैनर, पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता, भाषण, पेंटिंग, कविता, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आदि का आयोजन होता है।
रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम
भारत सरकार द्वारा इस अवसर को चिन्हित करने के लिए “रन फॉर यूनिटी” कार्यक्रम को प्रमुख शहरों, जिला कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जाता है। स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC), राष्ट्रीय सेवा योजना, आदि के बच्चे इन कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। यह राष्ट्रीय राजधानी में विजय चौक से इंडिया गेट तक राजपथ पर सुबह 8:30 बजे विशाल स्तर पर आयोजित किया जाता है। तथा भारतीय पुलिस द्वारा मार्च पास्ट लेना भी इसमें शामिल है।
राष्ट्रीय एकता दिवस की शपथ
राष्ट्रीय एकता दिवस (नेशनल यूनिटी डे) के लिए Pledge (प्रतिज्ञा/शपथ) निम्नलिखित है:
* मैं पूरी तरह से प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए खुद को समर्पित करता हूं और अपने साथी देशवासियों के बीच इस संदेश को फैलाने के लिए कड़ी मेहनत करता हूं।
* मैं अपने देश के एकीकरण की भावना में यह प्रतिज्ञा लेता हूं, जो सरदार वल्लभभाई पटेल की दृष्टि और कार्यों से संभव हुई। मैं अपने देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना योगदान देने का पूरी तरह से संकल्प करता हूं।
आज के युवाओं को ही एक होकर देश को एकता का सबब सिखाना होगा. सबसे पहले परिवारों में एकता को जगाना होगा, तभी ही हम देश से एकता की उम्मीद कर सकेंगे, एकता की भावना हमारे सभी मतभेदों पर विजय प्राप्त करे. अनेकता में एकता भारत की अद्वितीय ताकत है. अवसर पर आइए एकजुट रहने का संकल्प लें, यह सुनिश्चित करें कि देश की समृद्धि सभी तक पहुंचे. सभी को सौहार्दपूर्ण राष्ट्रीय एकता दिवस की शुभकामनाएं….