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हनुमानजी का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा को “मंगलवार” के दिन हुआ. भक्तों का मंगल करने के लिए श्रीराम भक्त हनुमान इस धरती पर अवतरित हुए. इस कलियुग में विपत्ति को हरने के लिए हनुमानजी की शरण ही सहारा है. हनुमानजी को महावीर, बजरंगबली, मारुती, पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू मान्यता के अनुसार कई वर्षों पहले बहुत सारी दैवीय आत्मा ने मनुष्य के रूप में इस धरती पर जन्म लिया और इन दैवीय शक्ति की सहायता के लिए कई पशु पक्षी ने भी धरती पर अवतार लिया. त्रेतायुग में वानर सेना को प्रस्तुत करने के लिए हनुमानजी धरती पर अवतरित हुए. हनुमानजी तथा उनकी वानर सेना सिन्दूरी रंग के थे, जिनका रामायण से पहले धरती पर जन्म हुआ. रामायण में हनुमानजी ने वानर रूप में रावण के विरुद्ध युद्ध में श्री राम का साथ दिया तथा समुद्र पार करके लंका पहुँचने में श्री राम की मदद की।
भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार संकटमोचन हनुमान ने चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि पर जन्म लिया था। इस दिन को हनुमान जयंती के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान हनुमान के जन्म का उद्देश्य राम भक्ति था। सीता खोज से लेकर रावण युद्ध और लंका विजय तक हनुमान जी ने हर समय भगवान श्री राम की मदद की थी। मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जयंती पर भगवान हनुमान की विधि अनुसार पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ भी प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जयंती पर प्रभु श्री राम की पूजा करने से भी संकट मोचन प्रसन्न होते हैं। इस दिन भगवान के साथ श्री राम की भी पूजा की जाती है। कहा जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की पूजा के बिना हनुमान जी की पूजा अधूरी है। जो भक्त, विधि अनुसार भगवान हनुमान की पूजा करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यहां देखे हनुमान जयंती की तिथि, विधि, मुहूर्त, आरती, मंत्र, कथा व सामग्री।
हनुमान जयंती 2022 में कब है
हर साल हनुमान जयंती को हिंदी कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है. हर साल देश में दो बार हनुमान जयंती का अवसर मनाया जाता हैं. एक बार चैत्र की पूर्णिमा और दूसरी बार कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन. इस साल हनुमान जयंती 16 अप्रैल को है
हिंदी मास : चैत्र मास में
दिन : पूर्णिमा के दिन
दिनांक : 16 अप्रैल
कार्तिक मास में : कृष्ण पक्ष की चौदस में
दिन : 23 अक्टूबर
हनुमान जयंती पर बनने वाला शुभ योग
* इस वर्ष हनुमान जयंती पर रवि योग बन रहा है। यह योग बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस योग में करने वाले हर कार्य में सफलता मिलती है। हनुमान जयंती पर सुबह ही यह योग बनने वाला है। इस दिन यह योग सुबह 5:55 से शुरू होगा और सुबह 8:40 तक रहेगा। इस मुहूर्त में संकट मोचन भगवान हनुमान की पूजा करना भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी माना जा रहा है। हनुमान जयंती पर हस्त नक्षत्र सुबह 8:40 से प्रारंभ हो जाएगा जिसके बाद चित्रा नक्षत्र प्रारंभ होगा। यह दोनों नक्षत्र मांगलिक और शुभ कार्यों के लिए अनुकूल माने जा रहे हैं। इसके साथ ही, इस दिन सुबह 11:55 से अभिजीत मुहूर्त शुरू होगा जो 12:47 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त में भी मांगलिक और शुभ कार्य शुरू करना लाभदायक है।
* 16 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 34 मिनट से हर्षण योग शुरू होगा, जो कि 17 अप्रैल 2022 को देर रात 02 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगा।
हर्षण योग का महत्व-
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि हर्ष का अर्थ खुशी व प्रसन्नता होती है। ज्योतिष के अनुसार, इस योग में किए गए कार्य खुशी प्रदान करते हैं। हालांकि इस योग में पितरों को मानने वाले कर्म नहीं करने चाहिए।
कितने बजे से शुरू होगी चैत्र पूर्णिमा
हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल 2022, शनिवार को देर रात 02 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी,जो कि 17 अप्रैल 2022, रविवार को सुबह 12 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी।
हनुमान जन्मोत्सव पर बनने वाले शुभ मुहूर्त
* ब्रह्म मुहूर्त- 04:26 ए एम से 05:10 ए एम।
* अभिजित मुहूर्त- 11:55 ए एम से 12:47 पी एम।
* विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:21 पी एम।
* गोधूलि मुहूर्त- 06:34 पी एम से 06:58 पी एम।
* अमृत काल- 01:15 ए एम, अप्रैल 17 से 02:45 ए एम, अप्रैल 17।
* रवि योग- 05:55 ए एम से 08:40 ए एम।
हनुमान जी के मंत्र
श्री हनुमंते नम:
हनुमान जी का मूल मंत्र:- ओम ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः॥ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
पूजा सामग्री
हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की पूजा विधि-विधान से करना शुभ होता है. इसलिए पूजा करने से पहले ये सामग्री ले लें. एक चौकी, एक लाल कपड़ा, हनुमान जी की मूर्ति या फोटो, एक कप अक्षत, घी से भरा दीपक, फूल, चंदन या रोली, गंगाजल, तुलसी की पत्तियां, धूप, नैवेद्य (गुड और भुने चने.
इस विधि से करें हनुमान जी की पूजा-
* ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें.
* इसके बाद हनुमान जी को ध्यान कर हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें.
* उसके बाद पूर्व दिशा की ओर भगवान हनुमान जी की प्रतिमा या तसवीर को स्थापित करें.
* फिर सच्चे मन से हनुमान जी की प्रार्थना करें.
* उसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा दें और इसपर हनुमान जी की फोटो रखें.
* उसके बाद सबसे पहले एक पुष्प के द्नारा जल अर्पित करें.
* अब फूल अर्पित करें और फिर रोली या चंदन लगाएं.
* इसके साथ ही अक्षत चढ़ाएं.
* अब भोग चढ़ाएं और जल अर्पित करें.
* इसके बाद दीपक और धूप जला कर आरती करें और हनुमान जी के मंत्रों का जाप, सुंदरकांड और चालीसा का पाठ पढ़े.
* हनुमान जी की पूजा में चरणामृत का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
* हनुमान जी की पूजा करने वाले भक्त को उस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.
* हनुमान जी की पूजा करते समय काले और सफेद रंग के कपड़े पहनने से बचें.
* हनुमानजी की पूजा करते समय ब्रह्राचर्य व्रत का पालन करना चाहिए.
* हनुमान जयंती कर खंडित और टूटी हुई मूर्ति की पूजा न करें.
* व्रत की पूर्व रात्रि को जमीन पर सोने से पहले भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ हनुमान जी का स्मरण करें।
* प्रात: जल्दी उठकर दोबारा राम-सीता एवं हनुमान जी को याद करें।
* विनम्र भाव से बजरंगबली की प्रार्थना करें।
* विधि विधान से श्री हनुमानजी की आराधना करें।
* हिन्दू मान्यता के अनुसार हनुमानजी सिन्दूरी अथवा केसर वर्ण के थे, इसीलिए हनुमानजी की मुर्ति को सिन्दूर लगाया जाता है. पूजन विधि के दौरान सीधे हाथ की अनामिका ऊँगली से हनुमानजी की प्रतिमा को सिन्दूर लगाना चाहिए।
* हनुमानजी को केवड़ा, चमेली और अम्बर की महक प्रिय है , इसलिए जब भी हनुमानजी को अगरबत्ती या धूपबत्ती लगानी हो, तो इन महक वाली ही लगाना चाहिए, हनुमानजी जल्दी प्रसन्न होंगे. अगरबत्ती को अंगूठे तथा तर्जनी के बीच पकड़ कर , मूर्ति के सामने 3 बार घडी की दिशा में घुमाकर, हनुमानजी की पूजा करना चाहिए।
* हनुमानजी के सामने किसी भी मंत्र का जाप कम से कम 5 बार या 5 के गुणांक में करना चाहिए।
* ऐसे तो भक्त हर दिन अपने भगवान को पूज सकते हैं ,परन्तु फिर भी हिन्दू धर्म में विशेषकर “मंगलवार” को हनुमानजी का दिन बताया गया है. इसलिए इस दिन हनुमानजी की पूजा करने का विशेष महत्त्व है।
* भारत के अलग अलग प्रान्त में मंगलवार के साथ साथ शनिवार को भी हनुमानजी का दिन माना जाता है , और इसीलिए इन दोनों दिनों का बहुत महत्व है. भक्तगण इन दिनों में हनुमान चालीसा, सुंदरकांड आदि का पाठ करते हैं. इस दिन हनुमानजी की प्रतिमा पर तेल तथा सिन्दूर भी चढ़ाया जाता है।
हनुमान जी का भोग
पवनपुत्र हनुमान जी को हलुवा, गुड़ से बने लड्डू, बूंदी या बूंदी के लड्डू, पंच मेवा, डंठल वाला पान, केसर-भात और इमरती अत्यंत प्रिय हैं. इन मिष्ठानों का भोग लगाने से हनुमान जी अत्यंत प्रसन्न होते
हनुमानजी के जन्म के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं
* हनुमानजी केसरी तथा अंजना के पुत्र थे. इन्हे अंजनीपुत्र तथा केसरीनन्दन भी कहा जाता है. एक मान्यता के अनुसार इंद्र के राज्य में विराजमान वायुदेव ने ही माता अंजनी के गर्भ में हनुमानजी को भेजा था, इसलिए इन्हें वायुपुत्र और पवनपुत्र भी कहा जाता है।
* पौराणिक कथाओं के अनुसार, अंजना एक अप्सरा थीं, हालांकि उन्होंने श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्म लिया और यह श्राप उनपर तभी हट सकता था जब वे एक संतान को जन्म देतीं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार केसरी श्री हनुमान जी के पिता थे। वे सुमेरू के राजा थे और केसरी बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों की भगवान शिव की घोर तपस्या की और परिणाम स्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमानजी को प्राप्त किया। ऐसा विश्वास है कि हनुमानजी भगवान शिव के ही अवतार हैं।
* हिन्दू माह चैत्र की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को श्री राम भक्त हनुमानजी ने जन्म लिया।
* भारत के अलग अलग प्रान्त में हनुमानजी के जन्म की अलग अलग तिथियां मानी जाती है. जिस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ, उस दिन को हनुमान भक्त “हनुमान जयंती“ के उपलक्ष्य में मनाते हैं. इस दिन की मान्यता भले ही अलग हो परन्तु सभी भक्तों के मन में हनुमानजी के प्रति आस्था तथा श्रद्धा समान ही है।
* दक्षिण भारत में हनुमानजी का जन्म “मरघजी” माह के मूल नक्षत्र में होना बताया गया है।
* महाराष्ट्र में हनुमान जयन्ती चैत्र माह की पूर्णिमा को ही मनाई जाती है।
* कई हिन्दू पंचांग के अनुसार हनुमानजी का जन्म आश्विन माह की चतुर्दशी की आधी रात में होना बताया गया है, जबकि इनके जन्म की दूसरी मान्यता के आधार पर हनुमानजी का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा की सुबह हुआ है. इनका जन्म सूर्योदय के समय हुआ।
हनुमान जयंती महोत्सव
* हिन्दू धर्म में हनुमान जयंती बड़ा ही धार्मिक पर्व है. इसे बड़ी ही श्रद्धा एवं आस्था के साथ मनाया जाता है. इस दिन सुबह से ही हनुमान भक्त लम्बी लम्बी कतार में लग कर हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं. सुबह से ही मंदिरों में भगवान् की प्रतिमा का पूजन -अर्चन शुरू हो जाता है. मंदिरों में भक्त भगवान् की प्रतिमा पर जल, दूध, आदि अर्पण कर भगवान् को सिन्दूर तथा तेल चढ़ाते हैं।
* हनुमानजी की प्रतिमा पर लगा सिन्दूर अत्यन्त ही पवित्र होता है, भक्तगण इस सिन्दूर का तिलक अपने मस्तक पर लगाते हैं. इसके पीछे यह मान्यता है कि इस तिलक के द्वारा वे भी हनुमानजी की कृपा से हनुमानजी की तरह शक्तिशाली, ऊर्जावान तथा संयमित बनेंगे।
* इस दिन मंदिरों में सुबह से ही प्रसाद वितरण का कार्यक्रम शुरू हो जाता है. प्रत्येक मंदिर में भक्तों का ताँता लगा रहता है. कई मंदिरों में हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में भंडारे का आयोजन भी किया जाता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु, हनुमान भक्त मंदिरों में पहुंचते हैं।
भक्तों के लिए हनुमानजी का महत्त्व
* हनुमानजी के जन्म का मुख्य उद्देश्य दैवीय आत्मा, जो धरती पर मनुष्य के रूप में अवतरित हुए हैं, उन्हें प्रत्येक विपदाओं से बचने के लिए माना जाता है।
* हिन्दू धर्म में हनुमानजी को शक्ति, स्फूर्ति एवं ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
* धर्म में प्रचलित अनेक कथाओं के आधार पर हनुमानजी का जन्म अलग अलग युगों में अलग अलग रूपों में बताया गया है. जहां त्रेतायुग में उन्होंने श्री राम के सेवक एवं भक्त बनकर श्री राम का साथ दिया, वहीं द्वापर युग में पांडव एवं कौरव के बीच युद्ध के दौरान श्री कृष्णा जो कि अर्जुन ( राम का ही एक अवतार) के सारथी थे, के साथ मिल कर रथ के ऊपर बालरूप धारण कर अर्जुन की रक्षा की।
* हनुमानजी को शिवजी का रूप भी माना गया है. प्रत्येक हनुमान मंदिर में शिव प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित रहती हैं. इसलिए इन्हे रौद्र रूप में भी जाना जाता है।
हनुमानजी से हमे एक सच्चे भक्त होने की सीख मिलती है
* “जय श्री राम, जय श्री राम” कहते कहते रामजी की आज्ञा को सर्वोपरि रख सभी कार्य पूर्ण करते जाते थे. रामजी की आज्ञा से ही वे समुद्र लांघ कर,सीताजी को बचाने रावण की लंका जा पहुंचे. जहां उन्होंने अपना बल एवं शौर्य दिखाते हुए लंका जला डाली और लौटकर स्वामी के चरणों में सर नवाकर सीताजी का हाल समाचार श्री रामजी को सुनाया. हनुमानजी श्री राम के सच्चे सेवक थे, उन्होंने श्री राम के चरणों में ही अपना जीवन समर्पित कर दिया था.
* हनुमानजी श्री राम के अतुलनीय भक्त एवं सेवक थे. हिन्दू मान्यता के अनुसार हनुमानजी मंगलदायक , मंगलकारक ,ऊर्जा एवं स्फूर्ति प्रदान करने वाले हैं. हिन्दू धर्म में हनुमानजी को शक्ति एवं ऊर्जा का दूत माना जाता है. किसी भी प्रकार का कार्य चाहे छोटा हो या बड़ा, हनुमानजी के लिए कुछ भी असम्भव नहीं. उन्हें जादुई शक्ति तथा दुश्मनों एवं बुरी आत्माओं, विपत्ति से बचाने के लिए पूजा जाता है. हनुमान चालीसा की पंक्ति ” भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे “ भक्त को सम्बल तथा हनुमानजी के प्रति विश्वास दिलाते हैं और उनकी श्रद्धा हनुमानजी के चरणों में बढ़ती जाती है।
* हिन्दू मान्यता के अनुसार हनुमानजी की प्रतिमा खड़े रूप में होना चाहिए. भक्तों का ऐसा मानना है कि खड़े हनुमान की प्रतिमा जीवन में आगे बढ़ने में सहायक होती है, तथा उनके चरणों में रखी गई मनोकामना हनुमानजी तुरंत स्फूर्ति के साथ पूर्ण करते हैं. बैठे हनुमान की प्रतिमा को हनुमानजी की ध्यान मुद्रा में माना जाता है, और कहा जाता है इस अवस्था में हनुमानजी एक ही जगह स्थिर रहते है तथा इससे भक्तों की मनोकामना भी स्थिर ही रह जाती है अर्थात वह आगे नहीं बढ़ पाती।
* ऐसा माना जाता है कि हनुमानजी के प्रति पूर्ण आस्था रखने वाले भक्त की सभी मनोरथ सिद्ध होती है, जो एक बार हनुमानजी की शरण में चले जाता है, हनुमानजी उनके कार्य सिद्ध होने तक उन पर अपनी कृपा करते हैं।
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सबसे सरल तरीका है हनुमान चालीसा का पाठ और हनुमान जी की आरती करना
हनुमान चालीसा
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै।शंकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।।
विद्यावान गुणी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर।।प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।।भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना।।जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा।और मनोरथ जो कोई लावै।सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों युग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता।।राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को भावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।।अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई।।संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे॥पैठि पाताल तोरि जम-कारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे॥सुर नर मुनि आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥जो हनुमानजी की आरती गावे। बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥
आज जरूर करे ये उपाय
* हनुमान जयंती के दिन किसी भी हनुमान मंदिर जाएं और बजरंगबली को केवड़े का इत्र, गुलाब की माला चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाकर 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें. इस उपाय से शनि की दशा से मुक्ति मिलती है और हनुमान जी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.
* हनुमान जी को सिंदूर बहुत प्रिय है. मान्यता है कि आज के दिन संकटों से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाएं. इससे बजरंगबली प्रसन्न होकर आरोग्य, सुख- समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
* आज के दिन हनुमान जी को गुलाब की माला और पीपल के 11 पत्तो पर श्री राम लिखकर चढ़ाये.
* कुंडली के दोष दूर करने के लिए हनुमान जयंती पर हनुमान जी को उड़द के 11 दाने, सिंदूर, चमेली का तेल, चढ़ाएं इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें.
* आज के दिन बजरंग बाण का पाठ करने से विशेष लाभ होता है.
”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।”