डबल्यूएचओ (WHO) के अनुसार हर साल भारत में कैंसर के करीब 1.1 मिलियन नए मामले देखने को मिलते हैं। यह आंकड़ा डरा देने वाला, लेकिन हम कैंसर से बचने के लिए सिर्फ एक ही चीज़ कर सकते हैं और वो अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना और कैंसर होने पर सही समय पर ट्रीटमेंट लेना। कैंसर से बचने के लिए सही समय पर सही कदम उठाने और हेल्दी लाइफस्टाइल को बनाए रखने के महत्व को समझाने के लिए हर साल नवंबर 7 को कैंसर अवेयरनेस डे के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पहली बार सितंबर 2014 में पूर्व भारतीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन द्वारा घोषित किया गया था।
साल 7 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लोगों को कैंसर के गंभीर खतरे के बारे में शिक्षित करता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कैंसर दूसरी सबसे घातक बीमारी है जो लोगों में मृत्यु का कारण बनती है। कैंसर से मर रहे लोगों की हालत भारत के लिए एक गंभीर खतरा है। साल 2018 में भारत के 1.5 मिलियन लोग कैंसर से मारे गए थे। इसी वजह से प्रकार कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2018 में वैश्विक स्तर पर 9.58 मिलियन के मुकाबले भारत में लगभग 0.8 मिलियन मौतें कैंसर से हुईं। वर्ष 2040 तक भारत में नए मामलों की संख्या दोगुनी होने का अनुमान जताया गया है।
क्या है कैंसर अवेयरनेस डे का महत्व
देश में कैंसर के उपचार की सुविधा प्रदान करने के लिए 1975 में राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया गया था। कैंसर के दो-तिहाई मामलों का पता लास्ट स्टेज में जाकर लगता है, जिसकी वजह से रोगियों के बचने की संभावना कम हो जाती है। कैंसर की रोकथाम और डायग्नोज को बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 7 नवंबर को नोबल -पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक मैडम क्यूरी की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। 1867 में पोलैंड के वारसॉ में जन्मी मैरी क्यूरी को रेडियम और पोलोनियम की खोज और कैंसर के खिलाफ लड़ाई में बहुत मददगार साबित हुई है। उन्ही के काम से कैंसर के इलाज के लिए न्यूक्लियर एनर्जी और रेडियोथेरेपी का विकार हुआ है।
कैंसर क्या है : कैंसर शरीर की कोशिकाओं के समूह की असामान्य, अव्यवस्थित एवं अनियंत्रित वृद्धि है। यदि कोशिकाओं के समूह की असामान्य, अव्यवस्थित एवं अनियंत्रित की समय पर जांच व इलाज न हो तो यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकता है।
थीम : विश्व कैंसर दिवस 2022 की थीम ‘क्लोज द केयर गैप’ है। यह दुनिया भर में कैंसर देखभाल में असमानताओं को समझने और पहचानने के बारे में है।
इतिहास : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने पहली बार सितंबर 2014 में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस की घोषणा की। इन्होंने राज्येस्तरीय रूप से आंदोलन को चलाया तथा नगरपालिका में अपनी रिपोर्ट्स जमा करने को कहा गया।
कैंसर क्यों होता है? : कैंसर हमारी कोशिकाओं के भीतर डी. एन. ए. (आनुवांशिक सामग्री) की क्षति के कारण होता है। डी. एन. ए. की क्षति सभी सामान्य कोशिकाओं में होती रहती है। लेकिन इस क्षति का सुधार हमारे स्वयं के शरीर द्वारा हो जाता है। कभी कभी इस क्षति का सुधार नहीं हो पाता जिससे कोशिकाओं के गुणों में परिवर्तन हो जाते हैं। संचित डीएनए की क्षति अंत में कैंसर को जन्म दे सकती है। कैंसर के लिए कोई एक विशेष कारक जिम्मेदार नहीं होता है। कुछ तत्व बाहरी एजेंट के रूप में कैंसर उत्पन्न करने के कारक (कैस्किनोजेन्स) के रूप में कार्य करते हैं।
कैंसर होने के अन्य लक्षण क्या हैं?
* खून की कमी की बीमारी एनीमिया
* खांसी के दौरान ख़ून का आना
* अचानक शरीर के किसी भाग से रक्त निकलना
* स्तनों में गांठ
* मीनोपॉज के बाद भी ख़ून आना
* भूख कम लगना, त्वचा में बदलाव महूसस होना
* किसी अंग का अधिक उभरना या गांठ महसूस होना
* प्रोस्टेट के परीक्षण के असामान्य परिणाम
पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाए जाने वाले सबसे सामान्य कैंसर के लक्षण कौन से हैं?
अत्यधिक, लगातार खांसी: यह एक ऐसी स्थिति है जिसके लिए फेफड़ों की सूजन (निमोनिया) और गर्दन के कैंसर के लिए जाँच होनी चाहिये।
लार में रक्त: आमतौर पर ब्रोंकाइटिस या साइनसाइटिस का संकेत है, यह लक्षण फेफड़ों के कैंसर का भी संकेत दे सकता है।
पेशाब होने के तरीके में बदलाव – पैटर्न, आवृत्ति: मूत्र का आवेग जो आपके नियंत्रण के बिना धीमा या बंद हो जाती है, इसके कुछ गहन कारण हो सकते हैं।
धब्बे, तिल और त्वचा में बदलाव: पुरुषों और महिलाओं दोनों को त्वचा पर तिल या धब्बों पर गौर करना चाहिए जो अचानक दिखाई देते हैं. त्वचा के रंग, बनावट आदि में परिवर्तन त्वचा कैंसर का एक सामान्य पहला संकेत है।
अकारण दर्द और थकान: थकावट और दूर नहीं होने वाले दर्द गहन मुद्दों के संकेतक हैं।
निगलने में कठिनाई: पेट और आँत संबंधी समस्याएं निगलने में कठिनाई के रूप में सामने आती है. मुंह में एक पैच या जलन भी जाँच के लायक है।
वजन में अचानक बदलाव: वजन अचानक कम होना, बिना किसी आहार या जीवनशैली में बदलाव के, एक चिंताजनक घटना हो सकती है. सबसे अधिक बार, यह संकेत करता है कि थायरॉयड प्रणाली में परिवर्तन हुआ है. लेकिन पेट, बृहदान्त्र या अग्न्याशय में अकारण किसी वृद्धि के लिए भी परीक्षण करने की आवश्यकता हो सकती है।
कैंसर से जुड़े आकड़े : विश्व स्वस्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के अनुसार सबसे ज़्यादा मौतों के मामले में कैंसर विश्व में दूसरे स्थान पर आता है। पुरे विश्व में प्रतिवर्ष 9.6 मिलियन लोग कैंसर से मर जाते हैं जिसका बढ़कर वर्ष 2030 तक लगभग दोगुना हो जाने का अनुमान है। फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मृत्यु में 71% तंबाकू के उपभोग से जुड़े है तथा यह सभी प्रकार के कैंसरों से होने वाली मृत्यु में से कम से कम 22 % के लिए उत्तरदायी है।पुरुषों में सबसे सामान्य प्रकार के कैंसर- फेफड़े, प्रॉस्टैटट, कोलोरेक्टल (पेट के कैंसर या बड़ी आंत्र के कैंसर को कोलोरेक्टल कैंसर कहा जाता है), अमाशय और यकृत कैंसर हैं तथा महिलाओं में सबसे सामान्य प्रकार के कैंसर- स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े, गर्भाशय ग्रीवा और थायरॉयड कैंसर हैं। वर्ष 2018 में विश्व में तकरीबन 18 मिलियन कैंसर के मामले सामने आए थे, जिसमें 1.5 मिलियन अकेले भारत में थे। फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मृत्यु में 71% तंबाकू के उपभोग से जुड़े है तथा यह सभी प्रकार के कैंसरों से होने वाली मृत्यु में से कम से कम 22 % के लिए उत्तरदायी है। भारत में वर्ष 2040 तक नए रोगियों की संख्या दोगुनी होने की आशंका जताई जा रही है।
हैरान कर देने वाले हैं कैंसर के आंकड़े : भारत में सालाना लगभग 1.1 मिलियन नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसा अनुमान है कि भारत में हर 8 मिनट में एक महिला सर्वाइकल कैंसर से अपनी जान गवां बैठती है। 2018 में पुरुषों और महिलाओं में तंबाकू के उपयोग से 3,17,928 मौतें हुईं। ओरल और लंग्स के कैंसर से पुरुषों में कैंसर से होने वाली मौतों में 25% से अधिक हैं। साथ ही, महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी 25% है।
किस प्रकार के कैंसर के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं?
* ब्लड कैंसर
* मुंह का कैंसर
* स्तन कैंसर
* गर्भाशय का कैंसर
* सर्वाइकल कैंसर
* पेट का कैंसर
* गले का कैंसर
* अंडाशय का कैंसर
* प्रोस्टेट कैंसर
* मस्तिष्क का कैंसर
* कैंसर होने के मुख्य कारण क्या हैं?
* तंबाकू या गुटखे का सेवन
* सिगरेट और शराब पीना
* लंबे समय तक रेडिएशन के संपर्क में रहना
* आनुवंशिक दोष
* शारीरिक निष्क्रियता
* खराब पोषण
* मोटापा
कैंसर से जुड़े सरकारी प्रयास
1. आयुष्मान भारत के अंतर्गत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) का क्रियान्वयन किया जा रहा है ताकि बीमारी की चपेट में आए गरीब परिवारों को बेहतर चिकित्सा सुविधा और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा सके। इसके अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वस्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जा रहा है।
2. कैंसर अनुसंधान के वर्तमान परिदृश्य में व्यापक बदलाव लाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई), भारत सरकार ने कैंसर के क्षेत्र में साझा सहयोगपूर्ण अनुसंधान कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया गया है। उल्लेखनीय है कि परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) प्रतिनिधित्व टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा किया गया जाता है जो भारतीय राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड की ओर से समन्वय केंद्र के रूप में भी कार्य करता है।
3. केंद्र सरकार कैंसर नियंत्रण और सस्ती सुलभ चिकित्सा सेवा उपलब्ध करवाने के राज्य सरकारों के प्रयास में सहायक की भूमिका निभाती है।
4. भारत – ब्रिटेन कैंसर शोध पहल: विज्ञान और टेक्नोलॉजी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा कैंसर रिसर्च यूके (सीआरयूके) का 5 वर्ष का सहयोगी द्विपक्षीय शोध कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम कैंसर के किफायती दृष्टिकोण पर फोकस करेगा।
5. परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) द्वारा आईएईए के 63वें सम्मेलन के दौरान “एनसीजी विश्वम कैंसर केयर कनेक्ट” का विएना में शुभारंभ किया। इसके आधार पर नेशनल कैंसर ग्रिड (एनसीजी) की स्थापना हुई। इसमें भारत से 183 हितधारक हैं और इसे कैंसर अस्पतालों और विदेशों के अन्य संबंधित संस्थानों के लिए खोला गया है। एनसीजी का उद्देश्य कैंसर के इलाज में असमानता को दूर करना है।
कैंसर के कारण होने वाली मौतों को रोका जा सकता है
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हृदय रोग के बाद मृत्यु का सबसे बड़ा कारण कैंसर है। जिनमें से तंबाकू का उपयोग 14 प्रकार के कैंसर का जोखिम कारक है। मुख्य जोखिम कारकों को छोड़कर कैंसर से होने वाली 30-50 % मौतों को रोका जा सकता है। प्रमुख जोखिम वाले कारकों में तंबाकू का उपयोग, शराब का उपयोग, असंतुलित आहार, पराबैंगनी विकिरण का संपर्क, प्रदूषण, पुराने संक्रमण आदि शामिल हैं।
ऐसे में आप कैसे अपना योगदान दे सकते हैं
अपनी स्क्रीनिंग करवाएं : भले ही आपकी उम्र कितनी भी हो, लेकिन साल में एक बार कैंसर का टेस्ट ज़रूर कराएं। कैंसर का जल्द पता लगाना आने वाले खतरे हो रोक सकता है।
सही खानपान : सही और संतुलित खानपान आपको हेल्दी लाइफस्टाइल जीने में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं, यह आपको छूट – दुरुस्त भी रखेगा। इससे आपका पेट भी साफ रहेगा और मन भी भरा रहगा।
एक्सरसाइज़ करें : हर किसी के लिए एक्सरसाइज़ करना बहुत ज़रूरी है, फिर चाहे वो बच्चा हो या वयस्क्त। इसलिए खुद को शारीरिक तौर पर एक्टिव रखें और हर दिन एक्सरसाइज़ को कम से कम आधा घंटा दें। यह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है।
डिस्क्लेमर- यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में योग्य चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।