मानसून सीजन अपने पूरे जोर पर है और हमें हर दूसरे या तीसरे दिन बारिश देखने को मिल रही है। अब इतने अच्छे मौसम में बारिश में भीगने का मन किसका नहीं करता है। हम सभी पूरे मानसून के सीजन में कम से कम एक या दो बार तो बारिश में नहाते ही हैं, लेकिन नहाने के बाद जो हमें जुखाम या सर्दी हो जाती है, वह बारिश का सारा मजा ही किरकिरा कर देती है और हम अगली बार बारिश का मजा लेने से भी डरने लगते हैं। मानसून का मौसम बहुत सारी मस्ती और चुनौतियां भी लेकर आता है। अगर अचानक बारिश में भीग जाने के कारण आपको भी सर्दी-जुकाम जैसी समस्या हो रही है, तो आप ये घरेलू नुस्खे ट्राई कर सकते हैं।
बदलते मौसम में बीमारियां फैलती हैं। खासकर बारिश के मौसम में वायरल काफी परेशान करता है। अगर आपकी इम्यूनिटी वीक है तो और भी मुश्किल हो सकती है। अगर इन्फेक्शन वायरस से हुआ है तो इसके लिए दवाएं नहीं बल्कि घरेलू उपचार ज्यादा कारगर हैं। इसकी वजह यह है कि वायरस पर ज्यादातर दवाएं बेअसर होती हैं। ऐंटीबायोटिक्स भी बैक्टीरियल इन्फेक्शन में काम करती हैं। कोरोना के समय में भी कई ऐसे घरेलू उपचार चर्चित रहे। यहां हम बात करेंगे ऐसी ही होम रेमेडीज की जो दादी-नानी के जमाने से इम्यूनिटी बूस्टर और नैचुरल ऐंटी वायरल माने जाते हैं।
पर्याप्त मात्रा में पेय : सर्दी जैसी समस्या होने पर, पानी पीना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की कोशिश करें। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि पानी से हमारे शरीर में मौजूद टॉक्सिन निकल जाते हैं। चाय, कॉफी और सूप जैसे गरम आहार लेने से भी कोल्ड जैसी बीमारी से राहत मिलती है। ज्यादातर फलों में एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाये जाते हैं जिनका सेवन करने से आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं। अगर आपको डायरिया या उल्टी की शिकायत है तो इलेक्ट्रॉल का सेवन आपके लिए फायदेमंद होगा। इसके अलावा, नींबू, लैमनग्रास, पुदीना, साग, शहद आदि भी आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
साफ और ताजा वायु लें : कॉमन कोल्ड से ग्रसित व्यक्ति के लिए घर की भीतर रहना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन ऐसे में लोग यह भूल जाते हैं कि इस तरीके से कमरे के अंदर का नम माहौल कीटाणुओं के लिए स्टोरहाउस जैसा काम करता है। प्रतिदिन कुछ देर ताजी हवा में रहना भी ज़रूरी होता है।
चेहरे को हाथ न लगायें : कोल्ड होने पर अपने चेहरे, नाक और मुंह को बार-बार न छूएं क्योंकि ऐसे में अगर आपके आस-पास किसी को कोल्ड हुआ हो तो आपको भी कोल्ड होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
इंफेक्शन से बचें : जब मौसम में बदलाव होता है तो वायरल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण कॉमन कोल्ड या जुकाम हो जाता है और नाक बंद हो जाती है। इसके अलावा छींकें आने लगती हैं और खांसी भी हो सकती है। कई बार कुछ लोगों में गला खराब होने की समस्या भी हो जाती है। ऐसे में मौसम के बदलाव के समय आपको इन इंफेक्शन से बचना चाहिए और साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए।
साफ-सफाई का विशेष ध्यान : वायरल बीमारियों का सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को होता है जो अपने शरीर और अपने आस-पास की सफाई का ध्यान नहीं रखते हैं। चूंकि मौसम के बदलाव के समय बीमारी के जीवाणु ज्यादा एक्टिव होते हैं इसलिए इस समय साफ-सफाई का विशेष खयाल रखना चाहिए। रोजाना साबुन से नहाना, कपड़े धूप में सुखाना, बाथरूम और टॉयलेट की अच्छी तरह सफाई करना, खांसते और छींकते समय मुंह पर रूमाल रखना आदि बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसके अलावा सब्जियों को धोकर पकाना और खाने से पहले हाथ धोना भी बहुत जरूरी होता है।
खान-पान : जैसे ही आपको बीमारी महसूस होने लगता है, या तो आप खना-पीना छोड़ देते हैं या फिर ऐसी चीजें खाने लगते हैं जो आपको फायदा नहीं पहुंचाती। जब आपको सर्दी-जुकाम होता है तो आपके पूरे शरीर को पोषण की जरूरत होती है, ताकि वो बीमारी से बच सके। कोशिश करें कि जब आप बीमार हो तब भी आपका खान-पान सम्पूर्ण पोषण-युक्त हो।
सौंफ : भारत में कई ऐसे मसाले और हर्ब्स हैं जिनमें ऐंटी माइक्रोबियल या ऐंटी वायरल गुण होते हैं। इसमें सौंफ का नाम भी शामिल है। एक टेस्ट-ट्यूब स्टडी में यह बात सामने आ चुकी है कि सौंफ के एक्सट्रैक्ट में जानवरों में सांस से जुड़े इनफेक्शन फैलाने वाले वायरस खत्म करने की क्षमता होती है। इसमें इन्फ्लेमेशन कम करने की क्षमता भी होती है।
मुलेठी : मुलेठी में काफी स्ट्रॉन्ग ऐंटीवायरल गुण होते हैं। यह भी निमोनिया और सांस से जुड़े कई वायरस खत्म करने की ताकत रखती है। मुलेठी आप गरम पानी में उबालकर या चाय में डालकर पी सकते हैं।
अदरक : भारतीय घरों में अदरक का इस्तेमाल खूब होता है। बारिश के मौसम में इसे चाय में डालना न भूलें। इसमें भी ऐंटीवायरल गुण पाए जाते हैं। साथ ही यह कई ऐलर्जी भी रोकने में मदद करता है। अदरक घिसकर आप शहद में मिलाकर खाएं तो भी आपको काफी आराम मिलेगा।
तुलसी : तुलसी के पत्तों का सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि ये औषधीय गुणों के लिए भी जाने जाते हैं। इनमें ऐंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं। ये आपको सीजनल जुकाम, बुखार से रिकवर होने में मदद करते हैं। तुलसी के पत्ते आप ऐसे भी चबा सकते हैं या चाय और काढ़े में पी सकते हैं।
आंवला : आंवले को आयुर्वेद में त्रिदोष नाशक माना जाता है। यह विटामिन सी से भरपूर होता है। यह आपके इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करता है और जल्दी रिकवर होने में मदद करता है।
हल्दी वाला दूध : हल्दी वाले दूध को गोल्डन मिल्क भी कहते हैं। दूध में कैल्शियम होता है जिससे वायरस कमजोर पड़ते हैं। इसमें हल्दी और काली मिर्च डालकर पीने से इसके गुण और भी बढ़ जाते हैं।
शहद और काली मिर्च : अगर आप कफ और खांसी से परेशान हो गए है तो शहद और काली मिर्च को 1 चम्मच में मिक्स कर लें और खाकर सो जाएं। ध्यान रहे इसे खाने के बाद पानी भी नहीं पीना है और कुछ खाना भी नहीं है। दरअसल, शहद की तासीर गर्म होती है, और काली मिर्च की भी। यह शरीर में नेचुरल गर्मी पैदा करता है।
च्यवनप्राश : च्यवनप्राश में कई सारी जड़ी-बूटियां शामिल होती है। इसका सेवन करने से शरीर का तापमान सामान्य रहता है। जिससे फ्लू और सर्दी जुकाम का खतरा टल जाता है इसलिए प्रतिदिन दूध के साथ 1 चम्मच च्यवनप्राश का सेवन जरूर करना चाहिए। च्यवनप्राश को आयुर्वेद में एक औषधि के रूप में जाना जाता है।
भाप लें : बहुत अधिक सर्दी-जुकाम होने पर भाप लेना नहीं भूलें। आप गर्म पानी में कैप्सूल या विक्स डालकर भी भाप लें सकते हैं। इसके बजाय टी ट्री ऑयल,लेमन ग्रास तेल, लौंग का तेल भी डाल सकते हैं। नाक खोलने से सांस लेने में परेशानी नहीं होती और छाती में भी काफी राहत मिलती है।
पुदीना और अजवाइन की भाप : अगर आपको बहुत अधिक खांसी या कफ हो रहा है तो आप गर्म पानी में पुदीने की पत्तियां या अजवाइन की पत्तियों की भाप लें। इससे तुरंत आराम मिलेगा। सर्दी-खांसी होने पर अदरक की चाय पीना नहीं भूलें। और स्वास्थ्य के लिहाज से चाय में शक्कर की जगह गुड़ का इस्तेमाल करें।
यह हर्बल चाय : अगर आपको जुखाम हो गया है तो एक बर्तन में कुछ तुलसी के पत्ते, कूटा हुआ अदरक और एक ग्राम काली मिर्च डाल कर गर्म चाय बना लें। तुलसी आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है, तो अदरक और काली मिर्च आपके बहते हुए नाक से राहत दिलाने में भी लाभदायक हैं। यह रेमेडी मानसून सीजन में कॉमन कोल्ड के लिए एक बहुत अच्छे उपचार के रूप में काम करती है। अगर आप इसे बच्चे को दे रहीं हैं, तो इसमें काली मिर्च न डालें।
होम मेड सिरप : यह रेमेडी बहुत पुराने समय से प्रयोग होती आ रही है और मानसून सीजन में स्वस्थ रहने के लिए एकदम सही है। अगर आपकी नाक बह रही है तो नीम्बू, शहद और दालचीनी का एक मिश्रण तैयार कर लें और डबल बॉयलर तरीके से एक पैन में थोड़ा शहद गर्म कर लें। अब इसमें बनाया हुआ नींबू और दालचीनी का मिश्रण डाल दें। जुकाम से राहत पाने के लिए इसका सेवन दिन में 3 से 4 बार कर सकते हैं।
लहसुन का सेवन करें : लहसुन जुकाम का एक प्राकृतिक इलाज है। हालांकि यह कॉमन कोल्ड का उपचार तो नहीं कर सकता, पर मौसमी संक्रमण के खिलाफ आपको सुरक्षा दे सकता है। इसके लिए आपको रोजाना लहसुन की कुछ कलियां चबानी हैं। आप चाहें तो इसे आप दाल-सब्जी में भी एड कर सकती हैं। बच्चों के लिए भी यह एक बेहतर तरीका है।
हनी लेमन ड्रिंक : यह बात तो आप जानते ही होंगै कि इलाज से बेहतर बचाव होता है। इसलिए आपको हमेशा अपने बचाव पर ही अधिक फोकस करना चाहिए। इसके लिए आप अपने दिन की शुरुआत हनी-लेमन ड्रिंक से कर सकते हैं। इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में थोड़ा सा शहद और नीम्बू का रस मिला लें और इसे पी लें। यह एक टेस्टी ड्रिंक होती है जो आपको जुकाम होने से बचाने वाली है।
जुकाम और बुखार में क्या नहीं खाना चाहिए
बुखार में भारी, गरिष्ठ, तले हुए, मिर्च-मसालेदार भोजन से परहेज करें। दूध से बनी मिठाइयाँ और रेशायुकत आहार न खाएं। खट्टे फलों का सेवन भी बुखार में न करें।
प्रोसेस्ड फूड : खांसी के दौरान प्रोसेस्ड फूड के सेवन से बचना जरूरी है। इसमें वाइट ब्रे, वाइट पास्ता, बेक्ड फूड, चिप्स वगैरह आते हैं। इनकी जगह हरी पत्तेदार सब्जी खानी चाहिए।
फ्राइड फूड : फ्राइड फूडस खांसी में काफी नुकसान पहुंचाते हैं लिहाजा फ्रेंच फ्राइज और जंक फूड खांसी में नहीं खाने चाहिए।
खट्टे फल : साइट्रिक एसिड वाले फल भी खांसी को बढ़ा सकते हैं। ऐसे फलों से परहेज करना चाहिए। इनके बजाय पाइनएप्पल, आडू या तरबूज लेना चाहिए।
कुकीज और बिस्किट : सर्दी-जुकाम हो तो कुकीज, बिस्किट और बाजार की बेकरी से परहेज करना चाहिए। ये कफ बनाते हैं जिससे समस्या बढ़ जाती है। कोशिश होनी चाहिए कि घर पर बनने वाला गरम भोजन का ही सेवन किया जाय।
यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।