ईद-ए-मिलाद या ईद-ए-मिलाद उन नबी का दिन इस्लाम जगत में बड़ी अक़ीदत के साथ मनाया जाता है। इस साल ईद-ए-मिलाद का पर्व 18 अक्टूबर से शुरू होकर आज 19 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। यह इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने में दुनिया भर में मनाई जाती है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और उपमहाद्वीप के अन्य हिस्सों में आज ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाई जा रही है।
ईद-ए-मिलाद या ईद-ए-मिलाद उन नबी का दिन इस्लाम जगत में बड़ी अक़ीदत के साथ मनाया जाता है। मान जाता है कि इस दिन ही इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद का जन्म हुआ था, और इसी दिन उनका इंतकाल भी हुआ था। इसलिए इस दिन को बारावफात के नाम से भी जाना जाता है। इस्लाम मानने वाले अलग-अलग फिरकों और समुदाय के लोग इस त्योहार को अलग-अलग तरह से मनाते हैं। इस साल ईद-ए-मिलाद का पर्व 18 अक्टूबर से शुरू होकर आज 19 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। बरेलवी और सूफी विचारधार के लोग ईद-ए-मिलाद का जुलूस आज, 19 अक्टूबर को निकालेंगे। आइए जानते हैं ईद-ए-मिलाद पर्व के रिवाज़ और इतिहास के बारे में….
ईद-ए-मिलाद का इतिहास
बारावफात या फिर जिसे ईद- मीलाद – उन – नबी के नाम से भी जाना जाता है, यह दिन इस्लाम मजहब का एक महत्वपूर्ण दिन है। इस्लामी कैलेंडर के रबी – अल – अव्वल की 12 तारीख को इद-ए-मिलाद का पर्व मनया जाता है। इस्लामी मान्यता के मुताबिक हजरत मुहम्मद का जन्म 517 ईस्वी में हुआ था और 610 इस्वी में मक्का की हीरा गुफा में उन्हें इहलाम हुआ। लेकिन ईद-ए-मिलाद का पर्व मिश्र में मनाना शुरू हुआ था। 11 वीं शताब्दी तक आते-आते पूरी दुनिया के मुसलमान इसे मनाने लगे।मक्का में जन्म लेने वाले पैगंबर मोहम्मद साहब का पूरा नाम पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम था. उनकी माताजी का नाम अमीना बीबी और पिताजी का नाम अब्दुल्लाह था. वे पैगंबर हजरत मोहम्मद ही थे जिन्हें अल्लाह ने सबसे पहले पवित्र कुरान अता की थी. इसके बाद ही पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश जन-जन तक पहुंचाया. हजरत मोहम्मद का उपदेश था कि मानवता को मानने वाला ही महान होता है।
इस्लाम के आखिरी पैगंबर थे हजरत मुहम्मद
इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद का पूरा नाम पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम था। उनका मक्का शहर में जन्म हुआ था। उनकी माताजी का नाम अमीना बीबी और पिताजी का नाम अब्दुल्लाह था। उन्होंने 25 साल की उम्र में खदीजा नाम की एक विधवा महिला से निकाह किया था। उनके कई बच्चे हुए, जिनमें बेटों की मृत्यु हो गई। उनकी बेटी बीबी फातिमा का निकाह हजरत अली से हुआ था। मान्यता है कि 610 ईसवीं में मक्का के पास हिरा नामक गुफा में हजरत मुहम्मद को ज्ञान प्राप्त हुआ। इसके बाद पैगंबरे-इस्लाम ने दुनिया को इस्लाम धर्म की पवित्र किताब क़ुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया। हजरत मुहम्मद साहब ने तालीम पर जोर दिया और सबके साथ समानता का व्यवहार करने पर बल दिया। उनका उपदेश था कि मानवता को मानने वाला ही महान होता है।
ईद-ए-मिलाद का रिवाज़
ईद-ए-मिलाद के दिन इस्लाम के मानने वाले मस्जिदों में नमाज अता करते हैं और हजरत मुहम्मद की शिक्षाओं और उपदेशों को अमल लाने का संकल्प लेते हैं। इस दिन हरे रंग के घागे बांधने या कपड़े पहनने का भी रिवाज़ है। हरे रंग का इस्लाम में बहुत महत्व होता है। इसके साथ ही इस दिन पारंपरिक खाने बनाए जाते हैं और गरीबों में बांटे जाते हैं। शिया और बरेलवी समुदाय के लोग इस दिन जुलूस भी निकालते हैं और हजरत मुहम्मद की शिक्षाओं को तख्तियों पर लिख कर सारी दुनिया को उससे रूबरू कराते हैं। जबकि सुन्नी समुदाय में ये दिन बड़ी सादगी के साथ मनाया जाता है।
छत्तीसगढ़: कलेक्टरों ने नहीं दी अनुमति, कई जिलों में जुलूस नहीं
रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में ईद मिलादुन्नबी का जुलूस-ए मोहम्मदी इस बार नहीं निकाला जाएगा। इसका आयोजन करने वाली सीरतुन्नबी कमेटी ने कहा है कि वक्फ बोर्ड के सीईओ के सुझाव पर प्रशासन ने इस बार कोविड की वजह से जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी है। प्रशासन के निर्देश को लेकर समाज में कुछ हद तक सहमति और कुछ लोगों में असहमति भी है, लेकिन अब ये तय किया जा चुका है कि जुलूस नहीं निकाला जाएगा। कोविड के मद्देनजर जिला प्रशासन ने इस साल जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी है।
राष्ट्रपति कोविंद ने दी बधाई
पैगम्बर मुहम्मद के जन्मदिन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहित तमाम नेताओं ने देशवासियों को बधाई दी है। कोविन्द ने ट्वीट करते हुए लिखा, मैं सभी देशवासियों, विशेष रूप से हमारे मुस्लिम भाइयों-बहनों को मुबारकबाद देता हूं. आइए, हम सब पैगम्बर मुहम्मद के जीवन से प्रेरणा लेकर, समाज की खुशहाली के लिए और देश में सुख शांति बनाए रखने हेतु कार्य करें।
पीएम मोदी ने भी दी बधाई
पीएम मोदी ने बधाई देते हुए लिखा कि मिलाद-उन-नबी की बधाई. चारों ओर शांति और समृद्धि हो. दया और भाईचारे के गुण हमेशा कायम रहें. ईद मुबारक!
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