शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आपको सभी विटामिन और मिनिरल्स की जरूरत होती है. ऐसे में कई बार लोगों को विटामिन की कमी होने के बारे में पता नहीं चल पाता है. कई लोगों में खून की कमी हो जाती है लेकिन इसे समझ नहीं पाते हैं. शरीर में खून की कमी होने से चक्कर आना, कमजोरी और बेहोशी जैसी समस्याएं होने लगती हैं. इसके पीछे वजह है कि जब शरीर में लाल रक्त कण सामान्य से कम होने लगते हैं तो शरीर में खून की कमी हो जाती है. ऐसी स्थिति में आपके शरीर में एनिमिया (Anemia) की समस्या हो जाती है. शरीर में खून की कमी होने पर अगर सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो इससे कई तरह की गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. एनीमिया होने की वजह शरीर में आयरन (Iron) की कमी को माना जाता है. आइए जानते हैं शरीर में खून की कमी होने के लक्षण और कैसे खून की कमी पूरी करें।
एनीमिया –
एनीमिया तब होता है जब रक्त में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन नहीं होता है। हीमोग्लोबिन रक्त की कोशिकाओं के लिए ऑक्सीजन आबद्ध करने के लिए आवश्यक है। यदि आपके पास कम या असामान्य लाल रक्त कोशिकाएं हों या आपका हीमोग्लोबिन कम या असामान्य हो तो आपके शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलेगा। एनीमिया के लक्षण जैसे थकान तब महसूस होते हैं जब शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता है। महिलाओं, बच्चो और लंबे समय से चल रही बिमारियों से पीड़ित लोगों को एनीमिया आसानी से हो सकता है। भारत में एनीमिया के हर साल 1 करोड़ मामले होते हैं। एनीमिया के कई प्रकार हो सकते हैं। सबके कारण और उपचार अलग होते हैं। आयरन की कमी के कारण होने वाला एनीमिया सबसे सामान्य है और इसका उपचार आहार बदलने और आयरन युक्त आहार से किया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले एनीमिया को कुछ हद तक सामान्य समझा जाता है। तथापि कुछ प्रकार एनीमिया के कारण ज़िन्दगी भर स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं हो सकती हैं।
एनीमिया क्यों होता है ?
एनीमिया पोषण के कमी के अलावा और बहुत सारे कारण होते हैं जिनमें ये प्रमुख हैं-
* एनीमिया के वंशानुगत रुप है और शिशु जन्म लेने के बाद ही स्थिति से पीड़ित हो सकते हैं।
* कुछ चिकित्सीय स्थितियों के कारण भी एनीमिया हो सकता है जैसे पोषक तत्वों से रहित आहार भी एक प्रमुख कारक है।
* एनीमिया का सबसे मुख्य रुप शरीर में लोह तत्व की कमी एनीमिया है जिसे आसानी से आहार में बदलाव और आयरन की खुराक प्रदान करने के साथ इलाज किया जा सकता है।
* एनीमिया का सबसे बढ़ा कारण आर.ब.सी के असामान्य उत्पादन से होता है।
* लाल रक्त कोशिकाओं की कमी रक्तस्राव के कारण हो सकती है, जो अक्सर समय के साथ इस प्रकार का गंभीर रक्तस्राव निम्नलिखित कारणों की वजह से हो सकता है।
* जठरात्र से संबंधित समस्याएं जैसे- अल्सर, बवासीर, जठर-शोथ और कैंसर।
* महिलाओं में मासिक धर्म और प्रसव, खास तौर से जब मासिक धर्म में अत्यधिक खून बह रहा हो और कई बार गर्भावस्था हुई हो।
* यदि आप गर्भवती हों और फोलिक एसिड के साथ मल्टी विटामिन न लेती हो तो आपको एनीमिया होने का जोखिम हो सकता है।
* जिन लोगों की उम्र 65 वर्ष से अधिक होती है, उन्हें एनीमिया होने का जोखिम होता है।
* पुरुषों की तुलना में महिलाएं एनीमिया की अधिक शिकार बनती हैं। आजकल के युग में लड़कियों में डाइटिंग का ट्रेन्ड चला है, जिससे यह लड़कियां एनीमिया की शिकार बनती जा रही हैं।
* दूध पिलाने वाली महिलाओं को भी एनीमिया हेने का खतरा बना रहता है।
* मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्त निकलने से एनीमिया हो सकता है।
* गर्भाशय का ट्यूमर होने से भी एनीमिया हो सकता है।
* दूध पिलाने वाली महिलाओं को भी एनीमिया होने का खतरा बना रहता है।
* हेल्दी महिला के शरीर में हीमोग्लोबिन का नार्मल लेवल 11 gm/dl होता है।
खून की कमी (एनीमिया) के प्रकार
एनीमिया के सात प्रकार होते हैं –
1. आयरन की कमी के कारण एनीमिया – यह एनीमिया का सामान्य प्रकार है जो आमतौर पर तब होता है जब बहुत समय से मासिक धर्म के कारण खून की अत्यधिक कमी हो रही होती है। गर्भावस्था में भ्रूण (फीटस) के विकास और, बच्चो में बचपन और किशोरावस्था में विकास के लिए आयरन की ज़्यादा ज़रुरत के कारण भी आयरन की कमी के कारण एनीमिया हो सकता है।
2. एप्लास्टिक एनीमिया – एप्लास्टिक एनीमिया रक्त का एक विकार है जिस कारण शरीर की हड्डियों की मज्जा पर्याप्त रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता है। इस कारण स्वास्थ्य सम्बंधित कई समस्याएं जैसे एरिथमिया (असामान्य दिल की धड़कन), हृदय के आकार में वृद्धि, हार्ट फेल होना, संक्रमण और रक्तस्त्राव हो सकता है। यह अचानक या धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ गंभीर हो जाता है, जब तक कि इसका इलाज नहीं किया जाता है।
3. हीमोलिटिक एनीमिया – हेमोलिटिक एनीमिया तब होता है जब सामान्य जीवन काल के समाप्त होने से पहले ही लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं या रक्तधारा में नहीं होती हैं। कई बिमारियों, स्तिथियों और कारकों के कारण शरीर लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है। हीमोलिटिक एनीमिया से कई गंभीर स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं जैसे थकान, दर्द, एरिथमिया, हृदय के आकार में वृद्धि, दिल की विफलता हो सकती हैं।
4. थैलेसीमिया – थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रक्त विकार है जिस कारण शरीर कम लाल रक्त कोशिकाएं और हीमोग्लोबिन (लाल रक्त कोशिकाओं में एक आयरन युक्त प्रोटीन) बनाता है।
5. सिकल सेल एनीमिया – सिकल सेल एनीमिया एक गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर दरांती के आकृति जैसी लाल रक्त कोशिकाएं बनाता है। सामान्य लाल रक्त कोशिकाएं की आकृति डिस्क जैसी होती है जिस कारण वह रक्त वाहिकाओं के ज़रिये आसानी से उत्तीर्ण होता है।
6. परनिशियस एनीमिया – परनिशियस एनीमिया में शरीर पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता है क्योंकि शरीर में पर्याप्त विटामिन बी12 नहीं होता है। जिन लोगों को परनिशियस एनीमिया होता है वह शरीर में एक प्रकार के प्रोटीन की कमी के कारण पर्याप्त विटामिन बी12 का अवशोषण नहीं कर पाते हैं। विटामिन बी12 की कमी कई ओर स्तिथियों और कारकों के कारण भी हो सकती है।
7. फेंकोनाइ एनीमिया (एफ.ए.) – एक अनुवांशिक रक्त विकार है जिस कारण हड्डियों की मज्जा की विफलता हो सकती है। एफ.ए. एप्लास्टिक एनीमिया का एक प्रकार है जो हड्डियों की मज्जा को नई रक्त कोशिकाएं नहीं बनाने देता है। एफ.ए. के कारण हड्डियों की मज्जा कई असामान्य रक्त कोशिकाएं बनाता है। इस कारण ल्यूकेमिया जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
खून की कमी (एनीमिया) के लक्षण –
एनीमिया के लक्षण आपको हुए एनीमिया के प्रकार पर निर्भर करेंगे।
एनीमिया के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं –
एनीमिया होने में शरीर में रक्त की कमी होने के साथ-साथ ये लक्षण मूल रूप से महसूस होते हैं-
* काम करते समय जल्दी थक जाना।
*.सीढ़ियां चढ़ते समय सांस फूलना।
* दिनभर कमजोरी महसूस होना।
* अधिकतर समय सांस लेने में कमजोरी होती है।
* आंखों के सामने अंधेरा छाना।
* चक्कर आना।
* सीने और सिर में दर्द होना।
* पैरों के तलवों और हथेलियों का ठंडा होना।
* आँखों का पीलापन, एनीमिया दर्शाने का सर्वोत्तम तरीका है।
* एनीमिया की वजह से आपके बाल भी झड़ सकते हैं।
* त्वचा का पीला होना
* दिल की धड़कन का असामान्य होना
* सीने में दर्द होना
* हाथों और पैरों का ठंडा होना
* सिरदर्द
* शुरुआत में एनीमिया के लक्षण नज़रअंदाज़ हो जाते हैं लेकिन जैसे-जैसे एनीमिया गंभीर होने लगता है, उसके लक्षण भी गंभीर हो जाते हैं।
खून की कमी (एनीमिया) के कारण –
एनीमिया के 400 प्रकार होते हैं, जिसे 3 क्षेत्रों में बांटा जा सकता है:
रक्त की कमी के कारण एनीमिया – लाल रक्त कोशिकाओं की कमी रक्तस्त्राव के कारण हो सकती है, जो अक्सर धीरे-धीरे समय के साथ हो सकता है, और नज़रन्दाज़ हो सकता है। इस प्रकार का गंभीर रक्तस्त्राव निम्नलिखित कारणों की वजह से हो सकता है:
* जठरांत्र सम्बंधित समस्याएं जैसे अलसर, बवासीर, जठरशोथ (पेट की सूजन), और कैंसर।
* एनएसएआईडी जैसे एस्पिरिनऔर इबूप्रोफेन का इस्तेमाल करने से अलसर और जठरशोथ हो सकता है।
* महिलाओं में मासिक धर्म और प्रसव, ख़ास तौर से तब जब मासिक धर्म में अत्यधिक खून बह रहा हो और कई बार गर्भावस्था हुई हो।
दोषपूर्ण लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के कारण एनीमिया
इस प्रकार के एनीमिया में रक्त कोशिकाओं का उत्पादन कम होता है या रक्त कोशिकाएं ढंग से काम नहीं करती हैं। विटामिन और खनिज की कमी और असामान्य लाल रक्त कोशिकाओं के कारण लाल रक्त कोशिकाएं दोशपूर्व या कम होती हैं। इन स्तिथियों से सम्बंधित एनीमिया इस प्रकार हैं:
* सिकल सेल एनीमिया
* आयरन की कमी के कारण एनीमिया
* विटामिन की कमी
* हड्डियों की मज्जा और स्टेम सेल में समस्याएं
* अन्य स्वास्थ सम्बंधित समस्याएं
हड्डियों की मज्जा और स्टेम सेल में समस्याएं
हड्डियों की मज्जा और स्टेम सेल में समस्याओं के कारण शरीर पर्याप्त लाल कोशिकाओं का उत्पादन नहीं कर पाता है। हड्डियों की मज्जा में पाए जाने वाले कुछ स्टेम सेल लाला रक्त कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाते हैं। यदि स्टेम सेल कम या दोशपूर्व हों या उनकी जगह कैंसर की मेटास्टैटिक कोशिकाएं हों तो एनीमिया हो सकता है। हड्डियों की मज्जा या स्टेम सेल में समस्याओं के कारण होने वाली समस्याएं या बीमारियाँ इस प्रकार हैं:
* एप्लास्टिक एनीमिया
* थैलेसीमिया
* लेड (सीसा) के कारण हड्डियों की मज्जा में विषाक्तता
हॉर्मोन की कमी के कारण लाल रक्त कोशिकाएं का कम उत्पादन
इस समस्या के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
* गुर्दे की बीमारी
* हाइपोथाइरॉइडिज़्म
* लंबे समय से चल रही बीमारियाँ जैसे कैंसर, लूपस, मधुमेह, रूमटॉइड अर्थिराइटिस
* बुढ़ापा
लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने से निम्नलिखित एनीमिया हो सकते हैं
जब लाल रक्त कोशिकाएं कमज़ोर होती हैं तब वह परिसंचरण प्रणाली का दबाव नहीं सेह पाती हैं। इस कारण वह हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो सकती हैं जिस वजह से हेमोलिटिक एनीमिया हो सकता है। हेमोलिटिक एनीमिया जन्म से भी हो सकता है। कभी-कभी हेमोलिटिक एनीमिया होने का कोई कारण नहीं होता है। हेमोलिटिक एनीमिया के ज्ञात कारण इस प्रकार हैं:
* अनुवांशिक बीमारियाँ जैसे सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया।
* संक्रमण, कुछ दवाइयों, साँप या मकड़ी के ज़हर, और कुछ खाध पदार्थ।
* लिवर और गुर्दे की बीमारी के कारण विषाक्तता।
* प्रतिरक्षा प्रणाली की असामान्य गतिविधि (नवजान शिशु में हेमोलिटिक बीमारी जो गर्भवती महिला के भ्रूण (फीटस) में होती है)।
* वेस्कुलर ग्राफ्ट, हार्ट वॉल्व में समस्या, ट्यूमर, जलने के कारण समस्या, रसायनों के संपर्क में आने से समस्याएं, उच्च रक्तचाप, रक्त के थक्कों का विकार।
* कुछ दुर्लभ स्तिथियों में, बढ़ा हुआ स्प्लीन लाल रक्त कोशिकाओं को रोक कर उन्हें नष्ट कर देता है।
खून की कमी (एनीमिया) से बचाव –
एनीमिया के कुछ प्रकारों जैसे सिकल (Sickle) सेल एनीमिया (जो एक अनुवांशिक बीमारी है) से बचा नहीं जा सकता है। खून की कमी के कारण होने वाले एनीमिया से बचना भी मुश्किल है क्योंकि दुर्घटनाएं और चोटें अप्रत्याशित हैं। यदि आप किसी ऐसी स्तिथि में हों जब आप अधिक खून बह रहा हो तो जब तक आपको कोई चिकित्सक मदद ना मिलें तब तक आपको अपने रक्तस्त्राव को रोकने या कम करने की कोशिश करें।
एनीमिया से बचने के उपाय
आम तौर पर असंतुलित भोजन के असर के कारण भी एनीमिया होता है। एनीमिया के कुछ प्रकारों से बचा नहीं जा सकता क्योंकि वह अनुवांशिक होते हैं। लेकिन मूल रूप से डायट में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत होती है। एनीमिया से बचाव के लिए आपको अपनी जीवन शैली में थोड़ा परिवर्तन लाना पड़ेगा। एनीमिया मुख्यत शरीर में खून की कमी से होता है। एनीमिया से बचाव के लिए ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जिससे शरीर में खून की मात्रा बढ़े जैसे चुकंदर, गाजर, पालक, बथुआ और अन्य हरी सब्जियां। काले चने और गुड़ में भी आयरन भरपूर मात्रा में होता है। सब्जी बनाने के लिए लोहे की कड़ाही का इस्तेमाल करें।जैसे-
* एनीमिया के रोगी को भरपूर मात्रा में दूध का सेवन करना चाहिए।
*.केला, सेब आदि ताजे फलों का सेवन करना चाहिए।
* सब्जियों में हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, शकरकंद और अनाज को खाने में शामिल करें।
*.विटामिन-बी और फॉलिक एसिड को डाईट में शामिल करें।
* किशमिश और सूखे आलू बुखारे भी अपनी डायट में शामिल करें।
* विटामिन-सी आयरन को शरीर से कम नहीं होने देता। इसके लिए आंवला, संतरा, मौसमी जैसी चीजों को सेवन करना चाहिए।
*.मूंगफली का मक्खन आयरन युक्त होता है। यदि आपको मूंगफली का मक्खन पसंद ना हो तो आप भुनी हुई मूंगफलियां भी खा सकते हैं।
* साबुत अनाज की रोटी आयरन से युक्त होती है। यह आयरन की कमी को पूरा करने में प्रभावशाली होती है।
* मछली आयरन युक्त होती है और अनीमिया में उपयोगी होती है।
* खजूर आयरन से युक
* आयरन में युक्त स्वस्थ आहार का सेवन करें।
*.चाय और कॉफ़ी का सेवन कम करें क्योंकि इनके कारण आपके शरीर को आयरन का अवशोषण करने में परेशानी हो सकती है।
* विटामिन सी का सेवन ज़्यादा करें क्योंकि वह आयरन का अवशोषण करने में मदद करता है।
प्रतिदिन योगाभ्यास करने से एनीमिया जैसी बीमारी दूर की जा सकती है।
खून की कमी (एनीमिया) का परीक्षण –
* एनीमिया का निदान करने के लिए डॉक्टर आपको आपके चिकित्सक और पारिवारिक इतिहास के बारे में पूछेंगे, आपका शारीरिक टेस्ट करेंगे और आपको निम्नलिखित टेस्ट करवाने को कहेंगे:
* पूर्ण रक्त गणना का टेस्ट या कम्प्लीट ब्लड टेस्ट (सीबीसी) आपके रक्त के नमूने में कोशिकाओं की संख्या मापता है। एनीमिया का निदान करने के लिए डॉक्टर आपके रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं (हेमाटोक्रिट) और हीमोग्लोबिन के स्तर देखेंगे। हेमाटोक्रिट का स्तर पुरुषों में 40-52 प्रतिशत होते हैं और महलाओं में 35-47 प्रतिशत होता है। पुरुषों में हीमोग्लोबिन का स्तर 14-18 ग्राम/ डेसिलीटर होता है और महिलाओं में 12-16 ग्राम/ डेसिलिटर होता है।
* आपके लाल रक्त कोशिकाओं के रंग, आकर और आकृति जानने के लिए भी एक टेस्ट किया जाएगा।
* कभी-कभी एनीमिया का निदान करने के लिए आपकी हड्डियों के मज्जा के नमूने की भी ज़रुरत पड़ सकती है।
* यदि आपके एनीमिया का निदान हो जाए तो एनीमिया होने के कारण को जानने के लिए भी टेस्ट किए जाएंगे।
खून की कमी (एनीमिया) का इलाज –
आपको हुए एनीमिया का उपचार आपको हुए एनीमिया के प्रकार पर निर्भर करेगा:
आयरन की कमी के कारण हुए एनीमिया – एनीमिया के इस प्रकार का उपचार आप आयरन में युक्त आहार लेकर और अपनी आहार में कुछ बदलाव लाकर कर सकते हैं। यदि आयरन की कमी के कारण हुए एनीमिया मासिक धर्म की वजह से ना हुआ हो और इसका कारण कोई रक्तस्त्राव हो तो सर्जरी भी करनी पड़ सकती है।
विटामिन की कमी के कारण हुआ एनीमिया- विटामिन बी12 और फोलिक एसिड की कमी के कारण हुए एनीमिया का उपचार आहार में बदलाव लाकर, विटामिन बी12 और फोलिक एसिड में युक्त आहार का सेवन करके किया जा सकता है। यदि आपके पाचन तंत्र को विटामिन बी12 का अवशोषण करने में समस्या होती हो तो आपको विटामिन बी12 के इंजेक्शन करवाने की आवश्यकता हो सकती है। आपकी स्तिथि के अनुसार आपको इंजेक्शन 1 महीने या ज़िन्दगी भर करवाना पड़ सकता है।
लंबे समय से चल रही बीमारी के कारण हुआ एनीमिया – इस प्रकार के एनीमिया का कोई उपचार नहीं होता है। डॉक्टर आपको चल रही बीमारी का उपचार करने की कोशिश करते रहेंगे। यदि आपको हो रहे लक्षण गंभीर हो जाए तो आपका रक्त-आधान किया जाएगा या आपको सिंथेटिक एरिथ्रोप्रोटीन (एक प्रकार का प्रोटीन जिसका उत्पादन आपके गुर्दों में होता है) के इंजेक्शन दिए जाएंगे जिससे लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाया जा सके और आपको हो रहे लक्षणों का उपचार किया जा सके।
अप्लास्टिक एनीमिया – अप्लास्टिक एनीमिया के उपचार के लिए रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं के स्तर को बढ़ाने के लिए रक्त-आधान करने की आवश्यकता हो सकती है। यदि आपकी हड्डियों के मज्जा में कोई समस्या हो जिस कारण वह स्वस्थ रक्त कोशिकाएं ना बना पा रहा हो तो आपको हड्डियों की मज्जा का प्रत्यारोपण करने की भी आवश्यकता हो सकती है।
हड्डियों की मज्जा से सम्बंधित एनीमिया – ऐसे एनीमिया के उपचार के लिए आपको दवाइयों, कीमोथेरपी, या हड्डियों की मज्जा का प्रत्यारोपण करने की आवश्यकता हो सकती है।
हेमोलिटिक एनीमिया – हेमोलिटिक एनीमिया के उपचार के लिए जिन दवाइयों के कारण हेमोलिटिक एनीमिया हो सकता है, प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो सकती है या जो दवाइयाँ आपकी लाल रक्त कोशिकाओं को हानि पहुँचा सकती हों उनका सेवन ना करें और हेमोलिटिक एनीमिया से सम्बंधित संक्रमणों का इलाज करवाएं। आपको हुए एनीमिया की गंभीरता के अनुसार, रक्त-आधान, प्लास्माफेरेसिस (ब्लड फ़िल्टर करने की एक प्रक्रिया) या स्प्लीन का निष्कासन करना आवश्यक हो सकता है।
सिकल सेल एनीमिया: इस प्रकार के एनीमिया के उपचार में ऑक्सीजन, दर्द निवारक दवाइयाँ, दर्द और जटिलताओं को कम करने के लिए मौखिक और नसों के माध्यम से दी जाने वाली दवाइयाँ की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टर आपको रक्त-आधार, फोलिक एसिड युक्त भोजन और एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे सकते हैं। कुछ स्तिथियों में हड्डियों की मज्जा का प्रत्यारोपण प्रभावी हो सकता है। कैंसर की कुछ दवाइयाँ सिकल सेल एनीमिया में उपयोगी हो सकती है।
थैलेसीमिया – इस प्रकार के एनीमिया का उपचार रक्त-आधार, फोलिक एसिड में युक्त भोजन, दवाइयों, स्प्लीन के निष्कासन और हड्डियों की मज्जा के प्रत्यारोपण से किया जा सकता है। अगर आपको एनीमिया हो तो कृपया डॉक्टर से सलाह किए बिना कोई दवा ना लें और स्वयं इलाज न करें।
खून की कमी (एनीमिया) के नुकसान –
यदि एनीमिया का उपचार ना किया जाए तो निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं –
अतियाधिक थकान – यदि आपका एनीमिया गंभीर हो जाए तो आप दैनंदिन कार्य नहीं कर पाएंगे।
गर्भावस्था से सम्बंधित जटिलताएं – फोलेट की कमी के कारण हुए एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था में जटिलताएं हो सकती हैं जैसे शिशु का समय से पहले जन्म।
हृदय से सम्बंधित समस्याएं – एनीमिया के कारण एरिथमिया हो सकता है क्योंकि एनीमिया में हृदय को शरीर में ऑक्सीजन की कमी पूर्ति करने के लिए ज़्यादा रक्त पंप करना पड़ सकता है जिस कारण आपको दिल की विफलता हो सकती है या आपके हृदय का आकर बढ़ा हो सकता है।
मृत्यु – कुछ अनुवंशित एनीमिया जैसे सिकल सेल एनीमिया गंभीर होते हैं और इनसे जानलेवा जटिलताएं हो सकती हैं। कम समय में रक्त की अतियाधिक कमी के कारण मृत्यु भी हो सकती है।
खून की कमी से कौन से रोग होते हैं? –
शरीर में खून की कमी से होने वाले रोग को एनीमिया कहते हैं. एनिमीया होने पर थकान बहुत ज्यादा महसूस होती है. खून की कमी की वजह से ठंड ज्यादा लगती है. चेहरा पीला पड़ने लगता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मनुष्य के शरीर के हिस्सों को अपना काम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में खून नहीं मिल पाता है. एनीमिया बहुत गंभीर हो जाये तो इसकी सबसे गंभीर जटिलताएं टिश्यू हाइपोक्सिया (कम ऑक्सीजन मिलना) से उत्पन्न होती हैं। शॉक, लौ बीई, या कोरोनरी इन्सफिशिएन्सी (कोरोनरी आर्टरी में कम ब्लड पहुंचना) और पल्मोनरी इन्सफिशिएन्सी (ऐसी स्थिति जिसमें हृदय के दाएं वेंट्रिकल और पल्मोनरी कोरोनरी के बीच का वाल्व अपना काम ठीक से नहीं कर पाता है) हो सकती है। यह उन वृद्ध व्यक्तियों में ज्यादा आम है जिन्हें पहले से ही कोई ह्रदय या लंग से जुड़ा रोग हो।
शरीर में खून की कमी हो तो क्या करें?
* एप्लास्टिक एनीमिया में दवा की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. इस स्थिति में मरीज को बल्ड ट्रांसफ्यूजन और बोन मेरो ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है.
* हेमोलिटिक एनीमिया में ऐसी दवा खानी चाहिए जो मनुष्य के इम्यून सिस्टम पर नियंत्रण रखता है. दोनों ही परिस्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है.
* शरीर में खून की कमी की वजह से ऑपरेशन की नौबत आ सकती है. जब शरीर में आयरन की कमी हो तो उसके लिए आयरन युक्त दवा लेना चाहिए और अपने खाने में भी बदलाव लाना जरूरी है.
* सिकल सेल एनीमिया का इलाज पेन किलर, फोलिक एसिड की दवा, एंटीबायोटिक्स या ऑक्सीजन थेरेपी के जरिए किया जाता है. हाईड्रॉक्सीयूरिया युक्त दवा से भी इसका इलाज किया जाता है.
* थैलेसीमिया में इलाज की जरूरत तब तक नहीं होती जब तक मामला बेहद गंभीर ना हो.
क्या खाने से खून बढ़ता है?
यह कुछ फूड्स हैं जिन्हे खाने से शरीर में रक्त बढ़ सकता है –
* अनार में पॉलीफेनोल एंटीऑक्सिडेंट्स और नाइट्रेट्स मौजूद होता है जो रक्त वाहिकाओं को मज़बूत बनाती है. इसे खाने या इसका जूस पीने से रक्त प्रवाह सही रहता है और मांसपेशियों में ऑक्सीजन को पहुंचाने में मदद होती है.
* प्याज में फ्लेवोनॉयड एंटीऑक्सिडेंट होता है जो जिससे हार्ट को फायदा होता है. यह खून का प्रवाह बढ़ाने व धमनियों और नसों को चौड़ा करने में मदद करता है जिससे ब्लड फ्लो भी बढ़ता है.
* दालचीनी एक गर्म मसाला होता है जो शरीर में ब्लड फ्लो को बढ़ाने में मदद करता है. अध्ययन में पाया गया है कि दालचीनी कोरोनरी धमनी में रक्त वाहिका के फैलाव और खून के प्रवाह में सुधार करता है, जिससे हार्ट तक खून पहुंच पाता है.
* लहसुन में सल्फर और एलिसिन मिला होता है जो रक्त वाहिकाओं को रिलेक्स करके शरीर में खून के प्रवाह को बढ़ाता है और लो ब्लड प्रेशर को भी ठीक करता है.
* चुकंदर में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है जो मानव शरीर में जाते ही नाइट्रिक ऑक्साइड में बदल जाता है. नाइट्रिक ऑक्साइड मांसपेशियों में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है.
* हल्दी शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है. आयुर्वेदिक और पारंपरिक चीनी इलाज में इसका इस्तेमाल रक्त वाहिकाओं को खोलने में किया जाता है. इसके सेवन से ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक होता है.
* साग में सामान्य तौर पर नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है जो शरीर में जाते ही नाइट्रिक ऑक्साइड में बदलता है. यह ब्लड वेसेल को चौड़ा करता है जिससे शरीर में खून का प्रवाह तेजी से होता है.
* अंगूर, नींबू, संतरा जैसे खट्टे फलों में फ्लेवोनोइड और एंटीऑक्सीडेंट होता है. फ्लेवोनोइड शरीर के सूजन को कम करता है जिससे ब्लड सर्कुलेशन सही होता है.
* अखरोट में एल-आर्जिनिन, अल्फा-लिपोइक एसिड (एएलए) और विटामिन ई मौजूद होता है जो शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड को बढ़ाता है. मधुमेह के अध्ययन में 24 लोगों को 8 हफ्ते तक 56 ग्राम अखरोट खिलाया गया जिसका परिणाम में इन 24 लोगों के ब्लड सर्कुलेशन में सुधार देखा गया.
* टमाटर एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग एंजाइम (एसीई) में बदल जाता है उसकी सक्रियता को कम कर देता है जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है.
* जामुन में एंटीऑक्सीडेंट और विरोधी गुण होते हैं जो कि ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने में मदद करता है.
* अदरक हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है. मनुष्य और पशुओं पर किए गए एक अध्ययन से पता चलात है कि यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है. इसका बुरा असर ब्लड सर्कुलेसन पर पड़ता है.
* पालक शरीर में आयरन की कमी होने पर खून की कमी होने लगती है ऐसे में आपको अपनी डाइट में पालक जरूर शामिल करना चाहिए. पालक में भरपूर मात्रा में आयरन होता है जिससे शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है.
* केला खून की कमी होने पर आप रोज केला खाएं. केला में भरपूर मात्रा में आयरन और पोटेशियम होता है. जिसके तेजी से खून की कमी को पूरा किया जा सकता है. इससे एनिमिया की शिकायत दूर हो जाती है.
* किशमिश शरीर में खून की कमी होने पर आप रोज 4 से 5 किशमिश को धो कर दूध में डालकर उबाल लें. अब दूध को गुनगुना होने पर पीएं. आप चाहें तो दिन में दो बार इसे पी सकते हैं. किशमिश शरीर में खून बनने का काम करती है इससे कमजोरी भी दूर हो जातती है.
यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।