Merry Christmas 2021: क्रिसमस (Christmas) आ गया है. प्रभु यीशु के जन्मोत्सव का उत्साह हर तरफ देखने को मिल रहा है. सभी ने अपने घरों के साथ साथ गिरजा घरों को भी बहुत खूबसूरती से सजाया है. क्रिसमस का त्यौहार भारत में अब अन्य धर्मों के लोग भी मनाने लगे हैं. इसमें अपने दोस्तों और ज़रूरतमंदों को गिफ्ट भी दिए जाते हैं।
क्रिसमस ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह त्योहार अपने आप में इतना व्यापक है कि दुनिया भर में अन्य धर्मों के लोग भी इसे बहुत धूमधाम से मनाते हैं। इसलिए, इस त्योहार को धार्मिक के बजाय सामाजिक कहना बेहतर होगा। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में लगभग डेढ़ सौ करोड़ लोग ईसाई धर्म के अनुयायी हैं। क्रिसमस को एक बड़ा दिन भी कहा जाता है। इस त्यौहार की तैयारियाँ भी बड़े ही धूमधाम से की जाती हैं। ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार, यीशु (ईसा मसीह) का जन्म इसी दिन हुआ था। ईसा मसीह ईसाईयों के ईश्वर हैं। इसलिए, क्रिसमस के दिन गिरजाघरों यानी चर्च में प्रभु यीशु की जन्म गाथा की झांकियाँ प्रस्तुत की जाती हैं और चर्चों में प्रार्थनाएं की जाती हैं। इस दिन, ईसाई लोग चर्च में इकट्ठा होकर प्रभु यीशु की पूजा करते हैं। लोग एक दूसरे को हैप्पी क्रिसमस और मेरी क्रिसमस की शुभकामनाएं देते हैं।
क्रिसमस का इतिहास
एक बार ईश्वर ने ग्रैबियल नामक अपना एक दूत मैरी नामक युवती के पास भेजा. ईश्वर के दूत ग्रैबियल ने मैरी को जाकर कहा कि उसे ईश्वर के पुत्र को जन्म देना है. यह बात सुनकर मैरी चौंक गई क्योंकि अभी तो वह कुंवारी थी, सो उसने ग्रैबियल से पूछा कि यह किस प्रकार संभव होगा? तो ग्रैबियल ने कहा कि ईश्वर सब ठीक करेगा. समय बीता और मैरी की शादी जोसेफ नाम के युवक के साथ हो गई. भगवान के दूत ग्रैबियल जोसेफ के सपने में आए और उससे कहा कि जल्द ही मैरी गर्भवती होगी और उसे उसका खास ध्यान रखना होगा क्योंकि उसकी होने वाली संतान कोई और नहीं स्वयं प्रभु यीशु हैं. उस समय जोसेफ और मैरी नाजरथ जोकि वर्तमान में इजराइल का एक भाग है, में रहा करते थे. उस समय नाजरथ रोमन साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था. एक बार किसी कारण से जोसेफ और मैरी बैथलेहम, जोकि इस समय फिलस्तीन में है, में किसी काम से गए, उन दिनों वहां बहुत से लोग आए हुए थे जिस कारण सभी धर्मशालाएं और शरणालय भरे हुए थे जिससे जोसेफ और मैरी को अपने लिए शरण नहीं मिल पाई. काफी थक−हारने के बाद उन दोनों को एक अस्तबल में जगह मिली और उसी स्थान पर आधी रात के बाद प्रभु यीशु का जन्म हुआ. अस्तबल के निकट कुछ गडरिए अपनी भेड़ें चरा रहे थे, वहां ईश्वर के दूत प्रकट हुए और उन गडरियों को प्रभु यीशु के जन्म लेने की जानकारी दी. गडरिए उस नवजात शिशु के पास गए और उसे नमन किया। यीशु जब बड़े हुए तो उन्होंने पूरे गलीलिया में घूम−घूम कर उपदेश दिए और लोगों की हर बीमारी और दुर्बलताओं को दूर करने के प्रयास किए. धीरे−धीरे उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैलती गई. यीशु के सद्भावनापूर्ण कार्यों के कुछ दुश्मन भी थे जिन्होंने अंत में यीशु को काफी यातनाएं दीं और उन्हें क्रूस पर लटकाकर मार डाला. लेकिन यीशु जीवन पर्यन्त मानव कल्याण की दिशा में जुटे रहे, यही नहीं जब उन्हें कू्रस पर लटकाया जा रहा था, तब भी वह यही बोले कि हे पिता इन लोगों को क्षमा कर दीजिए क्योंकि यह लोग अज्ञानी हैं.’ उसके बाद से ही ईसाई लोग 25 दिसम्बर यानि यीशु के जन्मदिवस को क्रिसमस के रूप में मनाते हैं।
क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है
पुरानी कथाओं के मुताबिक 25 दिसंबर यानी क्रिसमस डे के दिन ईसाई धर्म की स्थापना करने वाले प्रभु यीशु का जन्म मरियम के यहां हुआ था. इसी खुशी के उपलक्ष्य में पूरी दुनिया में क्रिसमस डे मनाया जाता है।
ईसाई धर्म में क्रिसमस त्यौहार का महत्व
क्रिसमस का महत्व ईसाइयों के लिए बहुत अधिक होता है. प्रभु यीशु के जन्म के अवसर पर यह त्योहार मनाया जाता है. क्रिसमस का पर्व ईसाइयों में ही नहीं सभी धर्मों में पूरे धूमधाम से मनाया जाता है. बहुत कम लोगों को यह जानकारी होगी की क्रिसमस का पर्व 1 दिन का नहीं बल्कि पूरे 12 दिन का पर्व है और यह पर्व क्रिसमस की पूर्व संध्या से शुरू हो जाता है. क्रिसमस ईव यानि क्रिसमस की पूर्व संध्या धार्मिक और गैर-धार्मिक दोनों परंपराओं से जुड़ी है. इन परम्पराओं का मुख्य केंद्र प्रभु यीशु का जन्म है. ईसाई धर्म में भी अपनी विभिन्न संप्रदाय हैं जिनकी अलग परंपराएं हैं. इस दिन रोमन कैथोलिक और एंग्लिकन मिडनाइट मास का आयोजन करते हैं. लुथेरन कैंडल लाइट सर्विस और क्रिसमस कैरोल के साथ जश्न मनाते हैं. कई एवेंजेलिकल चर्च में शाम की सेवाओं का आयोजन होता है जहां परिवार पवित्र भोज बनाते हैं।
क्रिसमस पर्व को मनाने का सही ढंग
चूंकि क्रिसमस एक बड़ा त्योहार है, इसलिए इसकी तैयारियां भी बड़ी हैं। सांता, क्रिसमस ट्री, ग्रीटिंग कार्ड और वितरित किए जाने वाले उपहार इस त्योहार के मुख्य तत्व हैं। जैसे ही क्रिसमस का त्यौहार आता है, लोग इसे लेकर उत्साहित दिखाई देते हैं। लोग अपने दोस्तों और परिवार को कार्ड या कोई भी उपहार भेज कर उन्हें अपनी शुभकामनाएं देते हैं।
हालाँकि, अब डिजिटल युग है। यही कारण है कि लोग क्रिसमस कार्ड की तस्वीरें या चित्र ऑनलाइन भेजते हैं और इस त्योहार के लिए लोगों को बधाई देते हैं। इस दिन लोग अपने क्रिसमस के स्टेटस को सोशल मीडिया पर दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ साझा करते हैं। रोशनी से सराबोर और टिम-टिमाते हुए गिरजाघरों में लोग यीशु की प्रार्थना करते हैं। कई स्थानों पर क्रिसमस के मौक़े पर झाकियाँ, जुलूस आदि भी निकाले जाते हैं।
क्रिसमट ट्री :- क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री का बहुत महत्व है। यह एक डगलस, बालसम या फर का पेड़ है जिसे क्रिसमस के दिन अच्छी तरह सजाया जाता है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में मिस्र, चीनी और हिबुर लोगों ने सबसे पहले इस परंपरा को शुरू किया था। उनका मानना था कि इन पौधों को घरों में सजाने से घर में आने वाली नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। हालाँकि आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरुआत जर्मनी में हुई थी। जहां इस पेड़ को स्वर्ग का प्रतीक माना जाता है।
सेंटा क्लॉज :- क्रिसमस पर, बच्चे सेंटा क्लॉज़ की प्रतीक्षा करते हैं। क्योंकि सांता बच्चों को उपहार देते हैं। ऐसा माना जाता है कि सांता क्लॉज़ की प्रथा संत निकोलस द्वारा चौथी या पाँचवीं शताब्दी में शुरू हुई थी। वह एशिया माइनर के पादरी थे। उन्हें बच्चों और नाविकों से बहुत प्यार था। दरअसल, वे क्रिसमस और नए साल के दिन गरीबों और अमीरों को खुश देखना चाहते थे। उनसे जुड़ी कई कहानियां और किस्से सुनने को मिलते हैं।
हैंगिंग मिस्टलेटो
मिस्टलेटो को एक औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है. क्रिसमस पर मिस्टलेटो को लटकाने की परंपरा बन गई है. इसके नीचे खड़े होकर लोग शांति और प्यार बांटने का संकल्प लेते हैं।
क्रिसमस का त्यौहार पूरे 12 दिन मनाया जाता है
क्या आप जानते हैं कि क्रिसमस का त्यौहार सिर्फ 25 दिसंबर के दिन ही नहीं मनाया जाता है. बल्कि यह त्यौहार पूरे 12 दिन यानि 25 दिसंबर से 5 जनवरी तक मनाया जाता है. जिसमें हर दिन का अपना महत्व होता है. आइए जानते हैं इन 12 दिनों के बारे में और उनके महत्व को।
क्रिसमस पर्व के 12 दिनों का महत्व
25 दिसबंर (पहला दिन )
पहला दिन क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को प्रभु यीशु के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन से यह त्यौहार शुरु होता है।
26 दिसंबर (दूसरा दिन)
यह दिन सेंट स्टीफन डे के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन को बॉक्सिंग डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि सेंट स्टीफन ने सबसे पहले ईसाई धर्म के लिए कुर्बानी दी थी।
27 दिसंबर (तीसरा दिन)
तीसरा दिन सेंट जॉन को समर्पित होता है. सेंट जॉन ईसा मसीह से प्रेरित और उनके मित्र माने जाते हैं।
28 दिसंबर (चौथा दिन)
कहा जाता है कि चौथे दिन किंग हीरोद ने ईसा मसीह को ढूंढते समय कई मासूम लोगों का कत्ल कर दिया था. इस दिन उन्हीं मासूम लोगों की याद में प्रार्थना का आयोजन किया जाता है।
29 दिसंबर (पांचवां दिन)
क्रिसमस पर्व का पांचवां दिन सेंट थॉमस को समर्पित होता है। 12वीं सदी में चर्च पर राजा के अधिकार को चुनौती देने पर आज ही के दिन उनका कत्ल कर दिया गया था।
30 दिसंबर (छठा दिन)
छठवें दिन ईसाई धर्म के लोग सेंट ईगविन ऑफ वर्सेस्टर को याद करते हैं.
31 दिसंबर (सातवां दिन)
सातवें दिन के बारे में कहा जाता है कि इस दिन को पोप सिलवेस्टर ने सेलिब्रेट किया था. कई यूरोपियन देशों में नए साल से पहले की शाम को सिलवेस्टर कहा जाता है. इस दिन खेल-कूद आयोजित किए जाते हैं।
1 जनवरी (आठवां दिन)
क्रिसमस का आंठवां दिन प्रभु यीशु की मां मदर मैरी को समर्पित होता है।
2 जनवरी (नौवां दिन)
नौवां दिन, चौथी सदी के सबसे पहले ईसाई ‘सेंट बसिल द ग्रेट’ और ‘सेंट ग्रेगरी नाजियाजेन’ की याद में उन्हें समर्पित किया जाता है।
3 जनवरी (दसवां दिन)
ऐसी मान्यता है कि इस दिन प्रभु यीशु का नाम रखा गया था. इस दिन चर्च को सजाया जाता है और गीत गाए जाते हैं।
4 जनवरी (ग्यारहवां दिन)
ग्यारहवां दिन 18वीं और 19वीं सदी की संत सेंट एलिजाबेथ को समर्पित किया जाता है. इस दिन उन्हें याद किया जाता है. वे अमेरिका की पहली संत थीं।
5 जनवरी (बारहवां दिन)
बारहवां यानि आखिरी दिन अमेरिका के पहले बिशप सेंट जॉन न्यूमन को समर्पित है. इस दिन को एपीफेनी भी कहा जाता है।
क्रिसमस डे का संदेश
क्रिसमस का त्यौहार शांति और सदभावना का प्रतीक है। क्रिसमस शांति का भी संदेश देता है। चूँकि बाइबल में यीशु को शांति का दूत बताया गया है। वे हमेशा वक्तव्यों में कहते थे- शांति तुम्हारे साथ हो. शांति के बिना किसी भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है। घृणा, संघर्ष, हिंसा एवं युद्ध आदि का धर्म के अंतर्गत कोई स्थान नहीं है।
भारत में क्रिसमस पर्व
हालाँकि ढाई प्रतिशत ईसाई लोग भारत में रहते हैं, लेकिन यह त्योहार यहाँ बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। विशेष रूप से गोवा में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहां क्रिसमस को बहुत ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रिटिश और पुर्तगाली शासन के दौरान स्थापित किए गए थे। भारत के कुछ प्रमुख चर्चों में सेंट जोसेफ कैथेड्रल, और आंध्र प्रदेश में मेढक चर्च, सेंट कैथेड्रल, चर्च आफ सेंट फ्रांसिस आफ आसीसि और गोवा का बैसिलिका व बोर्न जीसस, सेंट जांस चर्च इन विल्डरनेस आदि शामिल हैं।
इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।