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लिवर एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। यह मस्तिष्क को छोड़कर शरीर का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे जटिल अंग है। आप जो कुछ भी खाते या पीते हैं, जिसमें दवा भी शामिल है, लिवर (Liver) से होकर गुजरता है। यह एक ऐसा अंग है जिसकी अगर आप अच्छी देखभाल नहीं करते हैं तो यह आसानी से क्षतिग्रस्त (Damage) हो सकता है। यह इतना महत्वपूर्ण है कि अगर यह एक दिन के लिए काम करना बंद कर दे तो हम जीवित नहीं रह सकते. लिवर एक नेचुरल फिल्टर भी है, जो हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है. यह शरीर के पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हमारे शरीर में मस्तिष्क के बाद लिवर दूसरा सबसे बड़ा और जटिल ऑर्गन है. यह शरीर के पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह भोजन में मौजूद वसा और कार्बोहाइड्रेट को सुपाच्य बनाता है. यह एक नेचुरल फिल्टर भी है, जो हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है. शरीर के लिए उपयोगी प्रोटीन यहां बनता है और पाचन के लिए उपयोगी पित्त का स्राव भी लिवर से ही होता है. चूंकि, लिवर एक साथ कई काम करता है, इसलिए इसमें गड़बड़ी आने पर एक साथ कई परेशानियां खड़ी हो जाती हैं. इस स्थिति में जरूरी है कि आप लिवर की सेहत का खास ख्याल रखें। आजकल यह देखा जा रहा है कि मोटापा की बढ़ती समस्या की वजह से लोगों में फैटी लिवर की शिकायत भी तेजी से बढ़ी है. ऐसा होने पर लिवर अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाता है और लंबे समय तक यह स्थिति बने रहने पर लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचता है. यहां तक कि स्थिति जानलेवा हो सकती है. खास बात है कि लिवर हमें तब तक कोई संकेत नहीं देता, जब तक कि वह 70 से 80 प्रतिशत तक खराब न हो जाये. ऐसे में संकेत मिलने तक कई बार देर हो जाती है, इसलिए बहुत जरूरी है कि आप लिवर के स्वास्थ्य की बिल्कुल भी अनदेखी न करें। मगर दुर्भाग्य से इन सभी कारणों के बावजूद, हम लिवर बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखते हैं और न ही लिवर हेल्थ के बारे में कोई जागरूकता है। इसलिए, हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस (वर्ल्ड लिवर डे 2022) मनाया जाता है, ताकि लिवर और उसके महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके।
लिवर के कुछ महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल है –
* प्रोटीन पोषण की मात्रा का संतुलन करना
* कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करना
* रक्त के थक्के (अधिक मोटा/गाढ़ा करना) के निर्माण में सहायता करना
* पित्त निकालना (पित्त एक तरल पदार्थ है जो कि पाचन तंत्र में वसा को तोड़ने में मदद करता है)
* विटामिन B12 का संचय
* संक्रमण और रोग से लड़ना
* शरीर में रक्त शर्करा को नियमित करना
* शरीर से टॉक्सिक (विषाक्त) पदार्थों को निकालना
* ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलना
* संक्रमण और बीमारी से लड़ना
* रक्त शर्करा का विनियमन
* शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालना
* कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करना
* ब्लड क्लोटिंग में मदद करना
* पित्त बनाना
चर्चा में क्यों?
* हाल ही में विश्व यकृत दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाया गया है।
* भारत में भी केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने विश्व यकृत दिवस समारोह का आयोजन किया है।
* 10 लाख से ज्यादा क्रोनिक लिवर डिजीज के मामले देश में हर वर्ष आते हैं सामने।
* 5 में, एक हर पांच में से एक भारतीय लिवर की किसी-न-किसी समस्या से ग्रस्त हैं।
* लिवर हमारे शरीर में सैकड़ों कामों को अंजाम देता है. ऐसे में इसके कमजोर होने से शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी कमजोर हो जाती है।
* लिवर की और एक खास बात यह कि यह खुद का निर्माण कर सकता है। जब लोग अपना लिवर ट्रासप्लांट करवाते हैं या ट्रांसप्लांट के लिए देते हैं, तो यह कटे हुये हिस्से से दोबारा खुद को बना सकता है।
लिवर का स्वस्थ होना क्यों है जरूरी
लिवर हमारे शरीर के एक उत्सर्जी अंग के रूप में भी काम करता है. यह हानिकारक व जहरीले पदार्थों को पित्त (बाइल) के रूप में छान कर शरीर से अलग करता है. स्टूल का भूरा रंग भी पित्त की वजह से होता है. यह शरीर में ग्लूकोज को नियंत्रित करने में भी अहम भूमिका निभाता है. अगर किसी को फैटी लिवर की समस्या है, तो ज्यादातर मामलों मे वह टाइप-2 डायबिटीज का मरीज भी हो सकता है. जब हम कुछ भी खाते हैं, तो लिवर ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदल देता है. जब लिवर में ग्लूकोज ज्यादा मात्रा में जमा होने लगता है, तो यह फैट में बदल जाता है. इसके बाद ही फैटी लिवर की स्थिति उत्पन्न होती है. कई बार हमारा शरीर इतना प्रोटीन पैदा नहीं कर पाता कि उसकी जरूरत पूरी हो. ऐसे में लिवर ही वह प्रोटीन भी बनाता है।
यकृत/ लीवर से संबंधित रोग
हेपेटाइटिस: हेपेटाइटिस शब्द का उपयोग यकृत सूजन (सूजन) के लिए किया जाता हैं। यह वायरल संक्रमण या अल्कोहल जैसे हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने के कारण होता है। हेपेटाइटिस लक्षण रहित और सीमित लक्षणों के साथ हो सकता है, लेकिन इसमें प्राय: पीलिया, अत्यधिक थकान (भूख में कमी) और अस्वस्थता हो सकती है। हेपेटाइटिस दो प्रकार- तीव्र (एक्यूट) और दीर्घकालिक (क्रोनिक) का होता है।
यकृत का ऑटोइम्यून डिसऑर्डर: इसमें मानव शरीर के तंत्रिका तन्त्र, कोशिकाओं और उतकों को नुकसान पहुंचता है तथा लीवर पर असर पड़ता है और उसके कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है।
यकृत में वसा जमना(फैटी लीवर) : जब लीवर में वसा या अधिक फैट जमा हो जाता है तो लीवर फैटी हो जाता है।
यकृत/ लीवर फेलियर: जब यकृत से सम्बंधित बीमारी लंबे समय से हो और वह ठीक न हुई हो तो यह काम करना बंद कर देता है जिसे लीवर फेलियर कहा जाता है।
यकृत कैंसर: यकृत की कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि से यह रोग पैदा होता है।
यकृत/ लीवर सिरोसिस: यह रोग शरीर में धीरे-धीरे बढ़ता है। इसमे लीवर सिकुड़ने लगता है और लचीलापन खोकर कठोर हो जाता है।
यकृत से संबन्धित बीमारियों से बचाने के उपाय
* स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन।
* लहसुन, अंगूर, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, सेब और अखरोट आदि का सेवन ।
* जैतून का तेल का उपयोग करें।
* नींबू और नीबू का रस तथा हरी चाय पीएं।
* वैकल्पिक अनाज (मोटा अनाज़, बाजरा और कूटू आदि) के सेवन को प्राथमिकता दें।
* हरी पत्तेदार सब्जियां भोजन में शामिल करें।
* आहार में हल्दी का उपयोग करें।
* स्वस्थ जीवन शैली और सुरक्षा उपागम को अपनाना।
* नियमित व्यायाम।
* अल्कोहल, धूम्रपान और ड्रग्स आदि का निषेध। क्योंकि अल्कोहल, धूम्रपान और ड्रग्स आदि यकृत की कोशिकाओं को नष्ट करते हैं।
* मोटापे के प्रति सावधानी रखना। क्योंकि मोटापे के कारण गैर-अल्कोहल वसायुक्त रोग हो सकते हैं। जो यकृत के लिए घातक होते हैं।
शराब ही नहीं, खराब जीवनशैली से भी लिवर को नुकसान पहुंचाती है
हर दिन 30 से 45 मिनट की एक्सरसाइज और आहार में फाइबरयुक्त चीजें लेने से फैटी लिवर की समस्या से बचा जा सकता है।
अगर आपके परिवार में किसी को शुगर, बीपी आदि की परेशानी है, तो उसे हर 6 महीने में एक बार लिवर फंक्शन टेस्ट जरूर कराना चाहिए।
* शरीर को ऊर्जावान बनाये रखने के लिए लिवर का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है. यही वजह है कि लिवर को बॉडी का ‘पावरहाउस’ भी कहा जाता है. आमतौर पर लिवर का वजन, हमारे शरीर के वजन का लगभग 1.5 से 2 प्रतिशत तक होता है. अगर किसी व्यक्ति का वजन 70 किलोग्राम है, तो उसके लिवर का वजन 1050 से 1400 ग्राम तक हो सकता है. अगर किसी के लिवर का वजन इससे ज्यादा है, तो हो सकता है कि लिवर में इन्फेक्शन या फिर सूजन हो।
* लिवर में होने वाली बीमारी या किसी भी तरह की समस्या का असर मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, जीवनशैली और आहार की गड़बड़ी के कारण लिवर का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. वहीं, अल्कोहल और जंक फूड का सेवन लिवर को गंभीर क्षति पहुंचा सकती हैं. थकान, अपच या अचानक भूख न लगना, खुजली, वजन बढ़ना जैसे लक्षण लिवर की सेहत की खराबी के संकेत हो सकते हैं. ऐसे लक्षणों की बिल्कुल अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
अपने लिवर को ऐसे रखें स्वस्थ
आहार में हों फाइबरयुक्त चीजें : आमतौर पर लिवर से जुड़ी समस्याएं उन लोगों को ज्यादा होती हैं, जो अपने हरदिन के आहार में फाइबरयुक्त चीजों को कम शामिल करते हैं. आप फाइबरयुक्त चीजों को जितना ज्यादा खायेंगे, लिवर को उतना ही फायदा होगा. मौसमी फल और सब्जियां जैसे- सेब, अमरूद, मूली, गाजर, पालक व अन्य साग आदि को ज्यादा-से-ज्यादा खाएं. इसके अलावा खट्टे फलों को खान-पान का हिस्सा बनाएं. खट्टे फलों में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होती हैं. लिवर की सेहत के लिए विटामिन सी बहुत जरूरी है।
हर दिन व्यायाम जरूर करें : शरीर के अन्य अंगों की तरह लिवर को भी मजबूत बनाने में एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटीज का अहम योगदान होता है. हर दिन 30 से 45 मिनट तक की फिजिकल एक्टविटीज से फैटी लिवर की स्थिति से हमेशा के लिए बचा जा सकता है. इसके साथ-साथ प्राणायाम भी जरूरी है. हर दिन 10 से 15 मिनट का प्राणायाम लिवर के काफी काम आता है. अगर योग में दिलचस्पी है, तो उसे भी जरूर करें. सीधे तौर पर समझें कि आप अपने ‘पेट को तोंद’ न बनने दें।
इन चीजों से बना लें दूरी : शराब, पैक्ड फूड, स्टोर करके रखे जाने वाले फूड/नॉनवेज आइटम्स, तले खाद्य पदार्थ आदि से दूरी रखनी चाहिए. इन्हें स्टोर करने या इनकी लाइफ बढ़ाने के लिए जिन रसायनों का इस्तेमाल होता है, ये लिवर के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होते हैं।
कैसे लगाएं लिवर डिजीज का पता
लिवर फंक्शन टेस्ट : लिवर में इतनी ताकत होती है कि जब तक वह 70 प्रतिशत से ज्यादा खराब नहीं हो जाये, तब तक मरीज में कोई गंभीर लक्षण उभरकर नहीं आत. ऐसे में कोई भी प्रारंभिक लक्षण दिखे तो लिवर फंक्शन टेस्ट करवाना चाहिए. इसके लिए मरीज का ब्लड टेस्ट किया जाता है. लिवर की क्षति होने पर लिवर सेल्स में मौजूद एंजाइम (एसजीपीटी, एसजीओटी, बिलीरुबिन) के ब्लड में मिलने की जांच की जाती है. अगर परिवार में किसी को शुगर, बीपी आदि की समस्या है, तो उसे हर 6 महीने में एक बार यह टेस्ट जरूर कराना चाहिए।
* मरीज के ब्लड में एंजाइमों का लेवल सामान्य से ज्यादा आना इस बात का संकेत देता है कि लिवर कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो रही हैं. एक्यूट लिवर डिजीज में यह लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और हजारों तक पहुंच जाता है, लेकिन ब्लड में एंजाइमों का लेवल 100-500 तक होने का मतलब है कि मरीज को क्रोनिक लिवर डिजीज है, जो धीरे-धीरे विकसित होती है. इसके बाद पेट के अल्ट्रासाउंड से वायरल हैपेटाइटिस, ड्रग इन्ड्यूज हैपेटाइटिस जैसी एक्यूट लिवर डिजीज का पता चलता है।
इन वजहों से लिवर होता है बीमार
कई कारणों से लिवर ठीक से काम करना बंद कर देता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है. ऐसे में लिवर कोशिकाएं अपने अंदर मौजूद एंजाइम को बाहर निकाल देती हैं, जिससे ब्लड में इनका लेवल बढ़ने लगता है. ब्लड में इन एंजाइम का लेवल ज्यादा होना- लिवर रोग का संकेत देता है. लिवर को क्षति पहुंचाने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- वायरस, डॉक्टर की सलाह के बिना दवाइयां खाना, ऑटो इम्यून डिजीज, मोटापा, कॉपर-आयरन जमाव, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, अल्कोहल पीना, मसालेदार भोजन करना, दूषित पानी व भोजन, रहन-सहन के गलत तौर-तरीके आदि।
शराब पीने की आदत : लिवर के लिए शरीर में शराब की मौजूदगी खतरनाक है. अल्कोहल से बनने वाली वसा को भी लिवर स्टोर करता है. इससे लिवर में सूजन आ जाती है. साथ ही फैटी लिवर के चांसेज भी बहुत बढ़ जाते हैं. बाद में अल्कोहलिक हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापा : आमतौर पर मोटापा कई दूसरी बीमारियों को भी ट्रिगर करता है. लिवर के लिए भी ज्यादा फैट नुकसानदेह है. लिवर को उसके वजन के 5 प्रतिशत तक ही फैट की जरूरत होती है. फैट की मात्रा अगर इससे ऊपर चली जाये, तो समस्या पैदा हो जाती है. यह जितनी बढ़ती जायेगी, लिवर की परेशानी भी बढ़ती जायेगी. हालांकि, फैटी लिवर की समस्या एक दुबले व्यक्ति को भी हो सकती है।
बढ़ा हुआ शुगर व ब्लड प्रेशर : बढ़ा हुआ शुगर लेवल अगर कुछ अंगों को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है, उनमें से किडनी और लिवर भी शामिल हैं. अगर किसी को शुगर है, तो उसे लिवर का भी खास ख्याल रखना चाहिए. जरूरत के अनुसार, समय-समय पर लिवर फंक्शन टेस्ट कराना चाहिए. वहीं बीपी को काबू में रखना भी जरूरी है. बीपी की दवाएं सही समय पर लेते रहने की जरूरत होती. अगर शुगर और बीपी को काबू में न रखा जाये, तो फैटी लिवर की समस्या हो सकती है।
गलत खान-पान : लिवर को अहिस्ता-अहिस्ता नुकसान पहुंचाने में गलत खान-पान की भूमिका बहुत अहम है. हाल के वर्षों में लिवर से जुड़ी समस्याओं के ऐसे बहुत से मामले सामने आये हैं, जब व्यक्ति कोई नशा नहीं करता था. पहले फैटी लिवर हुआ, खान-पान का ध्यान नहीं रखा, तो 15 से 20 वर्ष के बाद 70 प्रतिशत से ज्यादा लिवर खराब हो गया और वह लिवर सिरोसिस (लिवर इतना खराब हो जाये कि लिवर ट्रांसप्लांट ही उपाय बचे) में बदल गया. यहां से लिवर की वापसी बहुत ही मुश्किल हो जाती है।
पेनकिलर का मनमाना प्रयोग : पेनकिलर्स भले ही हमें दर्द से राहत देते हैं, लेकिन ये हमारे लिवर के लिए बहुत ही खतरनाक हैं. ये लिवर में बहुत ज्यादा मात्रा में जहरीला पदार्थ पैदा करते हैं, जिससे लिवर को बहुत नुकसान होता है. यह ठीक उसी तरह लिवर के लिए नुकसानदायक है, जिस तरह कोई लगातार शराब का सेवन करता है. कई बार ये दवाएं लिवर के लिए शराब से भी ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं।
लिवर इन्फेक्शन : हेपेटाइटिस वायरस के पांच स्ट्रेन होते हैं. ए, बी, सी, डी और इ. इनकी वजह से लिवर में इन्फेक्शन होता है. कई बार हेपेटाइटिस के चलते लिवर में फाइब्रोसिस की समस्या हो जाती है. इसका पता लगाने के लिए लिवर फाएब्रो स्कैन टेस्ट कराया जाता है।
इन लक्षणों को गंभीरता से लें
आमतौर पर यह समझने में देर हो जाती है कि लिवर में कुछ गड़बड़ी आ रही है. केवल शराब ही लिवर का दुश्मन नहीं है. आजकल खराब जीवनशैली व जंक फूड भी इसे अपना शिकार बना रहे हैं।
शरीर पर निशान पड़ना : लिवर की समस्या वाले लोगों को आसानी से शरीर पर जगह-जगह चकत्ते जैसे निशान पड़ जाते हैं. अगर शरीर पर बार-बार निशान पड़ रहे हैं, तो इसे स्किन की आम समस्या समझ कर इग्नोर न करें. अगर हल्की चोट लगने पर आसानी से खून निकल आता है, तो भी यह लिवर के डैमेज होने का संकेत है. इसका मतलब है कि लिवर सही प्रोटीन नहीं बना पा रहा है।
खुजली की समस्या : आमतौर पर खुजली की वजह एलर्जी होती है, लेकिन यदि आपको बार-बार खुजली हो रही है, तो यह लिवर की बीमारी के संकेत हो सकते हैं. इस स्थिति में स्किन पूरी तरह से आम दिखेगी, लेकिन कुछ जगहों पर अचानक खुजली शुरू हो जायेगी. दरअसल, बाइल जूस जब त्वचा के नीचे जमने लगता है, तो खुजली शुरू हो जाती है. इसे अनदेखा न कर डॉक्टर से मिलना चाहिए।
पेट का आकार बढ़ना : कुछ लोगों के लिवर में सूजन आ जाती है, जिससे उनके पेट का आकार बढ़ जाता है. कई लोग इसे मोटापा समझने की गलती कर बैठते हैं, जो बाद में दिक्कतें बढ़ा सकती हैं. ऐसे में अगर पेट का आकार बढ़े और बीच-बीच में वहां दर्द हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
थकान : ऐसे तो थकान के पीछे कई वजहें होती हैं, लेकिन हल्का चलने पर भी यदि आप थका हुआ महसूस करते हैं. शरीर में बुखार जैसा महसूस होता हो और हर समय थका-थका सा लगता हो, तो इसे इग्नोर न करें. यह लिवर की बीमारी के संकेत हो सकते हैं।
पेशाब का रंग बदल जाना : लिवर के ज्यादा खराब होने की स्थिति में पेशाब का रंग बदल जाता है, यानी वह गहरा हो जाता है. इसके अलावा पीलिया के लक्षण जैसे- नाखूनों और आंखों के सफेद भाग का पीला हो जाना भी लिवर के खराब होने के संकेत हो सकते हैं. ऐसे में आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए।
लिवर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और मिथ:
इसमें वसा होती है – हमारे लिवर का 10% वसा से बना होता है। यदि लिवर में वसा की मात्रा 10% से अधिक हो जाए, तो इसे “फैटी लिवर” (Fatty Liver) माना जाता है और इससे आपको टाइप 2 मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।
रक्त बनाए – लिवर शरीर में रक्त का निर्माण करता है। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि लिवर हमारे पैदा होने से पहले ही खून का उत्पादन शुरू कर देता है।
यह लोहे का भंडार करता है – हमारा लिवर हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से महत्वपूर्ण विटामिन और पोषक तत्वों का भंडार करता है। साथ ही, ज़रूरत पड़ने पर हम तक पहुंचाता है।
डिटॉक्सिफायर – लिवर शराब और ड्रग्स जैसी हानिकारक चीजों को डिटॉक्सीफाई करता है। लिवर के बिना शरीर इन वस्तुओं को प्रोसेस नहीं कर सकता है।
इन मिथ्स पर भूलकर भी विश्वास न करें और खुद को अवेयर रखें
मिथ – फैटी लिवर समस्या का कारण नहीं है
फैक्ट – हालांकि, लिवर फैट से बना होता है। मगर ज़्यादा फैट लिवर के लिए हानिकारक है और लिवर को डैमेज कर सकता है। फैटी लिवर की समस्या का कई लोगों को पता नहीं चलता है। मगर कुछ लोग जानते हुये भी इसे इगनोर करते हैं, क्योंकि इससे कोई समस्या नहीं होती है। मेयो क्लीनिक के अनुसार समय के साथ, फैटी लिवर – सिरोसिस, लिवर रोग और लिवर कैंसर का कारण बन सकता है।
मिथ – शराब पीना लिवर के लिए ज़्यादा घातक है बजाय बीर या वाइन के
फैक्ट – आप किस प्रकार की शराब पीते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि यह मायने रखता है कि आप कितना पीते हैं। एक हफ्ते में 14 यूनिट के ऊपर शराब पीना आपके लिवर को डैमेज कर सकता है।
मिथ – महिलाओं में फैटी लीवर होने की संभावना अधिक होती है
फैक्ट – पुरुषों और महिलाओं दोनों में फैटी लिवर डीजीज विकसित होने की संभावना होती है। जबकि पहले ऐसा माना जाता था, लेकिन वर्तमान में हुए कई अध्ययन पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समान जोखिम दिखते हैं।
विश्व लीवर दिवस पूरे विश्व में एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि लोगों में जिगर से संबंधित बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। और कोई भी दवा शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले।
यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।