भिलाई। 22 दिसम्बर 2022 (सीजी संदेश) : नगर निगम, भिलाई के पार्षद पीयूष मिश्रा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि नगर निगम भिलाई की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल हो चुकी है. या यूं कहें कि कंगाल होने की स्थिति में आ चुका है. यह हम इस आधार से कह सकते हैं कि नगर निगम भिलाई अपने कर्मचारियों को कई-कई महीने तक का वेतन, मानदेय नहीं दे पा रहा है. हालात यह हैं कि आवश्यक सेवाएं जैसे साफ-सफाई और निगम कार्यालय में तैनात कर्मचारियों को अपने वेतन के लिए धरना-प्रदर्शन करना पड़ा. सफाई कर्मी ने हड़ताल तक कर दी. कई दिनों तक साफ-सफाई व्यवस्था ठप रही. ये उन दिनों हुआ, जब डायरिया जैसी कई बीमारी कई इलाकों में फैली हैं. इस हालात से निपटने के लिए नगर निगम की सरकार ने कोई कदम या पहल नहीं की. आवश्यक सेवाएं ठप रहीं. सफाई से लेकर पानी तक के लिए लोग बेहाल रहे और निगम के जिम्मेदार अपने घरों में चैन से सोते रहे. उन्होंने न तो कर्मचारियों को समय पर वेतन मिले, इस दिशा में कोई ठोस पहल की और न ही हड़ताल की स्थिति में जनता को साफ-सफाई और पेयजल व्यवस्था निर्बाध तरीके से चालू रहे, इस ओर कोई निर्णयाक रणनीति तैयार की. नगर निगम के महापौर ने जनता और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को उनके हाल में ही छोड़ दिया है.
महापौर ने अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं किया तो सोमवार को नगर निगम के सामने व परिसर में एक प्रदर्शन किया जाएगा. उन्हें गोबर भेंटकर यह बताने की कोशिश भी की जाएगी कि अगर आपके पास नगर निगम संचालन के लिए राशि नहीं है, तो शहर का सारा गोबर उठाकर उसे राज्य सरकार को बेचें और अपने कर्तव्यों को पूरा करें. गोबर उठाने से जहां गंदगी भी हटेगी वहीं राज्य की कांग्रेस सरकार की योजना को सफल बनाने में भी महापौर का शुमार होगा।
गलतियों से भी नहीं सीखे महापौर
नगर निगम हर वर्ष अपने बजट में सभी अधिकारी, कर्मचारी, संविदा, दैनिक वेतनभोगी के लिए अनुमानित राशि का प्रावधान रखती है. इसके बाद भी निगम परिषद वेतन की राशि की व्यवस्था नहीं कर सका। दीपावली के दौरान चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि से कर्मचारियों को जैसे-तैसे वेतन दिया गया. इसके बाद कर्मचारियों का वेतन फिर नहीं मिला, तो वे धरने पर बैठ गए. इसके बाद निगम महापौर परिषद ने संचित निधि से आनन-फानन में रूपए निकालकर कर्मचारियों को शांत किया।