भिलाई। शहर के बहुचर्चित गैंगरेप मामले में न्यायालय ने दोषी शासकीय चिकित्सक सहित दोनो आरक्षको को आखिरी दम तक जेल मे कैद की सजा सुनाई है। पंचम अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी ने सजा सुनाते हुए कहा, तीनों आरोपी लोक कर्तव्य के पेशे से जुड़े थे। ऐसे में उनका काम रक्षक का होने पर भी वे स्वंय पीडि़ता के भक्षक बन गए। इन परिस्थतियों में आरोपियों के साथ किसी भी दशा में नरमी बरती नहीं जा सकती है। कोर्ट ने तीनों को जीवन समाप्त होने तक जेल में रहने की कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
इस प्रकरण में पीडि़ता ने घटना के कुछ माह बाद ही घर में आत्महत्या कर ली थी। जिला न्यायालय दुर्ग से मिली जानकारी के अनुसार घटना 19 जून 2014 की रात सुपेला स्थित शासकीय लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में हुई थी इस मामले में पुलिस ने हाउसिंग बोर्ड औद्योगिक क्षेत्र निवासी आरक्षक सौरभ भक्ता 33 साल व आरक्षक चंद्र प्रकाश पांडे 33 साल सहित हुडको मार्केट निवासी शासकीय चिकित्सक गौतम पंडित के खिलाफ अपराध दर्ज किया था मामले की सुनवाई पंचम अपर सत्र न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी की अदालत में हुई न्यायालय ने आरोपियों को अर्थदंड भी लगाया है जानकारी के अनुसार पीलिया से ग्रस्त पीडि़ता उपचार के लिए शासकीय अस्पताल सुपेला में भर्ती थी घटना की रात्रि अस्पताल में पदस्थ डॉ गौतम पंडित ने उसे इंजेक्शन लगाकर बेहोश कर दिया, इस दौरान अस्पताल में सुरक्षा गार्ड के रूप में ड्यूटी में तैनात दोनों आरक्षकों सहित शासकीय चिकित्सक ने महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया इस दौरान आरोपियों ने पीडि़ता को तैयार की गई घटना की अश्लील वीडियो क्लिप को इंटरनेट में डाल देने की धमकी भी दी थी जिला न्यायालय दुर्ग में आरोपियों को मौत तक जेल में रहने की सजा सुनाई जाने का यह पहला मामला बताया जाता है।
खुर्सीपार थाना क्षेत्र निवासी 20 वर्षीय छात्रा महिला कॉलेज में बीएसपी द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही थी। जून 2014 में पीलिया की बीमारी के ग्रसित होकर शास्त्री अस्पताल में भर्ती हुई। 18 जून की रात पीडि़त अकेली थी। इसका चलते आरोपी हुडको निवासी डा. गौतम पंडित और नाइट ड्यूटी पर तैनात हाउसिंग बोर्ड निवासी आरक्षक सौरभ भक्ता और चंद्र प्रकाश पांडेय ने मौके का फायदा उठाने का मन बना लिया। इसी बीच डा. गौतम ने नर्स को न बुलाकर खुद उसको इंजेक्शन लगाया।
उसके नींद में जाते ही आरोपियों ने अनाचार किया और उसका वीडियो भी बना लिया। इसके बाद उसे ब्लैकमेल करने लगे। इसके बाद फुटेज वायरल करने की धमकी देकर अनाचार करते रहे। लोकलाज के भय से पीडि़ता आरोपियों की बात मानने को मजबूर होती रही। तीन महीने बाद पीडि़ता गर्भवती हो गई। इस संबंध में पीडि़ता ने 10 अक्टूबर को आरोपी सौरभ भक्ता को फोन पर जानकारी भी दी। इस पर आरोपियों ने उसका गर्भपात करा दिया। इसके बाद भी उसे लगातार ब्लैकमेल करते रहे।
बहुचर्चित गैंगरेप मामले में दुर्ग जिला न्यायालय का बड़ा फैसला….. ईलाज के दौरान पीडि़ता की लूटी थी असमत डॉक्टर और आरक्षक ने
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