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हर साल 24 मार्च के दिन विश्व तपेदिक या क्षयरोग (टीबी) दिवस मनाया जाता है, इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य वैश्विक टीबी महामारी को समाप्त करने के प्रयासों को तेज करने और इसके विनाशकारी परिणामों के बारे में जागरूक करना है। टी.बी. का पूरा नाम है ‘ट्यूबरकुल बेसिलाइ‘ है, यह ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया से होने वाली एक बीमारी है जो ज्यादातर फेफड़ों में होती है। जो हवा के जरिए छींकने या खांसने के दौरान एक दूसरे में फैलती है तथा फेफड़ों के अलावा मुंह, लिवर, गले, दिमाग, किडनी या यूट्रस में भी हो सकती है परंतु इस तरह की टीबी इंसानों से एक दूसरे में नहीं फैलती। टीबी का इलाज संभव है परंतु यह इतनी खतरनाक इसलिए मानी जाती है क्योंकि टीबी शरीर के जिस हिस्से में होती है वह उस हिस्से को धीरे धीरे बेकार करना शुरू कर देती है।
टीबी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बिमारियों में से एक है| हर दिन, लगभग 28,000 लोग टीबी की चपेट में आते हैं और 4100 से अधिक लोग टीबी के कारण अपनी जान गंवा देते हैं| इस रोकथाम योग्य और इलाज योग्य बीमारी से निपटने के वैश्विक प्रयासों ने वर्ष 2000 के बाद से अनुमानित 6.6 लोगों की जान बचाई है| हालांकि एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी ने टीबी को समाप्त करने की लड़ाई में वर्षों की प्रगति पर असर डाला है| एक दशक में पहली बार, 2020 में टीबी से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई| वैश्विक ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) महामारी को समाप्त करने के प्रयासों को बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष एक दिन विश्व टीबी डे मनाया जाता है| आइये जानते हैं विश्व टीबी दिवस (World TB Day 2022) कब मनाया जाता है और क्या है इस वर्ष की थीम।
ट्यूबरक्लोसिस क्या होता है
ट्यूबरकोलॉसिस एक संक्रामक रोग है| आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करने वाली यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया और उसके प्रकारों से होती है| टीबी का बैक्टीरिया सांस से, छींकने या खांसने पर मुंह से निकले कणों से फ़ैल सकता है| टीबी बीमारी के बारे में जागरूकता होना बहुत जरुरी होता है| सही जानकारी के अभाव में रोगी टीबी के लक्षणों को लंबे समय तक नजरअंदाज करते रहते हैं| सही समय पर पूरा इलाज कराने से टीबी पूरी तरह से ठीक हो जाती है|ट्यूबरकोलॉसिस को शार्ट फॉर्म में TB (टीबी) कहते हैं (Full Form of TB)| हिंदी में इसे यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी कहते हैं (Tuberculosis meaning in Hindi)|
विश्व टीबी दिवस कब मनाया जाता है
वैश्विक स्तर पर लोगों को तपेदिक (टी.बी) जैसे जानलेवा रोग के बारे में जागरूक करने और इसे खत्म करने के प्रयास से हर साल 24 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा चिन्हित ‘विश्व टीबी दिवस‘ मनाया जाता है। विश्व तपेदिक दिवस 24 मार्च 1882 के उस दिन की याद दिलाता है, जब डॉक्टर रॉबर्ट कोच (Dr. Robert Koch) द्वारा यह घोषित किया गया कि उन्होंने टीबी का कारण बनने वाले जीवाणु ‘ट्यूबरकल बेसिलस‘ की खोज कर ली है। बाद में उनकी इस खोज ने तपेदिक (टीबी) जैसी जानलेवा बीमारी का इलाज ढूँढने में काफी सहायता की।
विश्व टीबी दिवस का इतिहास
जर्मन फिजिशियन और माइक्रोबायोलॉजिस्ट रॉबर्ट कॉच ने 24 मार्च 1882 को टीबी के बैक्टीरियम यानी जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्युबरक्लोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) की खोज की थी.।इस योगदान हेतु इस जर्मन माइक्रोबायोलॉजिस्ट को साल 1905 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया. यही कारण है कि प्रत्येक साल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) टीबी के सामाजिक, आर्थिक और सेहत हेतु हानिकारक नतीजों पर दुनिया में पब्लिक जागरूकता फैलाने और दुनिया से टीबी के खात्मे की कोशिशों में तेजी लाने के लिए ये दिन मनाता आ रहा है. वर्ष 1982 में, रॉबर्ट कोच की प्रस्तुति की 100वीं वर्षगांठ पर, इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस एंड लंग डिजीज (IUATLD) ने प्रस्ताव दिया कि 24 मार्च को आधिकारिक तौर पर विश्व टीबी दिवस घोषित किया जाए। परन्तु इसे 1 दशक से ज्यादा समय तक बड़े संगठनों का साथ नहीं मिला अंततः 1996 में विश्व स्वाथ्य संगठन (WHO) ने टीबी को नियंत्रित करने की लड़ाई में इस महत्वपूर्ण दिन के प्रभाव को बढाने के लिए IUATLD और अन्य सम्बंधित संगठनों के साथ जुड़ गया। और सभी प्रतिभागियों ने दुनियाभर में विश्व टीवी दिवस मनाने की योजना को अपनाया। जिसके बाद विश्व टीबी दिवस को सफल बनाने के लिए 1997 में, डब्ल्यूएचओ ने बर्लिन में एक समाचार सम्मेलन आयोजित किया जहाँ डॉट्स को उस दशक की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सफलता बताया गया और इस वर्ष की थीम Use DOTS more widely रखी गयी।
विश्व टीबी दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट की माने तो हर दिन 4100 से ज्यादा लोग टीबी की बीमारी से अपनी जान गवा देते हैं, साथ ही 30,000 से ज्यादा लोग इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में लोगों को इस जानलेवा बीमारी से बचाने और उन्हें जागरूक करने के लिए ही विश्व क्षयरोग दिवस मनाया जाता है।
* टीबी को समाप्त करने के वैश्विक प्रयासों द्वारा साल 2000 और 2020 के बीच 66,000,000 जीवन बचाए गए।
* 2020 में टीबी से बीमार होने वाले लोगों की संख्या लगभग 1 करोड़ थी।
* 2020 में 15 लाख़ लोग टीबी से मर गए थे। साथ ही 214000 लोग ऐसे भी थे जिन्हें HIV था।
* वैश्विक क्षयरोग (टीबी) रिपोर्ट 2020 के अनुसार वर्ष 2019 में टीबी विकसित करने वाले देशों में भारत की 26% हिस्सेदारी है जो इसे एशिया का सबसे ज्यादा प्रभावित देश बनाता है।
* वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2020 की माने तो भारत में इस रोग के कुल 26,40,000 मरीज है।
* जहाँ दुनिया ने 2030 तक टीबी का उन्मूलन करने का लक्ष्य रखा है, तो वही भारत का लक्ष्य 2025 तक टीबी मुक्त होना है।
* 2020 में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान तपेदिक (क्षयरोग) के मरीज़ों की नोटिफ़िकेशन में 26%-30% की कमी दर्ज की गयी थी।
टीबी का सबसे अधिक खतरा किसे
डब्ल्यूएचओ के अनुसार टीबी के 95 फीसदी मामले विकसित देशों में सामने आते हैं। एचआईवी से संक्रमित मरीजों में टीबी होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा रोग प्रतिरोधक तंत्र से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे लोगों को टीबी का जीवाणु तेजी से जकड़ता है। कुपोषित लोग इस जीवाणु के आसान शिकार होते हैं। वर्ष 2019 में 19 लाख कुपोषित लोगों को टीबी हुआ। शराब पीने वाले 7.4 और सिगरेट पीने वाले 7.3 लाख लोग टीबी की चपेट में आए थे।
टीबी से जुडे़ कुछ खास तथ्य:
1. टीबी का मरीज जिसे ड्रग रेजिस्टेंट टीबी होता है उसमें से तीन में से एक मरीज को ही समय पर सही उपचार मिल पाता है।
2. दुनिया के 30 देशों में टीबी के 86 फीसदी मरीज, भारत, चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका में एक तिहाई रोगी।
3. टीबी के मामलों में हर साल औसतन दो फीसदी की गिरावट देखी जा रही है। वर्ष 2015 से 2020 के बीच कुल 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
4. एक करोड़ लोग टीबी की चपेट में आए दुनियाभर में वर्ष 2020 में, इसमें 56 लाख पुरुष और 33 लाख महिलाएं और 11 लाख बच्चे थे।
5. टीबी की बीमारी दुनिया के अभी सभी देशों में है और इसकी चपेट में हर उम्र वर्ग के लोग आ रहे हैं। (आंकड़े: डब्ल्यूएचओ)
दावा: हजारों साल पहले नर कंकालों में मिला था जीवाणु
पुरातत्तविदों की मानें तो मनुष्यों में टीबी का पहला मामला नौ हजार साल पहले इस्राइल के अतलित यम में पाया गया था। भू-वैज्ञानिकों ने जमीन में दफन मां और बच्चे के कंकालों में टीबी के जीवाणु मिले थे। वहीं भारत में यह बीमारी 3300 साल पहले जबिक चीन में 2300 वर्ष पुरानी मानी जाती है। टीबी को लेकर दुनिया की पहली रिपोर्ट 1893 में न्यूयॉर्क से प्रकाशित हुई थी। सीडीसी ने राष्ट्रीय स्तर पर पहली रिपोर्ट 1953 में प्रकाशित की थी।
महामारी ने खड़ी की नई चुनौती
डब्ल्यूएचओ के अनुसार वर्ष 2000 से 2020 के बीच टीबी के बेहतर जांच और इलाज के बलबूते दुनियाभर में 6.60 करोड़ लोगों का जीवन बचाया जा चुका है। कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद टीबी के रोगियों की मुश्किल बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार 15 साल से कम उम्र के 63 फीसदी किशोरों को समय पर उपचार नहीं मिल सका है। वहीं पांच साल से कम उम्र के 72 फीसदी बच्चों को टीबी से बचाव के लिए जरूरी उपचार नहीं मिला है जो एक बड़ा खतरा है।
देश में 2025 तक टीबी के अंत का लक्ष्य
केंद्र सरकार ने देश से 2025 तक टीबी को पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया विश्व टीबी दिवस के मौके पर विज्ञान भवन में स्टेप-अप टू एंड टीबी का उद्धाटन करेंगे। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में ऐलान किया था कि देश को 2025 में टीबी मुक्त बनाना है। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने सतत विकास लक्ष्य के तहत टीबी को 2030 तक पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य रखा है।
विश्व टीबी दिवस 2022 की थीम
विश्व टीबी दिवस 2022 का विषय “टीबी को समाप्त करने के लिए निवेश करें” है| “Invest to End TB, Save Lives” इस साल का विषय टीबी के खिलाफ लड़ाई को बढ़ाने और वैश्विक नेताओं द्वारा की गई टीबी को समाप्त करने की प्रतिबद्धताओं को हासिल करने के लिए संसाधनों का निवेश करने की तत्काल आवश्यकता को व्यक्त करता है| यह विशेष रूप से कोविड -19 महामारी के संदर्भ में महत्वपूर्ण है जिसने टीबी की प्रगति को खतरे में डाल दिया है| अधिक निवेश से लाखों और लोगों की जान बच सकती है, जिससे टीबी महामारी को पूरी तरह से खत्म करने के प्रयासों में तेजी आएगी| टीबी एचआईवी से ग्रस्त लोगों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है| विश्व टीबी दिवस इस बीमारी से प्रभावित लोगों पर ध्यान केंद्रित करने और टीबी की पीड़ा और मौतों को समाप्त करने के लिए त्वरित कार्रवाई का आह्वान करने का एक अवसर प्रदान करता है| पिछले साल तपेदिक दिवस 2021 की थीम ‘घड़ी चल रही है‘ (The Clock Is Ticking) थी। और World Tuberculosis Day 2020 की Theme ‘It’s time to End TB’ (यह टीबी खत्म करने का समय है) थी।
वर्ल्ड ट्यूबरक्लोसिस डे की थीमें:
साल थीम
2022 टीबी को खत्म करने के लिए निवेश करें, जीवन बचाए
2021 घड़ी चल रही है
2020 यह टीबी खत्म करने का समय है
2019 यह समय है
2018 वांटेड: टीबी मुक्त दुनिया के लिए नेतृत्वकर्ता
2017 यूनाइट टू एंड टीबी
2016 टीबी खत्म करने के लिए एकजुट हों
2015 टीबी खत्म करने के लिए कमर कस लें
2014 तीन मिलियन तक पहुंचें: सभी के लिए एक टीबी परीक्षण, उपचार और इलाज
2013 मेरे जीवनकाल में टीबी बंद करो
2012 टीबी से मुक्त दुनिया के लिए कॉल करें
2011 उन्मूलन की ओर लड़ाई को बदलना
2010 कार्रवाई में तेजी लाने के लिए नवाचार करें
टी. बी. के कुछ प्रकार
फुफ्सीय टीबी – टी. बी. रोग के इस प्रकार को पहचानने में कठिनाई होती हैं. यह अंदर ही अंदर बढ़ता रहता हैं . यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता हैं।
पेट का टीबी – टी. बी. रोग के इस प्रकार से पेट सम्बन्धी तकलीफे शुरू होती हैं जसे कि बार-बार दस्त जाना, पेट में दर्द, पेट में मरोड़ आदि।
हड्डी का टीबी – टी. बी. रोग के इस प्रकार को आसानी से पहचाना जा सकता हैं. हड्डी में होने वाले क्षय रोग के कारण हड्डियों में घाव पड़ जाते हैं जो कि इलाज के बाद भी आसानी से ठीक नहीं होते हैं. शरीर में जगह-जगह फोड़े-फुंसियां होना भी हड्डी क्षयरोग के लक्ष्ण हैं.
विश्व टीबी दिवस कैसे मनाया जाता है?
वर्ल्ड ट्यूबरक्लोसिस डे के अवसर पर लोगों के बीच जाकर तपेदिक (क्षयरोग) के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं और लोगों को टीबी जैसी खतरनाक बीमारी से बचने और इसे फैलने से रोकने सम्बन्धित कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। साथ ही इस दिन टीबी जैसी घातक बीमारी को हमेशा के लिए खत्म करने का संकल्प भी किया जाता है। भारत में सरकार द्वारा चलाए जाने वाले डॉट्स सेंटर पर भी लोगों को टीबी के लक्षणों और इसके इलाज के बारे में जानकारी दी जाती है।
टीबी के लक्षण, बचने के उपाय और इलाज:
क्षयरोग रोग के लक्षण
* 3 हफ्ते से ज्यादा खांसी आना,
* खांसी के साथ बलगम आना,
* कभी कबार खांसी में खून आना,
* वजन में निरंतर कमी आना,
* भूख लगना कम होना,
* शाम या रात के समय बुखार चढ़ना,
* सांस लेने में परेशानी होना या सांस लेते समय सीने में दर्द होना आदि।
टीबी से बचाव के घरेलू उपाय
* संतरे के जूस में नमक और शहद मिलाकर सुबह-शाम पिएं।
* काली मिर्च फेफड़ों में जमा कफ और खांसी को दूर करती है। मक्खन में 8 से 10 काली मिर्च फ्राई करें, एक चुटकी हींग मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को तीन बराबर भागों में बांटकर दिन में सात-आठ बार लें।
* अखरोट को पीसकर पाउडर बना लें। पाउडर में कुछ पिसे हुए लहसुन मिलाएं। अब इसमें घर में बना हुआ ताजा मक्खन मिलाकर खाएं।
* कच्चे आंवले को पीसकर जूस बना लें। इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर रोजाना सुबह पीने से फायदा होगा।
* एक पके केले को मसलकर नारियल पानी में मिलाएं। फिर शहद और दही मिलाएं। इसे दिन में दो बार खाएं।
* लहसुन में सल्फ्यूरिक एसिड होता है, जो टीबी के कीटाणु को खत्म करने में अहम है। आधा चम्मच लहसुन, एक कप दूध, चार कप पानी को एक साथ उबालें। यह मिश्रण चौथाई रह जाए तो तीन बार पिएं।
टीबी से बचने के उपाय
यह हवा से फैलने वाली बीमारी है इसीलिए संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें और भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें।
* 3 हफ्ते से ज्यादा खांसी आने पर बलगम की जांच अवश्य कराएं।
* अगर आपको टीबी हो गई है तो इसका पूरा कोर्स करें बीच में ही दवाई लेना ना बंद करें।
* टीबी का इलाज संभव है इसीलिए घबराए नहीं सरकारी अस्पताल जाकर अपना इलाज मुफ्त कराएं।
* अस्पताल या किसी सार्वजनिक जगह पर जाते समय मुंह को ढक कर रखें।
टीबी का इलाज
टीबी के लक्षण आसानी से पहचाने जाने वाले है, ऐसे में अगर सही समय पर तपेदिक (TB) के लक्षणों की पहचान हो जाती है, तो इसका इलाज करवा कर जल्दी ही इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
* भारत में सरकार हस्पतालों में टीबी की जांच या इलाज के लिए पैसे देने नहीं देने होते। इसके लिए डॉट्स सेंटर या सरकारी अस्पताल जाकर मरीज अपना इलाज करा सकते हैं।
* इसका कोर्स 6 से 8 महीने का होता है, आपको पूरी तरह से ठीक होने के लिए टीबी का पूरा कोर्स करना चाहिए नहीं तो यह आपको दोबारा भी हो सकता है।
जागरूकता है बहुत जरूरीटी
बी के प्रति उचित जानकारी न होना एक जानलेवा स्थिति पैदा कर सकती है। यह एक जानलेवा रोग है और इसका समय पर इलाज न किए जाने पर यह मरीज की स्थिति को गंभीर बना सकता है जो उसकी मृत्यु का कारण बन सकती है। टीबी कैसे फैलता है इसका उचित इलाज क्या है और इससे बचाव कैसे करना है आदि से जुड़ी बातों की जानकारी होना ही इससे बचने का अच्छा तरीका है।
डॉक्टर से जांच है जरूरी
यदि आपको या परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो रही है, तो यह टीबी का संकेत होता है और ऐसे में जल्द से जल्द डॉक्टर से जांच करा लेनी चाहिए। साथ ही यदि आपको बार-बार बुखार या अन्य कोई स्वास्थ्य समस्या हो रही है, तो भी एक बार डॉक्टर से जांच करवा लें।
दोस्तों आपको TB से घबराने की आवश्यकता नहीं है भारत में इसका पक्का इलाज मौजूद है आप Dots से हाथ मिलाकर TB को ना कह सकते है। साथ ही ऊपर बताई गयी बातों का भी आप ख़ास ख्याल रखें, जिससे इस जानलेवा बिमारी को हराया जा सके।