कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जो महिलाओं को ज्यादा अपना शिकार बनाती हैं, इनमें से एक है थायराइड। हार्मोन असंतुलन, तनाव, शरीर में आयोडीन की कमी, वायरल संक्रमण आदि के कारण महिलाओं में थायराइड की समस्या पैदा हो जाती है। कई बार महिलाएं इस समस्या को अनदेखा कर देती है। महिलाओं में थायराइड ग्रंथि बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह शरीर के अधिकतर हार्मोन्स को नियंत्रित करती है। थायराइड ग्रंथि में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर हार्मोन असंतुलन हो सकते हैं, इसलिए महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है कि वह थायराइड की समस्या को अनदेखा ना करें। थायराइड महिलाओं को कई तरह से प्रभावित करता है। आज इस लेख में हम महिलाओं में थायराइड के कारण उनसे बचाव के उपाय और योग द्वारा इसे नियंत्रित करने के बारे में जानेंगे।
आज के समय में हम सभी स्वस्थ रहना चाहते हैं। लेकिन व्यस्त जीवनशैली, अव्यवस्थित खानपान, शारीरिक श्रम का अभाव जैसे विभिन्न कारणों से हम बीमार पड़ते रहते हैं। कोई न कोई रोग हमारे जीवन को प्रभावित कर ही देता है और हम परेशान होते रहते हैं। इसके अलावा कुछ रोग ऐसे होते हैं जो हमारे शरीर की ग्रंथियों से जुड़े होते हैं। इन्हीं में से एक है थायरॉइड रोग, जो कि हमारी थायरॉइड ग्रंथि से जुड़ा होता है। थायराइड महिलाओं को कई तरह से प्रभावित करता है। हार्मोनल असंतुलन, तनाव, शरीर में आयोडीन की कमी, वायरल संक्रमण आदि के कारण महिलाओं में कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं। थायराइड भी उन्हीं में से एक है। इसी से जुड़े रोग को थायरॉइड रोग कहा जाता है। आइए, इस आर्टिकल में हम Thyroid रोग, थायरॉइड होने के कारण, इसके उपचार , लक्षण और बचाय के उपायों में जानते हैं।
थायराइड क्या होता है?
थायराइड गले में आगे की तरफ मौजूद एक ग्रंथि है जो तितली के आकार की होती है। यह ग्रंथि शरीर की अनेकों आवश्यक गतिविधियों को नियंत्रित करती है जैसे कि भोजन को ऊर्जा में बदलना आदि।थायराइड टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन और टी4 यानी थायरॉक्सिन हार्मोन का निर्माण करता है। ये हार्मोन दिल की धड़कन, सांस, पाचन तंत्र, शरीर का तापमान, हड्डियों, मांसपेशियों और कोलेस्ट्रॉल को संतुलित रखने में मदद करते हैं। जब इन दोनों हार्मोन में असंतुलन होता है तो उसे थायराइड की समस्या कहते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायराइड रोग का प्रभाव अधिक देखा जाता है। पुरुष की तुलना में महिलाओं में थायराइड प्रभाव अधिक होता है। साथ ही, महिलाओं को गर्भावस्था में थायराइड प्रभाव डालता है। अगर आपके मन में यह प्रश्न उठता है कि महिलाओं में थायराइड कितना होना चाहिए तो हम आपको बता दें कि महिलाओं में थायराइड का नॉर्मल रेंज 0.4-4.0 mIU/L के बीच होना चाहिए।
थायरॉइड हार्मोन क्या काम करता है?
थायरॉइड हार्मोन के कार्य निम्नलिखित हैं
* यह हमारे शरीर में थायरोक्सिन हार्मोन वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के चयापचय को नियंत्रित रखता है।
* यह रक्त में चीनी, कोलेस्ट्रॉल और फोस्फोलिपिड की मात्रा को कम करता है।
* यह हड्डियों, पेशियों, लैंगिक और मानसिक वृद्धि को नियंत्रित करता है।
* हृदयगति और रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।
* महिलाओं में दुग्धस्राव को बढ़ाता है।
थायराइड रोग के प्रकार
थायरॉइड रोग के विभिन्न प्रकार होते हैं जिन्हें हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म के रूप में जाना जाता है।
हाइपरथायरायडिज्म: हाइपरथायरायडिज्म तब होता है जब आपकी थायराइड ग्रंथि अत्यधिक हार्मोन थायरोक्सिन का उत्पादन करती है। यह थायराइड विकार आपके शरीर के चयापचय को तेज कर सकता है, इस प्रकार, अनजाने में वजन घटाने और एक तेज या अनियमित दिल की धड़कन पैदा कर सकता है।
हाइपोथायरायडिज्म: हाइपोथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपकी थायराइड ग्रंथि कुछ महत्वपूर्ण हार्मोनों का पर्याप्त उत्पादन नहीं करती है। यह वृद्ध महिलाओं में सबसे अधिक प्रचलित है। जब आपके शरीर में बहुत कम थायराइड हार्मोन होता है, तो यह आपको थका हुआ महसूस कर सकता है, आपका वजन बढ़ सकता है और आप ठंडे तापमान को सहन करने में भी असमर्थ हो सकते हैं।
महिलाओं में थायराइड के कारण
महिलाओं में थायराइड कई कारणों से होता है जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं:-
* वायरल संक्रमण के चपेट में आने पर महिला को थायराइड की शिकायत हो सकती है।
* जो महिला हमेशा तनाव यानी स्ट्रेस में रहती है उन्हें थायराइड होने का खतरा अधिक होता है।
* डिलीवरी के बाद शरीर में बदलाव आने के कारण भी थायराइड की समस्या पैदा हो सकती है।
* जब एक महिला की शरीर में आयोडीन की कमी होती है तो थायराइड का खतरा होता है।
* हार्मोनल असंतुलन के कारण महिला को कई तरह की परेशानियां होती हैं और थायराइड भी उन्हीं में एक है।
उपरोक्त के अलावा थायराॅइड इन कारणों से भी हो सकता है।
* हाशिमोटो रोग
* थायरॉइड ग्रंथि में सूजन
* ग्रेव्स रोग
* गण्डमाला रोग
विटामिन बी 12 की कमी
महिलाओं में थायराइड के लक्षण
महिलाओं में थायराइड के प्रमुख लक्षण में थायराइड ग्रंथि में सूजन होना शामिल है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि सभी महिलाओं में यह लक्षण दिखाई दें। महिलाओं में थायराइड का लक्षण के रूप में निम्न अनुभव हो सकते हैं:
महिलाओं में हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण में निम्न शामिल हो सकते हैं:-
* वजन बढ़ना
* चीजें याद नहीं रहना
* आवाज कर्कश होना
* कमजोरी महसूस करना
* बालों का सुर्ख और मोटा होना
* त्वचा का शुष्क होना
* कब्ज की शिकायत होना
* थकावट महसूस होना
* बार-बार और भारी मासिक धर्म होना
* ठंडे तापमान को झेलने की क्षमता कम होना
* ब्लड कोलेस्टेरोल का स्तर बढ़ना
* मांसपेशियों में दर्द होना
* मांसपेशियां कोमल और कठोर होना
* दिल की धड़कन धीमी होना
* कुछ मामलों में अवसाद (डिप्रेशन) होना
महिलाओं में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण में निम्न शामिल हो सकते हैं:-
* थायराइड ग्रंथि या गण्डमाला का आकार बढ़ना
* घबराहट होना
* मांसपेशियों में कमजोरी और कंपकंपी होना
* तनाव महसूस होना
* वजन कम होना
* दृष्टि संबंधित समस्या होना या आंखों में जलन होना
* चिड़चिड़ापन होना
* सोने में परेशानी होना यानी सही से नींद नहीं आना
* मासिक धर्म का अनियमित होना या पूर्ण रूप से रुक जाना
कुछ मामलों में थायराइड के लक्षण दूसरी बीमारियों या स्थितियों के लक्षण जैसा हो सकते हैं, ऐसे में इस बात की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर कुछ जांच का सहारा लेते हैं।
थायरॉइड महिलाओं को किस प्रकार प्रभावित करता है?
महिलाओं में थायराइड की समस्या अधिक पाई जाती है। थायराइड विकार यौवन और मासिक धर्म को असामान्य रूप से जल्दी या देर से होने का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, थायराइड हार्मोन का असामान्य रूप से उच्च या निम्न स्तर बहुत हल्का या बहुत भारी मासिक धर्म, बहुत अनियमित मासिक धर्म, या अनुपस्थित मासिक धर्म (एमेनोरिया नामक स्थिति) का कारण बन सकता है।
महिलाओं में थायराइड के साइड इफेक्ट्स
थायराइड ग्रंथि के कार्यों का एक महिला के प्रजनन तंत्र में बहुत बड़ी भूमिका होती है, खासकर अगर थायरॉयड अति सक्रिय या कम सक्रिय है। महिलाओं में थायराइड के साइड इफेक्ट निम्न हो सकते हैं:
* थायराइड विकारों के कारण यौवन और मासिक धर्म असामान्य रूप से जल्दी या देर से आ सकता है।
* ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिव थायराइड ओवुलेशन को प्रभावित कर सकता है। अंडाशय से अंडा रिलीज होने की प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते हैं।
* थायराइड विकार ओवुलेशन को पूर्ण रूप से रोक सकता है। इसके अलावा, अगर महिला को अंडरएक्टिव थायराइड है तो ओवरी में सिस्ट विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
* गंभीर हाइपोथायरायडिज्म वास्तव में ओव्यूलेशन के रुकने और स्तन में दूध उत्पादन का कारण बन सकता है।
* थायराइड विकार गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है और डिलीवरी के बाद मां में थायराइड की समस्या पैदा कर सकता है। इसे पोस्टपार्टम थायरॉइडाइटिस (प्रसवोत्तर थायरॉयडिटिस) के नाम से जानते हैं।
* थायराइड हार्मोन की कमी गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी, स्टिलबर्थ (डिलीवरी से पहले या दौरान शिशु की मृत्यु), प्रसवोत्तर रक्तस्राव (पोस्टपार्टम हेमरेज) का कारण भी बन सकता है।
* गर्भावस्था के दौरान ओवरएक्टिव थायराइड से पीड़ित महिला को गंभीर मॉर्निंग सिकनेस का खतरा अधिक होता है।
* थायराइड विकार रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) की शुरुआत का कारण बन सकता है (40 की उम्र से पहले या 40 की शुरुआत में)।
* ओवरएक्टिव थायराइड विकार के कुछ लक्षणों को गलती से मेनोपॉज का शुरुआती लक्षण समझा जा सकता है। इसमें शामिल हैं माहवारी की कमी, हॉट फ्लैशेज, नींद की कमी (इंसोम्निया) और मूड में बदलाव।
* हाइपरथायरायडिज्म का इलाज करना कभी-कभी प्रारंभिक रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम कर सकता है या प्रारंभिक रजोनिवृत्ति को होने से रोक सकता है।
* इन सबके अलावा, महिलाओं में थायराइड के साइड इफेक्ट के तौर पर थायराइड हार्मोन का असामान्य रूप से अधिक या कम होना हल्का या हेवी मासिक धर्म, अनियमित मासिक धर्म, मासिक धर्म की अनुपस्थिति (एमेनोरिया) का कारण बन सकता है।
महिलाओं में थायराइड का इलाज
महिलाओं में थायराइड का इलाज मरीज की उम्र और थायराइड की गंभीरता पर निर्भर करता है। चाहे हाइपरथायरायडिज्म का इलाज हो या हाइपोथायरायडिज्म का इलाज – इस समस्या का उपचार कई तरह से किया जा सकता है जिसमें एंटी-थायराइड गोलियां, रेडियोएक्टिव आयोडीन उपचार, लेवोथायरोक्सिन और सर्जरी आदि शामिल हैं। इलाज के जब सभी माध्यम असफल हो जाते हैं या थायराइड की स्थिति गंभीर होती है तो डॉक्टर सर्जरी का सुझाव देते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान उन उत्तकों को आंशिक रूप से बाहर निकाल दिया जाता है जो अधिक हार्मोन का उत्पादन करते हैं।
थायराॅइड से बचाव के उपाय क्या है?
आप निम्नलिखित उपायों को अपनाकर थायराॅइड से बच सकते हैं।
* रोजाना योग करना
* वर्कआउट या शारीरिक श्रम
* सेब का सेवन
* रात में हल्दी का दूध पीना
* धूप में बैठना
* नारियल तेल से बना खाना खाना
* पर्याप्त मात्रा में नींद लेना
* ज्यादा फलों एवं सब्जियों को भोजन में शामिल करें
* हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन
* पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें
योगासन से थायरॉइड का उपचार
थायराइड के घरेलू उपचार के अलावा ये सभी आसन थायरॉइड रोग को ठीक करते हैं।
* सूर्य नमस्कार
* पवनमुक्तासन
* सर्वांगासन
* उष्ट्रासन
* हलासन
* मत्स्यासन
* भुजंगासन
थायराॅइड में क्या नहीं खाना चाहिए?
* धूम्रपान, एल्कोहल का सेवन नहीं करना
* चीनी, चावल, ऑयली फूड का सेवन नहीं करे
* मसालेदार खाने से बचे
* मैदे से बनी चीजें नहीं खाए
* चाय और काॅफी का सेवन नहीं करे
निष्कर्षतः, थायरॉयड ग्रंथि चयापचय और समग्र शारीरिक कार्यों को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। समय पर निदान और उचित उपचार के लिए थायरॉइड समस्याओं के संकेतों और लक्षणों की पहचान करना आवश्यक है। वजन में उतार-चढ़ाव और मासिक धर्म की अनियमितताओं से लेकर घबराहट और परिवर्तित मल त्याग तक, ये संकेतक थायरॉयड स्वास्थ्य में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। एक चिकित्सा पेशेवर से परामर्श करना और टीएसएच, टी4 और टी3 परीक्षण जैसे परीक्षणों से गुजरने से थायरॉइड डिसफंक्शन की सीमा निर्धारित करने में मदद मिल सकती है। याद रखें, थायरॉइड विकारों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए शीघ्र हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है। चाहे यह हाइपरथायरायडिज्म हो या हाइपोथायरायडिज्म, दवाओं, एंटीथायरॉइड दवाओं, रेडियोधर्मी आयोडीन या सर्जरी सहित एक अनुरूप उपचार योजना, थायरॉयड संतुलन को बहाल कर सकती है और समग्र कल्याण को बढ़ा सकती है।
चलिए, अब जानते हैं कि थायराइड व्यायाम में क्या-क्या शामिल है।
थायराइड के लिए योगासन
थायराइड में कौन सा योग करना चाहिए, बताने से पहले हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि योग का फायदा तभी होता है, जब उसे सही तरीके और मन से किया जाए। योग का प्रथम नियम यही है कि इसे बिना कष्ट व जोर लगाए करना चाहिए। यहां हम एक-एक करके थायराइड व्यायाम के बारे में विस्तार से बता रहे हैं, जो थायराइड में लाभकारी हो सकते हैं।
1. उज्जायी प्राणायाम : उज्जायी प्राणायाम फॉर थायराइड यानी थायराइड के लिए उज्जायी प्राणायाम जरूर करना चाहिए। इस योग का असर गले वाले हिस्से पर पड़ता है। इसके अलावा, जिन लोगों को थायराइड असंतुलन की समस्या होती है, उन पर इसका वार्मिंग प्रभाव मदद कर सकता है। इससे थायराइड की समस्या को नियंत्रण में लाया जा सकता है। उज्जायी प्राणायाम करने से थायराइड ग्रंथी में कंपन होता है, जिससे ये ग्रंथी ठीक तरह से काम कर पाती है। साथ ही इस आसन को करने से शरीर में ऊर्ज का संचार भी होता है।
करने की प्रक्रिया: इसके लिए सबसे पहले जमीन पर पद्मासन या फिर सुखासन में बैठ जाएं।
* गले को टाइट करके शरीर के अंदर सांस भरें। इस तरह सांस भरते समय एक आवाज आती है।
* सांस लेते समय सीने को फुलाने की कोशिश करें।
* इसके बाद अगर चाहें तो जालंधर बंध भी लगा सकते हैं। इसमें ठोड़ी को छाती के साथ चिपका देते हैं।
* अब जब तक संभव हो सांस को रोककर रखें।
* फिर दाहिनी अंगुठे से दाईं नासिका को बंद करें और धीरे-धीरे बांईं नासिका से सांस को छोड़ें।
* इसके अलावा, दाईं नासिका को बंद किए बिना दोनों नासिकाओं से भी सांस छोड़ सकते हैं।
सावधानी : जिनका रक्तचाप कम है, उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
2. मत्स्यासन
जैसा कि नाम से पता चलता है कि इसे करते समय शरीर मछली के आकार का हो जाता है। इसे इंग्लिश में फिश पोज योग कहते हैं। इस योग को करने पर थायराइड ग्रंथि के रक्त संचार में सुधार हो सकता है। साथ ही यह गले के तनाव को कम कर थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करने का काम कर सकता है, जो थायराइड की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। लिहाजा, मत्स्यासन को थायराइड का योग माना जा सकता है।
करने की प्रक्रिया: जमीन पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं और हाथों का सहारा लेते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकते हुए पीठ के बल लेट जाएं।
* अब हाथों की मदद से शरीर को ऊपर उठाएं और पैरों व सिर के बल पर शरीर को संतुलित कर लें।
* इसके बाद बाएं पैर को दाएं हाथ से और दाएं पैर को बाएं हाथ से पकड़ लें।
* इस दौरान, कोहनियां और घुटने जमीन से सटे होने चाहिए।
* इस स्थिति में रहते हुए ही धीरे-धीरे सांस लेते व छोड़ते रहें।
* करीब 30 सेकंड से एक मिनट तक इसी अवस्था में रहें।
* इसके बाद सांस छोड़ते हुए हाथों का सहार लेते हुए लेट जाएं और फिर उठते हुए प्रारंभिक अवस्था में आकर सीधे बैठ जाएं।
* इस तरह के करीब तीन-चार चक्र करें।
सावधानी : अगर कोई रीढ़ की हड्डी के किसी गंभीर रोग से ग्रस्त हैं, घुटनों में दर्द है, हर्निया है या फिर अल्सर है, तो इस योगासन को बिल्कुल न करें।
3. विपरीत करनी
थायराइड के लिए योग के तहत यह आसन जरूर करना चाहिए। इस आसन को करने पर थायराइड को उत्तेजित करने में मदद मिल सकती है, जिस कारण इससे जुड़ी समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है। साथ ही यह रक्त संचार को बेहतर करने का काम कर सकता है। इससे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।
करने की प्रक्रिया: सबसे पहले दीवार के पास योग मैट को बिछा लें और दीवार की तरफ मुंह करके बैठ जाएं।
* इसके बाद हाथों का सहारा लेते हुए पीछे की ओर झुक जाएं और कूल्हों व पैरों को ऊपर उठाकर बिल्कुल सीधे दीवार के साथ सटा लें।
* बांहों को शरीर से दूर फैला लें और हथेलियां ऊपर की ओर रहें।
* इस मुद्रा में करीब 5-15 मिनट तक रहें।
* फिर घुटनों को मोड़ते हुए दाईं ओर घूम जाएं और सामान्य अवस्था में बैठ जाएं।
सावधानी : अगर किसी के पीठ या गर्दन में अधिक दर्द है, तो इस आसन को न करें। मासिक धर्म के समय महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
4. सर्वांगासन
यह तीन शब्दों से बना है। ‘सर्व’ का अर्थ सभी, ‘अंग’ का शरीर और ‘आसन’ का अर्थ मुद्रा से है। नाम के अनुसार ही इस योगासन के फायदे भी अनेक हैं। यह पूरे शरीर में खिंचाव लाने का काम कर सकता है। साथ ही यह गर्दन वाले भाग में रक्त संचार को ठीक करने का काम कर सकता है, जिससे थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित किया जा सकता है। इससे थायराइड को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिल सकती है (4)। ऐसे में थायराइड में योग करने वालों के लिए सर्वांगासन करना अच्छा साबित हो सकता है।
करने की प्रक्रिया: सबसे पहले जमीन पर योग मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। हाथों को शरीर के साथ सीधा सटाकर रखें।
* फिर पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं।
* इसके बाद कूल्हों व कमर को भी ऊपर की ओर उठा लें।
* इसके बाद कोहनियों को जमीन पर टिकाते हुए पीठ को हाथों के जरिए सहारा दें और पैरों व घुटनों को ऊपर की ओर बिल्कुल सीधा कर दें। घुटने व पैर आपस में मिले हुए होने चाहिए। इस दौरान, शरीर का पूरा भार कंधों, सिर व कोहनियों पर होना चाहिए। साथ ही ठोड़ी छाती पर लगे।
* इसी मुद्रा में करीब एक-दो मिनट तक रहें और लंबी-गहरी सांस लेते रहें।
* अब वापस पैरों को पीछे की ओर ले जाएं व हाथों को सीधा करते हुए कमर को जमीन से सटाएं और पैरों को धीरे-धीरे वापस जमीन पर ले आएं।
सावधानी : जिन्हें गंभीर थायराइड, उच्च रक्तचाप की समस्या, कमर में दर्द, हर्निया, कमजोरी या फिर गर्दन व कंधे में चोट लगी है, तो उन्हें किसी प्रशिक्षक की देखरेख में यह आसन करना चाहिए।
5. सेतु बंधासन
सेतु बंधासन थायराइड का योग है, जो इस स्थिति में लाभकारी हो सकता है। इस योग के दौरान होने वाली क्रिया का असर गर्दन वाले भाग पर पढ़ता है, जो थायराइड को बेहतर तरीके से काम करने में मदद कर सकता है। अब यह थायराइड में किस प्रकार फायदेमंद है, इस पर और वैज्ञानिक रिसर्च की आवश्यकता है।
करने की प्रक्रिया: सबसे पहले घर के साफ स्थान पर योग मैट बिछाकर पीठ के सहारे लेट जाएं। इस समय हाथ सीधे होने चाहिए।
* फिर आराम से पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए हिप्स तक ले आएं।
* इसके बाद हल्की गहरी सांस लेते हुए हिप्स और कमर को ऊपर की ओर उठाएं। इस समय दोनों हाथ जमीन पर होनी चाहिए। कमर वाले भाग को ऊपर उठाने के लिए ज्यादा जोर न लगाएं।
* कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
* फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए हिप्स को जमीन पर ले आएं और पैरों को वापस से सीधा कर पहले वाली अवस्था में आ जाएं।
* 15-20 सेकंड के लिए शरीर को आराम दें और फिर से इस आसन को करना शुरू करें।
* इस योग को 10 से 15 मिनट तक कर सकते हैं।
सावधानी: अगर किसी के कमर में चोट लगी है या कमर, गर्दन और कंधों में दर्द है, तो इस योग को करने से बचें।
6. मार्जरी आसन
मार्जरी आसन को अंग्रेजी में कैट पोज के नाम से जाना जाता है। इस आसन को करते समय शरीर बिल्ली के आकार में आ जाता है। इस संबंध में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, मार्जरी आसन के नियमित अभ्यास से थायराइड ग्रंथि में सुधार हो सकता है, जिस कारण इससे जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में कुछ हद तक मदद मिल सकती है।
करने की प्रक्रिया: इस योग को करने के लिए एक चटाई बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
* इसके बाद हाथों को सामने की तरफ फैलाकर जमीन पर रख दें। इस अवस्था में पीठ सीधी होनी चाहिए।
* इस मुद्रा में शरीर बिल्ली की आकार का दिखाई देना चाहिए।
* इसके बाद सांस छोड़ते हुए गर्दन को झुककर ठोड़ी को छाती से टिका लें और पेट वाले हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं।
* फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए सिर को ऊपर की तरफ उठाए और पेट वाले हिस्से को नीचे की तरफ दबाएं।
* इस अवस्था में आने पर पीठ और चेस्ट वाले भाग में तनाव महसूस होगा। इस आसन को जोर जबरदस्ती के साथ न करें।
* इस योग को 10 से 15 मिनट तक कर सकते हैं।
सावधानी : अगर इस आसन को करते समय कमर, गर्दन या पैर में दर्द महसूस हो, तो इस आसन को न करें।
7. जानुशीर्षासन
इस योगासन का नाम दो शब्दों जानु यानी घुटने और शीर्ष यानी सिर के संयोग से बना है। इस आसन को थायराइड स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन के लिए किए जाने वाले योग में शामिल किया जाता है, जो थायराइड की समस्या को ठीक करने में मदद कर सकता है।
करने की प्रक्रिया: योग मैट पर आराम से बैठ जाएं और पैरों को सामने की ओर फैला लें। रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें।
* अब बाएं घुटने को मोड़ते हुए बाएं तलवे को दाहिने जंघा के पास रखें और बाएं घुटने को जमीन से सटा दें।
* इसके बाद सांस लेते हुए हाथों को सिर के ऊपर सीधा उठाएं और कमर को दाहिनी तरफ घुमाएं।
* फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुके और दाएं पैर के अंगूठे को हाथ से पकड़ने की कोशिश करें। साथ ही कोहनियों को जमीन से और सिर को घुटने से लगाने का प्रयास करें।
* लोकुछ सेकंड इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
* इसके बाद सांस लेते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठें और जब बिल्कुल सीधे हो जाएं, तो हाथों को नीचे कर लें।
* इस प्रकार एक चक्र पूरा हो जाएगा और फिर पूरी प्रक्रिया को दूसरे पैर से दोहराएं।
* सावधानी : जिन्हें पीठ के निचले हिस्से या घुटनों में दर्द है, वो यह आसन न करें। साथ ही दस्त होने पर भी इसे नहीं करना चाहिए।
8. हलासन
थायराइड के लिए योग की लिस्ट में हलासन का नाम भी शामिल है। इस संबंध में प्रकाशित एक मेडिकल रिसर्च में दिया हुआ है कि हलासन थायराइड की समस्या से निपटने के लिए सबसे अच्छा आसन हो सकता है। यह आसन थायराइड ग्रंथि के कार्य प्रणाली को बेहतर कर सकता है, जिससे इससे जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
करने की प्रक्रिया: सबसे पहले तो योग मैट पर पीठ के बल सीधा लेट जाएं और हाथों को भी शरीर से सटाकर सीधा रखें।
* अब पैरों को घुटने से मोड़े बिना धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं और फिर सांस छोड़ते हुए पीठ को उठाते हुए पैरों को पीछे की ओर ले जाएं। पैरों की उंगलियों को जमीन से स्पर्श करने का प्रयास करें। ध्यान रहे कि इस अवस्था में हाथ बिल्कुल सीधे रहने चाहिए।
* इस मुद्रा को ही हलासन कहते हैं। कुछ सेकंड तक इस अवस्था में रहते हुए सामान्य गति से सांस लेते रहें और फिर धीरे-धीरे मूल अवस्था में आ जाएं।
* इस तरह के करीब तीन-चार चक्र प्रतिदिन करें।
सावधानी: जिन्हें सर्वाइकल व उच्च रक्तचाप है, वो इसे न करें।
9. बालासन
यह आसन दो शब्दों बाल और आसन का समावेश है। यहां बाल का अर्थ बच्चे और आसन का अर्थ मुद्रा से है। इस आसन की खास बात यही है कि इसमें बच्चे जैसी मुद्रा में जाने का प्रयास किया जाता है। इस आसन का उपयोग रक्त संचार को बेहतर करने और तनाव को ठीक करने के साथ-साथ कमर, पीठ और रीढ़ की हड्डी के लिए फायदेमंद माना जाता है। इससे थायराइड पर भी सकारात्मक असर हो सकता है। फिलहाल, इस संबंध में कोई वैज्ञानिक रिसर्च नहीं है।
करने की प्रक्रिया: एक साफ स्थान पर योग मैट या चटाई बिछाकर वज्रासन मुद्रा में बैठ जाएं।
* फिर गहरी सांस भरते हुए हाथों को एक सीध में सिर के ऊपर उठा लें।
* इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामने की तरफ झुकें। सामने की ओर झुकते समय तनाव हिप्स के जोड़ों वाले भाग में होना चाहिए न कि कमर के जोड़ों पर।
* पूरी तरह सामने झुकने पर हथेलियां, कोहनी और सिर जमीन पर रखें।
* कुछ सेकंड इसी मुद्रा में बने रहने की कोशिश करें और सामान्य रूप से सांस लेते व छोड़ते रहें।
* अब गहरी सांस भरते हुए उठें और हाथों को सिर के ऊपर ले आएं। फिर वज्रासन में आ जाएं।
* इस योग को लगभग 10 मिनट तक कर सकते हैं।
सावधानी : इस योग को गर्भवती महिलाओं, दस्त के रोगियों, घुटने में दर्द या चोट और हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्ति को नहीं करना चाहिए।
10. उष्ट्रासन
उष्ट्र का अर्थ होता है ऊंट। जब हम यह आसन करते हैं, तो हमारी मुद्रा लगभग ऊंट जैसी होती है, इसलिए इसे उष्ट्रासन कहा जाता है। इससे जुड़े एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, इसे करने से गर्दन पर खिंचाव महसूस होता है, जिस कारण यह थायराइड में लाभदायक हो सकता है।
करने की प्रक्रिया: इस योगासन को करने से पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
* इस मुद्रा में घुटनों व पैरों के बीच करीब एक फुट की दूरी होनी चाहिए।
* अब घुटनों के बल खड़े हो जाएं और सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकें।
* दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर और बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रख दें।
* ध्यान रहे इस दौरान गर्दन में किसी तरह का झटका न आए।
* इसके बाद जांघें फर्श से समकोण दिशा में होनी चाहिए और सिर पीछे की ओर झुका होना चाहिए। इस मुद्रा में शरीर का पूरा भार बांह व पैरों पर होना चाहिए।
* इसी अवस्था में रहते हुए धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें।
करीब एक मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
सावधानी : जिन्हें उच्च रक्तचाप है, हर्निया की समस्या है, अधिक कमर दर्द है, हृदय रोग से पीड़ित हैं, उन्हें यह योगासन नहीं करना चाहिए।
11. धनुरासन
जहां अभी तक हमने कमर के बल लेटकर या फिर पीठ के बल झुकने वाले आसन बताए, वहीं यह आसन पेट के बल लेटकर किया जाता है। इसे करने से शरीर धनुष के समान लगता है, इसलिए इसका नाम धनुरासन पड़ा है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, धनुरासन हाइपोथायराइड के कारण होने वाले कब्ज और पाचन की समस्या से छुटकारा दिला सकता है। इससे कुछ हद तक थायराइड की समस्या कम हो सकती है (3)। यही वजह है कि थायराइड में इस योग को सहायक माना जा सकता है।
करने की प्रक्रिया: जमीन पर योग मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
* इसके बाद सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ लें और दोनों हाथों से दोनों टखनों को कसकर पकड़ लें।
* अब सांस लेते हुए सिर, छाती और जांघ को ऊपर उठाने की कोशिश करें। जितना संभव हो सके शरीर को उतना ही ऊपर उठाएं।
* ऐसा करते समय अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ दूरी आ जाएगी, जिसे इस अवस्था में पहुंचने के बाद थोड़ा कम करने का प्रयास करें।
* कुछ देर इसी मुद्रा में रहते हुए आराम से सांस लेते और छोड़ते रहें।
* फिर लंबी गहरी सांस लेते हुए धीरे-धीरे शरीर को नीचे लाएं और मूल स्थिति में आ जाएं।
सावधानी : जिन्हें पथरी की शिकायत हो या फिर हर्निया और अल्सर हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।
12. नावासन
थायराइड के लिए आसन की लिस्ट में नावासन को भी जगह दी जा सकती है। इस आसन को करने पर पूरे शरीर के रक्त संचार में सुधार हो सकता है। साथ ही गर्दन वाले भाग में गर्माहट होने पर थायराइड ग्रंथि प्रभावित हो सकती है, जो इसे सही तरह से काम करने में मदद कर सकती है। फिलहाल, इस बात की पुष्टि करने के लिए कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है।
करने की प्रक्रिया: इस आसन को करने के लिए सबसे पहले योग मैट बिछा लें और उस पर पीठ के बल लेट जाएं।
* फिर सांस छोड़ते हुए पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं।
* इसके बाद हाथों को सामने की तरफ फैलाते हुए कमर तक शरीर को उठाएं। इस वक्त शरीर का पूरा संतुलित हिप्स पर रहेगा।
* इस समय रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और धीरे-धीरे सांसे छोड़ते व लेते रहें।
* कुछ वक्त तक इसी स्थिति में बने रहें।
* फिर शरीर को नीचे करते हुए जमीन पर ले आएं और पैरों को भी नीचे कर लें।
* इस आसन को 10 से 15 मिनट तक कर सकते हैं।
सावधानी: अगर किसी ने पेट की सर्जरी कराई है, तो वो इस आसन को न करें।
13. भुजंगासन
भुजंगासन दो शब्दों से बना है, भुजंग यानी सांप व आसन यानी मुद्रा। इस आसन को अंग्रेजी में कोबरा पोज के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस योग के दौरान शरीर की आकृति सांप जैसी हो जाती है। भुजंगासन थायराइड ग्रंथि में मसाज का काम कर सकता है, जिससे थायराइड से संबंधी समस्या को ठीक करने में मदद मिल सकती है। वहीं, इस आसन के दौरान होने वाले खिंचाव के कारण थायराइड ग्रंथि उत्तेजित हो सकती है, जो इसे अच्छी तरह काम करने में मदद कर सकता है।
करने की प्रक्रिया: भुजंगासन को करने के लिए योग मैट या चटाई बिछाकर पेट के बल लेट जाएं और हाथों को सिर के दोनों तरफ रखकर माथे को जमीन पर रखें। पैर तने हुए और उनमें कुछ दूरी हो।
* इसके बाद दोनों हथेलियों को कंधों के बराबर में ले आएं और लंबी सांस लेते हुए हाथों से जमीन पर दबाव डालें और शरीर को नाभि तक ऊपर उठाने की कोशिश करें। पहले मस्तक, उसके बाद छाती व आखिर में पेट वाला भाग उठाएं।
* शरीर को ऊपर उठाने के बाद ऊपर की तरफ देखें और कुछ सेकंड के लिए उसी मुद्रा में बने रहें।
* इस समय शरीर का पूरा भार दोनों हाथों पर एक समान होना चाहिए। साथ ही नियमित रूप से सांस लेते रहें।
* फिर सांस छोड़ते हुए पहले वाली अवस्था में आ जाएं।
* इस योग के तीन से पांच चक्र कर सकते हैं।
सावधानी: अगर किसी के हाथों व कमर में दर्द है, तो वो इस आसन को न करें।
14. कपालभाति
थायराइड की समस्या से राहत पाने के लिए कपालभाति सबसे अच्छा प्राणायाम साबित हो सकता है। एक वैज्ञानिक शोध की मानें, तो कपालभाति प्राणायाम करने पर थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करने और फैट को कम करने में मदद मिल सकती है। इससे थायराइड से संबंधित समस्याओं से राहत मिल सकती है।
करने की प्रक्रिया: इसके लिए सुखासन में बैठ जाएं या फिर संभव हो सके, तो पद्मासन में भी बैठ सकते हैं।
* अब पहले धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ दें।
* फिर नाक से धीरे-धीरे सांस बाहर फेंके। ऐसा करते समय आपका पेट अंदर की तरफ जाएगा।
* इस दौरान, मुंह को बंद रखें। मुंह से न तो सांस लेनी है और न ही छोड़नी है।
* ध्यान रहे कि इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे करें, किसी भी प्रकार का जोर लगाने की जरूर नहीं है। अन्यथा फायदा होने की जगह नुकसान हो सकता है।
* जब तक संभव हो इसे करते रहें और जब थकने लगें, तो रुक जाएं। थोड़ी देर बाद फिर से करें।
* इस तरह के चार-पांच चक्र कर सकते हैं।
सावधानी : अगर उच्च रक्तचाप, हर्निया, सांस संबंधी कोई बीमारी या फिर अल्सर है, तो इसे बिल्कुल न करें।
15. शवासन
इसे शवासन इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसे करते समय शरीर मृत व्यक्ति के समान होता है। सभी प्रकार के योगासन करने के बाद इसे अंत में किया जाता है। यह आसन पूरे शरीर को आराम देने के लिए सबसे अच्छा होता है। इससे थायराइड की समस्या में मदद मिल सकती है। फिलहाल, इस संबंध में कोई स्पष्ट शोध उपलब्ध नहीं है।
करने की प्रक्रिया: योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और हाथों को शरीर से कुछ दूरी पर रखें। हथेलियों की दिशा ऊपर की ओर होनी चाहिए।
* पैरों के बीच करीब एक फुट की दूरी रखें।
* सिर को सीधा रखें और आंखों को बंद कर लें।
* अब धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें।
* इस दौरान मस्तिष्क में आ रहे विचारों पर ध्यान न दें। इसकी जगह अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें और खुद को तनाव मुक्त रखें।
* जब तक चाहें इस अवस्था में रह सकते हैं।
सावधानी : यही एकमात्र आसन है, जिसे कोई भी कर सकता है।
नोट : अगर कोई पहली बार योगासन कर रहा है, तो हमारी सलाह यही है कि इसे प्रशिक्षित योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
थायराइड के लिए योग करते हुए रखें ये सावधानियां
थायराइड में योग करते समय कुछ बातों को ध्यान में जरूर रखना चाहिए। इससे योग को प्रभावी तरीके से असर करने में मदद मिल सकता है। यह बातें कुछ इस प्रकार है:
* योग करने के लिए खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करें।
* इसे हमेशा सुबह खाली पेट ही करना चाहिए। अगर शाम को योग कर रहे हैं, तो उससे तीन घंटे पहले कुछ न खाएं।
* शुरुआत में आसान योग को करें।
* योग करने के बाद तुरंत स्नान न करें।
* कोई भी योग को करने के लिए शरीर पर अधिक जोर न लगाएं।
* योग करते समय शरीर के किसी भी भाग में तकलीफ होती है, तो उस योग को करना बंद कर दें।
* शुरुआत में हमेशा विशेषज्ञ की देखरेख पर ही योग करें।
“करों योग रहों निरोग” यह बात एकदम सच है। योग की मदद से सभी तरह के बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके लिए प्रतिदिन योगाभ्यास करने आवश्यकता है। साथ ही आहार में अधिक मात्रा में तरल पदार्थ, फल और हरी सब्जियों को शामिल करें। इस प्रकार हाइपोथायरायडिज्म के यौगिक उपचार के तौर पर ऊपर बताए गए योग काफी हद तक फायदेमंद हो सकते हैं।
डिस्क्लेमर- यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में योग्य चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।