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भारत एक ऐसा देश है जिसमे, हर जाति, धर्म के लोग रहते है. सभी को संविधान मे, समान अधिकार प्राप्त है. हर जाति के लोग अपने, त्यौहार अपनी पद्धति से मनाते है. गुड फ्राइडे व ईस्टर बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है, क्रिश्चियन समुदाय के लोगो का. इसी के साथ गुड फ्राइडे शुक्रवार और ईस्टर रविवार को बनाया जाता है जो, क्रिश्चियन समाज के लिये बहुत पवित्र शुक्रवार व रविवार मे से एक है. यहाँ हम आपको गुड फ्राइडे की सम्पूर्ण जानकारी इन मुख्य बिन्दुओ के माध्यम से देंगे-
गुड फ्राइडे ईसाई धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला वह त्योहार है, जिसका नाम सुनने से लगता है कि यह कोई जश्न होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। गुड फ्राइडे को शोक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस साल गुड फ्राइडे 15 अप्रैल को है। कहते हैं जब यहूदी शासकों ने ईसा मसीह को तमाम शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने के बाद जब सूली पर चढ़ाया था तो उस दिन शुक्रवार था। चूंकि ईसा मसीह ने मानव जाति के लिए हंसते-हंसते अपना जीवन कुर्बान कर दिया, इसलिए इस शुक्रवार को ईसाई धर्म के लोग ‘गुड फ्राइडे’ के रूप में मनाते हैं। इस दिन को ये लोग कुर्बानी दिवस के रूप में मनाते हैं। जिस हफ्ते में गुड फ्राइडे आता है, उसेे बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसे ईस्टर वीक भी कहा जाता है। शुक्रवार के दिन ही प्रभु यीशु ने आखिरी बार खाना खाया था, इसी दिन उन्होंने अपना आखिरी उपदेश भी दिया था, लेकिन इसके ठीक तीसरे दिन यानी रविवार को प्रभु का दोबारा जन्म हुआ था।
क्या हमे गुड फ्राइडे 2022 की शुभकामनाएं देनी चाहिए?
नही, ये ईसाई धर्म के लोगो के लिए दुख का दिन है इस दिन उनके देवता ने यातनाएं सही उन्हें सूली पर चढ़ाया गया जिसके कारण इस दिन को हम सिर्फ Good Friday कहकर काम चला सकते है।
गुड फ्राइडे व ईस्टर का इतिहास
नाम : गुड फ्राइडे व ईस्टर
2022 में कब है : 15 अप्रैल
ईस्टर कब है : 17 अप्रैल
कौन मनाता है : ईसाई धर्म के लोग
गुड फ्राइडे किस समय मनाया जाता है : दिन के तीसरे पहर में शोक के रूप में
ईस्टर कैसे मनाते हैं : यह ख़ुशी का दिन होता है, इसमें लोग जश्न मनाते हैं.
गुड फ्राइडे का इतिहास
करीब 2003 साल पहले ईसा मसीह यरुशलम में रहकर मानवता के कल्याण के लिए भाईचारे, एकता और शांति के उपदेश देते थे। सभी लोगों ने उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र मानना शुरू कर दिया। इस वजह झूठे और पाखंडी धर्म गुरुओं ने ईसा मसीह के खिलाफ यहूदी शासकों के कान भरने शुरू कर दिए। फिर एक दिन उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाकर सूली पर चढ़ाए जाने का फरमान जारी कर दिया गया। इससे पहले उन्हें कांटों का ताज पहनाया गया। ईसा को सूली को कंधों पर उठाकर ले जाने के लिए विवश किया गया। आखिर में उन्हें बेरहमी से मारते हुए उन्हें कीलों से ठोकते हुए सूली पर लटका दिया गया। गुड फ्राइडे, एक ऐसा दिन था, जिस दिन, यीशु मसीह के सूली पर चड़ने और दफन होने की दुखद घटना घटित हुई थी. कहा जाता है कि, प्रभु यीशु ने बहुत कठिन उपवास किये, त्याग व आत्म बलिदान किया. आज लोग उसी का अनुसरण करते हुए उनके इस बलिदान को याद करते है , और उनके लिये उपवास रखते है।
गुड फ्राइडे का महत्व
ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे को दुःख, तपस्या और उपवास के रूप में मानते हैं। कुछ लोग इस दिन सिर्फ शाकाहारी भोजन ही करते हैं। इस दिन को काले दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। यह दिन यहूदी त्योहार फसह की शुरुआत के साथ भी मेल खाता है। बाइबिल के धर्मग्रंथों के अनुसार, रोमन यहूदी धार्मिक नेताओं ने गुड फ्राइडे के दिन प्रभु को सजा के लिए चुना था, इसलिए वो उन्हें रोम लेकर आए थे, बाद में यीशु को सूली पर चढ़ाने की सजा सुनाई गई, जिसे रोम की आपराधिक सजा का सर्वोच्च रूप माना जाता था। यह वही दिन था जब यीशु को पीटा गया और उन्हें लकड़ी के क्रॉस को ढोने के लिए मजबूर किया गया है। अंत में उसी क्रॉस पर उन्हें लटका कर उनकी कलाइयों और पैरों में कील ठोक दी गई थी। कई लोगों का मानना है कि इस दौरान प्रभु यीशु को बहुत तकलीफ हुई थी। उन्होंने सिर्फ लोगों के पापों को धोने के लिए इतना बड़ा बलिदान दिया था। इस घटना को शास्त्रों में महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक माना जाता है जिसके बाद यीशु को स्वर्ग में जगह मिली थी। यही वजह है कि गुड फ्राइडे पर कई लोग इस बात को मानते हैं कि किस तरह यीशु मसीह ने सब से प्यार किया और मानवता के लिए अपने जीवन का बलिदान दे दिया। कुछ लोग मानते हैं कि गुड फ्राइडे ‘गॉड्स फ्राइडे’ शब्द से आया है, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि गुड फ्राइडे का अर्थ पवित्र होता है। ईसाई धर्म में इस दिन का बड़ा ही महत्व होता है। प्रत्येक वर्ष यह याद दिलाता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है चाहे फिर सच्चे लोगों को कितनी ही मुश्किलों का सामना करना पड़े। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्यक्ति को अपने पापो से मुक्ति मिलती है और ईश्वर उन्हें माफ करते हैं। साथ ही उनके जीवन में आने वाली बाधाएं भी दूर होती है। यह दिन हर किसी को एक नई शुरुआत की उम्मीद देता है।
गुड फ्राइडे के तथ्य
यीशु को मानवता की खातिर क्रूस पर चढ़ाया गया था. गुड फ्राइडे पश्चल त्रिदूम का एक पार्ट है. गुड फ्राइडे का महत्व तो एक ही है, प्रभु यीशु के इस बलिदान को ध्यान मे रखा जाता है. और उनकी याद मे बनाया जाता है परन्तु, तरीके कभी-कभी चर्च मे थोड़े बदल जाते है. काले कपडे पहन कर चर्च जाते है, इस दिन कैंडल नही जलाई जाती है. सभी अपने-अपने हिसाब से, गॉड को याद करते है. कोई बीजारोपण करता है, कोई प्रेयर करता है , कोई बाइबिल है. इसके अलावा भी लोग कुछ ना कुछ करके यह दिन गॉड को समर्पित करते है।
क्या है चालीसा
गुड फ्राइडे की शुरुआत ऐश वेडनेसडे (Ash wednesday) से होती है. इसी दिन से चालीसा यानी lent की शुरुआत होती है. कई लोग 40 दिनों तक उपवास रखते हैं वहीं कुछ लोग हर शुक्रवार को उपवास रखते हैं. इन 40 दिनों में पड़ने वाले हर शुक्रवार को क्रूस रास्ता निकाला जाता है. क्रूस रास्ता के दौरान उन पलों को याद किया जाता है जब जीसस ने क्रूस ढोया था।
गुड फ्राइडे सेलिब्रेशन के तरीके
गुड फ्राइडे एक तरह का शोक का दिन है, यह तीसरे पहर मे चर्च मे मनाया जाता है क्योंकि, कहा जाता यीशु के प्राण, तीन बजे के आस-पास निकले थे. यह तीन घंटे तक मनाया जाता है, इसमें भगवान के लिये प्रेयर कर उन्हें याद किया जाता है।
ये थे ईसा मसीह के आखिरी शब्द
सूली पर लटकाने से पहले कांटों का ताज तक पहना दिया तो भी उनके मुख से सभी के लिए सिर्फ क्षमा और कल्याण के संदेश ही निकले। यह उनके क्षमा की शक्ति की अद्भुत मिसाल मानी गई। प्रभु यीशु के मुख से मृत्यु पूर्व ये मार्मिक शब्द निकले, ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे है।
आखिरी वक्त में आया ऐसा जलजला
ईसाई धर्म के पवित्र बाइबिल में यीशू को सूली पर चढ़ाए जाने की घटना के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है। प्रभु यीशु को पूरे 6 घंटे तक सूली पर लटकाया गया था। बताया जाता है कि आखिरी के 3 घंटों में चारों ओर अंधेरा छा गया था। जब यीशु के प्राण निकले तो एक जलजला सा आया। कब्रों की कपाटें टूटकर खुल गईं। दिन में अंधेरा हो गया। माना जाता है कि इसी वजह से गुड फ्राइडे के दिन चर्च में दोपहर में करीब 3 बजे प्रार्थना सभाएं होती हैं। मगर किसी भी प्रकार का समारोह नहीं होता है।
हर साल बदलती है तारीख
गुड फ्राइडे पर्व की तारीख हर साल बदलती रहती है. गुड फ्राइडे के एक दिन पहले यानी कि गुरुवार को ही इस पर्व की शुरुआत हो जाती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन ईसा मसीह ने अपने 12 शिष्यों के पैर धोए और उनके साथ अंतिम बार भोजन किया था. इसी की याद में चर्च के फादर 12 लोगों के पैर धोते है. वहीं ईसाइयो के धर्म गुरु पोप भी वेटिकन सिटी में 12 लोगो के पैर धोते और चूमते हैं. इस दिन लोग उपवास रहते है और चर्च में प्रार्थना सभा में भाग लेते हैं. इसके अलावा चर्च में झांकी भी सजाई जाती है.
2 दिन बाद ईस्टर संडे
गुड फ्राइडे ईसाई समुदाय का प्रमुख त्योहार है. इसे ईस्टर संडे से पहले शुक्रवार को ही मनाया जाता है. ईसाई समुदाय के लोग ईसा मसीह को मानते हैं और इस दिन उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था. ईसा मसीह को सूली चढ़ाने के 2 बाद ही रविवार को फिर जिंदा हो उठे थे, जिसकी ख़ुशी में ईस्टर संडे मनाया जाता है।
विश्व मे गुड फ्राइडे व ईस्टर सेलिब्रेशन
भारत मे ही नही बल्कि, सम्पूर्ण विश्व मे गुड फ्राइडे और ईस्टर को सेलिब्रेट किया जाता है. भारत मे भी आजादी के पूर्व , ब्रिटिश काल से यह सेलिब्रेशन चला आरहा है. देखा जाये तो, क्रिश्चियन लोग भारत मे, कुल आबादी के दो प्रतिशत ही थे उस समय तो. परन्तु फिर भी, यह त्यौहार जहा गुड फ्राइडे को शांति से बनाते है वही ईस्टर को उतनी ही धूम-धाम से बनाया जाता था. भारत मे मुख्य रूप से मुंबई , गोवा और पूरे भारत मे जहा भी , अधिकतर क्रिश्चियन लोग निवास करते है. यहा चर्च को विशेष रूप से, सजाया जाता है. गुड फ्राइडे व ईस्टर को बनाने वाले सभी लोग इस दिन चर्च मे जाते है, और उनके धर्म से संबंधित गीत गाते है, प्रार्थना करते है ,कही जगह नृत्य और ,अन्य कार्यक्रम के अयोजन होते है. सभी एक दूसरे को गिफ्ट्स, फ्लावर्स , कार्ड, चोकलेट, केक देकर विश करते है. सुबह से शाम तक पार्टी चलती है ईस्टर मे जिसमे, पारंपरिक लोकप्रिय लंच-डिनर होता है. इस प्रकार अन्य देशों की तरह भारत मे ,भी बड़े उत्साह के साथ गुड फ्राइडे और ईस्टर का सेलिब्रेशन होता है. तथा विश्व के सभी बड़े देश जैसे- आस्ट्रेलिया,ब्राजील,इटली,इंग्लैंड,जर्मनी जैसे सभी देशों मे जहा क्रिश्चियन समाज है गुड फ्राइडे और ईस्टर को बनाते है।
गुड फ्राइडे का संदेश
गुड फ्राइडे के जरिए जन-जन में प्रेम, आदर, मानवता, क्षमा प्रार्थना और बलिदान इत्यादि का संदेश पहुंचाया जाता है। यीशु के क्षमा की बराबरी कोई नहीं कर सकता। ईसा मसीह के साथ बहुत अमानविय अत्याचार हुआ। उन्हें बहुत शारीरिक यातनाएं दी गई। यहां तक कि उनके हाथ पैर में किल्ले ठोक दिए गए। फिर भी मरते वक्त इन्होंने इन्हें सताने और यातना देने वाले लोगों के प्रति क्षमा की भावना रखते हुए परमेश्वर से उन्हें क्षमा करने की प्रार्थना करते हैं। उनके द्वारा ईश्वर से कहा गया कथन है ‘ईश्वर इन्हें क्षमा करना, इन्हें नहीं पता यह क्या कर रहे हैं’ यह कथन अहिंसा, प्रेम और शांति को दर्शाता है।
”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।”