भिलाई। 03 जुलाई, 2023, (सीजी संदेश) : कला साहित्य अकादमी भिलाई छत्तीसगढ़ विगत दो वर्षों से रंगमंच को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही है। जिससे समाज को कला के विविध आयाम रंगमंच, गीत, पारम्परिक नृत्य, गायन, चित्रकला, मूर्तीकला कविता, कहानियां, साहित्य ध्वनि एंव प्रकाश की महत्ता कलाकारों को जानकारी प्राप्त हो । जिसके लिए लगातार शिवर का आयोजन अकादमी द्वारा किया जा रहा हैं । इसी प्रयास में लगातार कला साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर हो रही है।इसी कड़ी में कला साहित्य अकादमी ने “रंग संगीत” रंग मंच में संगीत की क्या भूमिका है और संगीत हमारे लिए क्यों जरूरी है इस विषय पर कार्य शाला का आयोजन किया गया । 01 और 02 जुलाई दो दिन की इस कार्यशाला में मुख्य रूप से अतिथि अकादमिक पुरुस्कृत “रंग संगीत” की विशेषज्ञ डॉ. अंजना पूरी ने अपना अहम योगदान दिया और कार्यशाला के प्रतिभागियों को संगीत की बारीकियों से रूबरू करवाया उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विविधता इसके भूगोल की तरह ही रंगीन है उन्होंने बताया कि हर कला-रूप में सीखने और सिखाने की एक प्रणाली होती है। इसमें इसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने की विधि है। डॉ. अंजना पूरी ने कार्यशाला के दौरान बहुत ही सरलता के साथ रंगमंच के संगीत को कैसे सीखा जाय इसको लेकर अपने अभिनव प्रयोग से बताया । रंगमंच से जुड़े नये कलाकारो के सवालो के ज़वाब भी उन्होंने दियें. संवाद आदायगी के साथ शारिरिक संरचना एंव रंग संगीत की अंतरसंबंध कैसे हो, हर रंगमंच के कलाकार को संगीत की अनिवार्यता को रेखांकित किया । अल्प अवधि की इस कार्यशाला में भिलाई के रंगकर्म को निश्चित तौर पर नई दिशा एंव उंचाई मिलेगी। यह दो दिन की कार्यशाला भिलाई के सेक्टर 5 “सत्त विजय” ओपन आडोटोरियम में आयोजित की गई। इस कार्यशाला मुख्य रूप से चालीस प्रतिभागी थे और कार्यशाला के अंतिम दिन कला साहित्य अकादमी की पूरी द्वारा डॉ. अंजना पूरी का धन्यवाद और आभार प्रकट करते हुए छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक एंव पारम्परिक “बस्तर लोक कला” स्मृति चिन्ह भेंट किया गया. साथ ही कला साहित्य अकादमी छग द्वारा भविष्य में रंगमंच की वृहद कार्यशाला हेतू अनुरोध किया गया जिसे डा. अंजना जी ने स्वीकार किया हैं. कार्यक्रम का संचालन अनिता उपाध्यक्ष, एंव आभार प्रदर्शन मनिमय मुखर्जी ने किया ।