गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपुरब भी कहा जाता है, सिख समुदाय में सबसे शुभ अवसरों में से एक है. इस दिन गुरु नानक देव की जयंती मनाई जाती है जो सिखों के दस गुरुओं में से पहले गुरु होने के अलावा सिख धर्म के संस्थापक भी हैं. ये त्योहार सिखों के बीच बहुत महत्व रखता है और पूरा समुदाय इस दिन को अत्यंत भव्यता से मनाता है।
सिख धर्म में गुरु नानक जयंती बहुत बड़ा त्यौहार है. हिंदू धर्म में दीपावली की तरह ही सिख धर्म में गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व, प्रकाश पर्व, गुरु पूरब भी कहा जाता है. इस दिन सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. प्रकाश पर्व हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. गुरु नानक देव जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी. इस दिन सिख समुदाय के लिए लोग सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं, गुरुद्वारे जाकर मत्था टेकते हैं, वाहे गुरू का जाप करते हैं और भजन कीर्तन करते हैं. गुरु नानक देव की जयंती के मौके पर चारों ओर दीप जला कर रोशनी की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार गुरु नानक ने समाज में बढ़ रही कुरीतियों और बुराइयों को दूर करने का काम किया था. साथ लोगों के जीवन में प्रकाश भरने का काम कर उन्हें इन बुराइयों और कुरीतियों को त्याग करके नई राह दिखाई थी. इसके लिए नानक देव जी ने दूर-दूर तक यात्राएं की और पारिवारिक सुख का त्याग कर दिया।
कब है गुरु पर्व
कहते हैं दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. इस बार गुरु पर्व 19 नवंबर, 2021, शुक्रवार को मनाया जाएगा। देशभर में ये पर्व काफी धूम-धाम से मनाया जाता है. कई महीनों पहले से ही सिख समाज जुलूस और प्रभात फेरी की तैयारियों में जुट जाते हैं. गुरु पर्व के दिन सुबह प्रभात फेरी निकाली जाती है, जिसमें गुरु नानक देव जी की भजन, शबद आदि किए जाते हैं. ढोल-मंजीरों के साथ इस प्रभात फेरी की शुरुआत होती है. यही नहीं, कई जगह जुलूस का आयोजन भी किया जाता है. बड़े पैमाने पर सिख समाज की तरफ से लंगर का आयोजन भी होता है. गुरुद्वारों में शबद-कीर्जन और वाक होते हैं. समाज के लोग अपनी श्रद्धा अनुसार गुरुद्वारों में सेवा करते हैं। इसके अलावा दुनिया भर के गुरुद्वारों को रोशनी और दीयों से सजाया जाता है. लोग पूरा दिन एक साथ प्रार्थना करते हैं, शुभकामनाएं देते हैं और सेवा करते हैं. पारंपरिक चंद्र कैलेंडर के अनुसार, गुरुपुरब की तारीख हर साल बदलती रहती है. आमतौर पर ये दिवाली के 15 दिन बाद पड़ता है, और कार्तिक पूर्णिमा के साथ मेल खाता है।
कब है गुरु नानक जयंती और पूर्णिमा तिथि
इस साल 2021 में गुरु नानक देव की 552वीं जयंती है. इस साल यह 19 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा.
पूर्णिमा तिथि शुरूआत – 18 नवंबर 2021 को दोपहर 12:00 बजे से होगी
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 19 नवंबर, 2021 को दोपहर 02:26 होगी
गुरु नानक जयंती का महत्व
गुरू नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 ई. में ननकाना साहिब में हुआ था। उनका जन्म स्थान वर्तमान में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। जहां पर आज ननकाना साहिब नाम का गुरू द्वारा है। ननकाना साहिब गुरूद्वारे का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था। गुरू नानक देव ने मूर्ति पूजा का विरोध करते हुए, एक निराकार ईश्वर की उपासना का संदेश दिया था। उन्होंने तात्कालिक समाज की बुराईयों और कुरीतियों को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे सिख धर्म के संस्थापक थे, यही वजह है कि उनका जन्म शुभ और दिव्य माना जाता है। गुरु नानक देव की शिक्षाओं पर दोबारा गौर करने के लिए गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. गुरू नानक जी की प्राथमिक शिक्षाओं में से एक है इक ‘ओंकार’ इसका मतलब है कि ईश्वर एक है. वो हर जगह विद्यमान हैं. गुरु नानक देव कहते हैं कि सबके साथ प्रेम और सम्मान के साथ रहना चाहिए। गुरु नानक देव की सभी शिक्षाएं और सिद्धांत गुरु ग्रंथ साहिब – सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ में पाए जाते हैं. जन्मदिन से दो दिन पहले उत्सव शुरू होता है, गुरुद्वारों में अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है. इस दिन गुरुद्वारों में आयोजित गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का लंबा पाठ होता है. गुरुपुरब के दिन, उत्सव की शुरुआत प्रभात फेरी (जुलूस) के साथ सुबह (अमृत वेला) से होती है. इसके बाद कथा, कीर्तन और लंगर होता है. गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन होता है।
गुरु नानक जयंती प्रसाद
लंगर में आमतौर पर चावल, रोटी, दाल, सब्जी और लस्सी परोसी जाती है. हर लंगर में एक चीज आम होती है और वो है कड़ा प्रसाद – गेहूं, चीनी और घी से तैयार हलवा।
इन नामों से भी जानते हैं गुरु नानक जयंती को
गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व, गुरु पर्व, गुरु पूरब भी कहते हैं. प्रकाश पर्व हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है।
माता-पिता थे इस चिंतित
कुछ विद्वानों का मानना है कि गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था, वहीं उनकी प्रचलित तिथि कार्तिक पूर्णिमा है. बताया जाता है कि नानक देव जी काफी शांत प्रवृति के व्यक्ति थे. हमेशा आंखें बंद करके ध्यान में लगे रहते थे. नानक देव जी के प्रखर बुद्धि के लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगे थे. हमेशा चिंतन और ध्यान में लगा देख घर में माता-पिता को चिंता सताने लगी थी. इस कारण उन्हें गुरुकुल में भेज दिया गया, लेकिन वहां भी वे ज्यादा समय नहीं रहे. गुरु नानक के प्रश्नों का उत्तर अध्यापक के पास भी न था. और उनके प्रश्नों से तंग आकर अध्यापक उन्हें वापस घर छोड़ गए और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि भगवान ने उन्हें पहले से ही ज्ञान देकर धरती पर भेजा है. 16 साल की आयु में ही उनका विवाह करवा दिया गया. लेकिन पारिवारिक सुख में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं थी. अथवा सब कुछ छोड़-छाड़ कर यात्रा पर निकल गए।
नानक देवजी की शिक्षाएं
गुरू नानक देव जी का जीवन और शिक्षाएं न केवल धर्म विशेष के लिए बल्कि पूरी मानव जाति को सही दिशा दिखाती है. इसलिए उनका जन्म दिवस प्रकाश पर्व कहा जाता है. गुरुनानक जयंती के पावन पर्व पर आप भी पढ़िए उनके अनमोल वचन।
* मनुष्य को लोभ का त्याग करना चाहिए और सदैव परिश्रम से धन कमाना चाहिए.
* गुरु नानक जी ने स्त्रियों का सम्मान का उपदेश दिया, उनका कहना था कि हमें हमेशा स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए.
* गुरु नानक जी का कहना था कि सबसे पहले स्वयं की बुराइयों और गलत आदतों पर विजय प्राप्त करनी चाहिए.
* अंहकार सबसे बड़ा शत्रु है, इसलिए अंहकार त्याग कर विनम्रता और सेवाभाव से जीवन व्यतीत करना चाहिए.
* गुरु नानक देव ने ‘इक ओंकार’ का मंत्र दिया था. उनका कहना था कि ईश्वर एक है और सभी जगह मौजूद है. हम सबका पिता वही है इसलिए सबके साथ प्रेम पूर्वक रहना चाहिए.
* गुरु नानक देव ने लोगों को लोभ त्यागकर नीतिपूर्वक धन कमाने का उपदेश दिया. उन्होंने कहा था कि धन कमाकर मानवता के कल्याण में उसका उपयोग करना चाहिए.
* नानक देव ने हक की बात कही थी और उनका मानना था कि कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए. बल्कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरतमंदों की भी मदद करनी चाहिए.
* धन को हमेशा जेब तक ही सीमित रखना चाहिए. उसे कभी भी अपने हृदय में स्थान नहीं देना चाहिए. ऐसा करने से स्वंय का ही नुकसान होता है.
* मनुष्य को हमेशा तनाव मुक्त रहकर अपना काम निरंतर करते रहना चाहिए और सदैव प्रसन्न रहना चाहिए.
* गुरु नानक देव का कहना था कि संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर बुराईओं पर विजय पाना आवश्यक है.
* अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है और इसलिए कभी अहंकार नहीं करना चाहिए. बल्कि विनम्र होकर सेवा भाव से अपना जीवन व्यतीत करें.
* गुरु नानक देव पूरे संसर को एक घर मानते थे और उनका मानना था कि संसार में रहने वाले लोग परिवार का हिस्सा हैं.
* गुरु नानक देव ने लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यात्मिक ज्योति का संदेश दिया.।
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