मुंबई. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार को सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को 14वीं विधानसभा में सरकार बनाने का न्योता भेजा है। भाजपा को 11 नवंबर यानी सोमवार रात आठ बजे बहुमत साबित करने का समय दिया गया है। वहीं संजय राउत ने कहा है कि शिवसेना सरकार बनाने की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्य की दुश्मन नहीं है। सभी पार्टियों की कुछ मुद्दों पर अलग राय हो सकती है। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि भाजपा अभी तक इंतजार क्यों कर रही है, जबकि कम सीटों में उन्होंने अन्य राज्य में सरकार बनाई है।
शिवसेना के नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि यदि महाराष्ट्र में कोई और सरकार गठित नहीं कर पाता है तो उनकी पार्टी अपनी अगली रणनीतिक की घोषणा करेगी। राउत ने मुंबई में रविवार को संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी राज्य में सरकार गठित करने के लिए भाजपा को आमंत्रित करने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के निर्णय का स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि अब हम उम्मीद करते हैं कि राज्यपाल के हस्तक्षेप से राज्य को सरकार मिल जाएगी।
राउत ने कहा, ‘सबसे बड़े एकल दल को बुलाया जाना था। हमें समझ नहीं आता कि यदि भाजपा को बहुमत का भरोसा था तो उसने (परिणाम घोषित होने के) 24 घंटे बाद ही दावा क्यों नहीं किया।’ शिवसेना की आगे की योजना के बारे में पूछे जाने पर राउत ने कहा कि राज्यपाल के पहले कदम पर तस्वीर साफ हो जाने दीजिए। यदि कोई और सरकार गठित नहीं कर पाता है तो शिवसेना अपनी रणनीति घोषित करेगी।’’
राउत ने फड़णवीस का नाम लिए बगैर कहा, ‘जब राजनीतिक सहयोग हासिल करने की कोशिश और धमकाने के तरीके काम नहीं करते तो यह स्वीकार करने का समय होता है कि हिटलर मर चुका है और गुलामी के गहराते बादल छंट गए हैं।’उन्होंने अपने लेख में कहा कि फड़णवीस को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आशीर्वाद मिला था, इसके बावजूद वह इस पद पर नहीं बैठ पाए।
उन्होंने कहा कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और कांग्रेस के कई नेताओं ने अपनी पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से कहा है कि उनकी प्राथमिकता यह है कि राज्य में कोई गैर भाजपाई मुख्यमंत्री बने।
सामना के लेख में शिवसेना ने भाजपा की तुलना हिटलर से की। उन्होंने कहा कि पांच साल दूसरों को डर दिखाकर शासन करने वाली टोली आज खुद खौफजदा है। यह उल्टा हमला है। डराकर मार्ग या समर्थन नहीं मिलता है। महाराष्ट्र की राजनीति महाराष्ट्र में ही होनी चाहिए। महाराष्ट्र दिल्ली का गुलाम नहीं है। इस बार ऐसी स्थिति है कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा ये उद्धव ठाकरे तय करेंगे। राज्य के बड़े नेता शरद पवार की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी। कुछ भी हो लेकिन इस बार भाजपा का मुख्यमंत्री न हो, यह महाराष्ट्र का एक स्वर है।
न्योता मिलने के बाद भाजपा ने बुलाई बैठक….. शिवसेना बोली- कांग्रेस दुश्मन नहीं
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