सांस लिए बिना कोई भी जीवित नहीं सकता क्योंकि जिंदा रहने के लिए शरीर को ऑक्सीजन की जरूरत होती है, जो सांस लेने से मिलती है। मगर, सिर्फ सांस लेना ही काफी नहीं बल्कि स्वस्थ रहने के लिए सही तरीका पता होना भी जरूरी है। गलत तरीके से सांस लेने पर फेफड़े उसका सिर्फ 30% हिस्सा ही इस्तेमाल कर पाते हैं जबकि बाकी 70% वेस्ट हो जाता है। ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए सही तरीके से सांस लेना बहुत जरूरी है। आयुर्वेद में सही तरीके से सांस लेने की प्रक्रिया बताई गई है, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।
इसमें कोई शक नहीं है कि जैसे सही डाइट सेहत के लिए जरूरी है, वैसे ही व्यायाम और योग भी आवश्यक है। ठीक ऐसे ही सेहतमंद रहने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी जरूरी है। सांस फूलने की तकलीफ से बचाव करना हो या बीमारियों को दूर रखना हो, ब्रीदिंग एक्सरसाइज के फायदे कई सारे हो सकते हैं। नियमित तौर पर ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से इसके फायदे कुछ ही वक्त में महसूस किए जा सकते हैं। इस लेख के माध्यम से हम न सिर्फ शरीर के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज के लाभ से जुड़ी जानकारियां साझा करेंगे, बल्कि अलग-अलग तरह के ब्रीदिंग एक्सरसाइज और उन्हें करने के तरीके भी बताएंगे। तो इनके बारे में विस्तारपूर्वक जानने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। सबसे पहले समझिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज क्या है।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज क्या है?
ब्रीदिंग एक्सरसाइज यानी सांस लेने का व्यायाम एक प्रकार का अभ्यास है, जो ब्रीदिंग पैटर्न यानी सांस लेने के तरीके से जुड़ा है। सेहतमंद रहने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज को जीवनशैली में शामिल करना जरूरी है। खासकर, कोरोना होने पर सांस फूलने जैसी समस्या से बचने के लिए ये ब्रीदिंग एक्सरसाइज कारगर साबित हो सकती है। कुछ खास प्रकार के योग को भी ब्रीदिंग एक्सरसाइज की श्रेणी में रखा गया है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज के फायदे शारीरिक तौर पर ही नहीं, बल्कि मानसिक तौर पर भी महसूस किए जा सकते हैं। दर्द कम करना हो, तनाव से बचाव करना हो या मन को शांत रखना हो, सभी में ब्रीदिंग एक्सरसाइज बहुत कारगर साबित हो सकता है।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने के फायदे
सांसों का व्यायाम न केवल बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है, बल्कि यह हमें सतर्क, सक्रिय बनाने के साथ-साथ हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी दुरुस्त रख सकता है। ऐसे में यहां हम क्रमवार तरीके से ब्रीदिंग एक्सरसाइज के लाभ बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं –
फेफड़ों के लिए : ब्रीदिंग एक्सरसाइज के फायदे की बात करें तो यह फेफड़ों को स्वस्थ रखने में सहायक हो सकता है। दरअसल, इससे फेफड़ों की कार्यप्रणाली बेहतर हो सकती है। कुछ खास तरह के योग भी ब्रीदिंग एक्सरसाइज की केटेगरी में ही आते हैं, जिसमें प्राणायाम का नाम भी शामिल है। इसका अभ्यास करने से रक्त ऑक्सीजन के साथ-साथ फेफड़ों की क्षमता में भी सुधार किया जा सकता है, जिससे कई बीमारियों की रोकथाम में मदद मिली सकती है।
बेहतर ऑक्सीजन फ्लो के लिए : ब्रीदिंग एक्सरसाइज के लाभ में बेहतर ऑक्सीजन फ्लो भी शामिल है। यह वेंटिलेशन फंक्शन – फेफड़ों और वातावरण के बीच वायु का आदान-प्रदान) को भी बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है। इसकी मदद से शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही यह मस्तिष्क, हृदय, किडनी और शरीर के अन्य अंगों में ऑक्सीजन फ्लो को बेहतर कर सकता है। तो शरीर में ऑक्सीजन लेवल को सही रखने के लिए योग या ब्रीदिंग एक्सरसाइज को जीवनशैली का हिस्सा बनाना सेहतमंद विकल्प हो सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए : सिर्फ फेफड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर माना गया है। दरअसल, पेट श्वसन यानी एब्डॉमिनल ब्रीदिंग की प्रक्रिया को करके तनाव या अवसाद की स्थिति से बचाव या छुटकारा पाया जा सकता है। इसका कारण यह है कि एब्डॉमिनल ब्रीदिंग करने से दिमाग और शरीर दोनों को ही रिलैक्स किया जा सकता है।
अच्छी सेहत के लिए : ब्रीदिंग एक्सरसाइज करके व्यक्ति खुद को कई बीमारियों से बचा भी सकता है। नियमित रूप से ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से हृदय गति में सुधार होने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर नियंत्रण में भी मदद मिल सकती है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज के लाभ यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे पाचन क्रिया और नींद में भी सुधार हो सकता है।
स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार के लिए : क्रोनिक अस्थमा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD – फेफड़ों की बीमारी), गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD – एसिडिटी की समस्या), सिर और गर्दन की सर्जरी के बाद की देखभाल, आदि में भी ब्रीदिंग एक्सरसाइज को लाभकारी माना गया है। हालांकि, ध्यान रहे कि सर्जरी के बाद किसी भी ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूरी है। साथ ही मरीज को ब्रीदिंग एक्सरसाइज किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करनी चाहिए।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज स्वस्थ फेफड़ों और सेहतमंद शरीर के लिए
अब जब ब्रीदिंग एक्सरसाइज के इतने लाभ जान ही चुके हैं, तो इनके अलग-अलग प्रकार और उन्हें सही तरीके से करने की प्रक्रिया जानना भी जरूरी है। अगर ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने की प्रक्रिया सही नहीं हो तो ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने के नुकसान भी हो सकते हैं। ऐसे में यहां हम क्रमवार तरीके से ब्रीदिंग एक्सरसाइज के प्रकार और उसे करने के तरीकों के बारे में बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
1. प्रोनल ब्रीदिंग
प्रोनल ब्रीदिंग को प्रोन पोजिशनिंग एक्सरसाइज के नाम से भी जाना जाता है। इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने से वेंटिलेशन (फेफड़ों और वातावरण के बीच वायु का आदान-प्रदान ) में सुधार हो सकता है। साथ ही यह एल्वियोली फेफड़ों में छोटी-छोटी वायु की थैलियां, जो ऑक्सीजन को ऊपर ले जाते हैं) यूनिट को खुला रखता है और सांस लेने की प्रक्रिया को आसान बना सकता है। कोरोना के इस समय में सांस और ऑक्सीजन के स्तर में सुधार करने के लिए इस एक्सरसाइज को चिकित्सकीय रूप से बेहद लाभकारी माना गया है। यहां तक की कोरोना वायरस की बीमारी की चपेट में आने के बाद होम आइसोलेशन के दौरान इस एक्सरसाइज को करने से कोरोना रोगियों में काफी सुधार भी देखा गया है। तो हाइपोक्सिमिया या रक्त में ऑक्सीजन की कमी) या हाइपोक्सिया के जोखिम को कम करने के लिए उपयोगी हो सकता है। हम यह स्पष्ट कर दें कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज के साथ-साथ कोविड में दवाइयों का सेवन और डॉक्टर से नियमित परामर्श भी लेते रहें।
प्रोनल ब्रीदिंग करने का तरीका : यहां हम प्रोनल ब्रीदिंग को करने के तरीके के बारे में जानकारी दे रहे हैं। यह एक्सरसाइज कुछ इस तरह से की जा सकती है:
* सबसे पहले साफ-सुथरी जगह का चुनाव करके एक मैट बिछा लें।
* अब उस मैट पर एक तकिया गले के पास, दो तकिये पेट के पास और फिर दो तकिये पैर के पास रखें।
* सीसीअब मैट पर बिछाए गए तकिये पर प्रोन पोजीशन में यानी पेट के बल लेट जाएं।
* फिर इस अवस्था में गहरी सांस भरें और दो से तीन सेकंड रुकने बाद सांस को छोड़ दें।
* इसी प्रक्रिया को कम से कम 10 से 20 बार दोहराएं।
* इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज को तीन पोस्चर में किया जाता है, पेट के बल लेटकर, दाएं और बाएं तरफ लेट कर।
* प्रोनल ब्रीदिंग एक्सरसाइज को हर रोज कम से कम एक बार जरूर करें।
सावधानी : प्रोनल ब्रीदिंग एक्सरसाइज के दौरान कुछ सावधानियों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। ये सावधानियां कुछ इस प्रकार हैं:
* गर्भवती महिलाएं इस एक्सरसाइज को करने से बचें।
* भोजन के बाद एक घंटे तक इस एक्सरसाइज को नहीं करना चाहिए।
* अगर किसी को गंभीर हृदय संबंधी समस्या है, तो उन्हें भी इस तरह के एक्सरसाइज से बचने की सलाह दी जाती है।
2 . ब्रीदिंग (4-7-8) एक्सरसाइज
4-7-8 ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने के भी कई लाभ हैं। यह व्यायाम क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों से जुड़ी परेशानी के रोगियों में चिंता और अवसाद को कम करने में मददगार साबित हुआ है। इसके अलावा, 4-7-8 ब्रीदिंग एक्सरसाइज को डिस्पेनिया (सांस लेने में तकलीफ होना) को कम करने के साथ-साथ फेफड़ों की क्षमता और सांस लेने की प्रक्रिया में भी सुधार करने के लिए कारगर माना गया है।
करने का तरीका: अब हम 4-7-8 ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने के तरीके के बारे में जानकारी दे रहे हैं। तो 4-7-8 ब्रीदिंग एक्सरसाइज कुछ इस प्रकार की जा सकती है:
* सबसे पहले एक शांत जगह का चुनाव करें और वहां मैट बिछाकर एक आरामदायक आसन में बैठ जाएं।
* इसके बाद नाक से सांस लेते हुए अपनी उंगलियों पर 4 गिनें। इस दौरान अपना मुंह बंद ही रखें।
* उसके बाद हाथों की ही उंगलियों पर 7 तक गिनें और सांसों को रोक कर रखें। अगर किसी को शुरुआत में 7 सेकंड के लिए अपनी सांस रोकने में मुश्किलें आ रही हो, तो अधिक तनाव न लें। धीरे-धीरे अभ्यास करने से ऐसा करना आसान हो जाएगा।
* अब, हाथों की उंगलियों पर फिर से 8 गिनें और अपने मुंह से धीरे-धीरे कर के सांस छोड़ें।
* इस प्रक्रिया को कम से कम चार बार कर सकते हैं।
सावधानी: 4-7-8 ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक है। तो 4-7-8 ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से पहले इन बातों का ध्यान जरूर रखें:
* जिन लोगों को हृदय संबंधी समस्या हो, उन्हें इस एक्सरसाइज को करने से बचना चाहिए।
* इसके अलावा, रीढ़ की हड्डी और श्वसन की मांसपेशी में समस्या झेल रहे लोगों को भी इससे परहेज करना चाहिए।
* साथ ही कैंसर जैसे गंभीर रोग में भी इस एक्सरसाइज को नहीं करने की सलाह दी जाती है।
3. बुटेयको नोज ब्रीदिंग
एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद रिसर्च से जानकारी मिलती है कि बुटेयको नोज ब्रीदिंग एक्सरसाइज अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मददगार साबित हो सकती है। इसके अलावा, यह ब्रीदिंग एक्सरसाइज दमा के मरीजों में चिंता की समस्या को कम करने में भी मदद कर सकती है। यही नहीं, बुटेयको नोज ब्रीदिंग एक्सरसाइज को यूस्टेशियन ट्यूब डिसफंक्शन (– कान से जुड़ी समस्या) के इलाज में भी प्रभावी पाया गया है। इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने का तरीका थोड़ा-बहुत प्राणायाम से मिलता-जुलता है।
करने का तरीका: अब हम इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं। बुटेयको नोज ब्रीदिंग एक्सरसाइज को कुछ इस तरह से कर सकते हैं:
* इस एक्सरसाइज को करने के लिए फर्श पर या कुर्सी पर बैठ जाएं।
* इसके बाद कोई आसान और आरामदायक मुद्रा ग्रहण कर लें।
* इस दौरान अपनी रीढ़ को सीधी रखें और श्वसन की मांसपेशियों को आराम दें।
* फिर कुछ मिनटों के लिए सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें।
* इसके बाद अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली का इस्तेमाल कर के कुछ सेकंड के लिए नाक को बंद करें।
* साथ ही इस दौरान सिर को ऊपर-नीचे हिलाएं।
* इसके बाद नाक से उंगली को हटाएं और कम से कम 10 सेकंड के लिए सामान्य रूप से सांस लें।
* इस प्रक्रिया को तीन से चार बार कर सकते हैं।
सावधानी: बुटेयको नोज ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। बुटेयको नोज ब्रीदिंग एक्सरसाइज के दौरान इन बातों का ध्यान रखना चाहिए :
* इस एक्सरसाइज के दौरान सांस लेने के लिए हमेशा नाक का ही प्रयोग करें।
* अगर इस एक्सरसाइज को करने के दौरान किसी को घबराहट, सांस लेने में तकलीफ या बेचैनी महसूस होती है, तुरंत इसका अभ्यास बंद कर दें।
4. अल्टरनेट नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग एक्सरसाइज
इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज को अनुलोम-विलोम प्राणायाम या नाड़ी शोधन प्राणायाम के नाम से भी जाना जाता है। स्वास्थ्य के लिए यह प्राणायाम कई मायनों में लाभकारी माना जा सकता है। एक शोध के अनुसार, नाड़ी शोधन प्राणायाम स्वास्थ्य संबंधी फिटनेस जैसे- कार्डियोरेस्पिरेटरी सहनशक्ति (व्यायाम के दौरान जब हृदय, फेफड़े और मांसपेशियां एक साथ काम करते हैं), फ्लेक्सिबिलिटी यानी लचीलापन और शरीर में जमा हुए फैट के प्रतिशत में सुधार कर सकता है। इतना ही नहीं शरीर में ब्लड फ्लो और ऑक्सीजन स्तर को बेहतर करने के लिए भी यह ब्रीदिंग एक्सरसाइज उपयोगी हो सकती है।वहीं, एक अन्य अध्ययन में यह बताया गया है कि अनुलोम-विलोम प्राणायाम सिस्टोलिक रक्तचाप की समस्या को कम करने में प्रभावी साबित हो सकता है। यही नहीं, अनुलोम-विलोम प्राणायाम पैरानेजल साइनस (नाक के आसपास की हड्डियों में कई छोटे खोखले स्थान) के वेंटिलेशन और ऑक्सीजन में वृद्धि और श्वसन प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
करने का तरीका: इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज या योगासन को करने का तरीका कुछ इस प्रकार है:
* इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले योग मैट पर किसी एक आसान (जैसे- पद्मासन या सुखासन) की मुद्रा में बैठ जाएं।
* इस आसान में बैठने के दौरान कमर सीधी रखें और दोनों आंखें बंद कर लें।
* इसके बाद एक लंबी गहरी सांस लें और धीरे से छोड़ दें। इसके बाद खुद को एकाग्र करने की कोशिश करें।
* फिर अपने दाएं हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें। सांस लेने के दौरान ज्यादा जोर न लगाएं, जितना हो सके उतनी गहरी सांस लें।
* अब दाहिने हाथ की मध्य उंगली से बाईं नासिका को बंद करें और दाई नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
* इसके बाद बाएं अंगूठे से बाईं नासिका को बंद करें और दाएं नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें। अब उसी हाथ की मध्य उंगली से दाईं नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
* इस प्रकार अनुलोम-विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो जाएगा।
* एक बार में ऐसे पांच से आठ चक्र कर सकते हैं।
* इसे हर रोज सुबह के वक्त किया जा सकता है।
सावधानी: अनुलोम विलोम या ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने से पहले इन बातों का ध्यान रखें :
* गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर से सलाह लेकर ही इस प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
* अगर किसी को रक्तचाप या गंभीर हृदय रोग की समस्या है तो उन्हें इस प्राणायाम को करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लेना चाहिए।
* इसके अलावा, अनुलोम-विलोम प्राणायाम को हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए।
5. ब्रीद ऑफ फायर
ब्रीद ऑफ फायर को कपालभाति प्राणायाम के नाम से भी जाना जाता है, जो कि दो शब्दों को मिलाकर बना है। कपाल का अर्थ है ‘माथा’ और भाति का मतलब है ‘चमक’। इस पर हुए शोध बताते हैं कि कपालभाति प्राणायाम पूरे श्वसन प्रणाली को शुद्ध कर सकता है। साथ ही यह योग चमकती त्वचा पाने के लिए भी सहायक हो सकता है। यह ब्रीदिंग एक्सरसाइज न केवल फेफड़ों और श्वसन तंत्र को डिटॉक्स करने में मदद कर सकता है, बल्कि शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाने के साथ-साथ रक्त को भी शुद्ध करने में मदद कर सकता है। यही नहीं, कपालभाति प्राणायाम एकाग्रता में सुधार करने के अलावा, पेट की मांसपेशियों को टोन करने और पेट की चर्बी को कम करने में भी सहायक माना गया है।
करने का तरीका: अब बारी आती है ब्रीद ऑफ फायर एक्सरसाइज को करने के तरीके से जुड़ी बातों को जानने की। तो ब्रीद ऑफ फायर एक्सरसाइज इस तरह से कर सकते हैं:
* इस एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले एक शांत और साफ जगह चुनकर योग मैट बिछा लें।
* इसके बाद पद्मासन, सुखासन या वज्रासन की मुद्रा में से किसी एक मुद्रा में बैठ जाएं।
* अब अपनी कमर को सीधा रखते हुए आंखें बंद करें और उंगलियों को ज्ञान मुद्रा में रख लें।
* फिर मन को शांत करते हुए गहरी और लंबी सांस लें।
* इसके बाद पेट को अंदर खींचते हुए सांस को नाक के माध्यम से झटके से बाहर निकालें। इस प्रक्रिया को जल्दी-जल्दी यानी तेजी से करना होता है।
* इस प्रक्रिया को 15 से 20 बार लगातार करते रहें। इस दौरान मुंह को बंद ही रखें। सांस लेने है और छोड़ने के लिए केवल नाक का ही प्रयोग करें।
* 15 से 20 बार करने पर इस प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो सकता है। तो ऐसे में अपनी क्षमतानुसार इसे दो से तीन बार कर सकते हैं।
सावधानी: कपालभाति प्राणायाम को करने से पहले इन बातों का ध्यान रखें :
* गर्भवती महिलाओं को कपालभाति प्राणायाम नहीं करने की सलाह दी जाती है।
* वहीं, हाई ब्लड प्रेशर या हृदय संबंधी रोग वाले लोगों को कपालभाति प्राणायाम धीमी गति से करना चाहिए।
*. इसके अलावा, अगर किसी को नाक से खून आने की समस्या हो रही है तो ऐसे में यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
6. लायन ब्रीद
लायन ब्रीद, ब्रीदिंग एक्सरसाइज का ही एक प्रकार है। इसे सिम्हासना प्राणायाम के नाम से भी जाना जाता है। बताया जाता है कि सिम्हासन दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है, सिम्हा, जिसका अर्थ है “सिंह” और दूसरा शब्द है आसन, जिसका अर्थ है ‘मुद्रा’। इस प्राणायाम को करते समय शेर की तरह ही दहाड़ लगाना होता है। इस पर हुए शोध बताते हैं कि इस प्राणायाम को करने से तनाव और सीने से जुड़ी समस्या से बचाव हो सकता है। इसके अवाला, सिम्हासन प्राणायाम, सांस की दुर्गंध को ठीक और जीभ को साफ कर सकता है। यही नहीं, इस एक्सरसाइज से बोलने की क्षमता में भी सुधार हो सकता है। यही वजह है कि हकलाने की समस्या वाले लोगों को इस प्राणायाम को करने की सलाह दी जाती है।
करने का तरीका: अब जानते हैं कि लायन ब्रीदिंग एक्सरसाइज यानी सिम्हासना प्राणायाम करने का तरीका:
* सबसे पहले समतल जमीन पर योग मैट या साफ चादर बिछा लें।
* अब इस आसन को करने के लिए सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
* इसके बाद अपने हाथों को घुटनों पर रखें और बाजुओं को सीधा करें।
* अब नाक से गहरी सांस लेते हुए कंधों को थोड़ा-सा ऊपर उठायें।
* फिर हाथों की अंगुलियों को फैलाते हुए घुटनों पर जोर से दबाएं और आंखें बड़ी कर के ऊपर की ओर देखें।
* इसके बाद जीभ को बाहर निकाल कर फैलाएं और सांसों को छोड़ते हुए शेर की दहाड़ जैसी आवाज निकालें। ध्यान रहे की यह आवाज गले से नहीं, बल्कि पेट से निकलनी चाहिए।
सावधानी: लायन ब्रीदिंग एक्सरसाइज या सिम्हासन प्राणायाम करने से पहले नीचे बताए गए इन बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है:
* अगर किसी को घुटने में चोट लगी हो या फिर दर्द की शिकायत हो तो इस एक्सरसाइज से परहेज करना चाहिए।
* इसके अलावा, कमजोर कलाई वाले लोगों को इस व्यायाम को करते समय हाथों पर अधिक जोर नहीं लगाना चाहिए।
* गर्भावस्था के दौरान इस एक्सरसाइज को करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लेना चाहिए।
7. लीप ब्रीदिंग
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, लिप ब्रीदिंग एक्सरसाइज ऑक्सीजन के स्तर में सुधार ला सकती है। साथ ही इस एक्सरसाइज को क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (फेफड़ों में सूजन की समस्या) के रोगियों में सांस और हृदय की स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाने में उपयोगी पाया गया है।इसके अलावा, लिप ब्रीदिंग सांस लेने में तकलीफ से राहत दिलाने के साथ-साथ उसकी कार्यात्मक क्षमता बढ़ाने में भी काफी कारगर माना जा सकता है। इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे किसी भी वक्त जैसे- टीवी देखते हुए, पेपर पढ़ते हुए किया जा सकता है।
करने का तरीका: लिप ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने का तरीका जान लेना भी जरूरी है। नीचे पढ़ें लिप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने का तरीका:
* इस एक्सरसाइज को करने के लिए किसी एक जगह पर आराम से बैठ जाएं।
* इसके बाद नाक के माध्यम से अंदर की ओर सांस लें।
* फिर होठों को “ओ” आकार में बनाएं।
* अब धीरे-धीरे कर के सांसों को मुंह के माध्यम से छोड़ें।
* इस प्रक्रिया को 5 से 6 बार कर सकते हैं।
सावधानी: लिप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
* अन्य एक्सरसाइज की तरह ही लीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने के तरीके पर ध्यान देना जरूरी है। इस दौरान सांसों को हमेशा धीरे-धीरे कर के ही बाहर की ओर छोड़ना चाहिए।
8. डायाफ्रामिक ब्रीदिंग
डायाफ्रामिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज को संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बेहतर बनाने, निरंतर ध्यान में सुधार करने और तनाव को कम करने के लिए प्रभावी माना जाता है। इसके अलावा, मोशन सिकनेस के लक्षण, जैसे- यात्रा के दौरान चक्कर आना, मतली की समस्या आदि को भी कम करने के लिए डायाफ्रामिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज के फायदे देखे जा सकते हैं। वहीं, एक अन्य शोध में बताया गया है कि डायाफ्रामिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों तनावों को कम करने के लिए भी फायदेमंद हो सकती है। साथ ही यह इटिंग डिसऑर्डर (कम खाना या जरूरत से ज्यादा खाना) यानी भोजन विकार, क्रोनिक कब्ज, उच्च रक्तचाप की समस्या, चिंता और माइग्रेन के इलाज में सहायक साबित हो सकता है। इसके अलावा, यह एक्सरसाइज श्वसन क्रिया और श्वसन तंत्र की मांसपेशियों में भी सुधार कर सकती है। हालांकि मानव स्वास्थ्य पर इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज से जुड़े लाभ को लेकर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
करने का तरीका: अब हम जानेंगे कि डायाफ्रामिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज को कैसे की जानी चाहिए। तो डायाफ्रामिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज को कुछ इस तरह से कर सकते हैं:
* डायाफ्रामिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने के लिए किसी समतल और शांत जगह पर मैट बिछा लें।
* अब उस मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और एक हाथ अपनी छाती पर रखें और दूसरी हाथ को पेट पर रखें।
* आप चाहें तो इसे वज्रासन की मुद्रा में बैठकर भी कर सकते हैं।
* इसके बाद नाक से गहरी सांस लें और एक से दो सेकंड के लिए सांस रोकें।
* फिर धीरे-धीरे कर के मुंह के माध्यम से सांस छोड़ें।
* इस प्रक्रिया को पांच से अधिक बार कर सकते हैं।
सावधानी: अन्य एक्सरसाइज की तरह ही डायाफ्रामिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
* इस एक्सरसाइज को करने के दौरान भी सांसों को अधिक बल के साथ बाहर की ओर नहीं छोड़ना चाहिए।
* गंभीर हृदय रोग की समस्या झेल रहे लोगों को इस एक्सरसाइज को करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेना चाहिए।
9. इक्वल ब्रीदिंग
टाइप्स ऑफ प्राणायाम में समावृत्ति प्राणायाम यानी इक्वल ब्रीदिंग भी शामिल है। इस एक्सरसाइज को करने से मन और शरीर दोनों शांत रहता है। दरअसल, यह व्यायाम पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र (शरीर के आराम और पाचन प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार नर्व्स) को उत्तेजित कर सकता है, जिससे शरीर को आराम और शांति का अनुभव होता है। साथ ही यह एकाग्रता को बढ़ाने में भी सहायक हो सकता है।
करने का तरीका: नीचे हम इक्वल ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने का सही तरीका बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार है:
* इस एक्सरसाइज को करने के लिए किसी भी आरामदायक अवस्था में बैठ जाएं।
* इस दौरान पीठ को सीधा रखें।
* अब आंखों को बंद करें और उंगली पर 4 गिनते हुए धीरे-धीरे अंदर की और गहरी सांस लें।
* उसके बाद, फिर 4 गिनते हुए नाक के ही माध्यम से धीरे-धीरे करके सांस को बाहर की ओर छोड़ें।
* इस प्रक्रिया को 20 से 30 बार दोहराया जा सकता है।
सावधानी: इक्वल ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से पहले इन बातों का ध्यान रखें:
* खाना खाने के तुरंत बाद इस एक्सरसाइज को न करें।
* सांस को जोर से या झटके से बाहर की ओर न छोड़ें।
10. हमिंग बी ब्रीद
हमिंग बी ब्रीद को भ्रामरी प्राणायाम के नाम से भी जाना जाता है। एक शोध के मुताबिक, भ्रामरी प्राणायाम मस्तिष्क को तुरंत शांत करने के साथ-साथ उसे निराशा, चिंता और क्रोध से भी मुक्त करने के लिए प्रभावी साबित हो सकता है। इसके अलावा, भ्रामरी प्राणायाम उच्च रक्तचाप की समस्या, हृदय रोग, माइग्रेन के सिरदर्द की समस्या आदि में भी फायदेमंद माना गया है। वहीं, इस एक्सरसाइज को करने से अल्जाइमर, पैरालिसिस या लकवा की समस्या और स्लीप एपनिया (नींद से जुड़ा विकार) की परेशानी में भी राहत मिल सकती है। इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज से रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर हो सकती है।
करने का तरीका: कुछ इस तरह से करें हमिंग बी ब्रीद एक्सरसाइज:
* सबसे पहले किसी शांत वातावरण में योग मैट बिछाएं और उस पर बैठ जाएं।
* इसके बाद आंखें बंद करें और आसपास की शांति को महसूस करें।
* अब अपने अंगूठे से कानों को बंद कर लें और अपनी मध्य और उसके बगल (अनामिका) की उंगली को आंखों पर रखें।
* फिर मुंह को बंद रखते हुए नाक के माध्यम से गहरी सांस अंदर लें। इसके बाद मधुमक्खी जैसी आवाज (ह्म्म्म्म्म) करते हुए सांस को धीरे-धीरे बाहर की ओर छोड़ें।
* सांस अंदर लेने का समय करीब 3-5 सेकंड तक का होना चाहिए और बाहर छोड़ने का समय 15-20 सेकंड तक का होना चाहिए।
* इसके बाद दोबारा गहरी सांस लें और इस प्रक्रिया को 3 से 5 बार दोहराएं।
सावधानी: भ्रामरी प्राणायाम को करने से पहले इन बातों का ध्यान रखें:
* भ्रामरी प्राणायाम को खाली पेट करना चाहिए।
* बेहतर है इसे सुबह-सुबह किया जाए।
* इस प्राणायाम के दौरान अपने कान और आंखों को जोर से ना दबाएं।
* हृदय रोग के मरीज इसे ज्यादा देर तक न करें या इस आसन को करने से पहले डॉक्टरी सलाह लें।
* माइग्रेन की समस्या वालों लोगों को इसका अभ्यास खुली आंखों से करना चाहिए।
* बेहतर है शुरुआत में इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज को ट्रेनर की देखरेख में किया जाए।
11. डीप ब्रीदिंग
ब्रीदिंग एक्सरसाइज के प्रकारों में डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी शामिल है। यह गहरी सांस लेने की प्रक्रिया है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की मानें तो यह एक्सरसाइज मूड में सुधार और तनाव के स्तर को कम करने में सहायक साबित हो सकती है। यही नहीं, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज बच्चों में भी चिंता को कम करने के लिए प्रभावी पाया गया है। वहीं, एक अन्य शोध से पता चलता है कि डीप ब्रीदिंग फेफड़ों के लिए बहुत ही उपयोगी व्यायाम है। इसके माध्यम से निमोनिया की समस्या, एटेलेक्टेसिस फेफड़ों से संबंधित समस्या), और हाइपोक्सिया (रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम होना) जैसी समस्याओं के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
करने का तरीका: डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज के लाभ उठाने के लिए इसे कुछ इस तरह से कर सकते हैं:
*..इस एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले एक शांत जगह का चुनाव कर आराम से बैठ जाएं।
* इस समय ध्यान रखें कि आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए।
* अब, नाक से गहरी और लंबी सांस लें और धीरे-धीरे करके सांस को छोड़ें।
* इस एक्सरसाइज को लगभग 15 मिनट तक करें।
सावधानी: इस एक्सरसाइज को करने से पहले इन बातों को ध्यान में रखें :
* गंभीर हृदय रोगों की समस्या वाले लोगों को इस एक्सरसाइज को करने से पहले डॉक्टरी सलाह ले लेनी चाहिए।
* सुबह के समय इस एक्सरसाइज को करना फायदेमंद हो सकता है। वहीं, अगर कोई खाना खाने के बाद इस एक्सरसाइज को करना चाहता है, भोजन के कम से कम तीन घंटे बाद इस एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है।
12. शीतली ब्रीद एक्सरसाइज
इस एक्सरसाइज को कूलिंग ब्रीद के नाम से भी जाना जाता है। इससे जुड़े शोध में बताया गया है कि, शीतली ब्रीद व्यायाम शरीर को ठंडा रखने के लिए जाना जाता है (28)। यही नहीं, शीतली प्राणायाम को उच्च रक्तचाप की समस्या वाले लोगों में सिस्टोलिक रक्तचाप को कम करने के लिए भी प्रभावी पाया गया है। इस बात की पुष्टि एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से होती है।
करने का तरीका: शीताली ब्रीद एक्सरसाइज को इस तरह से कर सकते हैं :
* इस एक्सरसाइज को करने के लिए शांत जगह चुनकर मैट बिछा लें।
* इसके बाद पद्मासन या वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं और आंखों को बंद कर लें।
* अब होठों को “ओ” आकार में बनाएं और अपनी जीभ को बाहर निकालकर उसे ट्यूब या पाइप के आकार जैसे मोड़ें और गहरी और लंबी सांस अंदर भरें।
* फिर, जीभ को अंदर कर के मुंह बंद कर लें और एक से दो सेकंड सांसों को रोकें।
* इसके बाद धीरे-धीरे करके सांसों को बाहर की ओर छोड़ें। इस दौरान मुंह को बंद ही रखें।
* इस प्रक्रिया तो 8 से 10 बार कर सकते हैं।
सावधानी: शीताली ब्रीद एक्सरसाइज को करने से पहले इस बात का ध्यान रखें :
* अगर जीभ में किसी प्रकार की समस्या हो तो इस एक्सरसाइज को करने से बचें।
* कोशिश करें कि यह व्यायाम सुबह या शाम के वक्त में ही करें।
13. साइकिलिंग
ब्रीदिंग एक्सरसाइज में साइकिलिंग भी शामिल है, जो फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मददगार साबित हो सकता है। इसके अलावा, साइकिलिंग कार्डियो रेस्पिरेटरी (व्यायाम के दौरान जब हृदय, फेफड़े और मांसपेशियां एक साथ काम करते हैं) और जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार के लिए सहायक माना जा सकता है। इसके अलावा, साइकिल चलाने से कार्डियोवैस्कुलर यानी हृदय व रक्त वाहिकाओं से संबंधित समस्याओं का जोखिम भी कम हो सकता है। वहीं, साइकिलिंग के फायदों में चिंता और अवसाद को कम करना भी शामिल है। ऐसे में सुबह-सुबह कुछ घंटों के लिए साइकिल चलाना सेहत के लिए लाभकारी हो सकता है।
सावधानी: साइकिल चलाते वक्त कुछ सावधानियों का ध्यान रखना जरूरी है। ये कुछ इस प्रकार हैं:
* साइकिल चलाने से पहले नी कैप और हेलमेट जरूर पहनें।
* तेजी से साइकिल न चलाएं।
* ज्यादा भीड़भाड़ वाले रोड पर साइकिल चलाने से बचें।
* अगर घुटनों से जुड़ी समस्या है तो डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही साइकिल चलाएं।
14. टहलना
वॉकिंग यानी टहलने को भी शारीरिक व्यायाम के लिस्ट मे रखा गया है, जो सांस लेने में सुधार के लिए सहायक साबित हो सकता है। फेफड़े और एक्सरसाइज पर हुए एक शोध में जिक्र मिलता है कि, रोजाना 30 मिनट मॉर्निंग वॉक करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ सकती है। दरअसल, शारीरिक गतिविधि के दौरान फेफड़े शरीर में ऑक्सीजन प्रवाहित करते हैं, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और कार्बन डाई ऑक्साइड शरीर से बाहर निकलती है। साथ ही हृदय मांसपेशियों में ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। वहीं, जब मांसपेशियां अधिक कार्य करती हैं, तो शरीर को कार्बन डाई ऑक्साइड बनाने के लिए अधिक मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इस वजह से सांस लेने की दर भी बढ़ जाती है। यही नहीं, चिंता और अवसाद को कम करने के लिए भी वॉकिंग को फायदेमंद माना गया है। सेहतमंद रहने के लिए सुबह-सुबह टहलना लाभकारी हो सकता है।
सावधानी: टहलते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है, जो कुछ इस प्रकार हैं:
* टहलने के दौरान अन्य लोगों से दूरी का ध्यान रखें।
* भीड़भाड़ वाली जगह में टहलने न जाएं।
* ज्यादा जोर से नहीं दौड़ें।
* टहलते वक्त मुंह को ज्यादा कवर न करें।
* लगातार न टहलें, बल्कि बीच-बीच में ब्रेक लें।
* अपने साथ पानी की बोतल रखें।
15. स्विमिंग
स्विमिंग करने के भी कई फायदे हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के मुताबिक, बच्चों और वयस्कों में सांसों से संबंधित बीमारी जैसे- अस्थमा के लक्षणों को कम करने के लिए स्विमिंग को लाभकारी माना गया है। इसके अलावा, अवसाद के लक्षणों और चिंता को कम करने के लिए भी स्विमिंग करना फायदेमंद हो सकता है। स्विमिंग के लाभ यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि स्विमिंग नींद की गुणवत्ता में सुधार कर अनिद्रा की समस्या को कम करने में सहायक भी माना जा सकता है। हालांकि, अन्य ब्रीदिंग एक्सरसाइज से विपरीत स्विमिंग करने के लिए पूरी तरह से ट्रेनिंग की आवश्यकता है। ऐसे में स्विमिंग करने से पहले कुछ सावधानियों को ध्यान में रखना जरूरी है। लेख में आगे में इसी बारे में जानकारी दे रहे हैं।
सावधानी: स्विमिंग के पहले और दौरान नीचे बताए गए बातों का ध्यान रखें।
* सबसे पहले किसी ट्रेनर से स्विमिंग करना सीखें।
* ट्रेनर की देखरेख में ही स्विमिंग करें।
* पूल में जाते वक्त और निकलते वक्त खास ध्यान रखें।
* स्विमिंग के दौरान लाइफ जैकेट पहनें।
* अगर पूल में असुविधा महसूस हो तो तुरंत बाहर आएं।
* अपनी क्षमता से ज्यादा स्विमिंग एक्सरसाइज न करें।
* अगर किसी को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या हो तो डॉक्टरी परामर्श के बाद ही स्विमिंग एक्सरसाइज करने का निर्णय लें।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
इसमें कोई शक नहीं है कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज के फायदे कई सारे हैं। हालांकि, ब्रीदिंग एक्सरसाइज के लाभ के बाद इन्हें करने से जुड़ी कुछ मुख्य बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज के फायदे समझने के बाद यहां हम बता रहे हैं कि इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
क्या करना चाहिए
सबसे पहले ब्रीदिंग एक्सरसाइज के दौरान क्या करना चाहिए, इससे जुड़ी जानकारी कुछ इस प्रकार है:
* ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने के लिए हमेशा शांत जगह का ही चुनाव करें, इससे सांसों पर ध्यान केंद्रित करने में आसानी होगी।
* इस तरह के एक्सरसाइज को करने के लिए जब भी कोई आसन, जैसे- सुखासन करने या पद्मासन करने की मुद्रा में बैठें तो पीठ और कमर को एकदम सीधा रखें।
* अगर घुटने या फिर कमर में चोट लगी हो तो ऐसी स्थिति में ब्रीदिंग एक्सरसाइज को कुर्सी या टेबल पर भी बैठकर किया जा सकता है।
* ब्रीदिंग एक्सरसाइज को करने से पहले किस अवस्था में कब सांस लेनी है और कब छोड़नी है, इस बात की पूरी जानकारी ले लें।
* अगर पहली बार ब्रीदिंग एक्सरसाइज को कर रहें हैं तो सांसों को उतनी ही देर तक रोकें जितना एक बार में संभव हो सके। खुद के साथ जबरदस्ती न करें।
* पहली बार अगर कोई एक्सरसाइज कर रहा हो तो किसी विशेषज्ञ या ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
* कोशिश करें सुबह के समय में इन एक्सरसाइज को करें।
* इसके अलावा ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने के लिए ढीले कपड़े पहनें। इससे व्यायाम करने में आसानी होगी।
* स्वस्थ शरीर के लिए एक्सरसाइज के साथ-साथ स्वस्थ संतुलित भोजन करना भी जरूरी है।
* अगर स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या हो तो डॉक्टरी सलाह के बाद ही ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने का निर्णय लें।
क्या न करें
अब जानते हैं ब्रीदिंग एक्सरसाइज के दौरान किन चीजों से परहेज करना चाहिए।
* ब्रीदिंग एक्सरसाइज करते समय सांसों को भरने और छोड़ने में जल्दबाजी न करें।
* किसी भी ब्रीदिंग एक्सरसाइज को खाने के तुरंत बाद न करें।
* कभी भी अपनी क्षमता से अधिक सांसों को रोकने का प्रयास न करें।
* ब्रीदिंग एक्सरसाइज के दौरान मास्क का इस्तेमाल न करें।
* हमेशा साफ वातावरण में ही ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें।
इस लेख के माध्यम से आप ये तो समझ गए होंगे कि शरीर को बीमारियों से दूर रखने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज कितनी फायदेमंद है। तो फिर देर किस बात की आज से अपने डेली रूटीन में लेख में बताए गए व्यायामों को शामिल करें और उनसे होने वाले लाभ का लुत्फ उठाएं। वहीं, इस बात का भी ध्यान रखें कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज के फायदे और सेहतमंद रहने के लिए एक्सरसाइज के साथ-साथ उचित खानपान और सही दिनचर्या का भी होना जरूरी है तभी इसके बेहतर परिणाम नजर आएंगे।
डिस्क्लेमर- यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में योग्य चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।