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किताब को ज्ञान का भण्डार कहा जाता है। किताब के बिना ज्ञान अधूरा है। बचपन-किशोरावस्था में कहानी, आत्मकथा या उपन्यास पढ़ने की आदत डालनी चाहिए। इस सब के प्रति जागरूक करने के लिए हर वर्ष 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस मनाया जाता है। आइए जानते है विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस का इतिहास और इस वर्ष की थीम क्या है?
कहते हैं किताबों से अच्छा ‘मित्र’ कोई नहीं होता अतः जिसका इस दुनिया में कोई भी नहीं यदि वो केवल इनसे ही अपना नाता जोड़ ले तो ये उसे कभी निराश नहीं करती, न ही कभी किसी हाल में उसका साथ छोडती या उसे अकेलेपन का अहसास होने देती बल्कि ये तो यदि पाठक सजग और सतर्क हैं तो उसके लिये स्वर्णिम भविष्य के द्वार भी खोल देती हैं क्योंकि इनके भीतर तो व्यक्तित्व निर्माण से लेकर आपके रोज़गार चुनने और उसे स्थापित करने तक की अभूतपूर्व जानकारी भरी होती जिसे कि आपको ही सावधानी से चुनना पड़ता हैं I तभी तो ये माना जाता हैं कि पढ़ा गया कभी व्यर्थ नहीं जाता कभी न कभी, कहीं न कहीं वो काम आ ही जाता हैं इसलिये हमें हमेशा कुछ न कुछ पढ़ते रहना चाहिये लेकिन बहुत से लोगों को तो ये भी नहीं पता कि उन्हें किस तरह की किताबों का अध्ययन करना चाहिये क्योंकि हमारे पाठ्यक्रम की पुस्तकों को पढ़ना तो हम अपना दायित्व मात्र मानते हैं अतः उसे उस तरह गंभीरता से नहीं लेते जिससे कि उनको खेल की तरह खेलते-खेलते उनसे अपने स्वप्नों को साकार करने का मार्ग ढूंढ पाये क्योंकि हर कोई तयशुदा ढर्रे पर चलकर उन ही क्षेत्रों में अपना आने वाला कल देखता जहाँ बाकी साथी जा रहे हैं I इसलिये हर कोई विषय को समझकर या रटकर उसके साथ कदमताल करता लेकिन ये नहीं सोचता कि जरूरी तो नहीं कि सभी विषयों में हमारी रूचि भी हो अतः पढ़ाई के दौरान ही हमें ये भी समझना चाहिये कि किस विशेष विषय को पढ़ने में हमें आनंद आता हैं तब उसे गहराई से जानने और उसमें विशेषज्ञता हासिल करने हेतु उस पर लिखी अन्य जाने-माने लेखकों की किताबों का भी अध्ययन कर फिर अपनी राय बनानी चाहिये जिससे हम उसके बारे में विश्वासपूर्वक न सिर्फ़ अपना मत प्रकट कर सकते हैं बल्कि यदि अधिक रूचि पैदा होती हैं तो उसमें कोई नया शोध भी कर सकते हैं I इस तरह स्कूली जीवन से ही अपने पसंदीदा विषय के साथ-साथ ख़ुशी-ख़ुशी पढ़ते-पढ़ते उसे अपना कैरियर भी बना सकते हैं और उसमें दक्षता हासिल कर उसके विशेषज्ञ भी बन सकते हैं जो बड़ी आसानी से किया जा सकता हैं।
विश्व पुस्तक दिवस क्या है ?
23 अप्रैल को पूरे विश्व के लोगों के द्वारा हर वर्ष मनाया जाने वाला विश्व पुस्तक दिवस एक वार्षिक कार्यक्रम है। पढ़ना, प्रकाशन और प्रकाशनाधिकार को पूरी दुनिया में लोगों के बीच बढ़ावा देने के लिये यूनेस्को द्वारा सालाना आयोजित ये बहुत ही महत्वपूर्णं कार्यक्रम है। 23 अप्रैल को इसे मनाने के बजाय, यूनाईटेड किंग्डम में मार्च के पहले गुरुवार को इसे मनाया जाता था। 23 अप्रैल 1995 में पहली बार यूनेस्को द्वारा विश्व पुस्तक दिवस की शुरुआत की गयी। आमतौर पर, इसे लेखक, चित्रकार के द्वारा आम लोगों के बीच में पढ़ने को प्रोत्साहन देने के लिये मनाया जाता है। किताबों को और पढ़ने के लिये ये विश्व स्तर का उत्सव है और 100 से ज्यादा देशों में मनाया जाता है।
विश्व पुस्तक दिवस का इतिहास
* पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वार्षिक आधार पर विश्व पुस्तक दिवस को मनाने के पीछे बहुत सी कहानियाँ हैं। मीगुएल डी सरवेंटस नाम से सबसे प्रसिद्ध लेखक को श्रद्धांजलि देने के लिये स्पेन के विभिन्न किताब बेचने वालों के द्वारा वर्ष 1923 में पहली बार 23 अप्रैल की तारीख अर्थात् विश्व पुस्तक दिवस और किताबों के बीच संबंध स्थापित हुआ था। ये दिन मीगुएल डी सरवेंटस की पुण्यतिथि है।
* विश्व पुस्तक दिवस और प्रकाशनाधिकार दिवस को मनाने के लिये यूनेस्को द्वारा 1995 में पहली बार विश्व पुस्तक दिवस की सटीक तारीख की स्थापना हुयी थी। यूनेस्को के द्वारा इसे 23 अप्रैल को मनाने का फैसला किया गया था क्योंकि, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, विलियम शेक्सपियर, व्लादिमीर नबोकोव, मैमुएल सेजिया वैलेजो का जन्म और मृत्यु वर्षगाँठ, मीगुअल डी सरवेंटस (22 अप्रैल को मृत्यु और 23 अप्रैल को दफनाए गये), जोसेफ प्ला, इंका गारसीलासो डी ला वेगा का मृत्यु वर्षगाँठ और मैनुअल वैलेजो, मॉरिस द्रुओन और हॉलडोर लैक्सनेस का जन्म वर्षगाँठ होता है।
विश्व पुस्तक कैसे मनाया जाता है?
* बाजार या प्रसिद्ध किताब की दुकानों से कुछ मजाकिया और रोचक किताबों को खरीदने और पढ़ने के द्वारा विश्व पुस्तक दिवस को मनाने में कोई भी शामिल हो सकता है जहाँ सभी पसंसदीदा किताब ब्रैंड, चरित्र या लेखक पर आधारित होती है। लेखकों और दूसरी महत्वपूर्णं बातों के बारे में जानने के लिये उनमें जिज्ञासा उत्पन्न करने के साथ ही पढ़ने की आदत के लिये बच्चों को पास लाने में विश्व पुस्तक दिवस एक बड़ी भूमिका अदा करता है।
* बच्चों के बीच पढ़ने की आदत को आसानी से बढ़ावा देना, कॉपीराइट का प्रयोग कर बौद्धिक संपत्ति का प्रकाशन और सुरक्षित रखने के लिये यूनेस्को द्वारा पूरे विश्व भर में इसे मनाने की शुरुआत हुयी। विश्व साहित्य के लिये 23 अप्रैल एक महत्वपूर्ण तारीख है क्योंकि 23 अप्रैल 1616 कई महान हस्तियों की मृत्यु वर्षगाँठ थी।
* किताबों और लेखकों को श्रद्धांजलि देने के लिये पूरे विश्व भर के लोगों का ध्यान खींचने के लिये यूनेस्को द्वारा इस तारीख की घोषणा की गयी। लोगों और देश की सामाजिक और सांस्कृतिक विकास की ओर अपने विशेष योगदानों के लिये नये विचारों को उत्पन्न करने के साथ ही किताबों के बीच असली खुशी और ज्ञान की खोज करने तथा किताबें पढ़ने के लिये ये आम लोगों खासतौर से युवाओं को प्रोत्साहित करता है। ग्राहक को हर एक किताब पर एक गुलाब देने से वो किताबें पढ़ने के लिये प्रोत्साहित होंगे और सम्मानित महसूस करेंगे।
* शिक्षकों, लेखकों, प्रकाशकों, लाइब्रेरियन, सभी निजी और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों, एनजीओ, कार्यरत लोगों का समूह, मास मीडिया आदि के द्वारा खासतौर से विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस मनाया जाता है। यूनेस्को राष्ट्रीय परिषद, यूनेस्को क्लब, केन्द्रीय संस्थान, लाइब्रेरी, स्कूल और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों के द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
* प्रसिद्ध लेखकों के द्वारा लिखी गयी नवीनतम किताबों के संग्रह को प्राप्त करने के लिये लाइब्रेरी की सदस्यता के लिये कार्यरत समूह के लोग प्रोत्साहन देते हैं। विभिन्न क्रिया-कलाप जैसे दृश्यात्मक कला, नाटक, कार्यशाला कार्यक्रम आदि लोगों को प्रोत्साहित करने के लिये अधिक सहायक हो सकता है।
दुनिया में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है वर्ल्ड बुक डे
दुनिया के विभिन्न देशों में वर्ल्ड बुक डे को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. कहीं पर मुफ्त में पुस्तकें वितरित की जाती हैं तो कहीं प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. स्पेन में दो दिनों तक रीडिंग मैराथन का आयोजन किया जाता है. इसके अंत में एक लेखक को मिगेल डे सरवांटिस पुरस्कार से नवाजा जाता है. इस दिन स्वीडन में स्कूलों में और कॉलेजो में लेखन प्रतियोगिता का आयोजन होता है. इस साल कोरोना संक्रमण के कारण इस तरह के आयोजन पर संशय है।
विश्व पुस्तक का महत्व
* आम सभा में यूनेस्को के द्वारा विश्व पुस्तक दिवस उत्सव की तारीख को निश्चित किया गया जो 1995 में पेरिस में रखा गया था। लगभग 100 देशों से अधिक इच्छुक लोग ऐच्छिक संगठनों, विश्वविद्यालयों स्कूलों, सरकारी या पेशेवर समूहों, निजी व्यापार आदि से जुड़ें। विश्व पुस्तक और कॉपीरइट दिवस उत्सव विश्व भर के सभी महाद्वीपों और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से लोगों को आकर्षित करता है। ये लोगों को नये विचार को खोजने और अपने ज्ञान को फैलाने में सक्षम बनाता है। किताबें विरासत का ख़जाना, संस्कृति, ज्ञान की खिड़की, संवाद के लिये यंत्र, संपन्नता का स्रोत आदि हैं।
* विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस उत्सव ने विभिन्न देशों से ढ़ेर सारे पेशेवर संगठनों को प्रेरित किया है और यूनेस्कों से सहायिकी प्राप्त की है। दूसरे लोगों तक विभिन्न प्रकार की संस्कृति को फैलाने के साथ ही उनको साथ लाने के लिये लोगों के बीच किताबों की शक्ति को प्रचारित करने के लिये हर साल यूनेस्कों का विश्वव्यापी सदस्य राज्य इस कार्यक्रम को मनाता है। सुविधा से वंचित भाग में रहने वाले लोगों के साथ ही युवा लोगों के बीच शिक्षा को प्रचारित करने के लिये ये दिन मनाया जाता है।
* इस दिन, उपन्यास, लघु कहानियाँ या शांति फैलाने वाला चित्र किताब, उदारता, दूसरी संस्कृति और परंपरा के लिये एक-दूसरे के बीच समझदारी और सम्मान के लिये बच्चों सहित कुछ युवा अपने बेहतरीन कार्यों के लिये पुरस्कृत किये जाते हैं। वर्ष के खास विषय पर आधारित एक अलग पोस्टर हर साल डिजाइन किया जाता है और पूरी दुनिया में लोगों के बीच वितरित किया जाता है। पोस्टर इस तरह से डिजाइन किये जाते हैं जिससे लोगों और बच्चों को और किताबें पढ़ने के लिये बढ़ावा दिया जा सके।
मानव का इंटरनेट प्रेम
पढ़ना किसे अच्छा नहीं लगता। बचपन में स्कूल से आरंभ हुई पढ़ाई जीवन के अंत तक चलती है, पर दुर्भाग्यवश आजकल पढ़ने की प्रवृत्ति लोगों में कम होती जा रही है। पुस्तकों से लोग दूर भाग रहे हैं। आज सब लोग सभी कुछ नेट पर ही खंगालना चाहते हैं। शोध बताते हैं कि इसके चलते लोगों की जिज्ञासु प्रवृत्ति और याद करने की क्षमता भी ख़त्म होती जा रही है। बच्चों के लिए तो यह विशेष समस्या है। पुस्तकें बच्चों में अध्ययन की प्रवृत्ति, जिज्ञासु प्रवृत्ति, सहेजकर रखने की प्रवृत्ति और संस्कार रोपित करती हैं। पुस्तकें न सिर्फ ज्ञान देती हैं, बल्कि कला, संस्कृति, लोकजीवन, सभ्यता के बारे में भी बताती हैं। नेट पर लगातार बैठने से लोगों की आँखों और मस्तिष्क पर भी बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में पुस्तकों के प्रति लोगों में आकर्षण पैदा करना जरुरी हो गया है। इसके अलावा तमाम बच्चे ग़रीबी के चलते भी पुस्तकें नहीं पढ़ पाते, इस ओर भी ध्यान देने की जरुरत है। ‘सभी के लिए शिक्षा क़ानून’ को इसी दिशा में देखा जा रहा है।
विश्व पुस्तक दिवस 2022 थीम
गाम्बिया और वैश्विक समुदाय ने इस वर्ष के विश्व कॉपीराइट और पुस्तक दिवस की थीम ‘आर यू ए रीडर’ रखी है। प्रत्येक वर्ष, यूनेस्को और अंतर्राष्ट्रीय संगठन पुस्तक उद्योग के तीन प्रमुख क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें प्रकाशक, बुकसेलर, और पुस्तकालय को शामिल किया जाता है। अपनी स्वयं की पहल के माध्यम से एक साल की अवधि के लिए विश्व पुस्तक राजधानी का चयन करते हैं। यूनेस्को के अनुसार, जॉर्जिया में त्बिलिसी शहर को 2021 के लिए विश्व पुस्तक राजधानी के रूप में चुना गया था। जबकि इस वर्ष गाम्बिया को चुना गया है।
विश्व पुस्तक दिवस थीम्स
* विश्व पुस्तक दिवस 2021 की थीम – “एक कहानी साझा करें” (share a story)
* वर्ष 2020 में विश्व पुस्तक दिवस का थीम था “किताबें: COVID-19 के दौरान दुनिया में एक खिड़की (Books: A Window into the World during COVID-19)”।
* वर्ष 2019 में विश्व पुस्तक दिवस का थीम था “एक कहानी साझा कीजिये (शेयर ए स्टोरी)”।
* वर्ष 2018 में विश्व पुस्तक दिवस के लिए थीम था “पढ़ना, यह मेरा अधिकार है”।
* विश्व पुस्तक दिवस 2015 का थीम था “दुनिया को पढ़ों।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2014 का थीम था “तेज बनो-किताबें पढ़ों।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2013 का थीम था “पढ़ना; प्रकाशन और कॉपीराइट के द्वारा बौद्धिक संपदा की सुरक्षा।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2012 का थीम था “किताबें और अनुवाद।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2011 का थीम था “किताब निर्माण का विकास, लिखने से डिजिटल तक।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2010 का थीम था “संस्कृति के मेल-जोल के लिये अंतरराष्ट्रीय वर्ष।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2009 का थीम था “गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का विकास और प्रकाशन और मानवाधिकार के बीच जुड़ाव।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2008 का थीम था “भाषा का अंतरराष्ट्रीय वर्ष।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2007 का थीम था “पढ़ाई उपाय है।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2006 का थीम था “साक्षरता जीवन बदल देती है।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2005 का थीम था “पढ़ाई हमेशा के लिये है।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2004 का थीम था “पढ़ना; एक अनवरत यात्रा।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2003 का थीम था “जीवन के लिये दोस्त।”
* विश्व पुस्तक दिवस 2001 का थीम था “खुशी के घंटे।”
* विश्व पुस्तक दिवस 1999 का थीम था “एक किताब दो।”
* विश्व पुस्तक दिवस 1998 का थीम था “पढ़ना ठंडी हवा है।”
बचपन में स्कूल से आरंभ हुई पढ़ाई जीवन के अंत तक चलती है, पर दुर्भाग्यवश आजकल पढ़ने की प्रवृत्ति लोगों में कम होती जा रही है। पुस्तकों से लोग दूर भाग रहे हैं। आज सब लोग सभी कुछ नेट पर ही खंगालना चाहते हैं। शोध बताते हैं कि इसके चलते लोगों की जिज्ञासु प्रवृत्ति और याद करने की क्षमता भी ख़त्म होती जा रही है। बच्चों के लिए तो यह विशेष समस्या है। पुस्तकें बच्चों में अध्ययन की प्रवृत्ति, जिज्ञासु प्रवृत्ति, सहेजकर रखने की प्रवृत्ति और संस्कार रोपित करती हैं। पुस्तकें न सिर्फ ज्ञान देती हैं, बल्कि कला, संस्कृति, लोकजीवन, सभ्यता के बारे में भी बताती हैं। नेट पर लगातार बैठने से लोगों की आँखों और मस्तिष्क पर भी बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में पुस्तकों के प्रति लोगों में आकर्षण पैदा करना जरुरी हो गया है। इसके अलावा बहुतों बच्चे ग़रीबी के चलते भी पुस्तकें नहीं पढ़ पाते, इस ओर भी गंभीरता से ध्यान देने की जरुरत है।