हमारे देश भारत में हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता हैं. राष्ट्रीय खेल दिवस 29 अगस्त को मनाने का कारण यह हैं कि इस दिन हमारे देश के दिग्गज हॉकी प्लेयर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन आता हैं. मेजर ध्यानचंद ने हमारे देश का नाम खेल में अपने उत्तम प्रदर्शन द्वारा बहुत ऊँचा किया हैं, इसीलिए उनके जन्मदिवस को ही राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। आइए आज Major Dhyan Chand Jayanti के मौके पर उनके जीवन पर प्रकाश डालने का प्रयास करें।
महान भारतीय हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद्र की जयंती पर उन्हें याद करते हुए प्रति वर्ष 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) मनाया जाता है। उनकी कप्तानी में भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में लगातार तीन बार स्वर्ण पदक जीता था। ध्यान सिंह का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) जिले में हुआ था। उन्होंने अपने खेल का जलवा कुछ इस तरह बिखेरा कि लोग उन्हें ‘हॉकी का जादूगर‘ कहने लगे। राष्ट्रीय खेल दिवस सभी विद्यालयों, कॉलेज, शिक्षण संस्थाओं और खेल अकादमियों में मनाया जाता हैं और हमारी जिंदगी में खेल-कूद के महत्व को दर्शाया जाता हैं. इसके साथ ही यह दिन मनाने के पीछे एक उद्देश्य यह भी हैं कि हम अपने देश के युवाओं में खेल को अपना करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित कर पायें और उनके अंदर ये भावना उत्पन्न कर पायें, कि वे अपने खेल के उम्दा प्रदर्शन के द्वारा खुद की तरक्की तो कर ही सकते हैं, साथ ही साथ उनके अच्छे खेल प्रदर्शन से देश का नाम भी वे ऊँचा करेंगे और राष्ट्रीय गौरव भी बढाएँगे। अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिन राष्ट्रीय खेल दिवस (नेशनल स्पोर्ट्स डे) मनाया जाता है| भारत में भी इस दिन का विशेष महत्व है| आइये जानते हैं भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस कब मनाया जाता है (National Sports Day is Celebrated on) और क्या है इसका महत्व:
राष्ट्रीय खेल दिवस के बारे में जानकारी
नाम : राष्ट्रीय खेल दिवस
तिथि : 29 अगस्त (वार्षिक)
पहली बार : 29 अगस्त 2012
तारीख़ : मंगलवार, 29 अगस्त 2023
उद्देश्य : खेलों के प्रचार और खेल भावना को बढ़ावा देना
संम्बंधित व्यक्ति : मेजर ध्यानचंद
राष्ट्रीय खेल दिवस 2023 की थीम
इस साल 2023 में राष्ट्रीय खेल दिवस मंगलवार, 29 अगस्त को मनाया जा रहा है। आमतौर पर National Sports Day of india एक ख़ास Theme पर आधारित होता है, इस साल 2023 की थीम “लोगों और ग्रह के लिए स्कोरिंग” (लोगों और ग्रह के लिए स्कोरिंग) है। इस विषय में शांति और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए खेल के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। खेल स्वस्थ्य समाज के निर्माण, गरीबी को कम करने और पर्यावरण की रक्षा करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि वर्ष 2020 की थीम ‘Making Play and Fitness Gender-Sensitive‘ बतायी जाती है। लेकिन 2022 और 2021 की थीम के बारे में जानकारी नहीं है।
राष्ट्रीय खेल दिवस की घोषणा कब हुई?
भारत सरकार ने सन 2012 में मेजर ध्यानचंद की खेल जगत में उपलब्धियों और योगदान का स्मरण करने के लिए 29 अगस्त को उनके जन्मदिन पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाने की घोषणा की|
राष्ट्रीय खेल दिवस की शुरुआत कब हुई? (इतिहास)
वर्ष 1994 में झांसी के एक पूर्व सांसद ने सरकार से महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती को खेल दिवस के रूप में मनाने का आग्रह किया जिसकी तत्कालीन खेल मंत्री ने सराहना की और सभी औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने उनकी जयंती 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित कर दिया। विभिन्न खेलों के प्रचार और खेल भावना को बढ़ावा देने तथा इसके प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाने वाला खेल दिवस (नेशनल स्पोर्ट्स डे) पहली बार वर्ष 2012 में मनाया गया था। इसके अलावा प्रतिवर्ष 06 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है, इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2014 में की गई थी।
क्यों मनाया जाता है स्पोर्ट्स डे?
अपने खेल से भारत को एक अलग और खास मुकाम पर ले जाने वाले महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद जी के जन्मदिन को भारत नेशनल स्पोर्ट्स डे के रूप में मनाता है। खेल दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य खेल भावना को बढ़ावा देना, इसका प्रसार करना और विभिन्न खेलों के बारे में जागरूकता फैलाना है, इसके अलावा यह दिन खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करने का भी है। साथ ही यह हमारी जिंदगी में खेल-कूद के महत्व को दर्शाता है और युवाओं को विभिन्न खेलों में अपना करियर बनाने के लिए भी प्रोत्साहित करता है।
मेजर ध्यानचंद जी की जयंती पर उनका संक्षिप्त जीवन परिचय?
मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था, वे एक साधारण राजपूत परिवार से संबंध रखते थे। उनके पिता सोमेश्वर सिंह सेना में कार्यरत थे और माता श्यामा देवी सरल स्वभाव की महिला थी। पिता के लगातार स्थानांतरण के कारण वे छठी कक्षा तक ही पढ़ पाए। इसके बाद वर्ष 1922 में वह मात्र 16 साल की उम्र में ही सिपाही के रूप में भर्ती हो गए। जहां ‘फर्स्ट ब्राह्मण रेजीमेंट’ के एक सूबेदार मेजर तिवारी के द्वारा प्रेरित करने पर उन्होंने हॉकी खेलना शुरू कर दिया। और ब्रिटिश भारतीय सेना की रेजिमेंटल टीम से अपने हॉकी करियर की शुरुआत की। हॉकी को लेकर वे इतने समर्पित थे की रात में चांद निकलने के बाद इसका अभ्यास किया करते थे इसीलिए उनका नाम ध्यान सिंह से ‘ध्यानचंद‘ हो गया। उनमें अपने खेल हॉकी के प्रति अद्वितीय क्षमताएं थी. अगर ये कहा जायें कि उन्होंने अपने खेल के द्वारा देश में हॉकी नामक खेल को एक अलग और खास मुक़ाम दिलाया, तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. मेजर ध्यानचंद अपनी हॉकी स्टिक के साथ खेल के मैदान में जैसे कोई जादू करते थे और खेल जीता देते थे, इसलिए उन्हें “हॉकी विज़ार्ड [Hockey Wizard]” का टाइटल भी दिया गया था. उन्होंने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत सन 1926 में की और उनकी कप्तानी के समय देश को 3 ओलिंपिक गोल्ड मैडल जिताने में मदद की. ये गोल्ड मैडल उन्होंने सन 1928, सन 1932 और सन 1936 में देश को जिताये थे. उन्होनें 1926 से 1948 तक, हॉकी के अपने जीवनकाल में 400 से ज्यादा गोल किये| अंतराष्ट्रीय खेल जगत में अपना लोहा मनवाने के बाद और अपने देश को अपनी महिमा के शिखर तक पहुंचाने बाद मेजर ध्यानचंद का कद भारतीय और विश्व हॉकी में बहुत बड़ गया था| उनको असाधारण स्पर्श और सुपर नियंत्रण के लिए हॉकी का जादूगर (“दी विज़ार्ड”) भी कहा जाता है| उस समय के महान खिलाडी के सम्मान में ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ मनाया जाता है और भारत में खेलों में जीवनभर की उपलब्धियों के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार, ‘मेजर ध्यानचंद अवार्ड’ उनके लिए सबसे प्रसिद्ध स्मारक है| यह एक जग जाहिर बात हैं कि जिस समय मेजर ध्यानचंद भारत के लिए हॉकी खेला करते थे, वह समय भारतीय हॉकी प्रदर्शन का और सभी राष्ट्रीय भारतीय खेलों [इंडियन नेशनल स्पोर्ट्स] का भी स्वर्ण युग [Golden Period] था. इस महान खिलाड़ी ने अपने खेल में सन 1948 तक अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, इस समय उनकी आयु 42 वर्ष थी. इसके बाद उन्होंने हॉकी से सन्यास धारण किया था अर्थात् वे रिटायर हो गये. मेजर ध्यानचंद चाहे खेल के मैदान में हो अथवा बाहर, वे हमेशा एक अच्छे इंसान रहें. उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया हैं, जो कि हमारे देश का तीसरा सबसे बड़ा सिविलियन अवार्ड हैं, इसी के साथ वे ऐसे पहले और अब तक के अकेले ऐसे हॉकी प्लेयर बने, जिन्हे यह अवार्ड प्राप्त हुआ हैं. सन 1979 में मेजर ध्यानचंद की मृत्यु के बाद भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान में स्टाम्प भी जारी किया था. दिल्ली के राष्ट्रीय स्टेडियम का नाम भी बदल कर, उनके नाम पर रखा गया, और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
मृत्यु
ध्यानचंद का निधन 03 दिसंबर 1979 को दिल्ली में हुआ और उनका अंतिम संस्कार झांसी के उसी मैदान (हीरोज ग्राउंड) में किया गया जहां वे हॉकी खेला करते थे। वर्ष 1980 में ध्यानचंद जी के मरणोपरांत भारतीय डाक विभाग ने उन्हे श्रद्धांजलि देते हुए 35 पैसे का डाक टिकट जारी किया था। इसके बाद वर्ष 2002 में दिल्ली के राष्ट्रीय स्टेडियम का नाम बदलकर मेजर ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम कर दिया गया था।
खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान : ध्यानचंद अवार्ड
अन्य सम्मान : राष्ट्रीय खेल पुरस्कार [नेशनल स्पोर्ट्स अवार्ड], अर्जुन अवार्ड, राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड, द्रोणाचार्य अवार्ड और अन्य पुरस्कार।
राष्ट्रीय खेल दिवस पर क्या होता है ?
खेल दिवस के दिन भारत के राष्ट्रपति प्रमुख पुरुस्कारों जैसे ‘खेल रत्न’, ‘अर्जुन अवार्ड्स’, ‘द्रोणाचार्य अवार्ड्स’ और ‘ध्यानचंद अवार्ड’ के साथ, खेल जगत के प्रख्यात खिलाडियों को सम्मानित करते हैं| यह उभरते हुए एथलिट के लिए एक आदर्श दिन है जो मानकों को निर्धारित करते हैं और पुरस्कार लेने जाते हैं| राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर 29 अगस्त, 2023 को, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के तहत एक पंजीकृत सोसायटी केन्द्रीय सिविल सेवा सांस्कृतिक और खेल बोर्ड विनय मार्ग स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में निम्नलिखित खेलों पर कार्यक्रम आयोजित कर रही है|
1. हॉकी (पुरुष और महिला)
2. एथलेटिक्स 100 मीटर (पुरुष और महिला)
3. वॉलीबॉल (पुरुष और महिला)
4. बास्केटबॉल (पुरुष और महिला)
विजेता और उपविजेता को मेजर ध्यानचंद ट्रॉफी प्रदान की जाएगी|
भारत में खेल दिवस का महत्व
यह दिन खेल के प्रति जागरूकता फैलाना तो है ही पर उसके साथ यह मेजर ध्यानचंद की उपलब्धियों और भारत के खेल इतिहास और संस्कृति में उनके योगदान की भी याद दिलाता है| भारत सरकार ने इसी दिवस पर खेल से जुड़ी कई स्कीम्स का शुभारंभ किया जैसे प्रधानमंत्री द्वारा ‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स’, फिट इंडिया मूवमेंट आदि| स्पोर्ट्स हर किसी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है चाहे वो खिलाड़ी हो या कोई छात्र और युवा| हम सबके लिए शारीरिक और मानसिक विकास बहुत जरुरी है| भारत सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों में विद्दार्थियों और बच्चों के कल्याण और स्वास्थ्य के साथ मानसिक कौशल को सुधारने के लिए खेल खेलना अनिवार्य किया है| आज के समय में घरों में अभिभावकों और स्कूलों में शिक्षकों द्वारा बच्चों को खेल के प्रति प्रोत्साहित और प्रेरित किया जा रहा है|
राष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन
विभिन्न विद्यालयों द्वारा अपना वार्षिक खेल दिवस [एनुअल स्पोर्ट्स डे] भी राष्ट्रीय खेल दिवस के साथ ही मनाया जाता हैं अर्थात् 29 अगस्त को. विद्यालाओं द्वारा इस प्रकार समान दिन कार्यक्रमों के आयोजन का उद्देश्य यह हैं कि वे आने वाली युवा पीढ़ी को खेल का महत्व बता सकें और इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकें ताकि हमारे देश को एक अच्छा खिलाड़ी प्राप्त हो. इस दिन विद्यालयों में भारत के लिए खेलने वाले अच्छे खिलाड़ियों के संपूर्ण संघर्ष और सफलता के बारे में बताया जाता हैं और उनकी तरह कामयाबी पाने के लिए राह भी दिखाई जाती हैं. इस दिन बहुत से विद्यालय पुरस्कार वितरण समारोह [प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन फंक्शन] भी आयोजित करते हैं. इस प्रकार के आयोजन देश के पंजाब और चंडीगढ़ जैसे क्षेत्रों में होना बहुत ही आम बात हैं। राष्ट्रीय खेल दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़े तौर पर मनाया जाता हैं. इसका आयोजन प्रति वर्ष राष्ट्रपति भवन में किया जाता हैं और देश के राष्ट्रपति स्वयं देश के उन खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार [नेशनल स्पोर्ट्स अवार्ड] देते हैं, जिन्होंने अपने खेल के उत्तम प्रदर्शन द्वारा पूरे विश्व में तिरंगे का मान बढ़ा दिया. नेशनल स्पोर्ट्स अवार्ड के अंतर्गत अर्जुन अवार्ड, राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड और द्रोणाचार्य अवार्ड, जैसे कई पुरस्कार देकर उन खिलाडियों को सम्मानित किया जाता हैं. इन सभी सम्मानों के साथ “देश का सर्वोच्च खेल सम्मान – ध्यानचंद अवार्ड” भी इसी दिन दिया जाता हैं, जो कि सबसे पहले सन 2002 में दिया गया था. इस प्रकार हमारे देश भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस [नेशनल स्पोर्ट्स डे] बहुत ही उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं।
मेजर ध्यानचंद के बारे में रोचक तथ्य
* मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था. ध्यानचंद के हॉकी स्टिक से गेंद इस कदर चिपकी रहती थी कि विरोधी खिलाड़ी को अक्सर ऐसा लगता था कि वह जादुई स्टिक से खेल रहे हैं. यहीं नहीं हॉलैंड में एक बार तो उनकी हॉकी स्टिक में चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़ कर देखी गई थी।
* मेजर ध्यानचंद को बचपन में खेलने का कोई शौक नहीं था. साधारण शिक्षा ग्रहण करने के बाद 16 वर्ष की उम्र में ध्यानचंद 1922 में दिल्ली में प्रथम ब्राह्मण रेजीमेंट में सेना में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हुए।
* मेजर ध्यानचंद सेना में जब भर्ती हुए उस समय तक उनके मन में हॉकी के प्रति कोई विशेष दिलचस्पी या रूचि नहीं थी।
* एक बार तो मेजर ध्यानचंद के जादुई खेल से प्रभावित होकर जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने उन्हें अपने देश जर्मनी की ओर से खेलने की पेशकश की थी. लेकिन ध्यानचंद ने हमेशा भारत के लिए खेलना ही सबसे बड़ा गौरव समझा।
* मेजर ध्यानचंद ने लगातार 3 ओलंपिक में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाया. उन्होंने अपने कैरियर में अंग्रेजों के खिलाफ 1000 से अधिक गोल दागे।
* बर्लिन ओलंपिक के हॉकी का फाइनल भारत और जर्मनी के बीच 14 अगस्त 1936 को खेला जाना था, लेकिन उस दिन लगातार बारिश की वजह से मैच अगले दिन 15 अगस्त को खेला गया. स्टेडियम में उस दिन जर्मन तानाशाह हिटलर भी मौजूद था।
* मेजर ध्यानचंद ने नंगे पैर खेल कर जर्मनी को धूल चटाई जिसके बाद हिटलर जैसा तानाशाह भी उनका मुरीद बना गया।
* तानाशाह हिटलर ने मेजर ध्यानचंद को जर्मनी की ओर से खेलने और बदले में अपनी सेना में उच्च पद पर आसीन होने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने हिटलर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. हिटलर ने ही मेजर ध्यानचंद को हॉकी के जादूगर की उपाधि दी थी।
* 1932 में भारत ने 37 मैच में 338 गोल किए, जिसमें 133 गोल अकेले ध्यानचंद ने किए थे. 1928 में एम्सटर्डम में खेले गए ओलंपिक खेलों में ध्यानचंद ने भारत की ओर से सबसे ज्यादा 14 गोल किए थे. एक स्थानीय समाचार पत्र में लिखा था- यह हॉकी नहीं बल्कि जादू था।
* मेजर ध्यानचंद रात को प्रैक्टिस किया करते थे. उनके प्रैक्टिस का समय चांद निकलने के साथ शुरू होता था. इस कारण उनके साथी उन्हें चांद कहने लगे।
* एक सूबेदार मेजर तिवारी ने ध्यानचंद को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया. मेजर तिवारी एक हॉकी खिलाड़ी थे. उनकी देख-रेख में फिर ध्यानचं हॉकी खेलने लगे और देखते ही देखते वह हॉकी के जादूगर बन गए।
* साल 1922 से 1926 तक ध्यानचंद सेना टीम के लिए हॉकी खेलते थे. इस दौरान रेजीमेंट के टूर्नामेंट में धमाल मचा रहे थे उनकी टीम ने 18 मैच जीते, 2 मैच ड्रॉ हुए और सिर्फ 1 मैच हारे थे. ऐसे में उन्हें भारतीय सेना की टीम में जगह मिल गई।
* साल 1928 में इंडियन हॉकी फेडरेशन ने एमस्टरडर्म में होने वाले ओलंपिक के लिए भारतीय टीम का चयन करने के लिए टूर्नामेंट का आयोजन किया. जिसमें पांच टीमों ने हिस्सा लिया।
* सेना ने उन्हें यूनाइटेड प्रोविंस की तरफ से टूर्नामेंट में भाग लेने की अनुमति दे दी. टूर्नामेंट में अपने शानदार खेल के जरिए ध्यानचंद ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. इसके बाद उन्हें ओलंपिक में भाग लेने वाली टीम में जगह मिल गई।
* 1928, 1932 और 1936 के तीनों मुकाबलों में भारतीय टीम का नेतृत्व हॉकी के जादूगर नाम से प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद ने किया. 1932 के ओलपिंक में हुए 37 मैचों में भारत द्वारा किए गए 330 गोल में ध्यानचंद ने अकेले 133 गोल किए थे. 1948 में 43 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहा था।
* 17 मई, 1928 को भारतीय राष्ट्रीय हॉकी टीम ने ऑस्ट्रिया के खिलाफ़ अपना ओलम्पिक डेब्यू किया, जिसमें चंद ने 3 गोल करके 6-0 से जीत दर्ज की. ध्यानचंद ने 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में सबसे अधिक गोल किए. उन्होंने 14 गोल किए।
* लॉस एंजिल्स ओलंपिक के दौरान, उन्होंने अपने भाई रूप के साथ मिलकर भारत के 35 गोलों में से 25 गोल किए. बर्लिन ओलंपिक के दौरान, चांद को एक बार फिर बिना औपचारिकताओं के चुना गया. चांद ने 3 गोल किए, दारा ने 2 और रूप सिंह, तपसेल और जाफर ने एक-एक गोल कर भारत को 8-1 के फाइनल में पहुंचाया।
* उन्होंने अपने करियर में 400 से अधिक गोल 1926 से 1948 तक किए और 1956 में 51 वर्ष की आयु में सेना से सेवानिवृत्त हुए।
* उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के समय मेजर का पद संभाला. चंद की आत्मकथा, लक्ष्य! को स्पोर्ट एंड पेस्टाइम, मद्रास ने 1952 में प्रकाशित किया था।
* भारत सरकार ने उनके सम्मान में 2002 में ध्यानचंद (Major Dhyanchand) राष्ट्रीय स्टेडियम दिल्ली का नाम बदलकर नेशनल स्टेडियम कर दिया।
* भारतीय ओलंपिक संघ ने ध्यानचंद को शताब्दी का खिलाड़ी घोषित किया है।
* वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यान चंद्र खेल रत्न पुरस्कार करने की घोषणा की है।
* दो बार के ओलंपिक चैंपियन केशव दत्त उनकी मजबूत कलाईयों ओर ड्रिब्लिंग के कायल थे. वो उस ढंग से हॉकी के मैदान को देख सकते थे, जैसे शतरंज का खिलाड़ी चेस बोर्ड को देखता है।
* 1947 के पूर्वी अफ्रीका के दौरे के दौरान उन्होंने केडी सिंह बाबू को गेंद पास करने के बाद अपने ही गोल की तरफ अपना मुंह मोड़ लिया और बाबू की तरफ देखा तक नहीं. जब उनसे बाद में उनकी इस अजीब सी हरकत का कारण पूछा गया तो उनका जवाब था, “अगर उस पास पर भी बाबू गोल नहीं मार पाते तो उन्हें मेरी टीम में रहने का कोई हक नहीं था”।
* 1968 में भारतीय ओलंपिक टीम के कप्तान रहे गुरुबख़्श सिंह के मुताबिक 1959 में भी जब ध्यानचंद 54 साल के हो चले थे, भारतीय हॉकी टीम का कोई भी खिलाड़ी बुली में उनसे गेंद नहीं छीन सकता था. 1936 के ओलंपिक खेल शुरू होने से पहले एक अभ्यास मैच में भारतीय टीम जर्मनी से 4-1 से हार गई।
*:ध्यान चंद अपनी आत्मकथा ‘गोल’ में लिखते हैं, “मैं जब तक जीवित रहूंगा इस हार को कभी नहीं भूलूंगा. इस हार ने हमें इतना हिला कर रख दिया कि हम पूरी रात सो नहीं पाए. हमने तय किया कि इनसाइड राइट पर खेलने के लिए आईएनएस दारा को तुरंत भारत से हवाई जहाज़ से बर्लिन बुलाया जाए”।
* बर्लिन के हॉकी स्टेडियम में उस दिन 40,000 लोग फाइनल देखने के लिए मौजूद थे. देखने वालों में बड़ौदा के महाराजा और भोपाल की बेगम के साथ साथ जर्मन नेतृत्व के चोटी के लोग मौजूद थे. ताज्जुब ये था कि जर्मन खिलाड़ियों ने भारत की तरह छोटे छोटे पासों से खेलने की तकनीक अपना रखी थी. हाफ टाइम तक भारत सिर्फ एक गोल से आगे था।
* जर्मनी के गोलकीपर की हॉकी से ध्यान चंद का दांत टूट गया. उपचार के बाद मैदान में वापस आने के बाद ध्यान चंद ने खिलाड़ियों को निर्देश दिए कि अब कोई गोल न मारा जाए. सिर्फ जर्मन खिलाड़ियों को ये दिखाया जाए कि गेंद पर नियंत्रण कैसे किया जाता है”।
* फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज कपूर ध्यानचंद के फैन थे. एक बार मुंबई में हो रहे एक मैच में वो अपने साथ नामी गायक कुंदन लाल सहगल को ले आए. हाफ टाइम तक कोई गोल नहीं हो पाया. सहगल ने कहा कि हमने दोनों भाइयों का बहुत नाम सुना है. मुझे ताज्जुब है कि आप में से कोई आधे समय तक एक गोल भी नहीं कर पाया. रूप सिंह ने तब सहगल से पूछा कि क्या हम जितने गोल मारे उतने गाने हमें आप सुनाएंगे? सहगल राजी हो गए. दूसरे हाफ में दोनों भाइयों ने मिल कर 12 गोल दागे।
* सहगल एक बार खुद अपनी कार में उस जगह पहुंचे जहां उनकी टीम ठहरी हुई थी और उन्होंने उनके लिए 14 गाने गाए. न सिर्फ गाने गाए बल्कि उन्होंने हर खिलाड़ी को एक-एक घड़ी भी भेंट की।
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को ओणम और राष्ट्रीय खेल दिवस की शुभकामनाएं दी है. साथ ही पीएम ने महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की. मेजर ध्यानचंद की जयंती के दिन यानी 29 अगस्त को हर साल राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा कि ‘‘राष्ट्रीय खेल दिवस पर मैं सभी खिलाड़ियों को बधाई देता हूं. राष्ट्र के लिए उनके योगदान पर भारत को गर्व है. मैं मेजर ध्यानचंद को भी उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय खेल दिवस की दी शुभकामनाएं
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय खेल दिवस पर प्रदेशवासियों, खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। बघेल ने खेल दिवस की पूर्व संध्या पर आज यहां जारी संदेश में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के योगदान को याद करते हुए कहा कि हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद ने अपने खेल से देश सहित पूरे भारतवासियों का सिर गर्व से ऊंचा किया है। उनके सम्मान और याद में हर साल हम ध्यानचंद जी के जन्मदिवस को खेल दिवस के रूप में मनाते हैं। उन्होंने कहा कि खेलों का जीवन में बहुत महत्व होता है। खेल से व्यक्तित्व में नेतृत्व, समर्पण, अनुशासन जैसे गुण विकसित होते हैं जो जीवन के हर क्षेत्र में सफल होने के लिए मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार राज्य की खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और आगे बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
स्पोर्ट्स हर किसी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है वो खिलाड़ी हो या कोई छात्र और युवा| हम सार्वजनिक रूप से शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत कुछ कहते हैं| भारत सरकार ने बच्चों और बच्चों के कल्याण और स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक कौशल के लिए खेलों को अनिवार्य बना दिया है। आज के समय में घरों में मूर्तियों और पत्थरों द्वारा बच्चों को खेल के प्रति देशभक्ति की प्रेरणा दी जा रही है| आज देश के खिलाड़ी ओलंपिक और कॉमनवेल्थ जैसे गेमों में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए देश का नाम रोशन कर रहे हैं ऐसे में इस ख़ास अवसर पर हमें सभी खिलाड़ियों और एथलीट्स को विशेष सम्मान देना चाहिए ताकि उनके भीतर उत्साह और महत्वाकांक्षा हमेशा बनी रहे। सभी खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं (Happy Sports Day)