नई दिल्ली। अमेरिका की एक एजेंसी ने अपने शोध में दावा किया है कि 2050 तक मुंबई और कोलकाता बाढ़ से डूब सकता है। बाढ़ से सालाना प्रभावित होने वाले 50 लाख लोगों के मुकाबले साल 2050 में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। इसी के साथ यह भी दावा किया गया है कि अगर वैश्विक कॉर्बन उत्सर्जन में भारी कटौती नहीं की गयी तो बाढ़ से मुंबई, नवी मुंबई, कोलकाता के बड़े भाग प्रभावित होंगे।
अमेरिकी जलवायु अनुसंधान और संचार संगठन ‘क्लाइमेट सेंट्रलÓ के नए डिजिटल उन्नयन मॉडल ‘कोस्टलडेमÓ के प्रयोग से यह अनुमान लगाया गया है। जर्नल, नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित क्लाइमेट सेंट्रल स्टडी के अनुसार, नासा के शटल रडार टोपोग्राफी मिशन पर आधारित तटीय बाढ़ जोखिम आकलन ने अब तक के जोखिमों को कम करके आंका है।
नासा मॉडल ने आकाश की सबसे नजदीकी सतहों को मापने के दौरान पेड़ की चोटी और छतों की ऊंचाई को शामिल किया जहां भी उन्होंने जमीन को अवरुद्ध किया था। नई शोध प्रणाली कोस्टलडेम की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल के प्रयोग ने गलतियों को कम कर दिया है और वार्षिक तटीय बाढ़ के नए अनुमानों को बताया है। अध्ययन में कहा गया है कि तटीय बाढ़ से 2050 तक वैश्विक स्तर पर और ज्यादातर एशिया में 300 मिलियन लोगों को प्रभावित कर सकती है।
बीसवीं शताब्दी में वैश्विक औसत समुद्री स्तर 11-16 सेमी बढ़ा। कार्बन उत्सर्जन में तेज और तत्काल कटौती के साथ यह इस सदी में 0.5 मीटर और बढ़ सकता है। अध्ययन ने यह चेतावनी दी है कि उच्च उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत इक्कीसवीं सदी की वृद्धि जल्दी शुरू होने वाले अंटार्कटिक बर्फ शीट की अस्थिरता की वजह से 2 मीटर से अधिक हो सकती है। नए आंकड़ों के अनुसार यह भी दावा किया गया है कि साल 2050 तक तटीय बाढ़ से सबसे अधिक बांग्लादेश और चीन के क्रमश: 93 और 42 मिलियन लोगों प्रभावित होंगे।
2050 तक बाढ़ से डूब सकते हैं मुंबई और कोलकाता
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