अंतर्राष्ट्रीय नदी संगठन के अनुसार, नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस “एकजुटता को समर्पित एक दिन है – जब दुनिया भर के विभिन्न समुदाय यह घोषणा करने के लिए एक आवाज में एक साथ आते हैं कि नदियां सभी के लिए बहुत मायने रखती हैं”| इंटरनेशनल डे ऑफ़ एक्शन फॉर रिवर्स का उद्देश्य इस बारे में ज्ञान साझा करना है कि नदियाँ हमारे जीवन का कैसे समर्थन करती हैं| यह दिन मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र (नदियों) को कृषि और पीने के लिए स्वच्छ पानी के स्रोत के रूप में जोर देता है, साथ ही साथ उनकी बहाली और रखरखाव के लिए भी ध्यान केंद्रित करता है| आइये जानते हैं नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस कब मनाते हैं और क्या है इस वर्ष इंटरनेशनल डे ऑफ़ एक्शन फॉर रिवर्स 2023 का विषय
नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस प्रतिवर्ष 14 मार्च को मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत 1997 में हुई थी। उसके अनुसार इस साल 26 वां नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस मनाया जा रहा है। इस दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य नदियों की सुरक्षा करना और उनके महत्व के बारे में लोगों को समझाना है। विश्व स्तर पर बात करें तो दुनिया में 3 मिलियन से अधिक नदियां है। वहीं यदि हम केवल भारत की बात करें तो भारत में अकेले 400 से अधिक नदियां हैं। इन सभी नदियों के महत्व को समझाने के लिए नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को प्रतिवर्ष एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल इस दिवस “नदियों का अधिकार” थीम के तहत मनाया जा रहा है। नदियां जैव विविधता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है और ये प्रणाली जैव विविधता के लिए सबसे उच्चतम क्षेत्र भी मना जाता है। भारत में नदियों की सुरक्षा करने के लिए बांध आदि जैसी कई परियोजनाएं चला रहा है, ताकि उनकी सुरक्षा और स्वच्छता को बनाए रखने के लिए कार्य कर रही है। नदियों की सुरक्षा के लिए सबसे प्रसिद्ध आंदोलन है नर्मदा बचाओं आंदोलन। उसी प्रकार से नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस के माधयम से नदी और पानी के महत्व को समझाने और जागरूकता फैलाने के लिए था। लेकिन क्या आप जानते है इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत कैसे हुई, क्यों हुई। आइए आपको इस लेख के माध्यम से इन सभी प्रश्नों के उत्तर दें।
क्यों मनाया जाता है नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस
मानव सभ्यता के लिए नदियों को वरदान माना गया है क्योंकि यदि धरती पर नदियां नहीं होती तो जीवन भी नहीं होता। भारत में प्राचीन काल से ही नदियों को बहुत सम्मान दिया जाता रहा है। गंगा हो या सरस्वती अथवा यमुना हो या अन्य नदियां, हमारी भारतीय संस्कृति में नदियों को मां कहकर पुकारा जाता है। दरअसल धरती यदि हमारी मां है तो नदियां इसी धरती मां की नसें हैं और धरती पर यदि नदियां सुरक्षित हैं, तभी जीवन भी सुरक्षित है। जीवनदायिनी नदियां केवल जल मार्ग ही नहीं हैं बल्कि बारिश के पानी को सहेजकर धरती की नमी को भी बनाए रखती हैं। दुनिया में हर कोई चाहता है कि नदियां विश्वभर में लोगों के लिए मुक्त रहें और हमारा पोषण करने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा सकें ताकि हम आनंदपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें लेकिन इसके लिए अनिवार्य है कि नदियां न सिर्फ हर तरह के बंधनों से मुक्त हों बल्कि प्रदूषण रहित भी हों और कॉरपोरेट नियंत्रण से भी आजाद हों। नदियों को बड़े पैमाने पर प्रदूषित करने में कॉरपोरेट का बड़ा योगदान रहता है, अवैध खनन ने भी कई जगहों पर नदियों की सूरत बिगाड़ दी है। हालांकि लगभग सभी देशों में उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल और विषैले पदार्थों के निपटान के लिए कानून बने हैं किन्तु इन कानूनों पर सख्ती से अमल नहीं होने के कारण नदियों को प्रदूषित होने से बचाना मुश्किल हो गया है। नियम-कानूनों को ताक पर रखने और नदियों के उद्धार के लिए योजनाएं फाइलों तक ही सीमित रहने के कारण कुछ स्थानों पर तो नदियों का पानी हाथ लगाने लायक भी नहीं दिखता जबकि कुछ जगहों पर तो नदियां गंदे नालों में तब्दील होती नजर आती हैं। यही कारण है कि नदियों के संरक्षण के लिए अब दुनियाभर में वैश्विक प्रयास हो रहे हैं।
नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस का इतिहास
नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस की शुरुआत 1997 में हुई थी। लेकिन 14 तारिख की तिथि इस दिवस को मनाने के लिए इसलिए चुनी गई क्योंकि इसका चुनाव अंतर्राष्ट्रीय बैठक में शामिल हुए प्रतिभागियों द्वारा ये फैसला लिया गया। मार्च 1997 में कूर्टिबा, ब्राजील में बांधों से प्रभावित होने वाले लोगों द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय बैठक का आयोजन किया गया था। इन प्रतिभागियों द्वारा बांधों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए और नदियों की सुरक्षा के लिए इस दिवस की शुरुआत की गई। नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस मनाने का फैसला आयोजित हुई बैठक में शामिल 20 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा लिया गया है, यहां तक की 14 मार्च की तिथि को भी इसलिए ही चुना गया है।
भारत में नदियों के लिए कार्रवाई का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
भारत में 400 से अधिक नदियां है, जिनकी सुरक्षा के लिए भारत में कई तरह की परियोजनाओं का आयोजन किया जाता है। भारत एक ऐसा देश है जहां नदियों की पूजा की जाती है और इस पूजा के दौरान या अन्य कई कारणों से नदियां दूषित भी होती है। क्योंकि लोग नदियों में प्लास्टिक आदि जैसी वस्तुओं के कारण नदियों का पानी प्रदुषित होता है। जिसकी सफाई आदि के लिए भी कार्य किए जाते हैं। हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को स्थापित किया गया था। नदियों में बढ़ते प्रदूषण से चिंतित होकर राष्ट्रीय हरित न्यायाघिकरण द्वारा देश के प्रदूषण प्रहरी के लिए पहले ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से अनुरोध कर चुका है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा अनूरोध नदियों की सफाई की रणनीतियों के निर्माण के लिए किया गया था।
नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस क्यों महत्वपूर्ण है
अंतर्राष्ट्रीय नदियों के संगठन के अनुसार नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस एकजुटता के लिए समर्पित है। इस दिन ‘जब दुनिया भर के विविध समुदाय एक स्वर में एक साथ आकर कहते हैं कि नदियां मायने रखती हैं।’ इस दिवस के माध्यम से नदियों के महत्व और उनकी सुरक्षा के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करना है। ताकि सभी लोगों तक साफ पानी की उपलब्धता बढ़े और मीठे पानी के पारिस्थिकिक तंत्र को बहाल करने के लिए ध्यान केंद्रीत किया जा सकें।
नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई 2023 दिवस की थीम
हर साल नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस के थीम के साथ मनया जाता है। इस साल इस दिवस को “नदियों का अधिकार” थीम के साथ मनाया जाता है। नदियों का अधिकार में उनकी सुरक्षा और स्वच्छता शामिल है।
नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस – तथ्य
• 14 मार्च, 2023 को नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस की 26वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी।
• लगभग 30-32 देश इस दिवस को मनाने में भाग लेते हैं।
• नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस पर आयोजित होने वाले कुछ कार्यक्रमों में रिवर वॉक, सफाई अभियान, वेबिनार और अन्य कार्यक्रम शामिल हैं।
• दुनिया की सबसे लंबी नदी मिस्र में नील (6,650 किमी) है, और दुनिया की सबसे छोटी नदी संयुक्त राज्य अमेरिका में रो नदी (61 मी) है।
• कुछ नदियाँ पृथ्वी की सतह के नीचे बहती हैं और भूमिगत नदियाँ कहलाती हैं।
• नदियाँ दो प्रकार की होती हैं: वर्षा आधारित नदियाँ और हिमपात वाली नदियाँ।
• नदियाँ विश्व के सभी जीवों की जीवन रेखा हैं। निरंतर मानव गतिविधियों के कारण, कई नदियाँ सिकुड़ गई है और प्रदूषित हो गई हैं।
• हर साल 14 मार्च को मनाई जाने वाली नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस, लोगों को प्रयास में एकजुट करके नदियों के संरक्षण पर जोर देता है।
अंतरराष्ट्रीय आयोजन समिति की टाइमलाइन
ब्राजील में एक तैयारी बैठक का आयोजन किया जाता है और एक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन समिति का गठन किया गया।
• 1997 – नदियों के लिए कार्रवाई का पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस – कूर्टिबा ब्राज़ील में 20 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा नदियों के लिए कार्रवाई का पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस अपनाया गया।
• 2010 – लोगों में अधिक जागरूकता आई – दुनिया भर में लोग नदियों के महत्व के बारे में अधिक जानने लगे।
• 2021 – पहला आभासी उत्सव- महामारी के कारण, कई संगठन नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस मनाने के लिए ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय नदी नेटवर्क
• अफ्रीका: द अफ्रीकन रिवर नेटवर्क (एआरएन) बांध प्रभावित लोगों और गैर सरकारी संगठनों का एक नेटवर्क है, जो नदी और बांध से संबंधित मुद्दों पर काम कर रहा है। एआरएन का लक्ष्य सदस्य समूहों के बीच एकजुटता को बढ़ावा देना है, प्रतिभागियों की आवाज़ों को बढ़ाना, पूरे महाद्वीप में चर्चा और मुख्य रूप से बांध योजना के अधिक सहभागी तरीकों के लिए विश्व बांध आयोग (डब्ल्यूसीडी) की सिफारिशों को बढ़ावा देना है। एआरएन की पहली बैठक 2003 में आयोजित की गई थी, जो जमीनी स्तर पर नदी-मुद्दों के नेटवर्क की आवश्यकता को दर्शाने पर केंद्रित थी।
• लैटिन अमेरिका: अंतर्राष्ट्रीय नदियां रेडलर, बांधों के खिलाफ लैटिन अमेरिकी नेटवर्क और नदियों, समुदायों और जल के लिए एक संस्थापक सदस्य भी हैं। रेडलर में लैटिन अमेरिका के 19 देशों के 250 से अधिक स्वदेशी, पर्यावरण, मानवाधिकार और महिला संगठन शामिल हैं। मूल रूप से, यह पूरे लैटिन अमेरिका में जलविद्युत विकास के खतरों का सामना करने के लिए रणनीति तैयार करने के लिए काम करता है। अंतर्राष्ट्रीय नदियां मेक्सिको, मेसोअमेरिका, ब्राज़ील, चिली, इक्वाडोर और लैटिन अमेरिका के अन्य भागों में कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय नेटवर्क के साथ भी काम करती हैं।
• दक्षिण पूर्व एशिया : मेकांग: बर्मा, कंबोडिया, थाईलैंड और वियतनाम के मेकांग क्षेत्र में कई नागरिक समाज संगठनों, शिक्षाविदों और सामुदायिक आंदोलनों ने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित गठबंधन बनाए हैं और क्षेत्र की नदियों की रक्षा के लिए काम किया है। इसे वैश्विक स्तर पर भी समर्थन प्राप्त है। पूरे मेकांग क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय नदियां समूहों के साथ काम करती हैं और इसकी जीवनदायिनी नदियों की रक्षा के उनके प्रयासों का समर्थन करती हैं।
• दक्षिण एशिया: हाइफन में हिमालयी और प्रायद्वीपीय हाइड्रो-पारिस्थितिक नेटवर्क शामिल हैं। यह 2007 में स्थापित किया गया था और इसका उद्देश्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश, बर्मा, भूटान, चीन, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका सहित देशों में बांध परियोजनाओं पर काम करना है। हाइफ़न का काम हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियों, तटों और आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए प्रशिक्षण देना, अनुसंधान करना और अभियान चलाना और जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान करना भी है।
• उत्तरी अमेरिका: 1973 से अमेरिकी नदियों ने पूरे अमेरिका में 150,000 मील से अधिक नदियों को संरक्षित या बहाल किया है।
नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस पर आप क्या कर सकते हैं?
अगर हम अपने देश और उसके लोगों से प्यार करते हैं, तो हमें अपनी नदियों की देखभाल करनी होगी। स्थानीय स्तर पर, हम आस-पड़ोस में जागरूकता अभियानों की योजना बना सकते हैं या ऑनलाइन कार्यक्रमों की मेजबानी कर सकते हैं। नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्य दिवस पर हमारे जीवन में नदियों के महत्व के बारे में बात कर सकते हैं। हम बच्चों के साथ भारतीय नदियों के आसपास की अद्भुत पौराणिक कहानियां भी साझा कर सकते हैं।
नदियां विश्व की जैव विविधता को बहाल करने और बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। नदी प्रणालियां पृथ्वी की उच्चतम जैविक विविधता का क्षेत्र हैं और हमारी सबसे गहन मानव गतिविधि का भी।नदियां मानव ही नहीं, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों के लिए जीवन दायिनी की तरह हैं। बिना जल के जीवन की कल्पना ही संभव है, लेकिन वातावरण में फैलता प्रदूषण और मानव द्वारा उत्पादित गंदगी नदियों के अस्तित्व को खतरे में डालने का काम रहे हैं। भारत में पूज्य गंगा नदी भी इससे अछूती नहीं है। ऐसे में नदियों के सरंक्षण पर गौर नहीं किया गया तो स्थिति खतरनाक हो सकती है।