भिलाई। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच स्थानीय प्राकृतिक संपदा को सहेजते हुए इसके माध्यम से आजीविका के साधन बढ़ाने तथा जनजातीय क्षेत्रों के रहवासियों की आय बढ़ाने की है। इसके लिए अनेक कार्य नई सरकार ने किए हैं। मुख्य सचिव आरपी मंडल ने भी स्थानीय प्राकृतिक संपदा और वनोपजों के उचित दोहन के माध्यम से जनजातीय क्षेत्र के लोगों की आय बढ़ाने की बात कही है। शासन द्वारा लगातार ऐसे उद्यमियों को बढ़ावा दिया जा रहा है जो छत्तीसगढ़ के उत्पादों को देश भर में पहुंचा रहे हैं। इससे न केवल प्रदेश की प्राकृतिक संपदा को पहचान मिल सकी है अपितु जनजातीय लोगों के लिए भी आय का रास्ता तैयार हो रहा है। दुर्ग शहर में ऐसे ही उद्यमी प्रकाश चंद्र साव ने जंगली शहद की मार्केटिंग का स्टार्टअप तैयार किया। उद्योग विभाग को इन्होंने अपना प्रस्ताव दिया और इसके लिए विभाग ने तेजी से कार्रवाई करते हुए पीएमईजीपी के अंतर्गत प्रकरण स्वीकृत किया। पांच लाख तीस हजार रुपए लोन में एक लाख उनचालीस हजार रुपए की सब्सिडी श्री साव को इस उद्यम के लिए प्राप्त हुई। इससे श्री साव ने छत्तीसगढ़ फूड प्रोडक्ट्स का संचालन आरंभ किया। अभी उनके पास अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग एवं अन्य कार्यों के लिए आठ लोगों का स्टाफ है और वे एक वेल्यू चेन भी बना चुके हैं जो शहद निकालने वाले से लेकर इसे बेचने वाले व्यक्ति तक विस्तारित है। 9 राज्यों की हनी थी खादी इंडिया के स्टोर में, केवल छत्तीसगढ़ की हनी नहीं थी, तब सोचा इस पर काम करेंगे- टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस से मास्टर्स करने के बाद जनजातीय क्षेत्रों में श्री साव ने काफ ी काम किया। जब वे कनाट प्लेस स्थित खादी इंडिया के स्टोर में पहुंचे तो उन्होंने पाया कि यहां 9 राज्यों की हनी मिलती है। उन्होंने सोचा कि छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से बस्तर तो अपने जंगली शहद की शुद्धता के लिए कमाल की जगह है, फि र भी यहां का शहद इस स्टोर में उपलब्ध क्यों नहीं है। फि र निर्णय लिया कि इस पर कार्य करेंगे, फि र नेटवर्क चेन तैयार किया। श्री साव ने बताया कि मैंने अबूझमाड़ में, केशकाल में, गढ़चिरौली में, नगरी में, सुकमा और बीजापुर में लोगों को आश्वस्त किया कि मैं आपके समय पर खरीदूंगा और तय मात्रा में अच्छे रेट दूंगा। इसका अच्छा प्रभाव पड़ा, जो लोग गंभीरता से इस कार्य से नहीं जुड़े थे और कभी-कभी अतिरिक्त आय प्राप्त करने के लिए करते थे, वे भी इसमें शामिल हो गए और उनके लिए भी निरंतर आय का जरिया खुल गया।
क्या खास है बस्तर की हनी में- शहद की सामग्री क्षेत्र विशेष की वनस्पति से तैयार होती है। जैसे वेस्टर्न घाट में पाई जाने वाली शहद में वहां की वनस्पति और फूलों का स्वाद और औषधीय गुण मिलेगा। कश्मीर की शहद में केसर का गुण मिलेगा। यदि महुआ, करंज और जामुन के औषधीय गुण शहद में चाहिए तो बस्तर का शहद इसके लिए उपयुक्त है। सबसे बड़ी चीज इस शहद में यह है कि बस्तर वनौषधि पौधों के लिए पूरे देश में सबसे मशहूर है तो यहां के शहद में वनौषधि की सामग्री भी प्रचुर मात्रा में है। इसके साथ ही यहां जंगलों से शहद एकत्रित किया जाता है जिसके चलते पेस्टीसाइड के प्रभाव से यह पूरी तरह से मुक्त है। श्री साव ने बताया कि यह विचार रिटेल चेन चलाने वाले उद्यमियों को भी पसंद आया और अब जल्द ही उनके उत्पाद रिटेल स्टोर्स में नजर आएंगे। साथ में ऑनलाईन शॉपिंग की प्रतिष्ठित कंपनी अमेजन में भी यह उत्पाद उपलब्ध होंगे।
सही तरीके से शहद निकालने की विधि भी बता रहे- श्री साव ने बताया कि अबूझमाड़ में सोनपुर इलाके में शहद एकत्र करने वाले लोग आग लगा देते हैं जिससे मक्खियां जल जाती हैं और भविष्य में शहद एकत्र होने की संभावना कम होती जाती है। ओरछा में इसके लिए अच्छा तरीका अपनाते हैं, वे लोग पूरा छत्ता नहीं काटते, थोड़ा सा हिस्सा छोड़ देते हैं जिसे मधुमक्खियां पुन: विकसित कर लेती हैं। श्री साव बताते हैं कि शहद इक_ा करने का काम रात को ही होता है, यह सुरक्षित हो, इसके लिए वे शहद इक_ा करने वाले ग्रामीणों को टार्च, रस्सी एवं अन्य सुरक्षा उपकरण प्रदान कर रहे हैं। अबुझमाड़ के कोडोली में उन्होंने हाल ही में यह बांटा।
– आलोक तिवारी
वरिष्ठ पत्रकार
छत्तीसगढ़ के जंगली शहद की मांग विदेशों में भी….. उद्यमी प्रकाश चंद्र साव बने रोड मॉडल
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