टीबी या ट्यूबरक्लोसिस को हमारे देश में क्षय रोग या तपेदिक के नाम से भी जाना जाता है. टीबी महामारी के कारण कई शताब्दियों से दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी जान गंवाई है. वहीं आधुनिक चिकित्सक में प्रगति के बावजूद आज भी बड़ी संख्या में लोग इस बीमारी के नाम से भी डरते हैं . चूंकि ज्यादातर मामलों में यह संक्रामक होती है ऐसे में इससे पीड़ित लोगों को आमतौर पर समाज से अलगाव का सामना भी करना पड़ता है। TB / तपेदिक को दुनिया के अधिकांश हिस्सों में विशेषकर विकासशील देशों में एक गंभीर महामारी माना जाता है. जिससे हर साल लगभग डेढ़ मिलियन लोगों की मौत हो जाती है. आमजन में इस रोग, इसके प्रकारों व इसके इलाज को लेकर जागरूकता फैलाने तथा इसके इलाज के लिए नए अनुसंधानों व इस दिशा में कार्य करने के लिए लोगों व संस्थाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल वैश्विक स्तर पर 24 मार्च को “विश्व टीबी दिवस” मनाया जाता है. इस वर्ष यह विशेष आयोजन “ Yes! We can end TB!” या “हां! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं” थीम पर मनाया जा रहा है।
हर साल 24 मार्च के दिन विश्व तपेदिक या क्षयरोग (टीबी) दिवस मनाया जाता है, इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य वैश्विक टीबी महामारी को समाप्त करने के प्रयासों को तेज करने और इसके विनाशकारी परिणामों के बारे में जागरूक करना है। टी. बी. का पूरा नाम है ‘ट्यूबरकुल बेसिलाइ‘ है, यह ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया से होने वाली एक बीमारी है जो ज्यादातर फेफड़ों में होती है। जो हवा के जरिए छींकने या खांसने के दौरान एक दूसरे में फैलती है तथा फेफड़ों के अलावा मुंह, लिवर, गले, दिमाग, किडनी या यूट्रस में भी हो सकती है परंतु इस तरह की टीबी इंसानों से एक दूसरे में नहीं फैलती।
अंतरराष्ट्रीय क्षय रोग दिवस के बारे में जानकारी
नाम : विश्व तपेदिक दिवस
तारीख़ : 24 मार्च (वार्षिक)
उद्देश्य : तपेदिक (टीबी) के बारें में जागरूकता फैलाना और इसे समाप्त करने का प्रयास करना
थीम (2023) में : एस! वी कैन एंड टीबी!
विश्व टीबी दिवस क्यों मनाया जाता है?
वैश्विक स्तर पर लोगों को तपेदिक (टी. बी) जैसे जानलेवा रोग के बारे में जागरूक करने और इसे खत्म करने के प्रयास से हर साल 24 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा चिन्हित ‘विश्व टीबी दिवस‘ मनाया जाता है। विश्व तपेदिक दिवस 24 मार्च 1882 के उस दिन की याद दिलाता है, जब डॉक्टर रॉबर्ट कोच (Dr. Robert Koch) द्वारा यह घोषित किया गया कि उन्होंने टीबी का कारण बनने वाले जीवाणु ‘ट्यूबरकल बेसिलस‘ की खोज कर ली है। बाद में उनकी इस खोज ने तपेदिक (टीबी) जैसी जानलेवा बीमारी का इलाज ढूँढने में काफी सहायता की।
क्षय रोग दिवस की शुरूआत कब और कैसे हुई? (इतिहास)
वर्ष 1982 में, रॉबर्ट कोच की प्रस्तुति की 100वीं वर्षगांठ पर, इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस एंड लंग डिजीज (IUATLD) ने प्रस्ताव दिया कि 24 मार्च को आधिकारिक तौर पर विश्व टीबी दिवस घोषित किया जाए। परन्तु इसे 1 दशक से ज्यादा समय तक बड़े संगठनों का साथ नहीं मिला। अंततः वर्ष 1996 में विश्व स्वाथ्य संगठन (WHO) ने टीबी को नियंत्रित करने की लड़ाई में इस महत्वपूर्ण दिन के प्रभाव को बढाने के लिए IUATLD और अन्य सम्बंधित संगठनों के साथ जुड़ गया। जिसके बाद सभी प्रतिभागियों ने दुनियाभर में विश्व टीवी दिवस मनाने की योजना को अपनाया। विश्व टीबी दिवस को सफल बनाने के लिए वर्ष 1997 में, डब्ल्यूएचओ ने बर्लिन में एक समाचार सम्मेलन आयोजित किया जहाँ डॉट्स को उस दशक की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सफलता बताया गया और इस वर्ष की थीम Use DOTS more widely रखी गयी।
विश्व टीबी दिवस मनाने का क्या महत्व है? (उद्देश्य)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट की माने तो हर दिन 4100 से ज्यादा लोग टीबी की बीमारी से अपनी जान गवा देते हैं, साथ ही 30,000 से ज्यादा लोग इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में लोगों को इस जानलेवा बीमारी से बचाने और उन्हें जागरूक करने के लिए ही विश्व क्षयरोग दिवस मनाया जाता है।
* टीबी को समाप्त करने के वैश्विक प्रयासों द्वारा साल 2000 और 2020 के बीच 66,000,000 जीवन बचाए गए।
* 2020 में टीबी से बीमार होने वाले लोगों की संख्या लगभग 1 करोड़ थी।
* 2020 में 15 लाख़ लोग टीबी से मर गए थे। साथ ही 214000 लोग ऐसे भी थे जिन्हें HIV था।
* वैश्विक क्षयरोग (टीबी) रिपोर्ट 2020 के अनुसार वर्ष 2019 में टीबी विकसित करने वाले देशों में भारत की 26% हिस्सेदारी है जो इसे एशिया का सबसे ज्यादा प्रभावित देश बनाता है।
* वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2020 की माने तो भारत में इस रोग के कुल 26,40,000 मरीज है।
* जहाँ दुनिया ने 2030 तक टीबी का उन्मूलन करने का लक्ष्य रखा है, तो वही भारत का लक्ष्य 2025 तक टीबी मुक्त होना है।
* 2020 में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान तपेदिक (क्षयरोग) के मरीज़ों की नोटिफ़िकेशन में 26%-30% की कमी दर्ज की गयी थी।
विश्व तपेदिक दिवस 2023 की थीम
प्रत्येक वर्ष विश्व टीबी दिवस एक ख़ास थीम के साथ मनाया जाता है, इस साल विश्व क्षयरोग या तपेदिक दिवस 2023 की थीम ‘हाँ! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं!’ (Yes! We can end TB!) है।पिछली साल 2022 में इसे ‘टीबी को खत्म करने के लिए निवेश करें, जीवन बचाए‘ (Invest to End TB. Save Lives) थीम के साथ मनाया गया था, तो वहीं 2021 का विषय ‘घड़ी चल रही है‘ (The Clock Is Ticking) था।
वर्ल्ड ट्यूबरक्लोसिस डे की थीमें
2022 : टीबी को खत्म करने के लिए निवेश करें, जीवन बचाए।
2021 : घड़ी चल रही है।
2020 : यह टीबी खत्म करने का समय है।
2019 : यह समय है।
2018 : वांटेड: टीबी मुक्त दुनिया के लिए नेतृत्वकर्ता।
2017 : यूनाइट टू एंड टीबी।
2016 : टीबी खत्म करने के लिए एकजुट हों।
2015 : टीबी खत्म करने के लिए कमर कस लें।
2014 : तीन मिलियन तक पहुंचें: सभी के लिए एक टीबी परीक्षण, उपचार और इलाज।
2013 : मेरे जीवनकाल में टीबी बंद करो।
2012 : टीबी से मुक्त दुनिया के लिए कॉल करें।
2011 : उन्मूलन की ओर लड़ाई को बदलना।
2010 : कार्रवाई में तेजी लाने के लिए नवाचार करें।
विश्व टीबी दिवस कैसे मनाया जाता है?
वर्ल्ड ट्यूबरक्लोसिस डे के अवसर पर लोगों के बीच जाकर तपेदिक (क्षयरोग) के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं और लोगों को टीबी जैसी खतरनाक बीमारी से बचने और इसे फैलने से रोकने सम्बन्धित कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।साथ ही इस दिन टीबी जैसी घातक बीमारी को हमेशा के लिए खत्म करने का संकल्प भी किया जाता है। भारत में सरकार द्वारा चलाए जाने वाले डॉट्स सेंटर पर भी लोगों को टीबी के लक्षणों और इसके इलाज के बारे में जानकारी दी जाती है।
टीबी के लक्षण, बचाव और इलाज क्या है?
टीबी का इलाज संभव है परंतु यह इतनी खतरनाक इसलिए मानी जाती है, क्योंकि टीबी शरीर के जिस हिस्से में होती है वह उस हिस्से को धीरे-धीरे बेकार करना शुरू कर देती है। हालंकि यह बिमारी होने से पहले कुछ लक्षण दिखाई दे सकते है जो इस प्रकार है:
क्षयरोग रोग के लक्षण (Symptoms)
* 3 हफ्ते से ज्यादा खांसी आना,
* खांसी के साथ बलगम आना,
* कभी कबार खांसी में खून आना,
* वजन में निरंतर कमी आना,
* भूख लगना कम होना,
* शाम या रात के समय बुखार चढ़ना,
* सांस लेने में परेशानी होना या सांस लेते समय सीने में दर्द होना आदि।
टीबी से बचने के उपाय (Precautions)
* यह हवा से फैलने वाली बीमारी है इसीलिए संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें और भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें।
* 3 हफ्ते से ज्यादा खांसी आने पर बलगम की जांच अवश्य कराएं।
* अगर आपको टीबी हो गई है तो इसका पूरा कोर्स करें बीच में ही दवाई लेना ना बंद करें।
* टीबी का इलाज संभव है इसीलिए घबराए नहीं सरकारी अस्पताल जाकर अपना इलाज मुफ्त कराएं।
* अस्पताल या किसी सार्वजनिक जगह पर जाते समय मुंह को ढक कर रखें।
क्षयरोग (टीबी) होन पर क्या करें
टीबी के रोग से बचाव के लिए सर्वप्रथमन लक्षण दिखते ही चिकित्सक के पास जाना चाहिए। सीने का एक्स-रे लेकर तथा थूक या बलगम की लेबोरेटरी जाँच करानी चाहिए। आजकल टी.बी. के उपचार के लिए अलग-अलग एंटीबायोटिक्स/एंटीबेक्टेरियल्स दवाओं का एक साथ प्रयोग किया जाता है। यह उपचार लगातार बिना नागा 6 से 9 महीने तक चलता है। आज के समय में टीबी के मरीजों की सख्यां देखते हुए इसका इलाज व दवाईयां मुफ्त कर दी गई है। जो किसी भी स्वास्थ्य केन्द्र पर आसानी से उपलब्ध है। उपचार के दौरान रोगी को पौष्टिक आहार मिले, वह शराब-सिगरेट आदि से दूर रहना चाहिए। टीबी की रोकथाम के लिए मरीज के परिवारजनों को भी दवा दी जाती है, ताकि मरीज का इन्फेक्शन बाकी सदस्यों को न लगे जैसे पत्नी, बच्चे व बुजुर्ग अदि। इसके लिए उन्हें आइसोनेक्स की गोली तीन माह तक दी जाती है। बच्चों को भी टी.बी. से बचने के लिए बी.सी.जी. का टीका जन्म के तुरंत बाद लगाया जाता है। क्षयरोग के मरीज को दवाईयां समय पर लेनी चाहिए। दवाईयों में लापरवाही बरतने के कारण यह बीमारी और उग्र हो सकती है। जब तक चिकित्सक ना कहे तब तक दवाई लेते रहनी चाहिए। थोड़ा आराम पड़ने के बाद दवाईयां बंद नहीं करनी चाहिए। टीबी के मरीज की दवाईयां अमूमन 6 स 8 महीने चलती हैं। मरीज को अच्छा खाना, कम तेल-मसाले वाला देना चाहिए। तभी इस रोग से बचाव संभव है।
टीबी का इलाज (Treatment)
टीबी के लक्षण आसानी से पहचाने जाने वाले है, ऐसे में अगर सही समय पर तपेदिक (TB) के लक्षणों की पहचान हो जाती है, तो इसका इलाज करवा कर जल्दी ही इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।भारत में सरकार हस्पतालों में टीबी की जांच या इलाज के लिए पैसे देने नहीं देने होते। इसके लिए डॉट्स सेंटर या सरकारी अस्पताल जाकर मरीज अपना इलाज करा सकते हैं। इसका कोर्स 6 से 8 महीने का होता है, आपको पूरी तरह से ठीक होने के लिए टीबी का पूरा कोर्स करना चाहिए नहीं तो यह आपको दोबारा भी हो सकता है।
2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का संकल्प
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीबी अभी भी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक किलर डिजीज में से एक है. डब्ल्यूएचओ की तरफ से साल 2030 तक दुनिया को पूरी तरह से टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं भारत की ओर से 2025 तक देशवासियों की टीबी की बीमारी से पूरी तरह से निजात दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. हर साल विश्व क्षय रोग दिवस के मौके पर डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार की ओर से लोगों को बीमारी के प्रति जागरुक करने के लिए तमाम कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
2025 तक टीबी मुक्त होगा भारत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने 2030 तक इस घातक बीमारी को दुनिया से खत्म करने का संकल्प लिया है। इसके लिए अटेंशन का निर्धारण और प्लानिंग कर ली गई है। दूसरी ओर, भारत ने 2025 तक इस बीमारी को देश से खत्म करने का संकल्प लिया है। केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 9 मार्च, 2023 तक देश भर में 9.69 लाख टीबी रोगियों में से 9.55 लाख निक्षय मित्र द्वारा अपनाए गए हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि टीबी से मुक्ति का लक्ष्य जहां 2030 है, वहीं भारत ने इसे हासिल करने के लिए 2025 का लक्ष्य रखा है।
दुनिया भर में हर दिन TB से 4000 लोगों की होती है मौत |
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हर दिन 4000 लोग तपेदिक से मरते हैं। भारत में बड़ी संख्या में TB के मरीज हैं और भारत एशियाई देशों में पहले स्थान पर है। इसलिए भारत सरकार की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित लक्ष्य से पहले देश से टीबी को खत्म करने के लिए एक कार्यक्रम की योजना बनाई गई है।
क्षयरोग (टीबी) दिवस पर कार्यक्रम
क्षयरोग दिवस पर लोगों को जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विश्व क्षयरोग दिवस को नई जिंदगी के उपहार स्वरुप मनाया जाता है। इसके प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कई स्वास्थ्य केन्द्र नर्स, डॉक्टर, शोधकर्ता, एनजीओ, सरकारी गैर सरकारी संगठन इत्यादि कई तरह के जागरुकता भरे कार्यक्रम आयोजित करते हैं। डॉक्टर अपने क्लीनिक औऱ अस्पतालों में भी क्षयरोग के बारे में लोगों को बताते हैं। किस तरह यह होता है, इसके क्या लक्षण है, कैसे बचाव किया जाता है इत्यादि बातें आम जनता तक पहुंचाई जाती है। शहरों, गावों में कई कैंप लगाए जाते हैं, जहां मुफ्त में क्षयरोग का टेस्ट किया जाता है। संगोष्ठियों, पोस्टर, होर्डिग्स, दीवार पेंटिग इत्यादि के जरिए लोगों में जागरुकता फैलाई जाती है। ताकि लोग इस बीमारी की चपेट में ना आएं और इससे दूर रहें। लोगों की जिन्दगी बचाने के लिए यह जागरुकता अभियान चलाया जाता है। जो विश्व क्षयरोग दिवस का मुख्य उद्देश्य है। आप खुद भी इस बीमारी को रोक सकते हैं और फलों और सब्ज़ियों को धोकर खाना, दैनिक व्यायाम, शराब और धूम्रपान से खुद को दूर रख आप स्वस्थ रह सकते हैं। खांसते और छींकते समय आप अपने मुंह को ढककर टीबी को फैलाने से रोक सकते हैं।
कभी लाइलाज बीमारी माने जाने वाले टीबी यानी क्षय रोग का इलाज आज संभव है। अगर वक्त रहते इस बीमारी का पता चल जाता है तो आसानी से इलाज हो सकता है।टीबी बीमारी के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक आबादी को एकजुट करने का एक अवसर है। इसलिए लोगों को इसके प्रति जागरूक होने की आवश्यकता अभी भी है और प्रारंभिक लक्षण दिखते ही उन्हें समुचित उपचार के लिए अस्पतालों तक पहुंचना चाहिए।