“यत्र नार्यस्तु पूज्यते, रमन्ते तत्र देवता” यानी जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है। श्रृष्टि की शुरुआत से महिलाओं का सम्मान किया जाता रहा है। लेकिन युग, काल और सदियां बीतने के साथ महिलाओं के प्रति लोगों की सोच बदलती चली गई। बाल विवाह, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी समस्याएं अभी भी समाज में व्याप्त है। दुनियाभर में बेटियों के प्रति समाज का दोहरापन दिखता है। लड़कियों को आज भी शिक्षा, पोषण, चिकित्सा, मानवाधिकार और कानूनी अधिकारों से वंचित रखा जाता है। लड़कियों को उनके तमाम अधिकार देने और बालिका सम्मान के प्रति दुनिया को जागरूक करने के उद्देश्य से ही हर साल 11 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मूल उद्देश्य बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। सालों से चली आ रही बाल बिवाह प्रथा, दहेज़ ओर कन्या भ्रूण हत्या जैसी रुढ़िवादी प्रथाएं काफी प्रचलित हुआ करती थी। आधुनिक युग में लड़कियों को उनके अधिकार देने और उनके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं। भारत सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है और कई योजनायें लागू कर रही है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? आखिर क्या है इसका इतिहास और महत्व।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस कब मनाया जाता है
विश्वभर में प्रथम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर 2012 को मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 19 दिसंबर 2011 को इस बारे में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें बालिकाओं के अधिकारों एवं विश्व की उन अद्वितीय चुनौतियों का, जिनका कि वह मुकाबला करती हैं, को मान्यता देने के लिए 11 अक्टूबर 2012 को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाया जाता है?
प्राचीन काल की बात करे तो प्राचीन काल मे महिला का बहुत सम्मान किया जाता था। परन्तु जैसे जैसे समय बीतता गया महिला को माता की तरह पूजने वाले ही उन पर अत्याचार करने लगे ओर लोगो की सोचा मे बदलाव आने लगा जिसके कारण बाल विवाह प्रथा, सती प्रथा, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण ह्त्या इत्यादि प्रथाए काफी प्रचलित हो गई। ऐसी प्रथाओं के प्रचलित होने के कारण लड़कीयों को शिक्षा, प्रशिक्षण, कानूनी अधिकार और चिकित्सा जैसे अधिकारों से वंचित रखा जाता था। लड़की को घर का सदस्य न मान कर एक बोझ समझा जाता था। हर जगह अपना योगदान करने वाली और चुनौतियों का सामना कर रही लड़कियों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने, उनके सहयोग के लिए दुनिया को जागरूक करने के लिए इस दिवस का आयोजन किया गया जिसकेे प्रयास मे हर साल 11 October को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास
इस अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की प्रेरणा कनाडियाई संस्था प्लान इंटरनेशनल के ‘बिकॉज आई एम गर्ल’ “क्योंकि में एक लड़की हूँ” से मिली। इस अभियान के तहत वैश्विक स्तर पर लड़कियों के पोषण के लिए जागरूकता फैलाई जाती थी। इसके बाद इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया गया, फिर कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा। अंतत: संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित किया और इसके लिए 11 अक्टूबर का दिन चुना गया। इस प्रकार पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया और उस समय इसका थीम था “बाल विवाह को समाप्त करना”।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का मुख्य उद्देश्य क्या है
हर जगह अपना योगदान करने वाली और चुनौतियों का सामना कर रही लड़कियों के अधिकारों के प्रति लिए जागरूकता फैलाने, उनके सहयोग के लिए दुनिया को जागरूक करने के लिए इस दिवस का आयोजन किया गया। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का मकसद है बालिकाओं के मुद्दे पर विचार करके इनकी भलाई की ओर सक्रिय कदम बढ़ाना। गरीबी, संघर्ष, शोषण और भेदभाव का शिकार होती लड़कियों की शिक्षा और उनके सपनों को पूरा करने के लिए कदम उठाने पर ध्यान केंद्रित करना ही इसका मुख्य उद्देश्य है। भारत में भी 24 जनवरी को हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को और किस नाम से जाना जाता है
इस अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को राष्ट्रीय बालिका दिवस, बालिका दिवस, कन्या दिन, जागृति कन्या दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
भारत सरकार ने शुरू की कई योजनाएं
बता दें कि भारत सरकार ने भी बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए कई प्रकार की योजनाओं को लागू किया है जिसके तहत बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ एक उल्लेखनीय योजना है. इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार भी इसे लेकर कई अन्य महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू कर रही है. अगर हम भारत की बात करें तो भारत में हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी को मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2021 की थीम
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2021 की थीम है- “हमारी आवाज और हमारा समान भविष्य”। इस साल की थीम “हमारी आवाज और हमारा समान भविष्य” का उद्देश्य समाज में ये संदेश देना है कि कैसे छोटी बालिकाएं आज पूरे विश्व को एक मार्ग दिखाने का प्रयास कर रही हैं.
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की पहली थीम क्या थी?
पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस जब 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया, तब इसकी थीम थी- “बाल विवाह उन्मूलन”। हालांकि अभी भी देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बाल विवाह के मामले सामने आते हैं। इसको लेकर कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन इस कुरीति को खत्म करने के लिए अशिक्षा, पिछड़ेपन, गरीबी जैसे कारणों को भी दूर करना होगा।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की अब तक की थीम
इस विशेष दिन में हर साल एक विषय सुनिश्चित किया जाता है और उसके अनुसार इसका उत्सव मनाया जाता है, और उसी विषय के अनुसार ही इस दिन के उद्देश्य को पूरा किया जाता है।
2012 : इस दिन को मनाने की शुरुआत सन 2012 में की गई थी, और इस दिन को मनाने का सबसे पहला विषय ‘बाल विवाह को ख़त्म करना’ था। आज काफी हद तक इस उद्देश्य को पूरा करने में सफलता भी हासिल हुई है।
2013 : अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का यह दूसरा साल था, जिसमें इसका विषय ‘लड़कियों की शिक्षा के लिए नवीनीकरण’ था। इसका उद्देश्य लड़कियों को उनकी शिक्षा के लिए अनेक अवसर प्रदान करना था। इस साल दुनिया भर में लड़कियों के इस दिन के लिए लगभग 2,043 कार्यक्रम आयोजित हुए।
2014 : इस साल तीसरा अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया था, इस साल इसका विषय ‘किशोरावस्था की लड़कियों को सशक्त बनाना, हिंसा के चक्र को ख़त्म करना’ था।
2015 : इस साल चौथा अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन किया गया था, जिसका विषय ‘किशोर लड़कियों की शक्ति 2030 के लिए विज़न’ था। इसका मतलब सन 2030 तक दुनिया भर की सभी लड़कियों को पॉवर देना है, ताकि वे खुद के लिए लड़ सकें।
2016 : यह पांचवा अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस था। इस साल इस दिन को मनाने के लिए विषय ‘लड़कियों की प्रगति लक्ष्य प्रगति, लड़कियों के लिए क्या मायने रखता है’ था।
2017 : छटवां अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस सन 2017 में मनाया गया, इसमें विषय ‘लड़कियों को सशक्त होना किसी संकट के पहले, दौरान या बाद में’ रखा गया था।
2018 : सातवाँ अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया था, तब इसका विषय ‘विथ हर अस्किल्ड गर्लफ़ोर्स’ था।
2019 : अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2019 का थीम- GirlForce: Unscripted and Unstoppable है।
2020 : इस साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम “हमारी आवाज और हमारा समान भविष्य”। इस साल की थीम “हमारी आवाज और हमारा समान भविष्य” का उद्देश्य समाज में ये संदेश देना है कि कैसे छोटी बालिकाएं आज पूरे विश्व को एक मार्ग दिखाने का प्रयास कर रही हैं।
कैसे मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस ?
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन हर साल संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में किया जाता है, जिसका उद्देश्य लड़कियों के मानवाधिकारों की उन्नति के लिए उनकी सहायता करना होता है। इसके अलावा पूरे विश्व में इस अवसर को चिन्हित करने के लिए विशेष कार्यक्रम भी आयोजित कीया जाता हैं, जैसे संगीत और खेल के कार्यक्रम। इस दिन विभिन्न समुदायों, राजनीतिक नेताओं और संस्थाओं द्वारा लड़कियों की समान शिक्षा और उनके मौलिक स्वतंत्रता के महत्व के बारे में लोगों को संबोधित कर जागरूक किया जाता है। इसके अलावा महिलाओं को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि वे व्यापार, राजनीति और खेल जैसी गतिविधियों में जुड़े और इसमें अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनियाभर में बहुत-सी लड़कियां गरीबी के बोझ तले जी रही हैं लड़कियों को शिक्षा मुहैया नहीं हो पाती। दुनिया में हर तीन में से एक लड़की शिक्षा से वंचित है। लड़कियां आज लड़कों से एक कदम आगे हैं, लेकिन आज भी वह भेदभाव की शिकार हैं।
भले ही हम आधुनिक युग में जी रहे हैं, बावजूद इसके दुनिया के कई हिस्सों में आज भी लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें प्रताड़ित किया जाता है. आज भी कई जगहों पर लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता है, पैदा होने से पहले ही उन्हें मार दिया जाता है. अशिक्षा, बाल विवाह, भेदभाव, शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना जैसी कई समस्याओं से आज भी बालिकाएं जूझ रही हैं. ऐसे में अतंरराष्ट्रीय बालिक दिवस दुनिया भर की लड़कियों के लिए समानता और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का एक मंच प्रदान करता है।