आज 14 सितम्बर है, इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। आज हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में ये जरुरी है कि हम अपनी इस राजभाषा हिंदी का इतिहास जानें और साथ ही ये विचार करें कि कैसे हिंदी भाषा देश में भावात्मक तथा सांस्कृतिक एकता स्थापित करने का प्रधान साधन है। हिंदी देश का गौरव है, आइये हम इस भाव के साथ हम हिंदी दिवस मनाएं।
जब देश 1947 में, आजाद हुआ तो देश के सामने सबसे बड़ा सवाल राजभाषा को लेकर था। क्योंकि भारत जैसे विशाल देश में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है। वर्ष 1949 में हिन्दी को राजभाषा घोषित किए जाने के बाद, 1953 से भारत में हर साल 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस (National Hindi Day) मनाया जाता है, इसका उद्देश्य हिंदी भाषा को बढ़ावा देना और इसका प्रचार-प्रसार करना है। इसे भारत की राजभाषा बनाने में अहम योगदान देने वालों में से एक राजेंद्र सिंह का जन्मदिन भी इसी दिन होता है। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस (World Hindi Day) मनाया जाता है इसकी शुरूआत वर्ष 2006 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी। यह दिन 1975 में नागपुर में हुए प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन को रेखांकित करता है।
राष्ट्रीय हिंदी दिवस के बारे में जानकारी
नाम : राष्ट्रीय हिन्दी दिवस (National Hindi Day)
तिथि : 14 सितंबर (वार्षिक)
पहली बार : 1953
2023 में : 71वां राष्ट्रीय और 18वां विश्व हिंदी दिवस मनाया जायेगा।
उद्देश्य : लोगों को हिंदी भाषा के बारे में जागरूक करना एवं इसके महत्व को समझाना।
संम्बंधित दिन : विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी)
राष्ट्रीय हिंदी दिवस की शुरुआत कब और कैसे हुई?
प्रतिवर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिन्दी दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन सन 1949 में देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी भाषा को भारत गणराज्य की राजभाषा का दर्जा मिला और भारतीय संविधान के 17वें भाग के अनुच्छेद 343(1) में इसे लेकर जरूरी प्रावधान किए गए। इसी ऐतिहासिक दिन को चिन्हित करने के लिए वर्ष 1953 से ही राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा प्रतिवर्ष 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस‘ का आयोजन किया जाता है। हमारे देश में हिन्दी बोलने, समझने और पढ़ने वालों की संख्या करीबन 77 फीसदी हैं।
14 सितंबर को हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है?
14 सितंबर को मनाए जाने वाले हिंदी दिवस का उद्देश्य हिन्दी भाषा का उत्थान और भारत में इसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करना है। इसके साथ ही देश भर में इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देना और इसके महत्व को बताना ही इसका मुख्य मकसद है। इसे मनाए जाने की सिफारिश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने की थी, जिसके बाद 14 सितंबर 1953 में इसे पहली बार मनाया गया। इस दिन सरकारी कार्यालयों में हिंदी के अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए संकल्प लेने को कहा जाता है। भारत के विदेश मंत्री के तौर पर अटल बिहारी वाजपेई ने वर्ष 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया था, इससे पहले स्वामी विवेकानंद ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया है।
एक भाषा के रूप में हिंदी का महत्व
हिंदी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, नेपाल, और बांग्लादेश में भी बोली और समझी जाती है| इसके अलावा दुनियाभर में करीब 61 करोड़ लोग हिंदी भाषी हैं| विश्वभर में लगभग 176 यूनिवर्सिटीज़ में हिंदी एक विषय के तौर पर पढ़ाई जाती है| भारत के अलावा दक्षिण प्रशांत महासागर में बसे फिजी में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है| इसे फिजियन हिंदी भी कहते हैं जो भारत में बोली जाने वाली अवधी, भोजपुरी और अन्य बोलियों का समावेश है| ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में हिंदी के कई शब्द शामिल हैं जैसे ‘अच्छा’, ‘बड़ा दिन’, सूर्य नमस्कार’ आदि| साल 1918 में महात्मा गाँधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने को कहा था, इसे गाँधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था|
हिंदी राजभाषा कैसे बनी? इतिहास
भारत की आजादी के बाद सरकार का ज्यादातर कामकाज अंग्रेजी में होता था, लेकिन देश की बहुरंगी संस्कृति को देखते हुए एक ऐसी भाषा की जरुरत महसूस की गई जो देश के अधिकांश हिस्से को आपस में जोड़ती हो| काफी विचार विमर्श करने के बाद 14 सितम्बर 1949 को सविंधान सभा ने हिंदी को देश की राजभाषा बनाने का फैसला लिया| इसी महत्वपूर्ण निर्णय के बाद ‘राष्ट्रभाषा प्रचार समिति’, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पुरे भारत में प्रतिवर्ष 14 सितम्बर ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है| एक तथ्य यह भी है कि 14 सितम्बर 1949 को हिंदी के ज्ञानी राजेंद्र सिंह का 50वा जन्मदिन था जिन्होंने काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हज़ारी प्रसाद द्धिवेदी आदि साहित्यकारों के साथ हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत लम्बा संघर्ष किया| इस कारण हिंदी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया।
* जिस प्रकार भारत विविधताओं का देश है उसी तरह से भारत एक बहुभाषी देश भी है जहां 100 से ज्यादा भाषाएं एवं बोलियां बोली जाती हैं ऐसे में आप सोच सकते हैं कि ‘हिंदी‘ को राष्ट्रभाषा के रूप में चुना जाना कितना कठिन रहा होगा।
* भारत की आज़ादी के साथ ही राष्ट्रभाषा को लेकर भी समस्या होने लगी और राजभाषा के चुनाव के लिए संविधान सभा द्वारा इसे लेकर वोट डाले गए और सभा ने हिंदी को राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में चुनने का फैसला लिया।
* 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी भाषा को देश की राजभाषा घोषित किया और इसे भारतीय संविधान के 17वें भाग के अनुच्छेद 343(1) में जगह मिली। जिसमे लिखा गया है संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के साथ ही हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता मिली।
* हालांकि, हिंदी को राजभाषा के रूप में चुनना आसान नहीं था। इसके लिए, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, केशवचंद्र सेन, दयानंद सरस्वती और भारतेंदु हरिश्चंद्र से लेकर महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस तक ने हिंदी के पक्ष में रैलियां और पैरवी की।
* साथ ही सबसे उल्लेखनीय व्यक्तियों और साहित्यकारों व्यौहार राजेन्द्र सिन्हा, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास ने तो इस मुद्दे पर संसद में बहस भी की।
* आखिरकार संविधान सभा द्वारा हिंदी को 14 सितंबर 1949 को व्यौहार राजेन्द्र सिन्हा के 50वें जन्मदिन पर आधिकारिक भाषा के रूप में चुन लिया गया।
कैसे मनाया जाता है
राष्ट्रीय हिंदी दिवस के मौके पर देशभर के स्कूल, कॉलेज, शैक्षिक संस्थानों और सरकारी दफ्तरों में विभिन्न प्रतियोगिताओं एवं कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें निबंध लेखन, भाषण, वाद-विवाद, विचार गोष्ठी, काव्य गोष्ठी, श्रुति लेखन, कवि सम्मेलन एवं हिन्दी टंकण प्रतियोगिता और अन्य क्रियाकलाप शामिल होते हैं। हिंदी भाषा के प्रति लोगों को जागरुक एवं प्रेरित करने के मकसद से हर वर्ष हिन्दी दिवस के मौके पर राजभाषा गौरव सम्मान पुरस्कार एवं राजभाषा कीर्ति पुरस्कार वितरित किया जाता है। इसके साथ ही प्रति वर्ष 14 सितंबर से 21 सितंबर के बीच ‘हिंदी सप्ताह‘ (हिन्दी पखवाड़ा ) मनाया जाता है। यह पुरस्कार उन्हें सम्मानित करने के लिए दिया जाता है जिन्होंने हिंदी को लोगों के बीच उपयोगी बनाने, इसे बढ़ावा देने तथा प्रेरित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विशेष रूप से यह पुरस्कार लेखकों को हिंदी साहित्य में उनके अहम योगदान के लिए दिया जाता है।
किन देशों में हिंदी भाषा बोली जाती है?
भारत के आलावा पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), युगांडा, गुयाना, सूरीनाम, साउथ अफ्रीका, त्रिनिदाद और मॉरिशस समेत कई अन्य देशों में कुछ बदलावों के साथ हिन्दी भाषा बोली जाती है।
हिंदी के अस्तित्व को खतरा
आजकल सामान्य बोलचाल में भी अंग्रेजी भाषा का उपयोग बढ़ता जा रहा है जिससे धीरे-धीरे हिंदी के अस्तित्व को खतरा पहुंच रहा है| आजकल पैरेंट्स में अपने बच्चों को हिंदी से अधिक अंगेज़ी भाषा सिखाने की रूचि है| ऐसा प्रतीत होता है. हिंदी तो अपने ही देश में दासी के रूप में रह रही है| विश्व भर तीसरी सबसे बोली जाने वाली भाषा हिंदी को आजतक सयुंक्त राष्ट्रसंघ की भाषा नहीं बनाया जा सका है| हिंदी के कम उपयोग की वजह से बहुत से शब्द प्रचलन से हट गए हैं और उनकी जगह अंग्रेजी के शब्दों ने ले ली है| जिससे भविष्य में भाषा के विलुप्त होने की भी संभावना अधिक बढ़ गई है| लेकिन हिंदी दिवस जैसे समारोह इसे जीवित रखने में अपना प्रयास निरंतर कर रहे है|
हिंदी भाषा के बारे में रोचक तथ्य
* वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के आकलन की माने तो यह विश्व की दस पावर फुल भाषाओं में से एक है।
* देशभर में करीबन 77% लोगों द्वारा हिंदी पढ़ी, लिखी, बोली और समझी जाती हैं।
* हिंदी असल में एक फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है सिंधु नदी की भूमि है।
* जाने-माने कवि अमीर खुसरो द्वारा हिन्दी की पहली कविता लिखी गई थी।
* यह दुनिया भर के लगभग 43 करोड़ से ज्यादा लोगों की प्राथमिक भाषा है।
* इसका इस्तेमाल वेब एड्रेस (URL) बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
* हिंदी को 14 सितंबर 1949 के दिन भारत की राजभाषा का दर्जा मिला।
* दुनियाभर की सैकड़ों यूनिवर्सिटीयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है इसके साथ ही यह उन 5 भाषाओं में आती है जो विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाती है।
* इसका उच्चारण और लेखन एक समान होता है। यानी इसके जो शब्द जिस प्रकार उच्चारित किए जाते हैं उसी प्रकार लिखे भी जाते हैं।
* गूगल की माने तो इंटरनेट पर हिंदी भाषा का इस्तेमाल पिछले कुछ सालों में काफी हद तक बढ़ा है।
* हिंदी विश्व की एक प्राचीन, समृद्ध तथा महान भाषा होने के साथ ही भारत की राजभाषा भी है।
* हिंदी विश्व की दूसरी सबसे बड़ी भाषा है। चीनी भाषा के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
* संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी।
हिंदी शब्द की व्युत्पत्ति: हिंदी मुख्यरूप से आर्यों और पारसियों की देन है। हिन्दी के ज्यादातर शब्द संस्कृत,अरबी और फारसी भाषा से लिए गए हैं। हिन्दी शब्द का सम्बन्ध संस्कृत शब्द सिन्धु से माना जाता है। ‘सिन्धु’ सिन्ध नदी को कहते थे और उसी आधार पर उसके आस-पास की भूमि को सिन्धु कहने लगे। हिन्दी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग शरफुद्दीन यज्दी’ के ‘जफरनामा’(1424) में मिलता है। ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में ‘स्’ ध्वनि नहीं बोली जाती थी। ‘स्’ को ‘ह्’ रूप में बोला जाता था। यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया। बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के अर्थ में विस्तार होता गया तथा हिन्द शब्द पूरे भारत का वाचक हो गया। इसी में ईरानी का ईक प्रत्यय लगने से (हिन्द ईक) ‘हिन्दीक’ बना जिसका अर्थ है ‘हिन्द का’। यूनानी शब्द ‘इन्दिका’ या अंग्रेजी शब्द ‘इंडिया’ आदि इस ‘हिन्दीक’ के ही विकसित रूप हैं।
हिंदी भाषा का विकास
आज हम जिस भाषा को हिन्दी के रूप में जानते है, वह आधुनिक आर्य भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का विकास नीचे दिए क्रम में हुआ ….
वैदिक काल (संस्कृत भाषा) : आर्य भाषा का प्राचीनतम रूप वैदिक संस्कृत है। वैदिक भाषा में वेद, संहिता एवं उपनिषदों का सृजन हुआ है। वैदिक भाषा के साथ-साथ ही बोलचाल की भाषा संस्कृत थी, जिसे लौकिक संस्कृत भी कहा जाता है। संस्कृत भाषा में ही रामायण तथा महाभारत जैसे ग्रन्थ रचे गये। वाल्मीकि, व्यास, कालिदास, अश्वघोष, भारवी, माघ, भवभूति, विशाख, मम्मट, दंडी तथा श्रीहर्ष आदि संस्कृत की महान विभूतियाँ है।
500 ई. पु. से पहली ई. (पालि) : संस्कृतकालीन भाषा परिवर्तित होते-होते 500 ई.पू. के बाद तक काफ़ी बदल गई, जिसे “पालि” कहा गया। महात्मा बुद्ध के समय में पालि लोकभाषा थी और उन्होंने पालि में ही अपने उपदेशों का प्रचार-प्रसार किया। यह भाषा ईसा की प्रथम ईसवी तक रही।
पहली इसवी से 500 ई. (प्राकृत) : पहली ईसवी आते-आते पालि भाषा और परिवर्तित हुई, तब इसे “प्राकृत” की संज्ञा दी गई। इसका काल पहली ई. से 500 ई. तक है।
500 ई. से 1000 ई. (अपभ्रंश) : आगे चलकर, प्राकृत भाषाओं के क्षेत्रीय रूपों से अपभ्रंश भाषायें प्रतिष्ठित हुई। इनका समय 500 ई. से 1000 ई. तक माना जाता है। अपभ्रंश भाषा साहित्य के मुख्यत: दो रूप मिलते है – पश्चिमी और पूर्वी । अनुमान से 1000 ई. के आसपास अपभ्रंश का विभिन्न क्षेत्रो में आधुनिक आर्य भाषाओं के रूप में जन्म हुआ। अपभ्रंश से ही हिन्दी भाषा का जन्म हुआ। आधुनिक आर्य भाषाओं का जन्म 1000 ई. के आसपास हुआ था, जिनमे हिन्दी भी है, किंतु इसमे साहित्य रचना का कार्य 1150 ई. या इसके बाद ही प्रारम्भ हुआ।
हिंदी भाषा का विस्तार
हिन्दी भारत की नहीं पूरे विश्व में एक विशाल क्षेत्र और जनसमूह की भाषा है:
* 1952 में उपयोग की जाने वाली भाषा के आधार पर यह विश्व में पांचवें स्थान पर थी। 1980 के आसपास यह चीनी और अंग्रेजी के बाद तीसरे स्थान पर आ गई।
* इतना ही नहीं फ़िजी, मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम जैसे दूसरे देशों की अधिकतर जनता हिन्दी बोलती है। भारत से सटे नेपाल की भी कुछ जनता हिन्दी बोलती है। आज हिन्दी राजभाषा, सम्पर्क भाषा, जनभाषा के सोपानों को पार कर विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है।
* अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के प्रति जागरुकता पैदा करने और हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलन जैसे समारोह की भी शुरुआत की गई है। 10 जनवरी 1975 को नागपुर से शुरू हुआ यह सफर आज भी जारी है। अब इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप मे भी मनाया जाने लगा है।
हिंदी भाषा की विशेषताएँ
हिंदी विश्व की सभी विकसित और उन्नत भाषाओँ में सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है। यह सबसे अधिक सरल तथा लचीली भाषा है। हिंदी लिखने के लिए उपयोग में लायी जानेवाली देवनागरी लिपि अत्यंत वैज्ञानिक है। हिंदी भाषा के नियम अपवादविहीन हैं तथा हिंदी भाषा का साहित्य बहुत समृद्ध है। हिंदी बोलने और समझने वाली जनता करोड़ से भी अधिक है और ये आम जनता से जुडी हुई भाषा है।
हिंदी भाषा का प्रचार व प्रसार
बीसवीं सदी के अंतिम दो दशकों में हिन्दी का अंतर्राष्ट्रीय विकास बहुत तेजी से हुआ है। वेब, विज्ञापन, संगीत, सिनेमा और बाजार के क्षेत्र में हिन्दी की मांग जिस तेजी से बढ़ी है वैसी किसी और भाषा में नहीं हुआ है।
हिन्दी भाषा और मनोरंजन
फिल्मों तथा फिल्मी गानों ने भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अपना अहम योगदान दिया है। भारतीयों ने अपनी कड़ी मेहनत, प्रतिभा और कुशाग्र बुद्धि से आज विश्व के तमाम देशों की उन्नति में जो सहायता की है उससे प्रभावित होकर सभी यह समझ गए हैं कि भारतीयों से अच्छे संबंध बनाने के लिए हिन्दी सीखना कितना जरूरी है। आज हिन्दी ने अंग्रेजी का वर्चस्व तोड़ डाला है। करोड़ों की हिन्दी भाषी आबादी कंप्यूटर का प्रयोग अपनी भाषा में कर रही हैं।
हिंदी भाषा की लोकप्रियता
हिन्दी भाषा और इसमें निहित भारत की सांस्कृतिक धरोहर इतनी सुदृढ और समृद्ध है कि इस ओर अधिक प्रयत्न न किए जाने पर भी इसके विकास की गति बहुत तेज है। ध्यान, योग, आसन और आयुर्वेद विषयों के साथ-साथ इनसे संबंधित हिन्दी शब्दों का भी विश्व की दूसरी भाषाओं में विलय हो रहा है।
* भारतीय संगीत, हस्तकला, भोजन और वस्त्रों की विदेशी मांग जैसी आज है पहले कभी नहीं थी। लगभग हर देश में योग, ध्यान और आयुर्वेद के केन्द्र खुल गए हैं जो दुनिया भर के लोगों को भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित करते हैं। ऐसी संस्कृति जिसे पाने के लिए हिन्दी के रास्ते से ही पहुंचा जा सकता है।
* विदेशों से 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिन्दी में प्रकाशित हो रही हैं। विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों तथा सैंकडों छोटे-बड़े केंद्रों में विश्वविद्यालय स्तर से लेकर शोध के स्तर तक हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था हुई है।
* सन् 1995 के बाद से टी. वी. के चैनलों से प्रसारित कार्यक्रमों की लोकप्रियता भी बढ़ी है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि जिन सेटेलाइट चैनलों ने भारत में अपने कार्यक्रमों का आरम्भ केवल अंग्रेजी भाषा से किया था उन्हें अपनी भाषा नीति में परिवर्तन करना पड़ा है
आज टी. वी. चैनलों एवं मनोरंजन की दुनिया में हिन्दी सबसे अधिक मुनाफे की भाषा है। कुल विज्ञापनों का लगभग 75 प्रतिशत हिन्दी माध्यम में है।
हिंदी भाषा “देश का गौरव” हिन्दी अपने आप में एक समर्थ भाषा है। हिन्दी भाषा प्रेम, मिलन और सौहार्द की भाषा है। भारत और अन्य देशों में 60 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते,पढ़ते और लिखते हैं। यह भाषा प्रकृति से उदार, ग्रहणशील और भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका है। यह सब विशेषताएँ देखते हुए हिंदी विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है।